स्थायी स्तंभ
- 1892 -एस्केलेटर की रूपरेखा को उसके आविष्कारक न्यूयॉर्क के जेसी डब्ल्यू. रेनो ने पेटेन्ट कराया।
- 1959-न्यूयॉर्क में ब्रूकहेवेन राष्ट्रीय प्रयोगशाला में पहली बार चिकित्सकीय शोध के लिए एक नाभिकीय ऊर्जा केन्द्र बनाया गया।
- 1920 -अमेरिकी चिकित्सक ई. डॉनेल थॉमस का जन्म हुआ, जिन्हें एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में मेरू-रज्जु का प्रत्यारोपण करने के लिए 1990 में जोजफ़ ई. म्युरे के साथ चिकित्सा का नोबेल पुरस्कार मिला। यह ल्यूकीमिया तथा अन्य रक्त कैंसर के उपचार में एक बड़ी उपलब्धि थी।
- 1854-जर्मन जीवाणु वैज्ञानिक ऐमिल ऐडॉल्फ वॉन बेरिंग का जन्म हुआ, जो इम्यूनोलॉजी (प्रतिरोधक क्षमता) विज्ञान के संस्थापक के रूप में जाने जाते हैं। उन्हें सीरम सिद्धान्त के लिए 1901 का पहला नोबेल पुरस्कार मिला। डिप्थीरिया के इलाज में उसका उपयोग होता है। 1890 में एस. किटैसेटो के साथ काम करते हुए उन्होंने पाया कि जिस जानवर में टेटनस तथा डिप्थीरिया के विरुद्ध प्रतिरोधक क्षमता अच्छी हो उसके द्रव द्वारा हमारे शरीर में भी वैसी ही क्षमता विकसित की जा सकती है। (निधन-31 मार्च 1917)
- 2004-इंजीनियर तथा भौतिकशास्त्री विलियम हेवार्ड पिकरिंग का निधन हुआ, जो अमेरिका के पहले उपग्रह एक्सप्लोरर के निर्माण दल के प्रमुख थे। उन्होंने 1930 के समय में नेहेर और रॉबर्ट मिलिकन के कॉस्मिक किरणों के प्रयोग में भी सहयोग दिया। (जन्म-24 दिसम्बर-1910)
- 1898-अंग्रेज़ अन्वेषक और इंजीनियर सर हेनरी बेसेमर का निधन हुआ, जिन्होंने कम खर्चे में इस्पात बनाने की पहली प्रक्रिया का निर्माण किया, तथा बेसेमर कन्वर्टर के विकास में अग्रणी भूमिका निभाई। कन्वर्टर पिघले लोहे से अशुद्धियां दूर करता है। ( जन्म-19 जनवरी 1813)
- 1646- फ्रांस के विख्यात वस्तुकलाकार हारडोइन मैन्सर का जन्म हुआ। वे लुई चतुर्थ के काल में पैदा हुए थे उन्होंने लुई चतुर्थ के ही आदेश पर वार्सा के महल का निमार्ण पूरा किया इसका निर्माण एक अन्य कलाकार ने आरंभ किया था। वार्सा महल पेरिस के निकट बना हुआ है। यह विश्व के बड़े ऐतिहासिक महलों में है। इस महल में बहुत महत्वपूर्ण घटनाए हुई हैं। और ऐतिहासिक समझौतों पर हस्ताक्षर हुए। इनमें सन 1919 में प्रथम विश्व युद्ध का शांति समझौता भी शामिल है।
- 1798-आगोस्ट कैन्ट नामक फ्रांसीसी दार्शनिक और गणिज्ञ का जन्म हुआ। कैन्ट 18 वर्ष की आयु में गणित के शिक्षक बन गये। दर्शनशास्त्र में वे फ्रांसीसी दार्शनिक सेन साइमन के विचारों से प्रभावित थे। उन्होंने दर्शन शास्त्र के सिद्धान्त साकरात्मवाद के आधार शिला रखी। केंट की विचारधारा के प्रचार ओर प्रसार के परिणाम स्वरुप दर्शनस्त्र ओर विज्ञान विचार और मन की दुनिया से निकलकर व्यवहारिक चरण में प्रविष्ट हुआ। सन 1857 में कैंट का निधन हुआ।
- 1989 - मिस्र के पूर्वोत्तरी भाग में ताबा नामक क्षेत्र ज़ायोनी शासन के वर्षों के अतिग्रहण से मुक्त हुआ। इस शासन ने सीना मरुस्थल को जो ताबा के पूरब में स्थित है 1967 ईसवी के युद्ध के दौरान अपने क़ब्ज़े में कर लिया था। सन 1989 में ज़ायोनी सेनाएं इस क्षेत्र से निकलने पर विवश हुई थीं।
सत्ता की बर्बादी के तरीके
सत्तारूढ़ कुछ विधायकों के तेवर से अफसर हलाकान हैं, और इनके कारनामों की शिकायत शीर्ष स्तर पर पहुंची है। ऐसे ही एक विधायक ने तो जब्त बेशकीमती लकड़ी को छुड़वाने के लिए अफसरों पर इतना दबाव बनाया कि मंत्रीजी को हस्तक्षेप करना पड़ा। मंत्रीजी ने विधायक को समझाया कि जब्त लकड़ी को वापस करने से गलत मैसेज जाएगा। तब कहीं जाकर विधायक महोदय शांत हुए।
विधायकों का अपने करीबियों को टेंडर दिलाने के लिए अफसरों पर दबाव बनाने की कई शिकायतें सामने आ रही हैं। जबकि सरकार ने शिक्षित बेरोजगारों को काम देने के लिए नीति बनाई है, जिसमें उन्हें सीमित प्रतिस्पर्धा से निर्माण कार्यों के ठेके दिए जा सकते हैं। ऐसे ही एक प्रकरण में रायपुर के एक बेरोजगार इंजीनियर को पड़ोस के जिले में काम मिल गया। इसके बाद पड़ोसी विधायक ने दबाव बनाया कि स्थानीय व्यक्ति को ही ठेका दिया जाए।
अफसरों ने उन्हें समझाया कि टेंडर प्रक्रिया ऑनलाइन होती है, और बिना कोई ठोस कारण के टेंडर निरस्त नहीं किया जा सकता। काफी समझाइश के बाद विधायक महोदय थोड़े नरम पड़े। अफसरों की समस्या यह है कि कोरोना काल में विभागीय बजट में 30 फीसदी तक की कटौती कर दी गई है। इससे निर्माण कार्य बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। और जो थोड़े बहुत टेंडर निकल रहे हैं, उसमें भी राजनीतिक हस्तक्षेप की वजह से कार्य में देरी हो रही है।
अब स्वास्थ्य मंत्री की बारी
को-वैक्सीन को लेकर केन्द्र के साथ हुई तनातनी अब खत्म हो सकती है। केन्द्र की ओर से इसे जब भेजा गया तो तीसरे चरण का ट्रायल नहीं हुआ था, साथ ही टीका लगवाने वालों को एक सहमति पत्र भी देना था कि यदि इसका कोई साइड इफेक्ट हुआ तो इसके लिये स्वास्थ्य विभाग जिम्मेदार नहीं होगा और मरीज किसी तरह के क्लेम का दावा नहीं कर सकेगा। छत्तीसगढ़ सरकार ने इसका इस्तेमाल करने से मना कर दिया। भाजपा ने इसे स्वदेशी का विरोध बताया, क्योंकि यह वैक्सीन पूरी तरह देश में ही तैयार हुई है। स्वास्थ्य मंत्री ने स्वास्थ्य मंत्री ने बाद में कहा कि वे अंतर्राष्ट्रीय मापदंडों के अनुरूप तीसरे चरण का ट्रायल होने के बाद पहले व्यक्ति होंगे जो को वैक्सीन लगवायेगा। अब जब भारत के औषधि नियंत्रक ने इसके तीसरे चरण के ट्रायल हो जाने तथा सहमति पत्र भरवाने की जरूरत नहीं होने की घोषणा की है, को-वैक्सीन की बंद बक्से खुलने के आसार हैं। और, जैसा स्वास्थ्य मंत्री ने कहा था, सबसे पहला टीका भी शायद उनको ही लगे।
ताकि वैक्सीन को लेकर भ्रम न फैले..
कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज लेने के बाद भी जांजगीर के कलेक्टर यशवंत कुमार की रिपोर्ट पॉजिटिव आ गई। उऩ्होंने दोनों डोज लेने के बाद तस्वीरें सोशल मीडिया पर साझा करते हुए लोगों से भी वैक्सीन लगवाने की अपील की थी और वैक्सीन को सुरक्षित बताया । किसी आम मरीज की यदि इसी परिस्थिति में पॉजिटिव रिपोर्ट आती तो शायद खबर चारों तरफ नहीं फैलती। आईएएस को ही टीका लगने के बाद कोरोना पीडि़त लोगों को हैरान कर दिया और दवा के असर पर सवाल उठने लगे। पर शाम आते-आते विश्व स्वास्थ्य संगठन की छत्तीसगढ़ यूनिट के डॉक्टरों ने बता दिया कि वैक्सीन लगवाने के 15 दिन बाद शरीर में एंडिबॉडी विकसित होती है। वैक्सीन पर लोगों का भरोसा कायम रहे इसलिये जरूरी था कि कलेक्टर भी अपनी प्रतिक्रिया देते। उन्होंने भी सोशल मीडिया पर पोस्ट कर यही बात दोहराई। यह इसलिये भी जरूरी था कि वैक्सीन लगवाने के लिये बुजुर्गों में काफी उत्सुकता दिखाई दे रही है। अपनी बारी के लिये उन्हें चार-चार, पांच दिन तक इंतजार करना पड़ रहा है। कोरोना वैक्सीन के प्रति लोगों का विश्वास दिख रहा है तब ऐसी खबर प्रशासन को बेचैन तो करने वाली ही थी।
बाघ की खाल के सफेदपोश सौदागर
जगदलपुर के दंतेश्वरी मंदिर के पास जब बाघ की खाल बेचने वालों को रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया तो उस समय अनुमान नहीं लगा होगा कि कितना बड़ा रैकेट काम कर रहा है। अब भी ऐसा लग रहा है कि यह ऐसे लोगों का बड़ा गिरोह है जिसमें वे लोग शामिल हैं जो पद और प्रभाव रखते हैं।
बाघ का शिकार और उसके खालों, अंगों की तस्करी का धंधा वे बेखौफ करते आ रहे हैं। गिरफ्तार लोगों में बीजापुर में तैनात पांच पुलिस वालों सहित आठ लोग शामिल हैं। शनिवार को 6 और लोगों को गिरफ्तार किया गया। इस तरह से कुल गिरफ्तारी 14 हो गई है। सबको जेल भेज दिया गया है। दो एएसआई फरार भी बताये जा रहे हैं।
यह कम हैरान करने वाली बात नहीं है कि पुलिस विभाग, स्वास्थ्य विभाग, शिक्षा विभाग में काम करने वाले, अधिकारी, कर्मचारी व संविदा नियुक्ति वालों का ऐसा संगठित गिरोह काम कर रहा था। ये गिरफ्तारियां राष्ट्रीय बाघ संरक्षण अभिकरण (एनटीसीए) की एक महिला अधिकारी द्वारा खरीदार बनकर बिछाये गये जाल से मुमकिन हुआ । पुलिस के तो अपने लोग लिप्त थे मतलब बीजापुर, जगदलपुर में तैनात पुलिस वालों में से बहुतों को यह पता रहा होगा। ऊंगली तो थानेदार पर भी उठ रही है। एनटीसीए तक खबर पहुंची इसका मतलब यह है कि बाघ का यह पहला शिकार नहीं होगा। पहले से न केवल बाघ बल्कि दूसरे जंगली प्राणियों के शिकार होते आ रहे होंगे। इस गंभीर मामले पर अब तक वन विभाग के किसी अधिकारी पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है। पर क्या वन विभाग के अधिकारियों का, जिन्हें भारी भरकम वेतन और सेटअप जंगलों और वन्यजीवों की सुरक्षा के लिये ही दिया जाता था, वे भी इस धंधे से बेखबर थे और उनका दामन पाक-साफ होगा?
अधिकारी-कर्मचारियों की अधूरी मांगें
इन दिनों सरकारी कर्मचारियों, अनियमित, अस्थायी कर्मचारियों. विद्या मितानिन, रोजगार सहायक, स्वास्थ्य संयोजक का आंदोलन चल रहा है। बजट में उनकी उम्मीदों के अनुरूप कुछ नहीं हुआ। तृतीय वर्ग कर्मचारी पुरानी पेंशन योजना बहाल करने की मांग कर रहे हैं। हाल ही में उनका बड़ा प्रदर्शन रायपुर में हुआ। अनेक विभागों में कर्मचारी संविलियन पर रखे गये हैं, जिनको नियमित करना सरकार के वादे में शामिल था। अब सरकार ने बता दिया है कि संविलियन को लेकर कोई भी प्रस्ताव उसके समक्ष फिलहाल विचाराधीन नहीं है। मंत्री रविन्द्र चौबे ने कर्मचारी अधिकारियों को धीरज से काम लेने की सलाह दी है। कहा है कि कोरोना के चलते सरकार की राजस्व प्राप्ति घटी है।
वैसे तो अधिकारियों, कर्मचारियों की कुछ न कुछ मांगें हर सरकार में चलती रहती है, पर इस बार जिन मांगों को वे उठा रहे हैं उनमें से अधिकांश तो चुनावी घोषणा में शामिल थे। सरकार थोड़ा-थोड़ा देकर संतुष्ट करने की नीति पर काम कर रही है, जैसे हाल ही में शिक्षा विभाग व पुलिस में नई भर्तियों को मंजूरी देना। शासकीय सेवकों की मांग को नजरअंदाज करना वैसे किसी भी सरकार के लिये कठिन होता है, देर जितना होगा, असंतोष उतना बढ़ेगा। देखें उनकी कितनी मांगें, कब तक पूरी हो पायेंगीं।
- 1903 - अमेरिका का पहला पक्षी अभयारण्य खुला।
- 1927 - एल्सी ईव्स, अमेरिकन सोसायटी आफ सिविल इंजीनियर्स की पहली महिला इंजीनियर के रूप में चुनी गईं।
- 1987 - फिजी में रक्तहीन सैनिक क्रांति के बाद सरकार का तख्ता पलटा गया।
- 1989 - दक्षिण अफ्रीकी नेशनल पार्टी द्वारा पीटर बोथा के स्थान पर एफ़.डब्ल्यू.डी. क्लार्क को राष्ट्रपति बनाया गया।
- 1990 - श्रीमती अर्था पास्कल ट्राविल हैती की प्रथम महिला राष्ट्रपति बनीं।
- 1999 - स्पेन का कार्लोस मोया विश्व का नंबर एक टेनिस खिलाड़ी बना।
- 2000 - मोहम्मद मुस्तफ़ा मेरो सीरिया के नए प्रधानमंत्री बने।
- 2001 - संयुक्त राज्य अमेरिका ने ईरान पर प्रतिबंध की अवधि बढ़ाई, रातुविता मोमेदोनू फिजी के कार्यवाहक प्रधानमंत्री नियुक्त।
- 2002 - सर्बिया व यूगोस्लाविया में संधि पर हस्ताक्षरर, सेना गाजा पट्टी में घुसी।
- 2004 - चीन में निजी सम्पत्ति को क़ानूनी मान्यता प्रदान करने के लिए संविधान में संशोधन।
- 2007 - कारगिल और स्कार्दु के बीच भारत-पाकिस्तान में बस सेवा प्रारम्भ करने पर सहमति।
- 2008 - विक्ट्री समूह ने ब्रिटेन की प्रसिद्ध स्विचगियर निर्माता कंपनी क्रेग एण्ड डेरिकार का अधिग्रहण किया।
- 1965 - भारतीय अभिनेता आमिर खान का जन्म हुआ।
- 1879 - प्रसिद्ध वैज्ञानिक अलबर्ट आइंस्टाइन का जन्म हुआ। जिन्होंने विशिष्ट तथा साधारण सापेक्षिकता का सिद्धान्त प्रतिपादित किया। उन्हें प्रकाश-विद्युत प्रभाव बताने के लिए 1921 में भौतिकी का नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया। (निधन-18 अप्रैल 1955)
- 1833 - अमेरिका की पहली महिला दंत चिकित्सक लूसी हॉब्स टेलर का जन्म हुआ। उन्होंने एक डेन्टल कॉलेज से दन्त चिकित्सा की पढ़ाई पूर्ण की। सन् 1859 से 1865 के बीच जब उन्हें कई कॉलेजों ने दाखिला देने से मना कर दिया तो वे खुद से ही उसका अभ्यास करती रहीं। लेकिन उनकी प्रवीणता और आकांक्षाओं को देखते हुए लोवा स्टेट डेन्टल सोसायटी ने दाखिले में उनकी मदद की। (निधन- 3 अक्टूबर 1910)
- 1932- अमेरिकी अविष्कारक तथा उद्योगपति जॉर्ज ईस्टमैन का निधन हुआ, जिन्हें रोल्ड फिल्म तथा कोडेक कैमेरे सहित, फोटोग्राफिक सामग्रियों के शुरुआती निर्माताओं में जाना जाता है। उन्होंने ईस्टमैन कोडैक कम्पनी की स्थापना की जिसका उस समय फोटो तथा फिल्म जगत में एकाधिकार था। (जन्म 12 जुलाई 1854)
- 1935- स्कॉटलैण्ड के शरीर क्रिया वैज्ञानिक जॉन स्कॉट हाल्डेन का निधन हुआ, जिन्होंने मानव के श्वसन क्रिया पर अध्ययन किया। उन्होंने फुफ्फुसी (पल्मोनरी) की बीमारियों तथा खून का भी अध्ययन किया। (जन्म 3 मई 1860)।
चेंबर में भी राजनीतिक-गंदगी पहुंची
चेम्बर के चुनाव एक वक्त कारोबारी तबके के भीतर के होते थे, लेकिन अब राजनीतिक दल सुरंग खोद-खोदकर इस चुनाव में घुस चुके हैं, और उसी का नतीजा है कि चुनाव के तौर-तरीके भी पेशेवर राजनीतिक तौर-तरीकों जैसे हो गए हैं।
चेंबर चुनाव के एक पैनल के कारोबारी राजेश वासवानी ने अभी पुलिस रिपोर्ट की है कि भाटापारा के एक व्यापारी गिरधर गोविंद दानी से उनकी दो महीने पहले बात हुई थी। इस बातचीत को उसने रिकॉर्ड किया, और एडिट करके उसे राजेश वासवानी के खिलाफ चारों तरफ फैलाया। किसी की बातचीत को काट-छांटकर उसे किसी बुरी नीयत से फैलाना एक साइबर क्राईम है, और चेंबर चुनाव में साइबर क्राईम की दखल हो चुकी है, अब देखना है कि पुलिस की कार्रवाई पहले हो पाती है, या चुनाव पहले निपट जाता है।
अब यहां दो चीजें तमाम कारोबारियों के लिए सोचने की रह जाती हैं। राजेश वासवानी प्रदेश के एक सबसे बड़े मोबाइल फोन कारोबारी हैं। उन्हें मालूम है कि मोबाइल फोन पर बातचीत रिकॉर्ड करना बहुत आसान और आम बात है। किसी से बात करने के पहले यह मानकर चलना चाहिए कि लोग रिकॉर्ड कर रहे हैं, और रिकॉर्डिंग उनके खिलाफ इस्तेमाल हो सकती है। इस सामान्य समझबूझ का इस्तेमाल सभी लोगों को सभी तरह की बातचीत के लिए करना चाहिए। लेकिन इस मामले में एक नैतिक बात यह उठती है कि अगर कारोबारी आपस में पेशेवर बदमाश नेताओं की तरह एक-दूसरे की बात रिकॉर्ड करने लगे तो व्यापारी तबके का एक-दूसरे से भरोसा ही टूट जाएगा। व्यापारियों के बीच दो नंबर के कारोबार, टैक्स और जीएसटी की चोरी, नगदी रकम के हवाला जैसी बहुत सी बातें आम हैं। अब अगर इन्हें लोग रिकॉर्ड करने लगें तो इन्हें इंकम टैक्स, ईडी, और जीएसटी तो बहुत पसंद करेंगे, लेकिन कारोबार ठप्प हो जाएगा। दूसरी बात कानूनी है कि किसी की बातचीत को काट-छांटकर बदनीयत से इस्तेमाल करना जो कि पहली नजर में ही साइबर क्राईम है, अब देखना है कि यह मामला किस किनारे तक पहुंचता है। फिलहाल टुकड़ा-टुकड़ा बातों से भी चुनावी नुकसान तो हो ही सकता है।
अफसरों से बात न करने के वक्त..
छत्तीसगढ़ जैसे राज्य में सरकारी अफसरों के बीच किसी काम को न करने, न छूने, उसके बारे में अनुरोध भी न सुनने के दो आम बहाने हैं। एक है, हाऊस में बिजी हूं, और दूसरा है सेशन चल रहा है।
सरकार के बाहर के लोगों को इस भाषा का उतना अंदाज नहीं रहता इसलिए उनकी जानकारी में यह इजाफा करना जरूरी है कि यह हाऊस किसी अफसर का अपना नहीं रहता, बल्कि सीएम हाऊस रहता है। जो कोई इसे सीएम हाऊस कहकर बुलाएं वे जाहिर तौर पर इस हाऊस से अधिक वाकिफ नहीं रहते। जो वाकिफ रहते हैं वे इसे सिर्फ हाऊस कहते हैं। सरकार के भीतर अपने आपकी व्यस्तता साबित करने का सबसे बड़ा पैमाना हाऊस में बिजी रहना, हाऊस जाना, हाऊस में होना, हाऊस का कहा करने में बिजी रहना रहता है। इसके बाद कोई बाहरी व्यक्ति ही अफसर से समय की उम्मीद कर सकते हैं, और ऐसी उम्मीद को झिडक़ी मिलना तो जायज रहेगा ही। दूसरा मामला विधानसभा सत्र का रहता है जिसे सरकारी जुबान में सिर्फ सेशन कहा जाता है। जितने दिन सत्र चलता है, उतने दिन अफसर किसी को भी किसी भी अनुरोध के लिए झिडक़ने के मानो ‘संसदीय’ अधिकार से लैस हो जाते हैं, और सेशन के बीच किसी तरह की अपील का प्रावधान इस लोकतांत्रिक व्यवस्था में अफसरों के सामने नहीं रहता। अफसरों से मिलने या काम के लिए वक्त की उम्मीद तभी करनी चाहिए जब वे हाऊस में बिजी न हों, और सेशन न चल रहा हो।
यह हमला रमन पर तो नहीं?
कांग्रेस पार्टी ने कल भाजपा के धमतरी जिले के कुरूद विधानसभा के आईटी सेल के सहसंयोजक डोमेन्द्र कुमार साहू के खिलाफ रिपोर्ट लिखाई है। कांग्रेस द्वारा पुलिस को दिए गए स्क्रीनशॉट के मुताबिक इस भाजपा नेता ने नेहरू, अंबेडकर, मुस्लिम, बौद्ध, इन सबके खिलाफ गंदी बातें लिखीं, और धार्मिक उन्माद और साम्प्रदायिकता पैदा करने वाली बातें लिखीं।
लेकिन डोमेन्द्र कुमार साहू ने अपने ट्विटर पेज पर 2 मार्च की अपनी एक ट्वीट को सबसे ऊपर टैग करके रखा है, मतलब यह कि वह ट्वीट सबसे ऊपर ही दिखते रहेगी। इसमें उन्होंने लिखा है- चिंतनीय, 15 साल तक मुख्यमंत्री रहे भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. रमन सिंह जी ने 17 घंटे पहले ट्वीट किया है, 16 री-ट्वीट, 260 लाईक! जबकि फॉलोअर्स 23 लाख से ऊपर हैं। छत्तीसगढ़ में सब भाजपा नेता और पदाधिकारी ढीले पड़ गए हैं, पुरंदेश्वरीजी कुछ कीजिए।
नेहरू और अंबेडकर के खिलाफ गंदी बातें लिखने से तो भाजपा में कोई कार्रवाई होने से रही, मुस्लिम और बौद्ध के खिलाफ भी लिखने में कोई खतरा नहीं है, लेकिन जब अजय चंद्राकर के कुरूद का कोई भाजपा पदाधिकारी डॉ. रमन सिंह के खिलाफ इस तरह से लिख रहा है तो यह कुछ हैरानी की बात हो सकती है। भाजपा आईटी सेल पदाधिकारी की इस ट्वीट से यह सवाल भी उठता है कि रमन सिंह के 23 लाख फॉलोअर हैं कौन? क्योंकि हिन्दुस्तान के बहुत से नेताओं के तीन चौथाई से अधिक फॉलोअर दुनिया के उन देशों में पाए जा रहे हैं जिनका हिन्दुस्तानी राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है, और जहां हिन्दी बोली भी नहीं जाती। अब क्या यह हमला रमन सिंह पर है, या भाजपा के बाकी लोगों पर है, पार्टी के आईटी सेल पर है, या किसी और पर?
फिलहाल हैरानी की बात यह भी है कि हर कुछ मिनटों में ट्वीट या री-ट्वीट करने का वक्त अगर किसी को है, तो उन्हें जिंदगी चलाने के लिए कोई और काम करने का वक्त कब मिलता है।
धान की बिक्री पर कितना नुकसान होगा?
धान के पहले लॉट की बिक्री में ही सरकार को भारी नुकसान हो रहा है। 54 हजार मीट्रिक टन धान को 1525 रुपये क्विंटल की दर पर बेचने की मंत्रिमंडलीय समिति ने मंजूरी दी है। यदि पिछले साल की ही तरह किसानों के लिये वायदा निभाते हुए सरकार 2500 रुपये दाम देती है तो घाटा 950 रुपये हर एक क्विंटल के पीछे होना है। कुल 20 लाख 50 हजार मीट्रिक टन धान बेचना है। यदि इसी दर पर सारा धान बिका तो जाहिर है कई सौ करोड़ रुपये के नुकसान में सरकार रहेगी। लेकिन धान खरीदी के लिये लिया गया कर्ज पूरा चुकाना होगा। जाहिर है, इसका असर प्रदेश के बाकी विकास कार्यों पर दिखाई देगा। सरकार ने इस बार बजट के आकार में कटौती भी की है भले ही इसका कारण महामारी को बताया गया हो।
खाद्य मंत्री अमरजीत भगत का कहना है कि केन्द्र सरकार ने 60 लाख मीट्रिक टन चावल लेने का वादा किया था पर उसने बाद में मना कर दिया। अब सिर्फ 24 लाख क्विंटल ही लेने की सहमति दी है। इसलिये धान मजबूरी में बेच रहे हैं।
यह तो सर्वविदित है कि छत्तीसगढ़ की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में धान की बड़ी भूमिका है। जिस तरह से धान को प्रोत्साहित किया जा रहा है, उससे आने वाले दिनों में इसका उत्पादन कम होने, किसानों का आकर्षण घटने की उम्मीद नहीं है। केन्द्र व राज्य सरकार के बीच भी टकराव हर साल कमोबेश ऐसा ही चलता रहेगा। तो क्या हर साल इसी तरह का नुकसान भी सहा जायेगा? क्या भविष्य के लिये कोई ऐसी नीति नहीं बननी चाहिये कि किसानों का लाभ भी कम न हो और राजस्व की हानि भी न हो?
फ्री पास चाहिये पर महंगा वाला
शहीद वीरनारायण स्टेडियम में चल रहे रोड सेफ्टी इंटरनेशनल क्रिकेट स्पर्धा में फ्री पास को लेकर बड़ी उदारता बरती गई है। अलग-अलग वर्गों को बारी-बारी फ्री पास दिये जा रहे हैं। सरकारी कर्मचारी, दिव्यांग, महिलाओं, स्कूल कॉलेज के विद्यार्थियों, उपक्रमों के कर्मचारी अधिकारी इसका फायदा ले रहे हैं। अब एक वर्ग ऐसा भी है जिसे फ्री पास मिलने की ज्यादा खुशी नहीं हो रही है। वे कह रहे हैं ये तो पांच-सौ रुपये टिकट वाली गैलरी के हैं। हमें तो उस बॉक्स का पास चाहिये जिसमें खाना पीना सब फ्री है, जिसका टिकट करीब 20 हजार रुपये में बिकता है। अंदाजा लगाइये यह कौन सा वर्ग है?
- 1877-कानों के मफलर के लिए एक किशोर चेस्टर ग्रीनवुड को पेटेन्ट जारी किया गया। एक बार सर्दी में स्केटिंग करते हुए कानों में चुभन महसूस हुई तो उसने इससे बचने के लिए बीवर के फर को एक पतले फ्रेम में लगाया और कानों को ढंक लिया। उसके बाद कानों के मफलर की मांग बढ़ती गई।
- 1930- क्लाइड डब्ल्यू. टॉमबॉफ ने प्लूटो ग्रह की खोज की।
- 1997 - सिस्टर निर्मला का चयन नेता के रूप में ईन्डियन मिशनरीज ऑफ चैरिटी में मदर टेरेसा द्वारा किया गया।
- 1999 - शेख़ हमाज बिन ईसा अल ख़लीफ़ा बहरीन के नये शासक बने, 23 वर्षों के अंतराल के बाद श्रीलंका सरकार ने हत्या एवं मादक द्रव्य तस्करी सदृश अपराधों के लिए मृत्युदंड की सज़ा पुन: बहाल करने का निश्चय किया।
- 2002 - राबर्ट मुगावे पुन: जिम्बाब्वे के राष्ट्रपति निर्वाचित, पाकिस्तान के राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ़ की जापान यात्रा प्रारम्भ, सी.टी.बी.टी. पर हस्ताक्षर के लिए समय मांगा।
- 2003 - इराक पर ब्रिटेन के प्रस्तावों को फ्रांस ने नामंजूर किया।
- 2008 - राज्यपाल ने खाद्य सुरक्षा और मानक संशोधन विधेयक, 2008 को पारित किया। हिन्दुस्तान टाइम्स और पाकिस्तान के अखबार डॉन को पत्रकारिता के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए कुलिश सम्मान प्रदान किया गया। नासा का अंतरिक्ष यान एंडेवर सकुशल अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर पहुंचा। सैक्स स्कैण्डल में फंसे न्यूयार्क के गवर्नर एलिमट स्पित्जर ने अपने पद से इस्तीफ़ा देने की घोषणा की।
- 1980 - संजय-मेनका गांधी के पुत्र और युवा राजनेता वरुण गांधी का जन्म हुआ।
- 2004 - भारत के प्रसिद्ध सितार वादक विलायत खां का निधन हुआ।
- 1720-स्विस प्रकृतिविद् चाल्र्स बनेट का जन्म हुआ, जिन्होंने अनिषेकजनन (पार्थेनोजेनेसिस) की खोज की। इसका अर्थ होता है बिना निषेचन के प्रजनन। उन्होंने पता लगाया कि कीट अपने शरीर के छिद्रों से सांस लेते हैं जिसे उन्होंने स्टिग्मैटा नाम दिया। (निधन- 20 मई 1793)
- 1733 -अंग्रेज़ पादरी, राजनैतिक सिद्धान्तवादी तथा भौतिक वैज्ञानिक जोजफ़ प्रीस्टले का जन्म हुआ, जिन्होंने आक्सीजन तत्व की खोज की। उन्होंने सोडा-वाटर बनाने का तरीका ईजाद किया था। इसके अलावा इन्होंने सल्फर डाइआक्साइड, अमोनिया, नाइट्रोजन आक्साइड, कार्बन मोनोआक्साइड और सिलिकन फ्लोराइड आदि गैसों की खोज की। (निधन-6 फरवरी 1804)
- 1845- ब्रिटेन के रसायनज्ञ तथा मौसमविज्ञानी जॉन फ्रैड्रिक डैनियल का निधन हुआ, जिन्होंने डेनियल सेल का आविष्कार किया। यह सेल पुराने समय के वोल्टाइक सेल से कहीं उन्नत था। सन् 1820 में इनके अनुसंधान से सापेक्षिक आर्द्रता मापने के लिए हाइग्रोमीटर नामक यंत्र का आविष्कार हुआ। (जन्म-12 मार्च 1790)।
जागो व्यापारियों जागो...
चेम्बर चुनाव में प्रचार के दौरान पूर्व विधायक श्रीचंद सुंदरानी, अमर पारवानी को बुरा-भला कहने में कोई मौका नहीं चूकते रहे हैं। पारवानी कभी सुंदरानी के सहयोगी थे, और बाद में दोनों के रास्ते अलग हो गए। पारवानी अब व्यापार जगत का बड़ा चेहरा बन गए हैं, और वे जय व्यापार पैनल के तले एकता पैनल को तगड़ी चुनौती दे रहे हैं, जिसके मुखिया श्रीचंद सुंदरानी हैं। वैसे तो पारवानी का सीधा मुकाबला योगेश अग्रवाल से है, लेकिन सुंदरानी ने चुनाव को अपनी प्रतिष्ठा से जोड़ रखा है।
योगेश, पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल के छोटे भाई हैं। स्वाभाविक है कि प्रदेशभर में बृजमोहन समर्थकों का उन्हें साथ मिल रहा है। व्यापारियों के इस सबसे बड़े संगठन के इस चुनाव को कुछ लोग अग्रवाल वर्सेस सिंधी भी बता रहे हैं। व्यापारियों के बीच चर्चा है कि अग्रवाल, योगेश के पक्ष में, तो सिंधी वोटर पारवानी के पक्ष में लामबंद हो रहे हैं। और जब श्रीचंद सुंदरानी पहले चरण के मतदान के बीच पारवानी के साथ कानाफूसी करते नजर आए, तो एकता पैनल में हडक़ंप मच गया। वॉटसएप पर व्यापारियों की कुछ इस तरह की प्रतिक्रियाएं देखने को मिली कि जागो व्यापारियों जागो...।
बृजमोहन अग्रवाल की पैनी नजर
चेम्बर चुनाव में कांग्रेस और भाजपा के बड़े नेता रूचि ले रहे हैं। गुरूवार को पहले चरण के मतदान के बाद कई समीकरण बनते-बिगड़ते नजर आए। सुनते हैं कि योगेश अग्रवाल को भाजपा के जिस ताकतवर अग्रवाल नेता से भरपूर मदद की उम्मीद थी, उन्होंने अमर पारवानी का साथ दिया है। यही नहीं, दिग्गज अग्रवाल नेता के धमतरी रहवासी करीबी रिश्तेदारों ने भी पारवानी का साथ निभाया। चर्चा है कि बृजमोहन के भाजपा में विरोधी नेता, पारवानी के पक्ष में काम कर रहे हैं। इन सबके बाद भी पारवानी की राह आसान नहीं है, क्योंकि चुनाव पर बृजमोहन अग्रवाल की पैनी नजर है, जो कि भाजपा के सबसे सफल चुनाव संचालक माने जाते हैं। यही वजह है कि तमाम विपरीत खबरों के बाद भी योगेश अग्रवाल के समर्थक चुनाव नतीजे को लेकर आशान्वित है।
लॉकडाउन की आहट
महाराष्ट्र और देश के दूसरे राज्यों में एक बार फिर कोरोना संक्रमण बढ़ रहा है। मुम्बई, पुणे के बाद अमरावती, नागपुर क्षेत्र भी तेजी से कोरोना की चपेट में आ रहा है। अब वहां एक सप्ताह के लिये सम्पूर्ण लॉकडाउन 15 मार्च से लागू हो रहा है। पिछली बार भी महाराष्ट्र के बाद कोरोना का असर छत्तीसगढ़ में देखा गया था।
सख्ती कम होने के बाद रायपुर, बिलासपुर, राजनांदगांव से नागपुर, मुम्बई लोगों का आना-जाना बढ़ा है। अब ट्रेनों, बसों में यातायात सामान्य दिखने लगा है। बाजारों, दफ्तरों, फैक्ट्रियों में भी भीड़ है। धार्मिक संस्थानों, स्कूलों, शादी ब्याह सबकी छूट दी जा चुकी है। जबकि गाइडलाइन का पालन सभी सार्वजनिक स्थानों पर करने की जरूरत है। रायपुर में जिला प्रशासन ने बिना मास्क पहने निकलने, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं करने के साथ कोरोना की बीमारी छिपाने पर एफआईआर दर्ज कहा है।
यह तो दिख रहा है कि पूरे प्रदेश में मास्क पहनने के लिये फिर से कड़ाई बरती जा रही है। पर नये मामले बढ़ते ही जा रहे हैं। अब सीमा में प्रवेश करने वालों की जांच निर्देश जारी किया गया है। इसी तरह रेलवे ने स्टेशनों पर नये सिरे से व्यवस्था की है। पर, यह सब उस गंभीरता से नहीं हो रहा है, जितना कोरोना के पहले चरण में दिखा। नये मामलों की रफ्तार यही रही तो नागपुर जैसी परिस्थितियां राजधानी रायपुर सहित दूसरे शहरों में बन सकती है।
जंगल में समृद्ध हिंदी की बयार..
आम तौर पर किसी को कोई बात समझ नहीं आती तो कहते हैं, झल्लाकर कहा जाता है हिंदी में समझाऊं क्या? लगता है बारनयापारा में किसी अधिकारी ने अपने वन कर्मचारियों को ऐसा ही कहा होगा फिर बड़े-बड़े अक्षरों में लिखवा भी दिया। वैसे इसे अंग्रेजी पसंद लोग वायरलेस मॉनिटरिंग रूम भी कह देते हैं।
कर मुक्त नहीं तो, तस्कर मुक्त ही कर दें...
देवभोग इलाके में जब हीरों के अकूत भंडार का पता चला था तो पहले मुख्यमंत्री स्व. अजीत जोगी ने कहा था कि छत्तीसगढ़ को देश का अकेला कर मुक्त राज्य बनाया जा सकता है। कुछ सर्वे तो यह दावा करते हैं कि यहां का हीरा पूरे देश के कर्ज को चुका सकता है। पर फिलहाल तो यह हीरा तस्करी का अड्डा बना हुआ है। इस साल जनवरी के बाद यह दूसरा मामला है जब लाखों रुपये के कीमती सैकड़ों हीरों के साथ तस्कर पकड़े गये। हर साल दो तीन तस्कर पकड़ में आ ही रहे हैं।
देवभोग का मामला इतना जटिल रहा कि लगता है कोई भी सरकार इसमें हाथ नहीं डालना चाहती। संयुक्त मध्यप्रदेश के दौर में सन् 1992 के आसपास डी बियर्स की कम्पनी को जब तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने ठेका दिलवाया तो स्व. अजीत जोगी ने उन पर रिश्वत लेने का आरोप लगाया और कहा कि कम्पनी के खर्च पर वे दक्षिण अफ्रीका गये। इसके बाद 1998 में डि बियर्स, रियो टिंटो, एनएमडीसी और बी. विजय कुमार ने टेंडर भरा। बी. विजय कुमार को खनन का ठेका मिलने पर भाजपा नेता रमेश बैस ने अनुबंध को ही गलत बताया और कहा कि हीरे के अलावा दूसरे बहुमूल्य खनिज निकलेंगे, उसका क्या होगा? इसके बाद लगातार मामले टेंडर लेने वाली कम्पनियों के बीच अदालती लड़ाई चल रही है, जिसका किस्सा लम्बा है। वर्तमान में स्थिति यह है कि जो सुरक्षा के बाड़ टूटे हुए हैं। कोई भी वहां प्रवेश कर सकता है। यहां के निर्धन ग्रामीणों से बिचौलिये पत्थरों की खुदाई कराते हैं, कुछ सौ रुपये में हीरे के खंड खरीदते हैं फिर मध्यम श्रेणी के व्यापारी उसे आकर हजारों में खरीद रहे हैं और दूसरे राज्यों के हीरा व्यापारियों को लाखों रुपये में बेच रहे हैं।
मौजूदा सरकार देवभोग सहित बस्तर और रायगढ़ की संभावित हीरा खदानों को शुरू कराने, अदालतों में रुके मामलों को तेजी से निपटाने के बारे में कुछ सोच रही है या नहीं, यह पता नहीं चल रहा है। पर जब प्रदेश सरकार को अपने चुनावी वायदे पूरे करने के लिये एक के बाद एक नया कर्ज लेना पड़ रहा हो, आम लोग भी करों के बोझ से त्रस्त हों तो इस अकूत खनिज संपदा के दोहन से जुड़े मामले तेजी से निपटाना चाहिये।
यह अगर बाजार है तो...
सरकारी कामकाज की संस्कृति एक बार बिगड़ती है तो उसे कई बार निजीकरण भी नहीं सुधार पाता। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के म्युनिसिपल में स्मार्टसिटी के नाम पर आने वाले अंधाधुंध पैसों से किसी प्राइवेट एजेंसी को प्रचार-प्रसार में लगाया जाता है। करोड़ों के ऐसे प्रचार-प्रसार में खूब बर्बादी भी की जाती है। अब शहर की एक रिहायशी कॉलोनी के मैदान में पत्तों से खाद बनाने के इस प्रयोग को यह बैनर लगाकर बताया जा रहा है। अब है तो यह मैदान, और इसके आसपास भी एक पान ठेला तक नहीं है, लेकिन यहां बैनर लगा दिया गया है- जीरो वेस्ट बाजार!
मैदान और बगीचे के पत्तों से बन रही खाद जो कि बेची भी नहीं जाएगी, वहां पर किसी बाजार में लगने वाले बैनर की तर्ज पर बैनर लगा दिया गया है। खेलने आने वाले छोटे बच्चे यही नहीं समझ पाएंगे कि यह अगर बाजार है तो गोलबाजार और सदरबाजार क्या मैदान हैं?
- 1894- कोका कोला की पहली बोतल बिकी। कोका कोला की खोज अटलांटा के डॉ. जॉन पेम्बर्टन ने की थी।
- 1912- पहली बार कैप्टन अल्बर्ट बेरी ने पैराशूट के जरिए विमान से छलांग लगाई।
- 1992 - मारिशस गणराज्य घोषित।
- 1993 - मुंबई में कई बम धमाके हुए और उनमें 300 लोग मारे गए और सैकड़ों से अधिक घायल हो गए।
- 1998 - प्रथम टर्बोनेट इंजन निर्माता हेन्स जोशिम पाबस्ट वान ओहेन का निधन।
- 2003 - सर्बिया के प्रधानमंत्री जोरान जिनजिब की बेलग्रेड में हत्या।
- 2004 - दक्षिण कोरियाई संसद में महाभियोग पारित होने के बाद राष्ट्रपति रोह मू हुन पद से निलम्बित, लाहौर में दसवां दक्षेस लेखक सम्मेलन प्रारम्भ।
- 2006 - ईराक में सद्दाम हुसैन के विरुद्ध मुकदमे की सुनवाई प्रारम्भ।
- 2008 - पुदुचेरी के उपराज्यपाल मुकुट मिथी ने अपने पद से इस्तीफा दिया। केन्द्रीय मंत्रिमण्डल ने नागालैण्ड में राष्ट्रपति शासन हटाने का निर्णय लिया। विश्व की सबसे लम्बी आयु की समझी जाने वाली महिला वारवा सेमेनिकोवा का रूस में 117 वर्ष की आयु में निधन।
- 2009 - वायुसेना में आपरेशंस निदेशालय के पहले महानिदेशक के तौर पर एयर मार्शल डी. सी. कुमारिया ने कार्यभार सम्भाला।
- 1913 - भारतीय राजनीतिज्ञ यशवंतराव चव्हाण का जन्म हुआ।
- 1838 अंग्रेज रसायनज्ञ, सर विलियम हेनरी पर्किन का जन्म हुआ। कोलतार से कुनैन का संश्लेषण करने वाले अपने प्रयोगों के समय पर्किन ने मिश्रित एनिलीन तथा सोडियम डाइक्रोमेट को मिलाने पर एक गाढ़ा रंग प्राप्त किया। उसे उन्होंने एनिलीन पर्पल नाम दिया। इन्होंने पहले कृत्रिम रंजक (डाई) का निर्माण किया। (निधन-14 जुलाई 1907)
- 1832 -फ्रांस के रसायनज्ञ चाल्र्स फ्रीडेल का जन्म हुआ, जिन्होंने 1877 में अमेरिकी रसायनज्ञ जेम्स मैसन क्राफ्ट के साथ मिलकर रासायनिक अभिक्रिया की खोज की जिसे फ्रीडेल क्राफ्ट अभिक्रिया के नाम से जाना जाता है। इसके अलावा उन्होंने कृत्रिम हीरे के निर्माण पर, तथा कीटोन और एल्डीहाइड पर भी काम किया। (निधन- 20 अप्रैल 1899)
- 1942-सर विलियम हेनरी ब्रैग का निधन हुआ, जो ठोस अवस्था भौतिकी के शुरुआती वैज्ञानिकों में से एक थे जिन्हें अपने बेटे सर लॉरेन्स ब्रैग के साथ क्रिस्टलों की संरचना बताने के लिए 1915 में भौतिकी का नोबेल पुरस्कार मिला। उन्होंने एक्स-किरणों की तरंगदैध्र्य मापने के लिए एक्स-किरण स्पेक्ट्रोमीटर तैयार किया। (जन्म-2 जुलाई 1862)
- 1898 - स्विटजऱलैण्ड के गणितज्ञ तथा भौतिकशास्त्री जोहान जैकब बाल्मर का निधन हुआ, जिन्होंने परमाणु सिद्धान्त के विकास पर आधारित एक सूत्र दिया। बाल्मर का सबसे महत्वपूर्ण कार्य था उनकी स्पेक्ट्रल श्रृंखला जिसमें उन्होंने हाइड्रोजन परमाणु की स्पेक्ट्रमी रेखाओं के तरंगदैध्र्य के सापेक्ष एक सूत्र दिया। (जन्म-1 मई 1825)
- महत्वपूर्ण दिवस- केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल की स्थापना दिवस, तिब्बती महिला विकास दिवस, डांडी कूच दिवस (1930)।
दिल्ली में गाड़ी लगे तो बता दें...
केन्द्र सरकार ने कल आईपीएस अफसरों की एक लिस्ट निकाली जिसमें 1996 से 2001 तक के 22 अफसरों को केन्द्र सरकार के स्तर पर आईजी के रूप में इम्पैनल किया गया है। हाल के बरसों में आईपीएस लोगों का इम्पैनलमेंट कम हो गया है क्योंकि केन्द्र सरकार ने इसके लिए कड़े पैमाने तय किए हैं। प्रदेशों में तो अफसर बरसों पहले आईजी बन जाते हैं, लेकिन केन्द्र सरकार में आईजी का दर्जा मिलना मुश्किल होता है, और इसके लिए केन्द्र सरकार देश भर से कई तबकों से राय लेती है कि अफसर इस लायक है कि नहीं? यह भी पता लगाया जाता है कि अफसर पर भ्रष्टाचार के कोई आरोप तो नहीं है? यह पूछताछ रिटायर हो चुके अफसरों से लेकर मीडिया तक के लोगों से की जाती है, और इसे केन्द्र सरकार की जुबान में 360 डिग्री कहा जाता है, 360 डिग्री का मतलब चारों तरफ से परख लेना।
कल की लिस्ट में छत्तीसगढ़ के एक आईजी, आनंद छाबड़ा का नाम शामिल है। वे 2001 बैच के आईपीएस हैं, और रायपुर के आईजी होने के साथ-साथ प्रदेश के आईजी इंटेलीजेंस भी हैं। अब केन्द्र के साथ कड़े टकराव वाले भूपेश बघेल के खुफिया चीफ के बारे में केन्द्र सरकार ने खासा ही पता लगाया होगा, तभी उन्हें इम्पैनल किया होगा। दिक्कत यह है कि केन्द्र सरकार में इम्पैनल होने को आम लोग यह मान बैठते हैं कि यह केन्द्र सरकार में पोस्टिंग है। आनंद छाबड़ा को आज सुबह से केन्द्र सरकार में जाने के लिए बधाईयां मिल रही हैं, और लोग शिष्टाचार में कह भी रहे हैं कि दिल्ली में गाड़ी की जरूरत हो, या मकान मिलने तक गेस्ट हाऊस की जरूरत हो तो बेझिझक याद कर लें। इसके पहले जब कुछ लोग केन्द्र में इम्पैनल हुए थे, तब उनके पास एक-दो ऐसे शुभचिंतक पहुंच गए थे जो कि रायपुर में छूटने वाले फर्नीचर को खरीदने का प्रस्ताव लेकर गए थे। आम लोगों की समझ के लिए यह बता देना जरूरी है कि केन्द्र में इम्पैनल होना वहां जाने की पात्रता भर देता है, उसके बाद राज्य सरकार की मंजूरी, केन्द्र सरकार की मंजूरी, और भी किलो भर औपचारिकताएं बाकी रहती हैं। राज्यों में कई ऐसे बड़े अफसर रहते हैं जो इम्पैनल हो जाने के बाद भी केन्द्र में जाने की हिम्मत नहीं जुटा पाते क्योंकि उतने बड़े सागर में जाकर छोटी मछली बनने का हौसला सबका नहीें रहता।
राजनीतिक दल और वकील
भाजपा ने हाईकोर्ट में विधि विधायी इकाई गठित किया है। इसमें आरएसएस और भाजपा की विचारधारा से जुड़े वकीलों को रखा है। इसके संयोजक यशवंत सिंह ठाकुर हैं, जो कि पिछली सरकार में एडिशनल एडवोकेट जनरल थे। प्रकोष्ठ में आशुतोष सिंह कछवाहा, और शरद मिश्रा भी हैं। कछवाहा भी एडिशनल एडवोकेट जनरल थे, तो शरद पिछली सरकार में सरकारी वकील थे। प्रकोष्ठ में तेजी से उभर रहे विवेक शर्मा को भी रखा गया है। विवेक शर्मा, पूर्व सांसद अभिषेक सिंह से लेकर निलंबित आईपीएस मुकेश गुप्ता की पैरवी कर चुके हैं।
वैसे तो वर्तमान में भी कई सरकारी वकील सक्रिय राजनीति में रहे हैं। एडवोकेट जनरल सतीशचंद्र वर्मा, छत्तीसगढ़ समाज पार्टी से जुड़े रहे हैं, और वे धरसींवा से विधानसभा का चुनाव भी लड़े थे। पूर्व एडवोकेट जनरल कनक तिवारी, तो अविभाजित मप्र कांग्रेस कमेटी के महामंत्री रहे हैं। वे दिग्विजय सिंह सरकार में एमपी हाउसिंग बोर्ड के चेयरमैन भी रहे। इसी तरह सरकारी वकील केके शुक्ला भी कांग्रेस के विधि प्रकोष्ठ के पदाधिकारी रहे हैं। कुल मिलाकर जमीनी स्तर पर पार्टी के खिलाफ लड़ाई से परे कानूूनी लड़ाई के लिए अच्छे वकीलों को साथ रखना जरूरी है, और भाजपा के हाईकोर्ट में विधि विधायी संगठन को इसी नजरिए से देखा जा रहा है।
गोबर खरीदी योजना को मिलती तारीफें
लोकसभा की कृषि मामलों की स्थायी समिति ने छत्तीसगढ़ सरकार की गोबर खरीदी योजना की तारीफ करते हुए सुझाव दिया है कि पूरे देश में इस तरह की योजना लागू की जाये। इससे किसानों की आमदनी बढ़ेगी, रोजगार मिलेगा और जैविक खेती को बढ़ावा मिलेगा।
केन्द्र में भाजपा गठबंधन की सरकार है। उसकी ओर से की गई यह तारीफ पहली बार नहीं है। सितम्बर महीने में केन्द्रीय शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने भी इस योजना की प्रशंसा करते हुए ‘वेस्ट टू वेल्थ’ का अच्छा उदाहरण बताया था। मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार के पशुपालन मंत्री प्रेम सिंह पटेल इस योजना की प्रशंसा कर चुके हैं और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह पटेल ने भी इस तरह की योजना लाने की बात कही है। छत्तीसगढ़ में गौ सेवा से जुड़े राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के पदाधिकारी तो मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मिलकर इस योजना की तारीफ कर चुके हैं।
इन तारीफों का महत्व इसलिये है कि योजना शुरू होने के बाद भाजपा के कुछ नेताओं ने इसको लेकर लगातार चुटकियां ली, कुछ तंज भी कसे। पर आज यह फैसला केन्द्र व अन्य राज्यों में उनकी पार्टियों के नेता पसंद कर रहे हैं। वैसे जब यूपीए सरकार थी और केन्द्र के मंत्री डॉ. रमन सिंह के कार्यकाल में छत्तीसगढ़ आते थे तो, कभी माओवादियों से निपटने की रणनीति तो कभी राशन दुकान व्यवस्था की तारीफ कर दिया करते थे और यह राज्य सरकार के विरोध में खड़ी कांग्रेस को असहज लगता था।
अब गोबर खरीदी योजना पर कुछ न भी बोलते बने तो क्रियान्वयन पर निगरानी रखने, खामियों, गड़बडिय़ों की ओर ध्यान दिलाने की जिम्मेदारी तो विपक्ष बनती की ही बनती है।
अहम् क्यों चेम्बर का चुनाव?
छत्तीसगढ़ चेम्बर ऑफ कामर्स के चुनाव में धुआंधार प्रचार अभियान के बीच पहले चरण के मतदान की प्रक्रिया आज शुरू हो गई। मैदान पर उतरे पैनल जिस तरह की जोर आजमाइश कर रहे हैं, कांग्रेस और भाजपा के दिग्गज नेता अपने-अपने दावेदारों के समर्थन में मैदान में उतरे हैं, उसने खेल रोमांचक बना दिया है। दरअसल, 15 साल के शासनकाल में सत्तारूढ़ भाजपा की चेम्बर में अच्छी पकड़ रही और लगातार उनके समर्थक जीतते आये।
सशक्त सरकार वही है जिसकी केवल ब्यूरोक्रेट में ही अच्छी पकड़ नहीं, बल्कि उन सब संगठनों, संस्थाओं पर हो जो खेल, सामाजिक, व्यापारिक, राजनीतिक आदि सभी दृष्टि से महत्वपूर्ण होते हैं।
राज्य में चेम्बर ऑफ कामर्स व्यापारियों का सबसे बड़ा संगठन है। इसमें 16 हजार से ज्यादा सदस्य हैं। वोटों के लिहाज से भी और पूरे छत्तीसगढ़ में फैले होने के कारण क्षेत्रफल के हिसाब से भी। आम मतदाताओं के बीच भी व्यापारियों की पैठ होती ही है। ऐसे में यदि कांग्रेस भाजपा नेता चुनाव अभियान में खुलकर सामने आये हैं तो अचरज नहीं होना चाहिये। भाजपा को अपनी पकड़ बनाये रखने की चिंता है तो कांग्रेस सोच रही है कि जब सरकार हमारी है, तो चेम्बर में हमारे लोग क्यों न हों?
पांडे कवासी की मौत का राज खुलेगा?
बस्तर में नक्सलियों से लोहा लेने के लिये पुलिस और सुरक्षा बल सामाजिक, सांस्कृतिक गतिविधियों, खेल, शिक्षा आदि से जुडक़र उनका भरोसा जीतने की कोशिश कर रहे हैं। पर संदिग्ध मौतों से उठने सवालों के कारण आपसी विश्वास में जुड़ता ही नहीं।
दंतेवाड़ा के गुड़से गांव की युवती पांडे कवासी की पुलिस हिरासत में मौत ने एक बार फिर अप्रिय स्थिति पैदा कर रही है। पुलिस कहती है कि अपनी सहेली के साथ उनके कैम्प में आ गई थी, जिस पर पुलिस ने पांच लाख का इनाम रखा था। यहां से वह जाना नहीं जाहती थी क्योंकि मां-बाप उसकी जबरन शादी कराना चाहते थे। पुलिस यह भी मानती है कि उसके नक्सली गतिविधियों में शामिल होने का कोई प्रमाण नहीं था। उसने गांव जाने पर खतरा बताया इसलिये, पुलिस के मुताबिक उसे सुरक्षा की दृष्टि से कैम्प में रखा गया था। पर वह एक तौलिये को फंदा बनाकर फांसी पर लटक गई। गांव के लोग, वहां की सरपंच और दूसरे जनप्रतिनिधि पुलिस की कहानी को सिरे से नकारते हुए, अलग किस्सा बताते हैं- उसे पुलिस एक अन्य महिला के साथ जबरन पकडक़र ले गई थी। पुलिस ने यह भी कहा है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में उसके फांसी लगने से मौत होने की पुष्टि हुई है। वैसे कलेक्टर ने इस मामले की दंडाधिकारी जांच का आदेश दिया है। अब जबकि यह मामला विधानसभा में भी उठा है, राष्ट्रीय मीडिया में भी लगातार आ रहा है।
पूरे मामले में कुछ तो ऐसा है जो छिपाया जा रहा है। अतीत में बस्तर पुलिस बेकसूरों को नक्सली बताकर सरेंडर कराती रही है, अनेक मौतों में पुष्टि नहीं हुई कि उसका नक्सली रिकॉर्ड रहा है। फिर वैसा ही खेल फिर शुरू हो तो नहीं गया?
- 1985 - मिखाईल गोर्बाचेव कोंस्तान्तिन चेरेंकों की मौत के बाद सोवियत संघ के सर्वोच्च नेता चुने गए। जब कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव के रूप में उनका नाम सामने आया तो दुनिया को बड़ा अचरज हुआ क्योंकि इस वक्त गोर्बाचेव महज़ 54 साल के थे। परंपरा के विपरीत गोर्बाचेव ने चेरेंकों की मृत्यु की घोषणा के एक दिन बाद अमरीका के साथ परमाणु हथियारों पर पूर्वनिर्धारित बात को निरस्त नहीं किया। जब गोर्बाचेव ने काम-काज संभाला था तब किसी को अंदाज़ नहीं था कि वो शीत युद्ध के दौरान अमरीका विरोधी महाशक्ति के आखिरी नेता होंगें। गोर्बाचेव ने रूस और अमरीका के परमाणु हथियारों को कम करने के लिए कई संधियां कीं । बदलते हालातों के बीच गोर्बाचेव को 25 दिसंबर 1991 को इस्तीफ़ा देने के लिए मजबूर होना पड़ा। उसी साल 31 दिसंबर के दिन सोवियत संघ का झंडा आखिरी बार फहराया गया।
- 2011- जापान में प्रशांत तट पर तोहोकू के पास समुद्र में रिक्टर पैमाने पर 9 का भूकंप आया था। यह जापान के इतिहास में दर्ज अब तक का सबसे शक्तिशाली भूकंप था। इस भूकंप की वजह से समुद्र में सुनामी उठ खड़ी हुई जिसकी लहरें 133 फीट तक ऊंची थीं। इस भूकंप की वजह से पास ही में स्थित फुकुशिमा दईची परमाणु ऊर्जा संयंत्र को भीषण नुकसान पहुंचा और विकिरण वातावरण में रिसने लगा। इस परमाणु हादसे के कारण इस संयंत्र के चारों तरफ 80 किलोमीटर के दायरे में फैले लोगों को वहां से हटा दिया गया. जापान की नेशनल पुलिस एजेंसी के अनुसार भूकंप और सुनामी के चलते 15 हजार 850 लोग मारे गए थे।
- 1960-पायनियर-5 को केप कैनेवरल, फ्लोरिडा से सौरमंडल के अध्ययन के लिए अंतरिक्ष में छोड़ा गया।
- 1920- अमेरिकी भौतिकशास्त्री निकोलास ब्लोएमबर्गन का जन्म हुआ, जिन्हें विद्युत चुम्बकीय विकिरण के द्रव्य के साथ अन्योन्य क्रिया पर स्पेक्ट्रोस्कोपिक अध्ययन के लिए अमेरिका के आर्थर लियोनार्ड शावलोव तथा स्वीडन के कार्ल मैने बोर्जे सीगबॉन के साथ वर्ष 1981 का नोबेल पुरस्कार मिला।
- 1730-जर्मन-डैनिश जीवविज्ञानी ओट्टो फ्रेड्रिक मुलर का जन्म हुआ, जिन्होंने जीवाणुओं के प्रेक्षण पर ध्यान दिया। इसके पहले ल्यूवेनहॉक द्वारा ये धुंधले रूप में देखे गए थे। उस समय की सूक्ष्मदर्शियों की क्षमता उतनी अच्छी नहीं थी लेकिन मुलर पहले व्यक्ति थे जिन्होंने जीवाणुओं को स्पष्ट तौर पर देखा तथा उनका वर्गीकरण भी प्रस्तुत किया। (निधन-26 दिसम्बर 1784)
- 1955 - स्कॉटलैण्ड के जीवाणुविज्ञानी सर ऐलेक्ज़ैन्डर फ्लेमिंग का निधन हुआ, जिन्होंने 1928 में पेनिसिलिन की खोज की। इंफ्लुएन्ज़ा के विषाणु पर काम करते हुए उन्होंने देखा कि स्टेफाइलोकोकस के पालन की प्लेट में फफूंद अकस्मात ही अपने आप ही उत्पन्न हो गए, और उन्होंने अपने चारों तरफ जीवाणुरहित वृत्त बना लिया था। उन्होंने फिर प्रयोग में पाया कि वह फफूंद, स्टेफाइलोकोकस की वृद्धि को रोकता है। उन्होंने उस पदार्थ का नाम पेनिसिलिन रखा। (जन्म- 6 अगस्त 1881)
- 1892-स्कॉटलैण्ड के रसायनज्ञ आर्किबेल्ड स्कॉट कूपर का निधन हुआ, जिन्होंने आगस्ट केकुले से अलग कार्बन की चतु:संयोजकता और कार्बन के अणुओं की एक दूसरे से बंध बनाकर लंबी-लंबी श्रृंखलाएं बनाने की खासियत के बारे में बताया। इससे जैव पदार्थों में पाए जाने वाले यौगिकों के आधार को समझने में मदद मिली। उन्होंने ही तत्वों के प्रतीक में बंध को एक छोटी रेखा से दिखाने की शुरूआत की। (जन्म- 31 मार्च 1831)
विस्फोट की आशंका
विधानसभा का इस बार का सत्र छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद से अब तक का सबसे छोटा बजट सत्र रहा है। भाजपा सदस्यों ने तो अनुदान मांगों पर चर्चा में हिस्सा तक नहीं लिया। सरकार के दो मंत्री टीएस सिंहदेव और जय सिंह अग्रवाल के अलावा दो विधायकों के कोरोना संक्रमित होने के बाद से सत्ता और विपक्ष के लोग भी चाहते थे कि सत्र जल्द से जल्द खत्म हो।
सत्र शुरू होने से पहले सभी विधायकों को कोरोना टेस्ट कराने की सलाह दी गई थी, लेकिन विधायक इसके लिए तैयार नहीं हुए। विधायक सशंकित थे। दोनों मंत्री टीएस सिंहदेव और जयसिंह अग्रवाल में कोरोना के कोई विशेष लक्षण नहीं थे, उन्होंने मामूली सर्दी-जुकाम पर टेस्ट करवाया, और पॉजिटिव पाए गए।
जयसिंह अग्रवाल तो अपने निवास पर विभागीय अफसरों के साथ अगले दिन सदन में पूछे जाने वाले सवालों का जवाब देने के लिए तैयारी कर रहे थे। अफसरों की ब्रीफिंग कर घर चले गए, तब अग्रवाल की कोरोना जांच रिपोर्ट आई, जिसमें वे पॉजिटिव पाए गए। मंत्रीजी से परे अफसर ज्यादा परेशान हैं, क्योंकि ब्रीफिंग के दौरान मास्क वगैरह नहीं पहने हुए थे।
सरकार के एक मंत्री ने तो अनौपचारिक चर्चा में माना कि यदि सभी विधायकों की कोरोना जांच होती, तो आधे विधायक संक्रमित निकलते। इसकी एक वजह यह भी थी कि चारों संक्रमित सदस्य, सदन के भीतर और बाहर पक्ष-विपक्ष के सदस्यों के संपर्क में थे। ऐसे में कोरोना विस्फोट की आशंका भी थी, जो कि जांच नहीं होने के कारण नहीं फट पाई।
सोनिया गांधी की शिलान्यास पट्टिका
कांग्रेस सरकार ने कितने चुनावी वायदे पूरे किये हैं ,इस पर बहस के बीच कांग्रेस सदस्य धनेन्द्र साहू ने भी एक वादा पूरा नहीं होने की बात विधानसभा में रखी। वह थी आईआईएम को नया रायपुर में आबंटित जमीन की हद में नई राजधानी के शिलान्यास के पत्थर का घेरे में होना। शिलान्यास कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने किया था। करीब 3 हजार वर्गफीट के गार्डन में इसे रखा गया है।
कांग्रेस की आपत्ति रही कि नया रायपुर करीब 7500 हेक्टेयर की योजना है। आईआईएम को ग्राम पौरा चेतिया की वही जगह क्यों दी गई, जहां शिलान्यास की चट्टान लगी हुई है। दो साल पहले केबिनेट की बैठक में कई बातें सामने रखी गई। खुलासा हुआ कि आईआईएम को तीन बार में 200 एकड़ जो जमीन दी गई है उसके साथ कोई लीज अनुबंध ही नहीं हुआ। एनआरडीए के तत्कालीन सीईओ एसएस बजाज को इस मामले में केबिनेट ने तब निलम्बित भी कर दिया था, जबकि उस वक़्त के विभागीय सचिव रहे जॉय ओम्मेन ने सार्वजनिक बयान जारी करके बजाज को पूरी तरह बेक़सूर और अपने-आपको जिम्मेदार बताया था। वैसे, जिज्ञासा इस बात पर भी हो सकती है कि आईआईएम का प्राधिकरण के साथ अनुबंध भी अब तक हो पाया या नहीं?
चुनाव पांच राज्यों में, सुकून सबको
हालांकि कल कई शहरों में रसोई गैस का दाम बढक़र 900 रुपये पार कर गया है। पेट्रोल-डीजल की कीमत अभूतपूर्व रूप से महंगा होने के बाद अब बीते 10-12 दिनों से स्थिर हैं। यह तब है जब अंतर्राष्ट्रीय बाजार में दो तीन दिन से कच्चे तेल के दाम में तेजी आ रही है। हालांकि लोगों को 90 रुपये से ज्यादा में पेट्रोल और 89 रुपये में डीजल खरीदना अब भी भारी पड़ रहा है ,पर दाम सौ पार करने की चिंता कम हुई है। जब भी दाम को लेकर सरकार से पूछा जाता है, वह हाथ खड़े कर देती है कि यह तो आयल कम्पनियां अंतर्राष्ट्रीय बाजार की कीमत के आधार पर तय करती हैं। कम्पनियों से पूछा जाये तो वह सरकार पर डाल देती है। कहती है कि टैक्स कम किये बिना दाम नहीं घटेंगे। खबर है कि अभी आयल कम्पनियों को दाम नहीं बढ़ाने के लिये कहा गया है। यह फैसला पांच राज्यों में हो रहे चुनाव से जोडक़र देखा जा रहा है। सरकार, लोगों के प्रति उदार बनी रहे लगता है इसके लिये चुनाव कहीं न कहीं होते रहना चाहिये।
बढ़ते संक्रमण के बीच स्कूलों की चहल-पहल
बीते साल लगभग इन्हीं दिनों में कोरोना संक्रमण के मामले बढऩे लगे थे और लॉकडाउन करना पड़ा था। अनेक वैज्ञानिक अब यह मानने लगे हैं कि जिस तरह से देश के कई राज्यों, खासकर महाराष्ट्र जैसे प्रदेशों में कोरोना तेजी से फैल रहा है यह मौसम खतरे की घंटी है। राज्यों में अब फिर से ज्यादा सतर्कता बरती जा रही है। छत्तीसगढ़ में इस समय 60 साल से ऊपर और गंभीर बीमारी से पीडि़त 45 वर्ष से ऊपर लोगों को कोरोना टीका लगाया जा रहा है। कोरोना संक्रमण का दुबारा बढऩे की आशंका ही है कि लोग अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं और टीका लगवाने के लिये खुद ही रजिस्ट्रेशन करा रहे हैं। बीते 24 घंटे में छत्तीसगढ़ में 390 मामले आये। एक ही दिन में पांच लोगों की मौत भी हुई । दो दिन के भीतर 700 से ज्यादा नये मामले सामने आ चुके। अब सक्रिय मामले फिर बढक़र 3 हजार पार कर चुके हैं।
इधर परीक्षाओं के दिन भी शुरू हो गये हैं। स्कूल, कॉलेजों में ऑफलाइन प्रायोगिक और मुख्य परीक्षाओं का छात्र और पालक विरोध कर रहे हैं। स्कूल ही नहीं कई कॉलेजों में भी अनेक छात्र और प्राध्यापकों में संक्रमण मिल रहा है। जिन स्कूल, कॉलेजों में मामले आये, उन्हें तो बंद करने कहा जा रहा है पर बाकी के लिये सरकार ने फैसला नहीं बदला है। केस तेजी से बढ़ सकते हैं, पालकों, छात्रों सहित आम लोगों की यह चिंता स्वाभाविक है। यही वजह है कि जिन लोगों की मास्क पहनकर निकलने की आदत छूट रही थी वे गाइडलाइन का पालन करने को लेकर ज्यादा सतर्क हैं।