रायगढ़
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायगढ़, 29 अप्रैल। जिले के तमनार थाना क्षेत्र अंतर्गत कुंजेमुरा (हुंकराडिपा) चैक में ग्रामीणों ने आर्थिक नाकेबंदी शुरू कर दी है। हाथों में डंडा लिए क्षेत्रीय ग्रामीण बीच सडक़ में बैठ गए हैं। जिससे वाहनों के पहिए थम गए हैं, गाडिय़ों की लंबी कतारें लग चुकी है। प्रशासनिक अमला भी मौके पर आ गया है, समझाइश का दौर शुरू हो चुका है। अनिश्चितकालीन आर्थिक नाकेबंदी पर बैठे क्षेत्र के प्रभावित ग्रामीण भी अपनी जिद पर अड़े हुए हैं। कुछ देर तक समझाई देने के बाद प्रशासनिक अमला पुन: अपने कार्यालय की ओर वापस लौट चुका है। आक्रोशित ग्रामीण सडक़ और टेंट के नीचे जमे हुए हैं।
उल्लेखनीय रहे कि अनफिट दौड़ रही गाडिय़ां बंद की जाए आर्थिक नाकेबंदी पर बैठे ग्रामीणों के द्वारा क्षेत्र की सडक़ों पर चलने वाली अनफिट गाडिय़ों को बंद करने की मांग की गई है। ग्रामीणों का कहना है कि 20 चक्का ट्रेलर वाहनों के चालकों द्वारा एक्सेल को उठाकर चलाया जा रहा है, तो वहीं कुछ भारी वाहनों में एक्सल पर टायर ही नहीं है। जिन पर कार्रवाई की जाए।
फ्लाईएस की समस्या
औद्योगिक क्षेत्र में प्रदूषण की मार झेल रहे लोगों के लिए फ्लाई एश की समस्या नासूर बनती जा रही है। सडक़ों से लेकर, खाने पीने की चीज व फसलों को भी उद्योगों से निकलने वाला फ्लाईएश बर्बाद कर रहा है। लोगों की मांग है कि किसानों के खेत में भी फ्लाई एस डंपिंग कर दिया जा रहा है, ऐसे व्यवस्थित ढंग से फ्लाईएश डंपिंग करने वाली कंपनियों के खिलाफ एफ आई आर दर्ज की जाए। क्षेत्र के आदिवासी लोगों की जमीन को गैर आदिवासी लोगों के नाम पर रजिस्ट्री कराई गई है। उसे तत्काल प्रभाव से निरस्त किया जाए।
उनकी प्रमुख मांगों में तमनार तहसील में पदस्थ अधिकारी अनुज पटेल को तमनार तहसील से हटाया जाए। कोल ब्लाक के लिए आवंटित जमीन पर निवास करने वाले मिलुपारा, लालपुर, उरबा, पेलमा, सक्ता, हिंझर, मडवाडुमर, जरीडीह सहित 14 गांव के लोगों में अनुमति के बगैर सर्वे कराए जाने को लेकर आक्रोश जाहिर कर रहे है। वहीं आर्थिक नाकेबंदी पर बैठे लोगों द्वारा तमनार तहसील में पदस्थ अतिरिक्त तहसीलदार अनुज पटेल को तुरंत तमनार तहसील से हटाने की मांग की जा रही है।
दरअसल, गारे पेलमा सेक्टर 1 कोल ब्लॉक वर्ष 2010 में एसईसीएल को दी गई है। जिसमे लालपुर, उरबा, पेलमा, सक्ता, जरहीडीह सहित 14 गांव शामिल हैं। कोल ब्लाक से प्रभावित होने वाले गांव के ग्रामीण इसका विरोध कर रहे हैं। जिसके लिए कोयला सत्याग्रह भी चलाया गया था, साथ ही प्रभावित ग्रामीणों द्वारा तीन दिवसीय पदयात्रा भी निकाली गई थी, जिसकी शुरुआत पेलमा गांव से हुई थी और कलेक्ट्रेट पहुंचकर विरोध पत्र कलेक्टर के माध्यम से राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टीस, हाईकोर्ट के चीफ जस्टीस, हाईकोर्ट एवं राज्यपाल, मुख्यमंत्री के नाम पर ज्ञापन सौंपा गया था।
गुरुवार को सर्वे के लिए गई थी टीम
बीते गुरुवार को एक टीम सर्वे करने के लिए प्रभावित गांव में पहुंची थी। तभी ग्रामीणों को इसकी भनक लग गई और वो भी मौके पर पहुंच गए। देखते ही देखते नोकझोंक शुरू हुई और विवाद बढ़ गया। जिसके बाद सर्वे के लिए आई टीम वापस लौट गई।