रायपुर
पड़ोस के स्कूलों से काम चल रहा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 22 जुलाई। प्रदेश की साढ़े तीन सौ से अधिक ऐसे स्कूल हैं, जहां एक भी शिक्षक नहीं है। हालांकि स्कूल शिक्षा विभाग का कहना है कि जहां शिक्षक नहीं हैं, वहां निकट की शालाओं से अध्यापन की व्यवस्था की जा रही है।
महासमुंद के अमलोर गांव के स्कूल के विद्यार्थी, और पालक रायपुर आ गए थे, और उन्होंने स्कूल में शिक्षक न होने पर विरोध प्रदर्शन किया था। हालांकि इस विरोध प्रदर्शन को कई लोग स्थानीय राजनीति से भी जोडक़र देख रहे हैं। मगर ये बात सच है कि प्रदेश में 360 शालाएं ऐसी हैं, जहां एक भी शिक्षक नहीं है।
यह जानकारी खुद स्कूल शिक्षा विभाग ने विधानसभा में दी है। प्रदेश में नए स्कूल खोले गए हैं, लेकिन उस अनुपात में शिक्षकों की भर्ती नहीं हो पाई है। हालांकि सीएम भूपेश बघेल के निर्देश पर रिक्त पदों पर भर्ती की प्रक्रिया तेजी से शुरू हुई है।
सरकार ने नक्सल प्रभावित बंद स्कूलों को शुरू करवाया है। वर्तमान में नक्सल प्रभावित पौने तीन सौ स्कूल बीजापुर, सुकमा, और दंतेवाड़ा इलाके में खोले गए हैं। इनमें से 248 भवन विहीन थे। 218 शिक्षक कार्यरत थे, और 80 शालाओं में एक भी शिक्षक कार्यरत नहीं थे। इन शालाओं में स्कूल, शिक्षण व्यवस्था शिक्षादूत के जरिए कराया जा रहा था।
49 हजार पद खाली
बताया गया कि प्रदेश में 31474 प्राथमिक, 13331 पूर्व माध्यमिक शाला, 1960 हाई स्कूल, और 2740 हायर सेकेंडरी स्कूल संचालित हैं। इन स्कूलों में 1 लाख 65 हजार 477 शिक्षक हैं। सेटप के मुताबिक 214306 पद होने चाहिए। वर्तमान में 48829 पद खाली हैं। स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा सीधी भर्ती, और पदोन्नति प्रक्रिया में ऐसे स्कूलों में प्राथमिकता से पदस्थापना के निर्देश हैं। 5641 शालाएं एकल शिक्षकीय, और 360 शालाओं में एक भी शिक्षक कार्यरत नहीं हैं।