रायपुर
भाकपा ने आपरेशन समाधान का किया विरोध
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 16 जनवरी। भाकपा माओवादी की केंद्रीय समिति ने पिछले दिनों सुरक्षा बलों के आपरेशन समाधान का विरोध किया है। समिति के प्रवक्ता अभय ने अपने बयान में कहा है कि पिछले एक साल में सरकारों ने छत्तीसगढ़ और तेलंगाना सीमा पर 20 ने सीआरपीएफ कैंप खोले हैं जिससे यह देश में सबसे अधिक सैन्यीकृत हो गया है। और उन्हें सुरक्षा प्रदान कर रहे हैं जो हमारे प्राकृतिक संसाधनों को लूट रहे हैं।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने इन महीनों में बैलाडीला में चार नई खदानों की अनुमति दी है। प्राकृतिक संसाधनों की लूट को सुगम बनाने के लिए भाजपा सरकार ने पेसा और वन संरक्षण अधिनियम में संशोधन किया है। हिंदुत्ववादी ताकतों की नीतियों के कारण बढ़ता सामाजिक जनआंदोलनों को जन्म दे रहा है। जनयुद्ध के माध्यम से जनता इतिहास के सबसे बर्बर और सबसे बर्बर क्षणों का सामना करने में सक्षम है। माओवादियों ने मुक्त करने का संकल्प लिया है। और हम मरते दम तक मुक्ति के कर्म में आस्थावान है। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की केंद्रीय समिति सभी और प्रगतिशील ताकतों और उत्पीडित राष्ट्रीयताओं और हाशिए पर पड़े समुदाय से हिंदुत्व के खिलाफ अपने विरोध को जारी रखने और बढ़ाने की अपील करती है।
अभय ने कहा 11 जनवरी को सीआरपीएफ कोबरा, डीआरजी और ग्रेहाउंड के तांडव ने भारत के सबसे कमजोर वर्गों में से एक अंधाधूंध तरीके से कई बम गिराए। इस संयुक्त अभियान में पिछले दो वर्षों में माओवादी पार्टी को खत्म करने के लिए हवाई बमबारी लगातार कराई जा रही है। हमले के पीछे एक वाजिब कारण यह है कि शासक वर्ग और उनके लुटेरे जमीनी रास्ते से उन क्षेत्रों में प्रवेश करने में असमर्थ हैं क्योंकि वहां के लोग अत्याधिक राजनीतिक और कट्टरपंथी हैं। जो सीआरपीएफ और अन्य बलो को प्रवेश करने से कांपते हैं। हालांकि पीएलजीए बलो ने लोगों और राष्ट्र की सेवा करने की इच्छाशक्ति के साथ उन हवाई हमलों का पूरी ताकत से जवाब दिया है।