सरगुजा
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की वर्चुअल कार्यशाला
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
अंबिकापुर,1 अप्रैल। पुलिस महानिरीक्षक सरगुजा रेंज राम गोपाल गर्ग के मार्गदर्शन में न्यायिक मजिस्ट्रेट अमित जिंदल, सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, सरगुजा के साथ संयुक्त रूप से रेंज स्तरीय एक वर्चुअल मीटिंग आयोजित की गई। जिसका मुख्य उद्देश्य रेंज के समस्त विवेचकों को आरोपियों की गिरफ्तारी संबंधी महत्वपूर्ण जानकारी देना था।
पुलिस महानिरीक्षक राम गोपाल गर्ग द्वारा हाल ही में रेंज स्तरीय लंबित प्रकरणों, दोष मुक्ति प्रकरणों तथा 420 (धोखाधड़ी) के प्रकरणों की समीक्षा की गई है। समीक्षा के दौरान ऐसे प्रकरण जिसमें आरोपियों को 7 साल तक की सजा का प्रावधान है उनकी गिरफ्तारी से पूर्व महत्वपूर्ण नियमों जिन्हें द.प्र.स. की धारा 41 (।)(ख)(।।) के अंतर्गत पूर्ण की जाती है, उन प्रकरणों में यह देखा गया कि विवेचको द्वारा गिरफ्तारी संबंधी चेक लिस्ट सही तरीके से नहीं भरने के कारण आरोपियों को जमानत का लाभ मिल जाता है एवं विवेचना पूर्ण होने पश्चात प्रकरण की समीक्षा दौरान इन बिंदुओं को विवेचना में त्रुटि के रूप में अंकित किया जाता है। जिस कारण आरोपियों को प्रकरण में दोषमुक्ति का लाभ मिल जाता है।
प्रकरण में आरोपियों को दोष सिद्ध कराएं जाने के उद्देश्य से आईजी सरगुजा द्वारा एक अनूठी पहल करते हुए सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, सरगुजा श्री अमित जिंदल के माध्यम से रेंज के समस्त पुलिस अधीक्षको, राजपत्रित अधिकारियों एवं विवेचको को वर्चुअल कार्यशाला के माध्यम से 7 साल तक सजा वाले प्रकरणों के आरोपियों की गिरफ्तारी संबंधी महत्वपूर्ण प्रावधानों के संबंध में जानकारी दी गई। जिससे कि विवेचको द्वारा विवेचना में त्रुटि होने की संभावना न हो तथा दोषियों को उसके किए गए अपराध की मुकम्मल सजा मिल सके।
इसके अतिरिक्त वरिष्ठ मजिस्ट्रेट अमित जिंदल द्वारा आईपीसी की धारा 195 तथा 195्र, जिसके अंतर्गत न्यालयीन प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न करना जैसे अपराध शामिल हैं, के बारे में भी पुलिस अधिकारियों को समझाया गया।
वर्चुअल कार्यशाला के दौरान रेंज के समस्त पुलिस अधीक्षक, राजपत्रित अधिकारी, इंस्पेक्टर, सब इंस्पेक्टर तथा अन्य विवेचक एवं पुलिस महानिरीक्षक कार्यालय से क्राइम रीडर शामिल थे।