रायपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 18 जनवरी। देशभर के विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों में दीक्षांत समारोह में हैंडलूम (हथकरघा) से तैयार कपड़े पहनने होंगे। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों व राज्यों को इस संबंध में पत्र भेजा है।
इसमें लिखा है कि ऐसे कपड़े हर मौसम में आरामदायक होते हैं। इन्हें पहनने से छात्रों में भारतीय होने पर गर्व का अहसास होगा। साथ ही, ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार के मौके भी बढ़ेंगे। पत्र में लिखा है, यूजीसी के सुझाव को मानते हुए कई विश्वविद्यालयों ने पहले ही दीक्षांत समारोह में हथकरघा से तैयार परिधान शामिल कर लिए हैं पर बहुत सारे विश्वविद्यालय अब भी दिशा-निर्देशों का पालन नहीं कर रहे हैं। सभी उच्च शिक्षण संस्थानों से आग्रह है कि वे हथकरघा या हैंडलूम से बने भारतीय परिधानों को दीक्षांत समारोह के ड्रेस कोड में शामिल करें।
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने वर्ष 2017 और 2018 में उच्च शिक्षण संस्थानों को पारंपरिक काले कोट में डिग्री लेने के बजाय भारतीय परिधानों को पहनकर डिग्री देने का निर्देश दिया था। इसमें पुरुष कुर्ता-पायजामा या धोती और महिलाएं सूट-सलवार या फिर साड़ी पहन सकती हैं।
मंत्रालय ने अपने प्रदेशों की वेशभूषा को प्रमोट करते हुए उसे दीक्षांत समारोह में शामिल करने का निर्देश दिया है। आईआईटी, एनआईटी समेत कई विश्वविद्यालयों ने अपने प्रदेश की पारंपरिक वेशभूषा पहनकर डिग्री का चलन शुरू किया है।
कॉलेज और विवि कैंपस में भी बन सकेंगे वर्किंग वुमन हॉस्टल
यूजीसी के की ओर से सभी राज्यों और विश्वविद्यालयों को इस संबंध में पत्र लिखा गया है। इसमें लिखा है कि महिला व बाल विकास मंत्रालय नौकरीपेशा महिलाओं की सुरक्षा में ध्यान में रखते हुए वर्किंग वूमन हॉस्टल बनाने कहा है ।
मेट्रो सिटी, छोटे या बड़े शहरों में अब सुरक्षा को ध्यान में रखकर बेटियां नौकरी नहीं छोड़ेंगी। बेटियों को उच्च शिक्षा के बाद रोजगार से जोड़े रखने के लिए वर्किंग वूमन हॉस्टल की संख्या बढ़ाने की तैयारी चल रही है। इसके लिए विश्वविद्यालयों के कैंपस के अंदर या उसके आसपास भी वर्किंग वूमन हॉस्टल बनाए जाएंगे। इसके लिए यूजीसी ने विश्वविद्यालयों से वर्किंग वूमन हॉस्टल बनाने के लिए 10 दिनों में 10 से 15 चिह्नित जगह बताने का निर्देश दिया है।
यूजीसी की ओर से सभी राज्यों और विश्वविद्यालयों को इस संबंध में पत्र लिखा गया है। इसमें लिखा है कि महिला व बाल विकास मंत्रालय नौकरीपेशा महिलाओं की सुरक्षा में ध्यान में रखते हुए वर्किंग वूमन हॉस्टल बनाने जा रही है। इसमें विश्वविद्यालयों के पास भी कैंपस या फिर आसपास कोई जमीन हो तो वे उसे बनाने के लिए दे सकते हैं।
इसके लिए उन्हें 10 दिन का समय दिया गया है। इसमें विश्वविद्यालय कैंपस के अंदर या अपनी किसी जमीन पर वर्किंग वूमन बनवाते हैं तो उसका सारा खर्चा सरकार की ओर से दिया जा जाएगा।