रायपुर

100 दिन हुए न डीए न नियमितीकरण
06-Mar-2024 7:55 PM
100 दिन हुए न डीए न नियमितीकरण

 ‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

रायपुर, 6 मार्च। विधानसभा निर्वाचन 2018 के बाद मध्य प्रदेश एवं छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बन जाने के बाद प्रदेश के कर्मचारियों एवं पेंशनरों को केंद्रीय कर्मचारियों के समान 4त्न महंगाई भत्ता का आदेश प्रसारित नहीं किया जा रहा है। जबकि चुनाव आयोग द्वारा इसकी स्वीकृति चुनाव के दौरान ही दी जा चुकी थी। चुनाव के दौरान विपक्ष में रहते हुए कर्मचारियों की मांगों का समर्थन पार्टी कर रही थी।

कर्मचारी नेता विजय कुमार झा ने कहा है कि कभी भी भारत निर्वाचन आयोग लोकसभा चुनाव की घोषणा कर सकती है। चुनाव घोषणा होते ही देश,प्रदेश में आदर्श आचार संहिता प्रभावशील हो जावेगा। ऐसी स्थिति में मोदी की गारंटी के तहत प्रदेश के कर्मचारियों को केंद्रीय कर्मचारियों के बराबर 42त्न से 4त्न महंगाई भत्ता जुलाई 2023 का बढ़ाकर महतारी वंदन योजना की भांति सीधे शासकीय कर्मचारियों के खाते में जमा कराया जाना चाहिए। ताकि विभागों में स्वीकृति,बिल बनाने, कोषालय में बिल पास करने पर झंझट से बचा जा सके। श्री झा ने कहा है कि जब महतारी बंदन योजना का ?1000/- महिलाओं के खाते में तथा किसानों का बोनस सीधे किसानों के खाते में जमा हो सकता है, तो कर्मचारियों के खाते में महंगाई भत्ता क्यों जमा नहीं हो सकता।

श्री झा ने मध्य प्रदेश एवं छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री से मांग की है कि चुनाव आदर्श आचार संहिता प्रभावशील होने के पूर्व, पूर्व से आयोग द्वारा स्वीकृत 4त्न महंगाई भत्ता केंद्रीय कर्मचारियों के समान तत्काल दिया जावे। क्योंकि केंद्र सरकार कभी भी जनवरी 2024 का महंगाई भत्ता की भी घोषणा कर सकती है। तब केंद्रीय कर्मचारियों का महंगाई भत्ता 50त्न हो जाएगा। आज भी राज्य सरकार के कर्मचारी व पेंशनर 42त्न पर ही अटके हुए हैं। जब महंगाई एक, बाजार एक, शहर एक, तब महंगाई भत्ता- गृहभाड़ा भत्ता में भेदभाव से कर्मचारियों में आक्रोश है।

नियमितीकरण के लिए अब तक नहीं बनी कमेटी

इधर  संयुक्त अनियमित कर्मचारी महासंघ ने पीएम मोदी से छत्तीसगढ़ के लिए मोदी की गारंटी 2023 को पूर्ण करवाने सी मांग की है। महासंघ के अध्यक्ष रवि गढ़पाले ने एक बयान में कहा है कि विधानसभा चुनाव 2023 में भाजपा छत्तीसगढ़ के लिए मोदी की गारंटी 2023 वचनबद्ध सुशासन के तहत सरकार बनने के 100 दिनों के भीतर छत्तीसगढ़ के सरकारी विभागों में कार्यरत सरकारी कर्मचारियों की समस्याओं एवं मांगों की समीक्षात्मक प्रक्रिया आरंभ करने एक कमेटी का गठन करेंगे। इसमें अनियमित कर्मचारी संगठनों के पदाधिकारी भी सदस्य होंगे का वादा किया था। । लेकिन आज दिनांक तक कमेटी का गठन नहीं किया गया है जिससे प्रदेश के 2,70,000 से भी अधिक अनियमित कर्मचारी मायूस है। निवेदन है कि इस गैर वित्तीय निर्णय को लोकसभा चुनाव आचार संहिता लगने के पूर्व अतिशीघ्र पूरा कर प्रदेश के अनियमित कर्मचारी को मोदी की गारंटी पर आश्वस्त करने का कष्ट करें।

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