महासमुन्द
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 7 जुलाई। रविवार को भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा है और सुुबह से महासमुंद स्थित श्रीराम जानकी मंदिर में भगवान जगन्नाथ, भैया बलभद्र और बहन सुभद्रा की पूूजा-अर्चना की गई।
पूजा कक्ष में विशेष पुरोहित औषधीय जड़ी बूटी के साथ उनकी सेवा में जुटे रहे। आज तीनों को नहला धुलाकर सातों श्रृंगार करके 56 प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाया गया। दो तीन दिनों से उन्हें प्रतिदिन फलों का रस भी अर्पित किया जा रहा था।
मालूम हो कि रथयात्रा के चलते मंदिर परिसर को सजाया गया है। मंदिर के बाहर रथ को सजा कर रखी गई, जिसमें बैठकर श्री हरी अपने भैया बहन के साथ आज दोपहर नगर भ्रमण के लिए निकले।
आज सुबह 9.30 से 10.30 बजे तक पूजा-अर्चना में नगर के हजारों लोग शामिल हुए। मंदर में कल नेत्र उत्सव मनाया गया।
आज रथयात्रा श्रीराम मंदिर से शुरू होकर गांधी चौक, नेहरू चौक, स्वामी चौक, विठोबा चौक होते हुए महामाया मंदिर की ओर होते हुए गुंडिचा मंदिर पहुंची। इसके बाद नौ दिनों तक भगवान जगन्नाथ, भैया बलभद्र और बहन सुभद्रा गुडिचा मंदिर में रहेंगे। जहां विभित्र धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। 15 जुलाई को बहुड़ा यात्रा के साथ भगवान वापस मंदिर लौटेंगे। जहां सभी चौक-चौराहों में महाप्रभु का भव्य स्वागत होगा।
मान्यता के अनुसार देव पूर्णिमा के अवसर पर भगवान श्री जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा को पुरोहितों द्वारा 108 कलश जल और 64 प्रकार की जड़ी-बूटियों से महास्नान कराया गया। इसके बाद महाप्रभु बीमार हो गए और अणासार कक्ष में विश्राम के लिए चले गए थे।
इस अवधि के लिए मंदिर के पट भक्तों के लिए बंद कर दिए गए थे। यहां गुप्त अनुष्ठान के साथ 64 औषधीय जड़ी बुटियों से सेवकों द्वारा तीनों का इलाज जारी था। कल शाम उन्हें जड़ी बूटी वाले जल से नहलाने के बाद नेत्र खोलने का अनुष्ठान किया गया।
आज सात जुलाई को रथयात्रा निकली। वे बहन सुभद्रा व भाई बलभद्र के साथ भक्तों को दर्शन देते हुए मौसी मां के घर जाएंगे। वहां वे नौ दिन रहेंगे। मौसी मां के घर में विभित्र धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे। समिति की ओर से इसके लिए विशेष इंतजाम भी किए गए हैं। मौसी के घर में महाप्रभु के आगमन को लेकर जोर शोर से तैयारी चल रही है।