कांकेर
लाए गए तोते को वापस किया जा रहा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कांकेर 28 अगस्त। शासन के आदेश के बावजूद भी पंछियों को आजादी नहीं मिल रही है। अब तब हजारों पंक्षियां पिंजरों में कैद हैं। कांकेर जिले में न तो पंक्षियों की बिक्री पर कोई प्रतिबंध लागू हुआ है, न ही पिंजरों में कैद पंछियों को आजाद करने की प्रक्रिया आरंभ हुई है। बल्कि शासन के आदेश की अवहेलना करते हुए वन विभाग कार्यालय में लाए गए तोतों को वापस कर दिया जा रहा है।
प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख छत्तीसगढ़ कार्यालय द्वारा 23 अगस्त को जारी आदेश के तहत तोतों और अन्य पक्षियों जो वन्य सरंक्षण अधिनियम 1972 व संशोधित अधिनियम मई 2022 की अनुसूची में है, इसे घरों में रखना, पालना, खरीदी बिक्री करना अपराध की श्रेणी में आता है।
शासन के आदेश के तहत वनमंडलाधिकारी कांकेर ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया है कि अनुसूचित पक्षियों तोता, मैना मयूर जैसे पंछियों व अन्य वन्य जंतुओं, चिडिय़ों को कैद में रखने, खरीदी-बिक्री करने, घरों में पालकर रखने पर 3 वर्ष का कारावास जुर्माना का प्रावधान है। मंडलाधिकारी ने सात दिन के भीतर वन क्षेत्रपाल अब्दुल रहमान खान से संपर्क कर पक्षियों व वन्य जीवों को सौंपने व चिडिय़ाघर में सौंपने अपील की है।
वहीं वन परिक्षेत्र कार्यालय में लाए गए तोते को यह कहकर वापस भेज दिया जा रहा है कि उनके पास इन्हें रखने कोई गाईड लाइन नहीं मिला है। शासन के आदेश के बावजूद भी न तो खरीदी बिक्री पर कोई कार्रवाई हो रही है न ही पक्षी पालकों से पक्षियों को मंगाया जा रहा है। इस तरह पंछियां पिंजरों में ही कैद रहेंगी।