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संगीत और कला तनाव को दूर करते हैं-कौशल्या साय
29-Sep-2024 4:38 PM
संगीत और कला तनाव को दूर करते हैं-कौशल्या साय

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
खैरागढ़, 29 सितंबर।
प्रदेश के मुख्यमंत्री  विष्णुदेव साय की पत्नी कौशल्या साय अपनी पुत्री के साथ विश्वविद्यालय का भ्रमण करने पहुंची। शुक्रवार 27 सितंबर को विश्वविद्यालय पहुंचते ही कुलपति सत्यनारायण राठौर सहित कलेक्टर चन्द्रकांत वर्मा, एसपी त्रिलोक बंसल  एवं कुलसचिव प्रेम कुमार पटेल ने कौशल्या साय का पुष्पगुच्छ भेंट कर स्वागत किया।

विभिन्न विभागों के अवलोकन करने के बाद साय ने कहा की संगीत और कला मानव जीवन में अति आवश्यक है क्योंकि यह तनाव को दूर करते हैं। साय ने आगे कहा कि जैसा सुना था उससे कहीं ज्यादा पाया। विश्वविद्यालय के छात्र हमारी संस्कृति व हमारी धरोहर को बचाने का कार्य कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ के साथ ही देश के विभिन्न प्रांत तथा विदेशों से पहुंचकर छात्र गीत-संगीत, नृत्य व विभिन्न कलाओं के माध्यम से संस्कृति को सहेज कर रखे हैं। उन्होंने कहा कि अन्य जगहों पर पहले से सृजित चीजों को देखते हैं परंतु यहां छात्रों द्वारा खुद सृजन किया जा रहा है जिसे देखना अद्भुत है।  सर्वप्रथम वें चित्रकला विभाग पहुंची जहां चित्रकला के छात्रों द्वारा बनाये गये आकर्षक चित्रों का आनंद लेते हुये छात्रों से बातचीत कर चित्रकला के संबंध में जानकारी ली। कैनवास पर चित्रित कला का आनंद लेते हुए काफी प्रफुल्लित हुए। इसके पश्चात संगीत संकाय पहुंची जहां गायन एवं विभिन्न वाद्य यंत्रों की शिक्षा ले रहे छात्रों से मुलाकात कर उनके बारे में जानकारी ली। 

लोक संगीत की छात्राओं 
के साथ किया नृत्य

लोक संगीत संकाय में भ्रमण के दौरान कौशल्या साय ने पहले छात्रों की गीत-संगीत व नृत्य की प्रस्तुति देख प्रसन्न हो गई। इसके बाद छात्राओं की विशेष मांग पर उनके साथ छत्तीसगढ़ी गीत पर नृत्य किये तथा सांवरी सुरत पे मोहन दिल दिवाना हो गया गीत का गायन भी किया। इसके पश्चात नृत्य संकाय पहुंची जहां ओडिसी, कथक व भरतनाट्यम की छात्राओं से मुलाकात कर उनसे बातचीत की। ओडिसी, कथक व भरतनाट्यम के छात्र-छात्राओं के द्वारा नृत्य के माध्यम से नृत्यकला का परिचय दिया गया। नृत्य संकाय से साय सीधे दरबार हॉल पहुंची जहां विश्वविद्यालय के अधिकारियों के द्वारा  दरबार हॉल के ऐतिहासिक चीजों की जानकारी दी गई। दरबार हॉल से वें संग्रहायल पहुंची, जहां संग्रहालय में  संग्रहित  प्राचीन प्रतिमाओं का अवलोकन किया। इसके पश्चात वें ग्रंथालय पहुंची जहां पुराने गीत संग्रह सहित पुस्तकों से अवगत हुईं।

प्रिंटिंग प्रक्रियाओं व मूर्ति बनाने की कलाओं से हुई अवगत
ग्रंथालय के बाद कौशल्या साय मूर्तिकला विभाग पहुंची जहां उन्होंने काष्ठ व मिट्टी की मूर्तियां बना रहे छात्रों से मुलाकात की और मूर्तिकला के संबंध में बारिकी से जानकारी ली। छात्रों से बात करते हुये उनका परिचय भी जाना और उन्हें खूब मेहनत कर बेहतर शिक्षा ग्रहण करने की बात कही। इसी तरह अलग-अलग पद्धति से कागज पर चित्र उकेरने वाली प्रिंटिंग प्रक्रिया से भी वें अवगत हुई। अधिकारियों द्वारा टेराकोटा, लीथोग्राफी व अन्य पद्धति से प्रिंटिंग किये जाने की जानकारी दी गई।

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