बलौदा बाजार

कहीं संतुलन का खेल, तो कहीं टमाटर गिनकर मना पढ़ई तिहार
08-Jul-2024 2:57 PM
कहीं संतुलन का खेल, तो कहीं टमाटर गिनकर मना पढ़ई तिहार

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

बलौदाबाजार, 8 जुलाई। कलेक्टर व जिला मिशन संचालक समग्र शिक्षा दीपक सोनी के मार्गदर्शन व जिला शिक्षा अधिकारी हिमांशु भारती व डीएमसी एम.एल.ब्रम्हाणी के नेतृत्व में जिले के सभी विकासखंडों के 1183 प्राथमिक शालाओं में गत दिनों पढ़ई तिहार का आयोजन किया गया, जिसमें जिले के सभी विकासखंडों में क्रमश: सिमगा के शासकीय प्राथमिक शाला हरिनभट्टा, पलारी शासकीय प्राथमिक शाला छडिया, कसडोल शासकीय प्राथमिक शाला गोरध, भाटापारा शासकीय प्राथमिक शाला सुमा, बलौदाबाजार, पंडरिया, बिलाईगढ़ बरभाटा में विकासखंड स्तरीय पढ़ई तिहार का आयोजन किया गया। जिसमें नव प्रवेशित बच्चों के साथ उनकी माताएं भी सम्मिलित हुई। इसके लिए माताओं को शाला परिवार की ओर से आमंत्रण पत्र भेजा गया था।

शाला में शिक्षकों के द्वारा 9 प्रकार के काउंटर लगाये गए थे। इन काउंटर के माध्यम से गतिविधियों द्वारा माताओं के माध्यम से अपने अपने बच्चों का मूल्यांकन किया गया 7 विविध खेल गतिविधियों के माध्यम से हर शाला में एक एक स्मार्ट माता का भी चयन पढई तिहार में किया जाकर स्मार्ट माताओं को क्राउन पहनाया गया।

पूरा मेला स्थल नीले रंग से रंगा नजर आया। इस वर्ष तिहार में माताओं व महिला शिक्षकों के लिए नीले रंग की साड़ी का ड्रेस कोड निर्धारित किया गया था। पढ़ई तिहार के लिए विकासखंड स्तरीय कार्यक्रमों के आयोजन में बीईओ, बीआरसी व संकुल समन्वयकों के अलावा पढ़ई तिहार के विकासखंड स्तरीय बीआरजी नीलम वर्मा, बैजंती कौशिक सिमगा,अराधना वर्मा, कविता सरसिहा पलारी, चंचल साहू, शंकर बाई पैकरा कसडोल, क्षिप्रा अग्रवाल भाटापारा, संगीता काले, रेणुका ध्रुव बलौदाबाजार व बिलाईगढ़ से सुनीता साहू, सरोजनी साहू उपस्थित रहे।

कार्यक्रम के जिला नोडल अधिकारी भारती वर्मा ने बताया कि विकासखंड के सभी प्राथमिक शालाओं में माताओं को शिक्षकों के द्वारा स्कूल रेडी नेस कार्यक्रम के संबंध में जानकारी प्रदान किया गया। उनको बताया गया कि घर में ही उपलब्ध स्थानीय सामग्रियों,खेल आदि के माध्यम से बच्चों को स्कूल के लिए तैयार करते हुए भाषायी व गणित कौशल में दक्ष किया जा सकता है। शिक्षकों के द्वारा माताओं को गतिविधि करके बताया गया कि कैसे घर में उपलब्ध सामग्रियों के माध्यम से ज्ञान दिया जा सकता है। जैसे साड़ी,कपड़े आदि के माध्यम से रंगों की पहचान,बर्तनों के माध्यम से आकृति व छोटे बड़े की पहचान,सब्जियों के माध्यम से भी रंगों व आकृतियों की पहचान कराई जा सकती है।

कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य स्कुल के अलावा कक्षा पहली से तीसरी तक के बच्चों को माँ के माध्यम से घर में ही शिक्षा देना है। बच्चों की शिक्षा में माता का जागरूक होना जरूरी है। घरेलू काम के साथ-साथ खेल-खेल में बच्चों को सिखाना, स्कूल और समुदाय के बीच के तालमेल को समझाना और बच्चों को पढ़ाना भी मां की जिम्मेदारी है। माताओं यानी महिलाओं के माध्यम से बच्चों को बेहतर शिक्षा, ज्ञान देना ही आयोजन कराने का प्रमुख उद्देश्य है। इसमें कमजोर बच्चों को अलग से चिन्हांकित किया जाएगा। जिसके बाद आगे उनको बेहतर करने प्लानिंग बनाकर ज्ञानवर्धक जानकारी दी जाएगी।

प्रत्येक प्राथमिक शाला में 9 काउंटर लगाया गया था। जिसके बाद शिक्षकों की मौजूदगी में काउंटर के जरिए बच्चों की गतिविधियों का आंकलन किया गया। पहला काउंटर में पंजीयन संबंधी गतिविधियां हुई यानी बच्चों का पंजीयन हुआ। जिसके बाद दूसरे से 9 वें काउंटर तक भाषायी कौशल, शारीरिक विकास, पेपर को फोल्ड करना, सब्जियों से रंगों की पहचान, भाषीय गणित,बौद्धिक विकास,बच्चों का कोना सहित अन्य गतिविधियां को संपन्न कराया गया।

इस दौरान हर गतिविधि में बच्चों को परखा गया छोटे बच्चों को रंग,साइन, कौन सा चीज हल्का है, कौन सा भारी है, यह सब मनोरंजनात्मक तरीके से बताया गया।

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