महासमुन्द
पिथौरा, 25 जुलाई। सावन में थानेश्वर मंदिर में शिव पुराण की कथा आयजित की जा रही है। कथावाचक गैंद प्रसाद तिवारी ने शिवपुराण में द्वादश ज्योतिर्लिंगों की महिमा बताते हुए कहा कि इनके दर्शन मात्र से मनुष्य को जन्म जन्मांतर के पापों से मुक्ति मिलती है। बाबा बैद्यनाथ धाम की महिमा को विस्तार से बताते हुए पं. तिवारी ने कहा कि रावण की अनन्य तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शंकर ने उसकी समस्त इच्छाओं की पूर्ति हेतु शिव लिंग प्रदान किए, किन्तु रावण की महत्वाकांक्षा को ध्यान में रखते हुए भगवान शंकर जी ने यह शर्त जोड़ दिया कि लंका से पहले शिवलिंग को धरती में कहीं भी न रखा जाए।
अन्यथा वह वहीं स्थापित हो जाएगा। शिव जी की माया से रावण शिवलिंग को लंका तक नहीं ले जा पाया । लघुशंका के तीव्र आवेग के चलते उसे एक ग्वाले के हाथ शिव लिंग सौंपना पड़ा जिसे असहनीय भार के चलते ग्वाले ने भूभाग के उस हिस्से में रख दिया जिसे आज पूरी दुनिया बाबा बैद्यनाथ धाम के रूप में पूजती है। उन्होंने नागेश्वर तथा रामेश्वर धाम कथा भी विस्तार से बताई।
कथा के दौरान महिला मण्डल की सगुन गजेन्द्र, कुसुम शर्मा, फुलेश्वरी यादव, पिंकी तिवारी, चारू देवांगन, पार्वती देवांगन, सुशीला प्रधान, मोहिता भोई, मीना पटेल सुदेशना प्रधान रस्मीता सेठ, प्रमिला साहू, चंचल बंसवार, प्रेमलता बीसी, बबीता प्रधान, संध्या जायसवाल, किरण प्रधान के द्वारा मंदिर पुजारी कृष्ण कुमार शर्मा के मंत्रोच्चार के साथ विशेष अभिषेक पूजन और महाआरती की गई।
मुख्य जजमान कैलाशचंद्र अग्रवाल ने बताया कि अधिक मास होने के कारण थानेश्वर मंदिर में शिव पुराण की कथा निरंतर दो माह तक प्रतिदिन दिन सन्ध्या 4 से 6 बजे तक विद्वान आचार्यों के द्वारा प्रस्तुत की जाएगी ।