धमतरी
न्यायालय में 2341 केस का निराकरण, 1.30 करोड़ का सेटलमेंट
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
धमतरी, 13 नवंबर। जिला सत्र न्यायालय में नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया गया, जिसमें 28 केस में राजीनामा किया गया। आपसी समझौता के जरिए एक परिवार को टूटने से बचाया। लोक अदालत में ही पुनर्विवाह की रस्म अदा की गई।
बताया गया है कि डिंपल चंद्राकर और तेजेंद्र चंद्राकर की शादी 29 नवंबर 2011 को हुई थी। शादी के पश्चात डिंपल और तेजेंद्र चंद्राकर का एक बच्चा हुआ। डिंपल चंद्राकर दोनर की निवासी है, जबकि तेजेंद्र चंद्राकर राजिम का निवासी है। अक्सर उनमें थोड़ी-थोड़ी बात में विवाद होता था। एक दिन यह विवाद इतना ज्यादा बढ़ गया कि दोनों ने एक साथ नहीं रहने का फैसला कर लिया। डिंपल चंद्राकर वर्ष-2020 में अपने पति का घर छोडक़र वापस अपने मायके में बच्चे के साथ आ गई। यहीं से बच्चे के लिए कानूनी लड़ाई शुरू हो गई। तेजेंद्र चंद्राकर ने बाल कल्याण समिति से अपने बच्चे को सुपुर्दनामा में ले लिया। इसके बाद डिंपल ने धमतरी न्यायालय में धारा 125 के तहत भरण पोषण के लिए मामला दर्ज करा दिया। इसके अलावा धारा 13 के तहत विवाह विच्छेद हिन्दू अधिनियम भी मामला दर्ज करा दिया। इतना ही नहीं उसने धारा 27 के तहत शादी के समय दिए गए दहेज की वापसी के लिए भी केस लगाया। यह केस चलते हुए करीब ढाई साल हो गए थे और दोनों में इतना मनमुटाव हो गया था कि एक-दूसरे को देखना भी पसंद नहीं करते थे। इसी बीच मामला जब न्यायालय में आया तो उन्हें दोनों के वकील पार्वती वाधवानी और धनंजय तिवारी ने भी समझाया।
आखिरकार इन दोनों की भी मेहनत रंग लाई। अधिवक्ता पार्वती वाधवानी का कहना था कि दो दिलों को जोड़ देने से अच्छी और कोई बात नहीं हो सकती। हमारा प्रयास सफल हुआ।
जिला एवं सत्र न्यायाधीश/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण धमतरी केएल चरयाणी के निर्देश पर जिला न्यायालय धमतरी एवं बाह्य न्यायालय कुरूद एवं नगरी एवं राजस्व न्यायालयों में नेशनल लोक अदालत लगा। न्यायालय में लंबित प्रकरणों में से दाण्डिक प्रकरण के 147 मामले, श्रम न्यायालय के 8 मामले में 119800 रुपए, मोटर दुर्घटना दावा प्राधिकरण के 17 मामले में 5450000 रुपए, परिवार न्यायालय 27 मामले, धारा 138 एनआई एक्ट के 20 मामले में 2590039 रुपए, सिविल के 6 मामले में 1196000 रुपए, पीटी अफेन्स के 229 मामले में 217700 रुपए, यातायात चालान के 387 मामले में 160500 रुपए मिलाकर 841 लंबित प्रकरणों का निराकरण कर 9734039 रुपए का सेटलमेंट किया गया। प्री लिटिगेशन एवं राजस्व न्यायालयों के 1473 प्रकरणों में 3291373 रुपए का सेटलमेंट हुआ है। इस प्रकार कुल 2314 केस में 13025412 रुपए का सेटलमेंट किया गया है।