रायपुर

सूरजपुर शक्कर कारखाना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा, स्टॉक में गड़बड़ी, 12 करोड़ का नुकसान
16-Jan-2023 6:16 PM
 सूरजपुर शक्कर कारखाना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा, स्टॉक में गड़बड़ी, 12 करोड़ का नुकसान

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

रायपुर, 16 जनवरी। सूरजपुर के ग्राम केरता स्थित मां महामाया सहकारी शक्कर कारखाना में अधिकारियों की घोर लापरवाही व भ्रष्टाचार के चलते लगभग 12 करोड़ 36 लाख 38 हजार कीमत की शक्कर की कमी पाई गई। लगातार स्टॉक में कमी की शिकायतों पर  सहकारिता मंत्रालय ने जांच दल का तो गठन किया गया लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। जांच समिति में अपर पंजीयक एच के नागदेव एवम सहायक पंजीयक विकास खन्ना ने जांच कर जांच प्रतिवेदन जो सौंपा गया है, वह चौंकाने वाला है। भाजपा सहकारिता प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक शशिकांत द्विवेदी ने बताया कि शक्कर कारखाने के गोदामों में शक्कर के भौतिक सत्यापन में जांच दल द्वारा कई कमियां पाई गई। जैसे कारखाने द्वारा शक्कर की बोरियों की स्टैकिंग वैज्ञानिक तरीके से नहीं की गई। अत: आयतन के आधार पर जांच दल द्वारा गणना की गई। कारखाने के प्रबंध संचालक और गोदाम प्रभारी द्वारा यह जानकारी दी गई कि कारखाने के निकट खदान में ब्लास्टिंग होने के कारण पूर्व में शक्कर की बोरियों के गिरने से एक हमाल की मृत्यु हो गई थी अत: स्टैकिंग इस प्रकार की गई किंतु स्टेकवार जानकारी प्रदर्शित न करने के संबंध में पूछने पर कोई जानकारी प्रबंधन द्वारा नहीं दी गई। इस प्रकार  अवैज्ञानिक तरीके से स्टेकिंग करना, स्टेक वार जानकारी प्रदर्शित न करना तथा पूर्व में दुर्घटना होने के बावजूद भी ऊंचे ऊंचे स्टेक लगाया जाना पाया गया ।जिससे कारखाना द्वारा दिया गया तर्क उचित प्रतीत नहीं होता । अत: प्रबंधन की घोर लापरवाही  उजागर करते हुए इस तथ्य की ओर इशारा करता है कि जानबूझकर बारदानों को ऐसे जमाए  गए जिससे उनकी गणना कर पाना संभव ना हो ।

द्विवेदी ने कहा कि  कारखाने के रजिस्टर में 28 अप्रैल 2021 को अचानक 2320  मिश टन मोलासेस(शीरा) का अतिरिक्त स्टॉक दर्शाया गया जो  एक दिन में हो पाना संभव नहीं है ।जबकि कारखाने के दस्तावेज के अनुसार  22 मार्च 21 के पश्चात मोलासिस का  उत्पादन रुकना दिखाया गया है। अत: कारखाने के दस्तावेजों के आधार पर ही  रिकॉर्डेड मोलासिस की  मात्रा में भौतिक सत्यापन में 1641मि 0टन मोलासिस अधिक पाई गई।

मोलासिस के संबंध में भारत सरकार को भेजी जाने वाली रिपोर्ट और दी गई जानकारी में कारखाने के उत्पादन में भारी अंतर है। इसी प्रकार पीपी बैग की जानकारी जो दी गई वह भ्रामक है। इससे यह स्पष्ट होता है कि कारखानों द्वारा दस्तावेजों के संधारण में हेराफेरी ,गड़बड़ी एवं लापरवाही बरती गई है जिसके कारण बारदाना खरीदी के दस्तावेजों के संधारण में अनियमितता हुई है। कंप्यूटरीकृत संचालन के लिए ईआरपी सॉफ्टवेयर लगाया गया है ।

सहकारी अधिकरण का काम बंद

द्विवेदी ने बताया कि छत्तीसगढ़ सहकारी सोसायटी अधिनियम की धारा 77 यथा संशोधित अनुसार छत्तीसगढ़ राज्य सहकारी अधिकरण बिलासपुर का गठन किया गया था। विगत कुछ महीनों से सहकारिता विभाग द्वारा अधिकरण के दैनिक कार्यों में व्यवधान पैदा किया जा रहा है। जबकि अधिनियम की धारा 77(ख) अनुसार इस अधिकरण को सिविल न्यायालय की शक्तियां प्रयोग करने का अधिकार है । इसी कड़ी में अधिकरण के स्टेनो टाइपिस्ट को हटाया गया है ।प्राप्त जानकारी अनुसार  अनेक प्रयासों के बावजूद  भी कोई एवजीदार नहीं दिया गया जिससे3-4 माह से अधिकरण का न्यायिक कार्य  पूर्णरूपेण बंद है। उल्लेखनीय है कि अधिकरण द्वारा अनेक निर्णयों  में  पंजीयक सहकारिता के विरुद्ध  टिप्पणी की गई थी।

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