गरियाबंद
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
गरियाबन्द, 19 मई। जिला अस्पताल के डॉ. महावीर एडी अग्रवाल ने ‘छत्तीसगढ़’ से चर्चा में बताया कि कोरोना महामारी अब बहुत ही विकराल रूप ले चुकी हैं. पहली लहर से भी खतरनाक साबित हो रही है ये दूसरी लहर। इस बार इसका असर बड़े बुजुर्ग के साथ-साथ बच्चों मे भी काफी देखने को मिल रहा है। कोरोना के इसी विकराल परिस्थिति को देखते सभी को सतर्क रहने और भयभीत न होने की जरूरत है।
नया स्ट्रेन टेस्ट से नहीं आ रहा सामने
अबकी बार जो कोरोना वायरस के स्ट्रेन देखने मे आ रहे हैं। वो आरटीपीसीआर रैपिड एंटीजन व ट्रूनॉट से भी पकड़ मे नही आ रहे हैं। जिससे लोगों में ये भ्रान्ति रहती हैं की उन्हे कोरोना नहीं हैं। जिससे प्रभावित मरीज ज्यादा हालात खराब होने के बाद देर से अस्पताल पहुच रहे हैं। इसी कारण से ज्यादा मृत्यु देखने में मिल रही हैं। और ये हालात सरकार और आम जनता के लिए भी मुसीबत बनी हुई है। नतीजन अचानक कोरोना मरीजों के बाढ़ सी आने से संसाधन मे कमी के साथ -साथ बहुत स्वास्थ्य कर्मी भी इससे प्रभावित हुये हैं।
कोरोना जांच निगेटिव आने पर कुछ दिनों बाद पुन: जांच कराएं
देखने में आ रहा है कि कोई व्यक्ति किसी कोरोना संक्रमित मरीज के संपर्क में आता है या उसे कोरोना के लक्षण आ रहा है तो वे हड़बड़ी में अपना एंटीजन या आरटीपीसीआर टेस्ट करवा लेते हैं और जब टेस्ट रिपोर्ट निगेटिव आती है, तो लोग निश्चित हो जाते हैं, जबकि ऐसी परिस्थिति में लोगों को चाहिए कि वे कुछ दिन इंतजार करें। संक्रमित मरीज के संपर्क में आने के बाद या संक्रमण होने में कम से कम 5 से 7 दिन लगता है।
यह भी ध्यान रखें कि संक्रमण के लक्षण आने के बाद तुरंत बिना चिकित्सक की राय लिए सिटी स्कैन करवाने की न सोचें क्योंकि यहां भी रिपोर्ट में कुछ भी नहीं आयेगा। संक्रमित के संपर्क में आने के बाद या संक्रमण के तुरंत बाद आये निगेटिव जांच आने पर पूरी तरह आश्वस्त हो जाना उचित नहीं है। पुन: अपना जांच करवाना सही होगा।
इन लक्षणों के आने पर चिकित्सक से परामर्श लें
1. कोरोना संक्रमित होने से मरीजों के मुख्यत: फेफड़ों मे संक्रमण होने की वजह से उनकी काम करने की क्षमता मे कमी आती है। जिसके कारण उनका आक्सीजन लेवल मे गिरावट देखा जाता है। यदि मरीज का ऑक्सीजन लेवल नियमित समय के अंतराल मे जांच करने पर, 92 से 94 प्रतिशत से कम बताये तो तुरंत किसी चिकित्सक या नजदीकी अस्पताल जाकर सलाह ले।
2. दिल की धडक़न यदि अनियमित या 120-130 से अधिक हो।
3. बुखार लगातार तीन दिन से दवाई लेने के बाद भी कम ना हो।
4. शरीर में अत्यधिक थकान महसूस हो या हरारत सी लगे, यह लक्षण 2-3 दिनों से अधिक होने पर।
5. 6 मिनट वाक टेस्ट- छ: मिनट चलने के बाद यदि आक्सीजन 4-5त्न प्रतिशत से ज्यादा कम हो तो तुरंत चिकित्सक से संपर्क करे।
6.बच्चों के लिये जो भी लक्षण आपको असामान्य लगे या आँख का लाल होना; भूख मे कमी; अचानक चिढ़-चिढ़ाना ;ज्यादा सोना; दस्त होना; पहले से सुस्त रहना या खेलने मे कमी आना तब एक बार जरूर अपने चिकित्सक से संपर्क करे।
कोरोना मरीजों को इसका ध्यान रखना है
1.होम आइसोलेट मरीजो को नियमित रूप से अपना आक्सीजन धडक़न व तापमान का रिकॉर्ड नियमित अपने चिकित्सक को भेजना चाहिये.
2. शुगर ,ब्लड प्रेशर, थाइरॉइड, कैंसर या किसी लंबी बीमारी से ग्रसित व्यक्ति को अपनी नियमित जांच कराकर परामर्श लेना है. उन्हे अतरिक्त सावधानी बरतनी है.
3. बताए हुए दवाइयों का नियमित उपयोग करना है।
4. मरीजों को श्वांस संबधित व्यायाम चिकित्सक के परामर्श अनुसार करना चाहिये।
5. धूम्रपान एवं नशे का परहेज़ रखना चाहिए।
6. किसी भी भारी काम से बचना चाहिए जिसमें शरीर को थकान हो।
7. नियमत: 7-8 घंटे की नींद लेना जरूरी है जो कि इम्यूनिटी बढ़़ाने मे सहायक होती है।सुबह की धूप में कम से कम 15 मिनट बैठें।
8. गरिष्ठ भोजन से बचें, प्रोटीन युक्त भोजन एवं भरपूर पानी पीना चाहिए।
9. संभव हो तो मेडिटेशन करें, पसंदीदा गाने सुनें, फि़ल्म देखें, कुल मिलाकर बीमारी का भय मन में न आने दें और खूब हंसे , खूब खुश रहें।
कोरोना मरीजों को इससे बचाना चाहिए
1. ये देखने में आ रहा है कि मरीज अपने मर्जी अनुसार कहीं से भी सुन या पढ़ कर दिग्भ्रमित हो जाते हैं और बिना चिकित्सक के परामर्श के दवाइयों का उपयोग अपनी इम्यूनिटी बड़ाने के लिए करते हैं, जो की उनके लिये घातक सिद्ध होती हैं. इम्यूनिटी एक नियमित प्रकिया हैं, जो किसी भी मरीज को दो तीन दिनों में नहीं मिलती।
2. मरीजों को आइसक्रीम या किसी भी प्रकार के ठंडा पेय पदार्थ से बचना है . इसके सेवन से वायरल संक्रमण का खतरा बढ़ जाता हैं। ठंडी हवाओं और ठंडे पानी से स्नान से भी बचें।
3. चिकित्सक के बिना परामर्श के बिना किसी भी स्टेरॉयड एंटी-बायोटिक या एंटी-वायरल दवा के उपयोग से बचे।
4. कोई भी मेडिसिन या इंजेक्शन अभी तक कोरोना के इलाज में पूर्णत: कारागर साबित नहीं हुई है इसलिए किसी प्रकार के गलतफहमी में न रहें और न ही अपने स्थिर मरीजों के लिए रेमडेसिविर या ञ्जशष्द्यद्ब5ह्वद्वड्डड्ढ इंजेक्शन के लिए डॉक्टर या स्वास्थ्य कर्मचारी पर दबाव डाले। इससे दवाइयों की कालाबाजारी को बढ़ावा मिल रहा है।
सोशल मीडिया के निगेटिव या ज्यादा कोरोना वाले समाचार न सुनें या न देखें
सोशल मीडिया में प्रचारित किसी भी बातों को सच न मानें या न अपनायें... क्योंकि सभी वायरल पोस्ट सही हो ये जरूरी नहीं है। सोशल मीडिया के ऐसे पोस्ट इसके कुछ निगेटिव वीडियो या फोटो ज्यादा से ज्यादा वायरल कर जन-मानस में भय पैदा कर रहा है, और ज्यादा कोरोना वाले समाचार ना सुने या ना देखे क्यूंकि इससे में अवसाद का अहसास होता है।
यह सही है कि भारत में कोरोना मरीजों का रिकवरी रेट 95 प्रतिशत से अधिक है। इसलिए हम सभी को इससे डरना नहीं है , ना ही भयभीत होना है।
बचाव के उपायों का कड़ाई से पालन करें
इस संकट के समय में आम नागरिकों को खुद ही अपनी सुरक्षा के लिये सजग रहना होगा। इस वक्त मास्क ही सबसे बड़ा सुरक्षा कवच है। सैनिटाइजर का समय- समय पर इस्तेमाल करें व अपने हाथों को साफ रखें। भीड़भाड़ वाली जगह जाने से बचें, जब तक आवश्यक ना हो तो घर से बाहर ना निकले। साथ - साथ दूसरों को भी प्रेरित करें और शासन के बताये अनुसार नियमों का पालन करें।
वैक्सीनेशन आवश्यक रूप से करवाएं
वैक्सीनेशन आवश्यक रूप से करवायें और दूसरों को भी प्रेरित करें। जिन लोगों ने कोरोना वैक्सीन लगवाई है उनमें कोरोना का संक्रमण बहुत ही कम या न के बराबर दिखा है और हुआ भी है तो वो जानलेवा साबित नहीं हुआ है।
आजकल वैक्सीन के बारे में अनपढ़ या नासमझ शरारती लोगों द्वारा अफवाह फैलाया जा रहा है जो बिल्कुल गलत है। इसे नकराते हुये सभी को वैक्सीन लगवाने में आगे आना है और समाज में ंअन्य लोगों को भी आगे लाना है।