रायपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 17 जनवरी। सिखों के दसवें गुरु गुरु गोविंद सिंघ जी का प्रकाश पर्व आज मनाया जा रहा है। इसकी पूर्व संध्या पर गुरु गोबिंद सिंघ स्टडी सर्कल ने एक विचार गोष्ठी आयोजित की । जिसमें उपस्थित विद्?वानों ने गुरु गोविंद सिंघ के जीवन दर्शन एवं संघर्ष पर प्रकाश डाला।
गोस्ती का प्रारंभ करते हुए सर्कल के संस्थापक सदस्य सरदार मनमोहन सिंघ सैलानी ने बताया कि नौ वर्ष में अपने पिता गुरू तेग बहादुरजी को हिंदू धर्म की रक्षा के लिए शरद करवाया। जब पिता बने तो एक ही हफ्ते में उनके चारो साहबजादे शहीद हो गए।लेकिन वे मासूस नहीं हुए और खालसा पंथ की स्थापना करने मुगलों से संघर्ष कर वाहे गुरु जी की फतह का मार्ग प्रशस्त किया। गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए साहित्यकार गिरीश पंकज ने कहा किगुरुजी एक बड़े रचनाकार भी थे। उन्होंने अनेक ग्रंथों के अनुवाद किए कह सकते है कि वे पहले अनुवादक थे। उनको संत सिपाही कहा जाता है। उन्होंने मुगलों से संघर्ष किया लेकिन कभी भी इस्लाम के विरूद्ध एक शब्द नहीं कहा।
दलबीर सिंह ढिल्लों ने कहा कि देश की सीमाओं पर आज भी सिख सैनिक डटे हुए हैं।बार्डर से अगर आज भी पाँच लाशें आती है तो तीन गुरुजी के लाडलों की होती है। प्रेमशंकर मौरिया ने कहा कि सर्व प्रथम गुरु गोविंद सिंह जी ने तम्बाकू का विरोध कर नशा मुक्त भारत का संदेश दिया। जो आज भी आवश्यक है।
रघुवीर सिंह पट्टी कहा कि भारत के नौजवानों को देश और धर्म की रक्षा की प्रेरणा साहिबे कमाल गुरु गोविंद श्री से मिलती है। अते में परविंदर सिंह मारिया ने सबका धन्यवाद किया। ओंकार सिंह मूंदड़ ने गुरु पर्व की बधाई दी।