जशपुर

घोर नक्सल प्रभावित नगेरापत्थर के मतदाताओं ने आजादी के बाद पहली बार अपने गांव में किया मतदान
18-Nov-2023 2:17 PM
घोर नक्सल प्रभावित नगेरापत्थर के मतदाताओं ने आजादी के बाद पहली बार अपने गांव में किया मतदान

पहले पहाड़ी के रास्ते 8 किमी चलकर जाते थे आरा मतदान केंद्र

मो. वाहिद अंसारी 

जशपुरनगर, 18 नवंबर (‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता)। जिले का घोर नक्सल प्रभावित इलाके की लिस्ट में सुमार आरा चौकी क्षेत्र जिले के सबसे अधिक संवेदनशील बूथ की गिनती में शामिल था। यहां अब बिलकुल शांति के साथ मतदान हुआ। यह इलाका जिला मुख्यालय से 20 किमी दूर है। इलाका झारखंड की सरहद में घने जंगलों के बीच स्थित है। यहां कुछ साल पहले नक्सलियों का दबदबा हुआ करता था और उनके ठिकाने हुए करते थे।

इसी संवेदनशील इलाके में शामिल नगेरा पत्थर गांव में इस विधानसभा चुनाव के दौरान नया मतदान केंद्र खोला गया। यहां के ग्रामीणों ने पायनियर से बातचीत करते हुए बताया कि आजादी के बाद से जब से लोकतंत्र स्थापित हुआ है तब से हमारे पूर्वज और अब हम कभी अपने गांव में मतदान नहीं कर पाए। मतदान के लिए 8 किमी का सफर पहाड़ी पार कर आरा जाना पड़ता था। उनके गांव वालों के लिए आरा स्कूल के मतदान केंद्र में मतदान के लिए बुलाया जाता था। जिनके पास गाड़ी होती वे अपनी गाड़ी से चले जाते और अधिकांश लोग पैदल चलकर जाते थे।

गांव में बूथ होने से खुश

नगेरा पत्थर ग्राम निवासी जगत राम ने बताया कि उनके गांव में बूथ खुल जाने से सभी खुश हैं। आजादी के बाद से पहली बार उन्हें अपने गांव में मतदान करने का सुनहरा मौका मिला है।

खौफ से जाते भी नहीं थे

ग्रामीण सुईता राम ने बताया कि पहले इलाके में नक्सलियों का खौफ था। सबसे अधिक प्रभावित आरा से लगा ठुठीआंबा था। आरा नजदीक होने की वजह से वहां नक्सलियों का आने जाने की खबर ग्रामीणों के होती थी। चुनाव के वक्त डर होने की वजह से कई लोग आरा जाने से कतराते थे और मतदान करने से दूर भागते थे, लेकिन अब ऐसी कोई बात नहीं है।

ठुठीआंबा अब भय मुक्त

आरा क्षेत्र के ग्राम ठुठीआंबा और सकरडेगा झारखंड की सीमा के नजदीक घने जंगलों के बीच बसा बस्ती है। यहां नक्सलियों का प्रभाव अधिक था। बस्ती के बीच बैठकें होती थी, लेकिन अब हालात बदल चुके हैं। ठुठीआंबा क्षेत्र की सरपंच बुधनी बाई और ग्रामीण महिलाओं से बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि तब और अब की स्थिति बिल्कुल बदल चुकी है। यहां अब किसी प्रकार का खौफ नहीं है। सभी लोकतंत्र के पर्व में शामिल हो रहे हैं। पहले ऐसी स्थिति नहीं थी। अब भय मुक्त हो चुका है।

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