दुर्ग
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
दुर्ग, 3 फरवरी। शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय दुर्ग के हिंदी विभाग द्वारा अंचल के विभिन्न महाविद्यालय में अध्यनरत कवि रचनाकार विद्यार्थियों के दिशा निर्देश को लक्ष्य कर दो दिवसीय कविता कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा। युवा सृजन की दिशाएं शीर्षक इस कार्यशाला में अंचल के वरिष्ठ कवि, लेखक, रचनाकार व आलोचकों ने उपस्थित विद्यार्थियों का मार्गदर्शन हेतु आमंत्रित किया गाया।
हिंदी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ अभिनेश सुराना ने कार्यक्रम के प्रारंभ में अपने स्वागत भाषण में कार्यशाला के उद्देश्य और औचित्य पर प्रकाश डाला। महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ एम ए सिद्दीकी ने कहा कि युवाओं के रचनात्मक विचारों को गति मिले इस उद्देश्य से हिंदी विभाग का आयोजन सराहनीय है। वरिष्ठ साहित्यकार रवि श्रीवास्तव ने कहा कि रचनाकार समाज को दिशा देता है ,और अपने आने वाले समय की तस्वीर दिखाता है। वरिष्ठ साहित्यकार गुलबीर सिंह भाटिया ने कहा की कविता आपके भीतर से उपजती है। अपने भीतर झांके और देखें कविता है कि नहीं, यदि भीतर कविता नहीं होगी तो कविता के लिए बाहरी श्रम निरर्थक होगा। साहित्य की परंपरा के पुरोधा कवि कबीर और तुलसी की महत्वपूर्ण रचनाओं का पाठ और व्याख्या डॉ अंबरीश त्रिपाठी ने किया।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए आलोचक डॉ.जयप्रकाश ने कहा कि कवि और कारीगर के काम में साधना की आवश्यकता होती है। कारीगर अपना काम औजारों से करता है वहीं कवि का साधन उसकी अत: चेतन होती है। वैज्ञानिक या कलाकार रहस्यों को उजागर करते हैं वैसे ही कवि मनुष्य के मानो जगत को उजागर करता है।
अंचल के वरिष्ठ समीक्षक डॉ.सियाराम शर्मा ने कविता क्या है विषय पर व्याख्यान देते हुए कहा कि कविता के उत्स में श्रम है। श्रम और लय से कविता का सृजन होता है। कविता हर परिस्थिति में हमारे साथ होती है विपरीत परिस्थितियों से लडऩे का साहस देती है। महासमुंद जिले के बागबाहरा से आमंत्रित प्रो.पीयूष कुमार ने कहा कि कविता ऑक्सीजन की तरह है ऑक्सीजन ना हो तो मनुष्य नहीं रहेगा और कविता नहीं रहेगी तो मनुष्यता मर जाएगी। सामाजिक न्याय के लिए कविता की जरूरत है।
व्याख्यान पश्चात नवोदीत कवियों को तीन वर्गों में विभाजित कर प्रत्येक ग्रुप में वरिष्ठ कवियों को मार्गदर्शन के लिए रखा गया। अपने ग्रुप में नवोदित रचनाकारों ने अपनी कविताओं का पाठ किया गया। नवोदित कवियों की कविताओं में जो कमी रही उस पर वरिष्ठ कवियों ने सुझाव दिए फिर वरिष्ठ कवियों ने कविता की भाषा और संरचना को दुरुस्त किया। कार्यशाला पश्चात तीनों ग्रुपों के वरिष्ठ रचनाकारों ने अपने-अपने ग्रुपों का प्रगति प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। तीनों ही ग्रुपों के वरिष्ठ कवियों ने बताया कि कार्यशाला में उपस्थित नवोदित कवियों में काव्य संवेदना के साथ काव्य प्रतिभा भी है। ये रचनाकार संभावनाओं से भरे हैं, उनका रचनात्मक भविष्य उज्जवल है। अंबिकापुर से पहुंचे वरिष्ठ साहित्यकार एवं प्राचार्य डॉ रामकुमार मिश्र ने नवोदीत रचनाकारों को संबोधित करते हुए कहा की दृष्टि, विवेक-बोध अर्जित कर काव्य क्षेत्र में बढ़े । कविता का कोई निश्चित फार्मूला नहीं होता पर कविता का सरल सहज और गंभीर होना आवश्यक है । कार्यक्रम में अंचल के वरिष्ठ साहित्यकार नसीर अहमद सिकंदर, शरद कोकस, डॉ घनश्याम त्रिपाठी , विनोद कुमार , विद्या गुप्ता , अशोक कुमार तिवारी, सुबोध देवांगन तथा महाविद्यालय के हिंदी विभाग के प्राध्यापक डॉ बलजीत कौर, डॉ कृष्ण चटर्जी, प्रो.अन्नपूर्णा महतो, डॉ सरिता मिश्र डॉ ओम कुमारी देवांगन, डॉ लता गोस्वामी, डॉ शारदा सिंह और स्नातकोत्तर के विद्यार्थी एवं शोधार्थी गण उपस्थित रहे। अन्य महाविद्यालय से आए युवा रचनाकार बड़ी संख्या में उपस्थित हुए कार्यक्रम के अंत में डॉ रजनीश उमरें ने आभार व्यक्त किया।