महासमुन्द
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 5 जुलाई। जिले के सरायपाली क्षेत्र स्थित ग्राम उमरिया के शासकीय प्राथमिक व मिडिल स्कूल के परिसर में 2 जुलाई को विकासखंड स्तरीय पशु मेला एवं प्रदर्शनी का आयोजन शासकीय पशु चिकित्सालय भंवरपुर द्वारा किया गया। स्कूल समय में स्कूल में पशु मेला लगने से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हुई। कई बच्चे मेला लगने की जानकारी मिलने पर गेट से ही वापस चले गए। यह भी जानकारी मिली है कि प्रधान पाठक के बिना अनुमति लिए पशु मेला का आयोजन स्कूल परिसर में किया गया था। आखिर किसकी अनुमति व सहमति से यह मेला का आयोजन हुआ, यह जांच का विषय है। जानकारी अनुसार ग्राम उमरिया में मंगलवार को विकासखंड स्तरीय पशु मेला एवं प्रदर्शनी का आयोजन प्रधान पाठक की बिना अनुमति स्कूल परिसर में पशु मेला लगाने से ग्रामीणों व कुछ पालकों ने आपत्ति जताई है।
ग्रामीण पूनम पटेल, श्रवण पटेल, भरत लाल बरिहा, भरत पटेल आदि लोगों ने बताया कि स्कूल समय में अगर स्कूल में पशु मेला का आयोजन होता है, यह गलत है। जाहिर सी बात है कि बच्चों का ध्यान भटकेगा और पढ़ाई भी प्रभावित होगी। स्कूल परिसर में पशु मेला लगने से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होती है।
वेटेनरी सर्जन जोगेश्वर पटेल ने कहा कि खुले स्थान पर शिविर लगाने से मंच तैयार करना पड़ता। जबकि शिविर लगाने के लिए उतना बजट नहीं आता है। स्कूल समय में शिविर लगाने से बच्चों की पढ़ाई बाधित होने की बात पर कहा कि बच्चों की पढ़ाई प्रभावित नहीं हुई। बल्कि बच्चे उत्सुकता के साथ शिविर में आए। मवेशियों को इलाज करते देख रहे थे और प्रैक्टिकल ज्ञान उन्हें मिल रहा था। उन्होंने बताया कि साल में एक बार विकासखंड स्तरीय पशु मेला एवं प्रदर्शनी का आयोजन होता है। इस बार उमरिया में 2 जुलाई को आयोजन किया गया। इसमें 275 पशुओं, मुर्गी, बटेर आदि का उपचार किया गया। इसमें 35 प्रतिभागी किसान, 147 ग्रामीण व किसान पस्थित थे। मेला में पशुपालक कृषकों को प्रथम, द्वितीय, तृतीय का पुरस्कार भी दिया गया।
शासकीय प्राथमिक शाला उमरिया की प्रधान पाठक ललिता सिंह राजपूत ने कहा कि स्कूल परिसर में पशु मेला लगाने उनसे अनुमति नहीं ली गई थी। शिविर लगाने के दो दिन पूर्व पशु मेला लगाएंगे, कहकर बात कर रहे थे। लेकिन अनुमति नहीं ली थी। उन्होंने कहा कि वह 2 जुलाई को छुट्टी में थी और 3 जुलाई को जब स्कूल पहुंची तो 2 जुलाई के दर्ज संख्या की जानकारी ली। लगभग 15 से 20 बच्चे उस दिन अनुपस्थित थे। कारण पता किया तो पता चला कि उस दिन स्कूल में मेला आयोजन से गंदगी थी। यह स्वाभाविक है। उन्होंने बताया कि स्कूल समय में पशु मेला लगने से प्रार्थना भी नहीं होस की।
उन्होंने कहा कि अगर पशु मेला का आयोजन करना ही था तो ऐसे स्थान का चयन करना था, जिससे ना तो ग्रामीणों को और न ही किसी स्कूली विद्यार्थी को परेशानी हो। पशु मेले के आयोजन को ग्रामीणों ने सराहनीय बताया। लेकिन जगह के चयन को लेकर ग्रामीणों ने आपत्ति जताई है। स्कूल के स्वीपर बरत लाल बरिहा ने बताया कि 8 से 11 बजे पशु मेला का आयोजन किया गया था और बच्चे 9 बजे से स्कूल आना प्रारंभ कर दिए थे। 10 बजे से स्कूल प्रारंभ होता है। पशु मेले का आयोजन होने के कारण उस दिन प्रार्थना भी नहीं हुई। ग्राम पंचायत उमरिया के सरपंच सूरज कुर्रे ने कहा कि स्कूल में पशु मेला लगाने जगह का चयन पशु विभाग द्वारा ही किया गया था।
इस शिविर में पंचायत की कोई भूमिका नहीं है। शिविर में आमंत्रित करने पर वे भी कार्यक्रम में शामिल हुए थे।