सरगुजा
प्रधानमंत्री सहित आरएसएस के नेताओं पर साधा निशाना
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
अंबिकापुर, 27 सितंबर। अंबिकापुर प्रवास पर आए पुरी पीठाधीश्वर श्रीमज्जगदगुरू शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती महाराज ने शहर के होटल हरिमंगलम में पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि सनातन धर्म में फल से किसी को वंचित नहीं किया गया है। स्वतंत्र भारत में नैतिकता का पतन हुआ है। जैसा नेता चाहिए थे, प्राप्त नहीं हुए। चुनाव की प्रक्रिया ही कुछ ऐसी है।
उन्होंने देश के प्रधानमंत्री सहित आरएसएस के नेताओं पर भी जमकर निशाना साधा और कहा कि प्रधानमंत्री से राष्ट्रपति तक वेतनभोगी होंगे तो कल्याण कहां से होगा। देश-प्रदेश में स्थिति यह है राजा का पता नहीं, मंत्री घूम रहे हैं। उन्होंने कहा कि गरीबी सरकार पालती है ताकि हिंदू की संख्या कम हो जाए। इससे धर्म विशेष की दाल गलेगी और नेताओं की राजनीति चमकेगी।
गौवंश की आए दिन होती मौतों के परिप्रेक्ष्य में अपना नजरिया सामने रखते हुए स्वामी निश्चलानन्द महराज ने कहा कि जब नरेन्द्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे और मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे, तो कहते थे कि मनमोहन सिंह सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए। मनमोहन सिंह ध्यान नहीं दिए। अब नरेन्द्र मोदी स्वयं प्रधानमंत्री हैं, अब उनकी सोच बदल गई है।
उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा कि काजल की कोठरी में समाहित हो गए, इसीलिए पतन हो रहा है। उन्होंने कहा शिक्षित व्यक्ति नौकर ही बनेगा, चाहे वह राज्यपाल हो या राष्ट्रपति। नौकरी नहीं लगेगी, जमीन पर पांव नहीं जमा पाएगा तो खुदकुशी के रास्ते को चुनेगा। उन्होंने कहा गरीबी सरकार ही पालती है, इसका फायदा धर्म विशेष के लोग उठाते हैं।
स्वामी निश्चलानन्द ने मठ, मंदिर शासन के हाथों में होने पर क्षोभ व्यक्त किया और कहा इन्हें हड़पने का सरकार को अधिकार नहीं है। आज स्थिति यह है धर्म स्थलों को पर्यटन स्थल, कॉरिडोर बनाया जा रहा है। इन जगहों को भोग-विलासता की चीजों से जोड़ा जा रहा है, जो ठीक नहीं है। इससे हिंदुओं की सोच विकृत हो रही है। सिद्धांतों, आध्यात्म की रक्षा करने से भारत संपन्न होगा।
उन्होंने कहा विक्रमादित्य के बाद से अब तक सनातन परम्परा को लोगों ने कुचलने का ही प्रयास किया है। आरएसएस के मोहन भागवत पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि वे अपने नाम के साथ भागवत लिखना छोड़ दें। भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शपथ ग्रहण पूर्व और बाद की स्थिति पर प्रहार करते हुए उन्होंने कहा कि स्नेह के पात्र हैं मोदी, महात्वाकांक्षा के कारण वे इस पद पर सुशोभित हुए, लेकिन मर्यादा का ख्याल नहीं रखा। इसीलिए भगवान श्रीराम ने उन्हें पछाड़ दिया। रामलला ने अमर्यादित प्राणप्रतिष्ठा का फल उन्हें नितिश-नायडू की बैशाखी के रूप में दिया है।
उन्होंने कहा प्रधानमंत्री कौन है, सभी जानते हैं, स्वास्थ्य अच्छा है, कीमती चमचमाते वस्त्र पहनते हैं। पत्नी, बच्चों और भाइयों से कोई लेना-देना नहीं है। सभी उनके पास आते हैं, आर्शीवाद लेते हैं। इसके साथ ही उन्होंने यह भी संकेत दिया कि भारत में चार शंकराचार्य हैं, चारों के पास एक चौथाई भारत है।