गरियाबंद
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
गरियाबंद, 17 मई । विकासखंड मुख्यालय मैनपुर से 45 किमी की दूरी पर उदंती अभ्यारण्य क्षेत्र के गांव करलाझर और साहेबिनकछार के बीच में गांव गोडेंना में आदिम जनजाति परम्परा के अनुसार दो दिवसीय माटी जात्रा, गुप्त पूजा हुई। कोरोना संक्रमण काल को देखते हुए शासन के निर्देशानुसार झाँकर, पुजारी, पटेल, सिरहा, गुनिया एवं ग्रामीण मुखिया देवी स्थान में रात्रि विश्राम के साथ ही देवी जात्रा कार्यक्रम को संपन्न किया गया।
ज्ञात हो कि उदंती अभयारण्य क्षेत्र के साहेबिनकछार और करलाझर गांव के नजदीक गोड़ेना नदी के समीप आदिम जनजाति कमार समुदाय के लोग वर्षों पूर्व निवास कर रहे थे। बसाहट ग्राम को गोड़ेना गांव के नाम से जाना जाता था।
ग्रामीण मुखिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार 1984 -85 के आसपास वहां पर बसाहट कर रहे आदिम जनजाति परिवारों को वन विभाग ने वन अपराध दर्ज करते हुए वहां से बेदखल कर दिया गया। जिसके कारण उस ग्राम को छोडक़र वहां के रहवासी आदिम जनजाति परिवार अन्यत्र गांव चले गए। लेकिन उस स्थान पर उनके पुरखौती देवी देवता गोडेंना घाटिन देवी,माटी,धारणी देवी, घरजिहा घरजिअईन शक्ति के रूप में वहीं पर आज भी स्थापित है। वहां से विस्थापित हुए आदिम जनजाति परिवार हर वर्ष वहाँ पहुंच कर देवी पूजा,माटी यात्रा का आयोजन करते हुए अपने पुरखौती देवी देवताओं से घर परिवार में सुख, शांति, समृद्धि आए इसके लिए मन्नते मांगी जाती है। दो दिवसीय देवी कार्यक्रम में रात्रि विश्राम करते हुए देवी देवताओं की गुप्त पूजा पाठ की गई। सुबह माटी जात्रा का कार्यक्रम आयोजित की गई।
गोडेंना फाल माटी जात्रा में मुख्य रूप से झाँकर बीजू राम कमार, पुजारी घनश्याम कमार, प्रमुख मुखिया खरलू कमार ,छेनूराम कमार,अर्जुन सिंह मांझी, भुवन सिंह मांझी, अकबर ध्रुवा, टूनू राम मांझी,नवराम गोंड़,जय सिंह गोड़ एवं ग्राम नागेश से झाँकर शैलू राम, पुजारी बीरबल सिंह नेताम, पूर्व सरपंच साहेबिन कछार अर्जुन सिंह नायक, वर्तमान सरपंच ग्राम पंचायत साहेबिन कछार कैलाश राम नेताम,करलाझर प्रमुख करण सिंह नांँग,बासो राम सोरी,केजू राम नाँग एवं साहेबिनकछार गांव के झाँकर रूप सिंह मरकाम विशेष रूप से शामिल रहे।