महासमुन्द
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 24 जुलाई। संसदीय सचिव व कांग्रेस प्रवक्ता विनोद सेवनलाल चंद्राकर ने मणिपुर के मामले में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी को राज्य एवं केंद्र शासन की उदासीनता का प्रमाण बताया है। श्री चंद्राकर ने कहा कि केंद्र व राज्य सरकार द्वारा मामले में त्वरित एक्शन नहीं लिए जाने की वजह से सुप्रीम कोर्ट को यह टिप्पणी करनी पड़ी कि सरकार कदम उठाए वर्ना हम लेंगे एक्शन।
उन्होंने कहा कि मणिपुर में भाजपा की सरकार है पर वहां के मुख्यमंत्री इस घटना पर संवेदनशीलता दिखाने की बजाए हाथ में हाथ धरे बैठे रहे। महिलाओं के प्रति संवेदनशीलता की बात करने वाले मोदी जी भी घटना पर तब संज्ञान लेते हैं जब मामले को लेकर देशभर के लोगों में इसके प्रति गुस्सा फूटता है। उन्होंने बयान भी दिया तो भाजपा शासित प्रदेश की बजाए छग और राजस्थान का नाम लिया। इसका क्या मतलब है? विनोद चंद्राकर ने कहा है कि प्रधानमंत्री का बयान भी राज्य सरकार को कार्रवाई के लिए नहीं बल्कि सरकार को बचाने वाला था। मामले की जानकारी मिलने के बाद जब राहुल गांधी का काफिला पीडि़तों से मिलने जा रहा था तो उन्हें जाने से ही रोक दिया गया। क्योंकि सरकार को डर था कि उनकी और राज्य सरकार की किरकिरी हो जाएगी। लेकिन घटना पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी ने देशभर में महिला सुरक्षा को लेकर ढि़ंढोरा पिटने वाली भाजपा की मोदी सरकार की संवेदनशीलता की पोल खोलकर रख दी है। उन्होंने कहा कि मणिपुर में दो महिलाओं के साथ दुष्कर्म के बाद उन्हें नग्न घुमाने वाली घटना अत्यंत शर्मनाक है। पर उससे भी ज्यादा शर्मनाक तो मामले में प्रदेश व केंद्र सरकार का रवैया रहा है। जिसकी जितनी निंदा की जाए वह कम है। यह देश के इतिहास में भाजपा शासनकाल में सबसे बड़ी घटना है जिस पर सरकार को त्वरित संज्ञान लिया जाना चाहिए था, पर ऐसा नहीं हुआ। यह मोदी जी के साथ भाजपा नेताओं को सोचना चाहिए कि यह घटना क्यों हुई और घटना के बाद इस त्वरित कार्रवाई क्यों नहीं की गई?