रायपुर
पांच साल से मांगें अधूरी, गुप्ता कमेटी की एक भी बैठक न होने का दावा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 1 जनवरी। पांच वर्षों के आंदोलन, गिरफ्तारियां जेल की सजा काटने के बाद पुलिस परिजनों की मांगें पूरी नहीं हो पाई है। इसे देखते हुए ये परिवार एक बार फिर 8 जनवरी से आंदोलन पर उतर रहे हैं। इस बार इन्होंने आजाद जनता पार्टी गठित कर आंदोलन तेज करने का फैसला किया है।
वीकली ऑफ, रेस्पांस भत्ता, एचआरए जैसी 45 मांगों को लेकर उज्जवल दीवान नाम के सिपाही ने पुलिस परिवारों को संगठित कर 2018 में आंदोलन शुरू किया था। आन ड्यूटी स्टॉफ का तो नहीं लेकिन उनके परिजनों ने बढ़चढक़र हिस्सा लिया। यह आंदोलन बस्तर से लेकर सरगुजा तक चला। पिछली सरकार के लिए चुनौती थी तो कांग्रेस ने इनकी मांगों को पूरा करने का वादा करते हुए वोट हासिल किए, लेकिन वह भी आधे-अधूरे। मसलन, जिन मांगों पर रकम लगनी थी उन्हें दर किनार किए गए। वीकली ऑफ जैसी मांगों को लागू करने एसपी को अधिकार दिया गया, लेकिन उसका क्रियान्वयन संतोषजनक नहीं रहा। इस दोहरी नीति को लेकर पुलिस परिजन एक बार फिर एकजुट हो रहे हैं। 8 जनवरी को बूढ़ातालाब धरना स्थल पर महासम्मेलन के साथ इसकी शुरूआत कर रहे हैं।
उसमें पुलिस परिवार शुरूआत कर रहे हैं। उसमे पुलिस परिवार एसआई अभ्यार्थी/ संविदा अनियमित कर्मचारी जैसे अन्य कर्मचारियों को भी आमंत्रित किया गया है।
उज्जवल दीवान ने बताया कि 8 दिसम्बर-21 को सरकार ने पुलिस परिजनों की मांगों पर चर्चा और अनुशंसा के लिए एडीजी हिमांशु गुप्ता की अध्यक्षता में कमेटी बनाई। 10 जनवरी को चर्चा के लिए बुलाकर बनाई। 10 जनवरी को चर्चा के लिए बुलाकर, चर्चा से रोकने उज्जवल को जेल भेज दिया गया। पुलिस द्रोह-राजद्रोह की धाराएं लगाकर 10 माह जेल में रखा गया और मांगें पूरी नहीं की गई। और तो और जीवन निर्वाह भत्ता न देना पड़े इसलिए उज्जवल को अब तक निलंबित भी नहीं किया गया। वह धमतरी जिला पुलिस बल में आरक्षक रहा है। और आंदोलन में शामिल अन्य कर्मचारियों के परिजनों, महिलाओं को डराया धमकाया गया। पुलिस अधिकारी, अपनी नाकामी छिपाने सरकार की छवि खराब कर रहे हैं। अब हम फिर नए सिरे से आंदोलन शुरू करने जा रहे हैं।
कुछ मांगें पूरी की गई है
एडीजी गुप्ता कमेटी में आईजी पी. सुंदरराज, डीआईजी मिलना कुर्रे, बीएस ध्रुव अधिकारिक सदस्य हैं। दीवान का कहना है कि मेरी गिरफ्तारी के बाद से समिति की कोई बैठक नहीं हुई। वही कमेटी की एक सदस्य (नाम न छापने की शर्त) ने बताया कि कुछ रिकमंडेशन्स की गई है। परिजनों की ज्यादातर मांगें जायज थी। एसपी की कुछ मांगों की अनुशंसा की गई है। जबकि वित्तीय प्रभार वाली मांगें शासन को भेजी गई है। समिति की कितनी बैठकें हुई है? इस प्रश्न, इन सदस्य का कहना था कि ये एडीजी सर से पूछ लें तो बेहतर होगा। दीवान का कहना है कि एक भी बैठक नहीं हुई। कुछ मांगें, मान लिए जाने की बात पर दीवान ने कहा कि वीकली ऑफ ही मानी गई है, वह भी नहीं दिया जा रहा है। रेस्पांस भत्ता देने में भेदभाव हो रहा। सहायक आरक्षकों की मांग पूरी करने 22 के बजट में घोषणा की गई थी लेकिन पूरी नहीं।