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नहाय-खाय के साथ आज से शुरू होगा सूर्य उपासना का महापर्व छठ
27-Oct-2022 8:27 PM
नहाय-खाय के साथ आज से शुरू होगा सूर्य उपासना का महापर्व छठ

शहर के शंकर घाट सहित प्रमुख सभी छठ घाटों में तैयारी पूर्ण
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
अम्बिकापुर, 27 अक्टूबर।
शुक्रवार को नहाय- खाय के साथ सूर्य उपासना का महापर्व छठ पर्व प्रारंभ हो जाएगा। चार दिवसीय महापर्व 28 अक्टूबर से शुरू हो रहा है, जो 31 अक्टूबर तक चलेगा। यह पर्व कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। इस दौरान भक्त 36 घंटे का निर्जल उपवास कर छठी मइया से संतान के स्वास्थ्य लाभ, सफलता और दीर्घायु के लिए वरदान मांगते हैं। यह व्रत पहले दिन नहाय खाय, दूसरे दिन खरना, तीसरे दिन डूबते हुए सूर्य और चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने के उपरांत व्रत का पारणा करने से संपन्न होता है।

मान्यता है कि छठी मइया का पवित्र व्रत रखने से सुख और शांति की प्राप्ति होती है। साथ ही सारे दुर्भाग्य समाप्त हो जाते हैं। इस व्रत से निसंतान दंपति को संतान की प्राप्ति होती है।छठ पूजा व्रत के नियम व्रत रखने के दौरान पलंग या तख्त पर सोने की मनाही होती है। व्रती को चारों दिन नए और साफ कपड़े पहनने चाहिए। व्रत रखने के दौरान सात्विक भोजन ही करें।

अम्बिकापुर नगर के शंकर घाट, केना बांध,घुनघुट्टा नदी, बाबूपारा तालाब,शिवधारी तालाब सहित विभिन्न छठ घाटों में समितियों द्वारा तैयारी पूरी कर ली गई है। अंबिकापुर नगर में श्रद्धालुओं की सर्वाधिक भीड़ शंकर घाट में उमड़ती है।

महामाया सेवा समिति के अध्यक्ष विजय सोनी ने बताया कि छठ घाट में सभी तैयारी पूर्ण कर ली गई है,इस बार शंकर घाट में लगभग 40 हजार श्रद्धालुओं के पहुंचने की संभावना है।शंकर घाट को महामाया सेवा समिति द्वारा आकर्षक रूप से सजाया गया है। श्रद्धालुओं के रुकने के लिए टेंट पंडाल लगाया गया है एवं अलाव की व्यवस्था भी की गई है।

छठ पर्व का प्रारंभ 28 अक्टूबर को नहाय- खाय के साथ प्रारंभ होगा, इस दिन पूरे घर की साफ़ सफाई करके स्नान आदि किया जाता है,इसके बाद सूर्य देव को साक्षी मानकर व्रत का संकल्प किया जाता है। छठ के दूसरे दिन को खरना कहा जाता है, इस दिन व्रती पूरे दिन व्रत रखती हंै और शाम के समय व्रती महिलाएं मिट्टी के चूल्हे पर गुड़वाली खीर का प्रसाद बनाती हैं।

सूर्य देव की पूजा करने के बाद व्रत रखने वाले इस प्रसाद को ग्रहण करती हैं, इसके बाद 36 घंटे का निर्जला व्रत रखा जाता है।

छठ व्रत के तीसरे दिन सूर्य देव की पूजा की जाती है, इस दिन महिलाएं शाम के समय तालाब या नदी में जाकर सूर्य भगवान को अघ्र्य देती हैं। चौथे दिन सूर्य देव को जल देकर छठ का समापन किया जाता है, इस दिन महिलाएं सूर्योदय से पहले ही नदी या तालाब के पानी में उतर जाती हैं और सूर्यदेव से प्रार्थना करती हैं, इसके बाद उगते सूर्य को अघ्र्य देकर व्रत का पारण किया जाता है।

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