स्थायी स्तंभ
- 1876 -ग्राहम बेल ने पहली बार अपने सहायक को टेलीफोन से कॉल किया।
- 1922 - महात्मा गांधी गिरफ्तार किए गए, राजद्रोह का आरोप, छह वर्षों की क़ैद, परन्तु दो वर्ष बाद रिहा किए गए। चीन द्वारा परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर।
- 1948- हर्बर्ट एच. हूवर ध्वनि की गति से भी तेज़ यान चलाने वाले पहले विमान चालक बने।
- 1998 - इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुहार्तो लगातार सातवीं बार राष्ट्रपति पद पर निर्वाचित।
- 2002 - फिलीस्तीन के राष्ट्रपति यासर अराफात के आने-जाने पर लगा प्रतिबंध हटा, पाकिस्तान ने दक्षेस गृह मंत्रियों के सम्मेलन का प्रस्ताव रखा।
- 2003 - उत्तर कोरिया ने क्रूज मिसाइल का परीक्षण किया, संयुक्त राष्ट्र महासचिव कोफी अन्नान ने सुरक्षा परिषद के सदस्यों से आग्रह किया कि वे इराक के निरस्त्रीकरण के बारे में अपने मतभेदों को दूर करें और कोई आम राय क़ायम करें।
- 2007 - यूक्रेन के वैसिलीइवानचुक को हराकर विश्वनाथन आनन्द शतरंज में प्रथम स्थान पर पहुंचे।
- 2008 - माणिक सरकार की अगुवाई में त्रिपुरा में पुन: लेफ़्टफ्रंट ने सत्ता संभाली। वरिष्ठ कांग्रेस नेता डी. डी. लपांग ने मेघालय के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।
- 2010 - भारतीय संसद की ऊपरी सदन राज्यसभा में महिला आरक्षण विधेयक पारित हो गया।
- 1945 - कांग्रेस नेता माधवराव सिंधिया का जन्म हुआ।
- 1897 - भारत के पहले बालिका विद्यालय की पहली प्रिंसिपल और पहले किसान स्कूल की संस्थापक सावित्रीबाई फुले का जन्म हुआ।
- 1628- इटली के भौतिकशास्त्री और जैवरसायनज्ञ मार्सेलो मैलपीगी का जन्म हुआ, जिन्होंने सूक्षमदर्शीय शरीर रचना विज्ञान की स्थापना की। उन्होंने पहले पौधों, कीड़ों, मछलियों, फिर मानव की शरीर रचना का अध्ययन किया। वे फेफड़े, गुर्दे, मस्तिष्क, जीभ, त्वचा आदि का सूक्ष्मदर्शी से अवलोकन करने वाले पहले वैज्ञानिक थे। (निधन-30 नवम्बर 1694)
- 1873 -अमेरिकी वनस्पति वैज्ञानिक तथा रसायनज्ञ जॉन टॉरी का निधन हुआ, जो उत्तरी अमेरिका के पौधों पर किए गए अपने अध्ययन के लिए प्रसिद्ध हैं। (जन्म 15 अगस्त 1796)
- 1847-अंग्रेज़ रसायनज्ञ चाल्र्स हैशेट का निधन हुआ, जिन्होंने 1801 में कोलम्बियम तत्व की खोज की। उन्होंने यह खोज तब की जब वे इंग्लैण्ड में कोलम्बाइट नामक काले पत्थर पर अनुसंधान कर रहे थे। हैशेट उस जटिल खनिज में एक नया तत्व ढूंढने में सफल रहे पर वे उसे अलग नहीं कर सके। उस तत्व को जर्मन वैज्ञानिक हेनरिक रोज़ ने नायोबियम नाम दिया जब करीब चालीस साल बाद उन्होंने उसे फिर से खोजा। (जन्म 2 जनवरी 1765)।
दवा कम्पनी पर मेहरबानी के लिये जान से खिलवाड़?
सरकारी अस्पतालों में दवाओं की गुणवत्ता को लेकर कई बार सवाल उठते हैं पर मामले दब जाते हैं। खुलते हैं तो भी कार्रवाई में इतनी देर कर दी जाती है कि वे कम्पनी का कोई नुकसान नहीं होता, भले ही मरीजों की जान पर खतरा क्यों न हो। पेट दर्द और एसिडिटी की दवा एल्यूमिनियम हाईड्रोक्साइड सिरप मुंगेली, गौरेला-पेन्ड्रा-मरवाही और बिलासपुर जिले में अमरवती की कम्पनी ग्लेशियर ने अगस्त 2019 में करनी शुरू की थी। सरकारी निगम सीजीएमएससी के जरिये ही इस तरह की खरीदी होती है। डॉक्टरों और मरीजों की ओर से शिकायत आने लगी कि दवा किसी काम के नहीं, बल्कि इसके साइड इफेक्ट भी हो रहे हैं। शिकायत के बावजूद पहला पत्राचार जुलाई 2020 में किया गया। कम्पनी से जवाब नहीं आया और इधर दवाईयां भी मरीजों को पिलाई जाती रही। अब जब ज्यादातर दवाईयां खप चुकी हैं, कम्पनी को ब्लैक लिस्टेड किया गया है और दवाओं को वापस मांगा जा रहा है। ऐसी दवायें जाहिर है सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ उठाने वालों में बांटी जाती है, जिनमें से ज्यादातर लोग गरीब वर्ग के होते हैं। इन दवाओं के चलते किसी की मौत होने की कोई ख़बर नहीं है इसलिये इस मामले ने तूल नहीं पकड़ा, वरना अपने प्रदेश का नसबंदी कांड भी लोगों को याद है जिसमें 16 महिलाओं की मौत हुई थी।
आत्महत्या भी हो तो गंभीरता कम नहीं
यह स्वाभाविक है कि विधानसभा में पाटन इलाके के बठेना में हुई पांच मौतों का मामला गूंजा। फंदे पर एक साथ लटकती दो लाशें, तीन महिलाओं के अधजले, जले शव और सुसाइडल नोट। विवेचना अधिकारियों को मामले की तह तक पहुंचने की जिम्मेदारी है। इसी इलाके के खुड़मुड़ा गांव में चार लोगों की हत्या का मामला अब तक सुलझ नहीं पाया है। दोनों को लेकर पुलिस को आलोचना तो झेलनी पड़ रही है। गृह मंत्री को भी कानून व्यवस्था के मुद्दे पर सरकार का बचाव करना पड़ रहा है। गृह मंत्री इसे आत्महत्या बता रहे हैं तो विपक्ष ने एक साथ लटके दो शवों के आधार पर इसे हत्या का मामला कहा है। कुछ खबरों में कहा गया कि जुए, सट्टे की वजह से काफी खेती मृतक परिवार के मुखिया को बेचनी पड़ी और कर्जदारों का उस पर भारी दबाव था। अपराध होने के बाद सारी जिम्मेदारी पुलिस पर आती है और सवाल कानून व्यवस्था पर उठते हैं। पर ऐसी घटनाओं के लिये समाज का बिगड़ता माहौल कितना जिम्मेदार है, इस पर निगरानी रखने की जवाबदेही किस पर है, इसके लिये कोई ठोस तंत्र नहीं है। राज्य में बढ़ते अपराध, जुए सट्टा, सूदखोरी, शराबखोरी के चलते हो रहे अपराधों को रोकने के लिये कौन कदम उठाये, वे कदम क्या हों, इस पर भी इन गंभीर मामलों को देखते हुए अब बात होनी चाहिये।
कोरोना वारियर्स से वैक्सीन की कीमत?
वैक्सीनेशन के दूसरे चरण में 60 वर्ष से अधिक और गंभीर बीमारियों से पीडि़त 45 साल से अधिक उम्र के लोगों को टीका लगाने का अभियान चल रहा है। सरकारी केन्द्रों में यह मुफ्त है, पर अब निजी अस्पतालों में इसके लिये 250 रुपये देने हैं। दो बार टीका लगना है अत: 500 रुपये कुल खर्च है। दूसरा चरण शुरू होने के बावजूद बड़ी संख्या में वे लोग बचे रहे हैं जिन्हें पहले चरण में टीका लग जाना था। इनमें स्वास्थ्य कर्मी, कोरोना वारियर्स, डॉक्टर आदि शामिल हैं। अब तक इन्हें प्राइवेट अस्पतालों में मुफ्त टीका लग रहा था लेकिन अब इनसे भी वही राशि वसूल की जायेगी जो अन्य से ली जा रही है। यह फैसला कुछ अटपटा लग रहा है क्योंकि हाल ही में कोविड-19 के मामले फिर से बढऩे के बाद वैक्सीनेशन की रफ्तार भी बढ़ गई है। सरकारी अस्पतालों में भीड़ बढ़ रही है। लम्बा वक्त लग रहा है। सर्वर डाउन भी हो रहा है। ऑन द स्पॉट रजिस्ट्रेशन सुविधा शुरू होने के कारण भी वक्त लग रहा है। ऐसे में कोरोना के खिलाफ जंग लडऩे वालों से किसी भी अस्पताल में टीका लगवाने का शुल्क क्यों लगना चाहिये?
- 1882-न्यूयॉर्क के चाल्र्स एम. ग्राहम ने कृत्रिम दांत का पेटेन्ट कराया।
- 1948-कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय तथा परमाणु ऊर्जा आयोग ने साइक्लोट्रॉन द्वारा मीसॉन के कृत्रिम उत्पादन की घोषणा की।
- 1999 - ब्रिटिश उद्योगपति स्वराज पाल को सेंट्रल बर्मिंघम विश्वविद्यालय द्वारा डॉक्टरेट की मानद उपाधि प्रदान की गयी,फ्रांसिस्को फ़्लोरेस अल सल्वाडोर (द. अमेरिका) के राष्ट्रपति चुने गये।
- 2003 - पेरू के पूर्व राष्ट्रपति अलवर्टो फूजीमोरी के खिलाफ इंटरपोल ने गिरफ़्तारी का वारंट जारी किया।
- 2004 - पाकिस्तान ने 2000 किमी. की मारक क्षमता वाले सतह तक मार करने वाले शाहीन-2 (हत्फ-6) प्रक्षेपास्त्र का सफल परीक्षण किया।
- 2005 - थाक्सिन शिनवात्रा दूसरे कार्यकाल के लिए थाइलैंड के प्रधानमंत्री चुने गये।
- 2007 - ब्रिटेन में भारतीय डॉक्टरों को भेदभाव वाले प्रवासी नियमों पर क़ानूनी कामयाबी मिली।
- 1931 - भारतीय राजनेता और लेखक कर्ण सिंह का जन्म हुआ।
- 1951 - मशहूर तबला वादक उस्ताद ज़ाकिर हुसैन का जन्म हुआ।
- 1994 - भारतीय अभिनेत्री देविका रानी का निधन हुआ।
- 2012 - हिन्दी फि़ल्मों के मशहूर अभिनेता और निर्माता निर्देशक जॉय मुखर्जी का निधन हुआ।
- 1971 - प्रसिद्ध फि़ल्म निर्माता-निर्देशक के. आसिफ़ का निधन हुआ।
- 1454 - इतालवी नाविक और खोजकर्ता अमेरिगो वेसपसी का जन्म हुआ।
- 1934 - सोवियत अंतरिक्ष यात्री यूरी एलेक्सेयेविच गागरिन का जन्म हुआ, जो 12 अप्रैल 1961 में अंतरिक्ष में जाने वाले दुनिया के पहले व्यक्ति बने। वे वोस्तोक-1 अंतरिक्षयान के पायलट के रूप में चुने गए। वे दुबारा अंतरिक्ष में नहीं गए लेकिन दूसरे विमानचालकों को वे प्रशिक्षण देते रहे। इसी प्रशिक्षण के दौरान एक हादसे में उनकी मौत हो गई। (निधन-27 मार्च 1968)
- 1856-अमेरिकी अन्वेषक ऐडवर्ड गुडरिक ऐकेसन का जन्म हुआ जिन्होंने अपघर्षक कार्बोरैन्डम का आविष्कार किया जो हीरे के बाद दूसरा सबसे कठोर पदार्थ होता है। इसके अलावा इन्होंने ग्रेफाइट निर्माण करने का एक तरीका भी खोजा। (निधन- 6 जुलाई 1931)
- 1847-अंग्रेज़ जीवाश्म संग्राहक मैरी ऐनिंग का निधन हुआ, जिनकी पहली महत्वपूर्ण खोज थी जब उन्हें जुरासिक काल के इक्थियोसॉरस का पूर्ण ढांचा मिला। 10 मीटर लंबे उस ढाँचे की खोज ने उन्हें सुप्रसिद्ध बना दिया। (जन्म 21 मई 1799)
- 1923-डच भौतिकशास्त्री जोहानेस डिएड्रिक वान डर वाल्स का निधन हुआ, जिन्हें द्रव्य की गैस तथा तरल अवस्थाओं पर अनुसंधान के लिए वर्ष 1910 के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। (जन्म 23 नवम्बर 1837)।
- 1915 -जीव विज्ञान के विशेषज्ञ जान हेनीफ़ेबर का निधन हुआ। उन्होंने अपनी शिक्षा पूरी करके शोध आरंभ किया। जान फ़ेबर ही वह पहले व्यक्ति थे जिन्होंने यह दृष्टिकोण पेश किया कि ज़मीन के कीड़े मकोड़े और जानवर अपनी रक्षा के लिए अपनी प्रवृत्ति में पायी जाने वाली व्यवस्था से लाभ उठाते हैं।
बंद होते जन औषधि केन्द्रों में जश्न
ब्रांडेड दवाओं की भारी कीमतों से आम लोगों को बचाने के लिये पांच साल पहले 21 फरवरी 2016 को जन औषधि केन्द्रों की शुरूआत की गई। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ से ही इसकी शुरुआत की थी। देशभर में एक साथ 100 केन्द्रों का भी उन्होंने ऑनलाइन उद्घाटन किया। सरकारी डॉक्टरों को केवल जेनेरिक दवायें लिखने का निर्देश मिला। ब्रांडेड दवायें लिखने पर 104 नंबर पर शिकायत करने का प्रावधान भी किया गया।
कल 7 मार्च को जब मोदी टीवी पर आये तब लोगों को ध्यान गया कि अब भी सस्ती दवायें मिल रही हैं। पर असलियत यह है कि प्रदेश में खोले गये 180 केन्द्रों में से अधिकांश बंद हो चुके हैं। वजह है दवाओं की समय पर सप्लाई नहीं होना। 732 प्रकार की जेनेरिक दवायें इन केन्द्रों के लिये सूचीबद्ध है पर इनमें से एक तिहाई भी नहीं मिलतीं। पैरासिटामॉल जैसी मामूली दवायें भी कई जगह पर उपलब्ध नहीं। अब तो डॉक्टरों की आदत भी जेनेरिक लिखने की छूट चुकी है और लोग 104 में इसकी शिकायत भी नहीं करते। पता चला है कि पहले जेनेरिक दवायें रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय खुद तैयार करता था लेकिन बाद में यह जिम्मेदारी निजी कम्पनियों को दे दी गई। इनके हाथ में ब्रांडेड दवायें बनाने का काम भी है। जेनेरिक में मुनाफा कम है, इसलिये वे समय पर आपूर्ति करने में रुचि नहीं लेते। छत्तीसगढ़ में जन औषधि केन्द्रों में दवा आपूर्ति गड़बड़ाई हुई है तो जाहिर है दूसरे राज्यों में भी इससे मिलता-जुलता हाल ही होगा। पर, जैसी खबर है, शिलांग में प्रधानमंत्री ने 7500वें केन्द्र का उद्घाटन किया है। क्या अफसरों ने योजना सफल बताने के लिये बंद हो चुके केन्द्रों को भी गिनती कर ली?
अवैध प्लॉटिंग का मकडज़ाल
प्रदेश में कांग्रेस सन् 2018 में चुनाव मैदान पर उतरी थी तो अनेक लुभावने वायदों में से एक यह भी था कि छोटे प्लॉट की रजिस्ट्री शुरू की जायेगी। ऐसा हो गया। भाजपा सरकार ने पांच डिसमिल से छोटी जमीन की रजिस्ट्री पर रोक लगाई थी। इसके चलते जमीन खरीदी बिक्री के धंधे से छोटे निवेशक बाहर हो गये। आम लोगों को भी कम लागत पर अपना मकान बनाने का मौका नहीं मिल रहा था। फायदा बड़े कारोबारियों, अधिकारियों और नेताओं को मिला। अब छोटे प्लॉट की रजिस्ट्री की बाढ़ आई हुई है। पंजीयन विभाग आय बढऩे पर खुश है। उसने साफ कर दिया है कि वह रजिस्ट्री के वक्त यह नहीं देखती कि रेरा रजिट्रेशन, टाउन एंड कंट्री प्लानिंग की मंजूरी है या नहीं। गलत बिक्री है तो राजस्व विभाग का काम है कि वह नामांतरण रोक दे।
रायपुर के बाहरी हिस्से में ऐसे छोटे प्लाट 300 रुपये फ़ीट के आसपास मिल रहे हैं। वहीं अप्रूव्ड प्रोजेक्ट में उसी इलाके में 1000 रुपये से जमीन की शुरूआत होती है। कम दाम वाले प्लॉट दो-चार साल बाद बेचने पर मुनाफे का सौदा होता है। महंगे प्लाट के दाम तेजी से नहीं बढ़ते। रायपुर, बिलासपुर सहित कई बड़े शहरों में तेजी से यह धंधा चल रहा है। इस उम्मीद में भी कई लोग प्लॉट खरीद रहे हैं कि आगे चलकर मकान बना लेंगे। देर-सबेर कॉलोनी को नगर निगम अपने हाथ ले ही लेगी। राजस्व विभाग के पास हर जगह ऐसी शिकायतों का अम्बार है। तालाब, गोचर व सरकारी जमीन को दबाने की भी शिकायत है। इसके बावजूद कार्रवाई एक दो पर ही दिखावे के लिये हो रही है। शायद सरकार ने नरमी बरतने कहा हो। चुनावी वायदे का सवाल है।
भीड़ नहीं जुटा पाने पर कार्रवाई
मुंगेली की महिला कांग्रेस जिला अध्यक्ष ललिता सोनी को प्रदेश अध्यक्ष ने पद से हटा दिया और उनकी जगह पर नया अध्यक्ष जागेश्वरी वर्मा को नियुक्त कर दिया। दरअसल, कुछ दिन पहले महिला कांग्रेस ने सभी जिला मुख्यालयों में केन्द्र सरकार के खिलाफ महंगाई को लेकर प्रदर्शन करने का निर्देश दिया था। इस प्रदर्शन में कुल जमा 8 महिलायें इक_ी हुईं। स्वयं जिला अध्यक्ष पारिवारिक व्यस्तता का हवाला देते हुए नहीं पहुंचीं।
कुछ दिन पहले प्रदेशभर के जिला मुख्यालयों में जीएसटी के खिलाफ व्यापारियों के विरोध में भी कांग्रेस ने समर्थन दिया था और प्रमुख चौक-चौराहों पर पहुंचकर नारेबाजी की। ज्यादातर जगहों पर इसमें भी भीड़ नहीं जुटी। कई जिलों में तो प्रदर्शन ही नहीं हुआ।
दूसरी तरफ भाजपा ने हाल ही में राज्य सरकार के खिलाफ कुछ प्रदर्शन किये, जिसमें ठीक-ठाक भीड़ पहुंच गई। ऐसा लगता है कि सत्ता में आने के बाद कांग्रेस संघर्ष करना भूल रही है। प्रदेश के बाकी नेताओं को इसकी चिंता है या नहीं यह तो पता नहीं पर महिला अध्यक्ष फूलो देवी नेताम ने बता दिया कि उनको इसका ध्यान है।
रेस्त्रां जाकर भी फोन से...
महीनों की बेरोजगारी और फटेहाली के बाद जब रेस्त्रां शुरू हुए, तो कुछ सावधान और जिम्मेदार रेस्त्रां ने अधिक सतर्कता बरतना शुरू किया है। रायपुर के कोर्टयार्ड-मैरियट होटल के रेस्त्रां को देखें तो वहां टेबिलों पर ऐसे कागज सजे हैं जिन्हें अपने स्मार्टफोन से स्कैन करके फोन से ही सीधे खाना ऑर्डर कर सकते हैं। खाना तो इंसान ही लाकर रखेंगे, लेकिन खाने के बाद एक दूसरे निशान को स्कैन करके भुगतान कर सकेंगे। इस तरह कर्मचारियों से मिलना-जुलना, उनका मेन्यूकार्ड लाना, आखिर में बिल लाना, भुगतान के बाद बाकी चिल्हर लाना यह सब स्कैन करने से खत्म हो जाता है, और आप अपने फोन से ही इतने काम कर लेते हैं। अब इसके लिए अपने स्मार्टफोन जितना स्मार्ट भी लोगों को होना पड़ेगा, और फोन से भुगतान की सुविधा भी जरूरी होगी। लेकिन कुल मिलाकर लोग कम मिलने, कम छूने के रास्ते निकाल रहे हैं, यह रेस्त्रां उस दिशा में दो कदम आगे बढ़ा है।
- 1775 -जोसेफ प्रीस्टले ने बताया कि आक्सीजन गैस, जीवन के लिए जरूरी है।
- 1952-पहली बार किसी कृत्रिम हृदय का प्रत्यारोपण किया गया जिसमें एक 41 वर्षीय व्यक्ति 80 मिनट तक जीवित रहा।
- 1911 - अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस प्रथम बार मनाया गया था।
- 2001 - इस्रायल में शेरोन के नेतृत्व में राष्ट्रीय एकता सरकार ने शपथ ली।
- 2006 - रूस ने ईरान मामले पर अपना प्रस्ताव वापस लिया।
- 2008 - बम्बई शेयर बाज़ार ने सूचीबद्धता से संबंधित प्रावधानों को पूरा नहीं करने के कारण दस कंपनियों के शेयरों में कारोबार निलंबित कर दिया।
- फि़ल्म फ़ेयर आफ़ फ़ुटपाथ ने काहिरा इंटरनेशनल फ़ेस्टीवल फ़ॉर चिल्ड्रेन में भारत का प्रतिनिधित्व किया।
- 2009- भारत के अग्रणी गोल्फ खिलाड़ी ज्योति रंधावा ने थाइलैंड ओपन खिताब जीता।
- 1953 - राजस्थान की पहली महिला मुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी की वरिष्ठ सदस्य वसुंधरा राजे सिंधिया का जन्म हुआ।
- 1921 - भारतीय गीतकार और कवि साहिर लुधियानवी का जन्म हुआ।
- 1879 - जर्मन रसायनज्ञ ओट्टो हॉन का जन्म हुआ, जो फ्रीट्ज़ स्ट्रॉसमैन के साथ नाभिकीय विखंडन की खोज करने के लिए प्रसिद्ध हैं। उन्हें सन् 1944 में रसायन विज्ञान का नोबेल पुरस्कार तथा वर्ष 1966 में स्ट्रासमैन एवं लीज़ माइट्नर के साथ एनरिको फर्मी पुरस्कार प्रदान किया गया। (निधन-28 जुलाई 1968)
- 1839 -अमेरिकी रसायनज्ञ जेम्स मैसन क्राफ्ट का जन्म हुआ, जिन्होंने फ्रांसीसी रसायनज्ञ चाल्र्स फ्रीडेल के साथ वर्ष 1877 में एक महत्वपूर्ण अभिक्रिया की खोज की जिसे फ्रीडेल-क्राफ्ट अभिक्रिया कहते हैं। (निधन-20 जून 1917)
- 1717- इंग्लैण्ड के लौह निर्माता अब्राहम डार्बी का निधन हुआ, जिन्होंने कोक से लौह अयस्क की स्मेल्टिंग की। उन्होंने पहले तांबे के लिए कोक का इस्तेमाल किया था, फिर 1709 में उन्होंने कोक से जलने वाली भट्टी का इस्तेमाल किया। यह चारकोल की तुलना में कम खर्चीला था। (जन्म-1678)
- 2005 -ब्राज़ील के भौतिकशास्त्री सीजऱ मैन्स्युएटो ग्यूलियो लाटेस का निधन हुआ, जिन्होंने कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में अमेरिकी भौतिकशास्त्री यूजीन गार्डनर के साथ मिलकर 1948 में कार्बन नाभिक के अल्फा कणों की बमबारी से बने भारी और हल्के मीसान कणों की उपस्थिति की पुष्टि की। (जन्म-11 जुलाई 1924)
- महत्वपूर्ण दिवस-अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस
अफसरों के फेरबदल का वक्त
विधानसभा सत्र निपटने के बाद प्रशासनिक फेरबदल हो सकता है। दो-तीन कलेक्टरों के साथ-साथ कुछ विभागों के सचिवों को इधर से उधर किया जा सकता है। आदिम जाति कल्याण सचिव डीडी सिंह जून में रिटायर हो रहे हैं। राजनांदगांव कलेक्टर टोपेश्वर वर्मा और पीएचई के विशेष सचिव एस प्रकाश सचिव हो गए हैं। प्रकाश से ऊपर पहले से ही सिद्धार्थ कोमल परदेशी हैं। ऐसे में प्रकाश का वहां से हटना तय है। इन सब वजहों से फेरबदल तय है।
दूसरी तरफ, रीना बाबा साहेब कंगाले वर्तमान में मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के पद पर हैं। चर्चा है कि सरकार ने उन्हें अतिरिक्त जिम्मेदारी देने के लिए आयोग से अनुमति मांगी है। हालांकि इस तरह का पत्र पहले भी लिखा जा चुका है। उस समय तत्कालीन सीएस के पत्र की भाषा से मुख्य निर्वाचन आयुक्त इतने खफा हो गए थे कि अनुमति नहीं मिल पाई। देखना है कि आयोग अब अनुमति देता है, अथवा नहीं।
वैसे तो संसदीय सचिव सोनमणि बोरा के पास भी कोई काम नहीं है। मगर उनके दिल्ली जाने को लेकर इतना हल्ला मच चुका है कि उन्हें अतिरिक्त कोई जिम्मेदारी दी जाएगी, इसकी संभावना कम दिख रही है। टोपेश्वर वर्मा को कमिश्नर बनाया जा सकता है, तो बिलासपुर कमिश्नर डॉ. संजय अलंग की सचिव के रूप में महानदी भवन में वापिसी हो सकती है। कलेक्टरी के लिए वर्ष-2008 बैच के अफसर अनुराग पाण्डेय भी हैं जिनकी तरफ अब तक सरकार की नजर नहीं पड़ी है। जबकि उनसे जूनियर कई कलेक्टर बन चुके हैं।
रायपुर कलेक्टर एस भारतीदासन और कोरबा कलेक्टर किरण कौशल को भी बदले जाने की चर्चा है। कुछ लोग किरण को रायपुर कलेक्टर बनने का अंदाजा लगा रहे हैं। मगर एक बात तय है कि दोनों की कार्यक्षमता को देखते हुए महत्व किसी भी दशा में कम नहीं होने वाला है।
अभी भी रमन सिंह...
विधानसभा में बुरी हार के बाद भाजपा हाईकमान ने ढाई साल बाद पूर्व सीएम रमन सिंह की सुध ली है, और उन्हें उत्तराखंड में त्रिवेन्द्र सिंह रावत सरकार के खिलाफ असंतोष को दूर करने की जिम्मेदारी दी गई है। कुछ दिन पहले ही सीएम भूपेश बघेल ने रमन सिंह पर कटाक्ष किया था कि रमन सिंह की स्थिति पॉलिटिकल आइसोलेशन में जाने की है। पार्टी के लोग उन्हें पूछ नहीं रहे हैं। उन्हें आइसोलेशन में रख दिया है।
मगर अब जब उन्हें उत्तराखंड का पर्यवेक्षक बनाया गया, तो यह साफ हो गया कि रमन सिंह को महत्व मिल रहा है। उनकी स्थिति समकक्ष, पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसुंधरा राजे से तो बेहतर है, जिन्हें पार्टी ने पूरी तरह किनारे कर रखा है। छत्तीसगढ़ भाजपा में तो अभी भी रमन सिंह की राय के बिना कोई बड़े फैसले नहीं हो रहे हैं। यह भी संभव है कि चुनाव के आते-आते तक परिस्थिति थोड़ी बदल जाए, लेकिन अभी उनकी स्थिति पॉलिटिकल आइसोलेशन में जाने जैसी तो बिल्कुल नहीं दिख रही है।
मेडागास्कर और छत्तीसगढ़
मेडागास्कर दक्षिण अफ्रीका का 120 द्वीप समूहों वाला गणराज्य है। इन दिनों वह इसलिये चर्चा में है कि वहां भयंकर सूखा पड़ा है और दुनिया के अनेक देश उसकी मदद करने के लिये आगे आ रहे हैं जिनमें भारत भी है। मेडागास्कर की दो तिहाई आबादी गरीबी रेखा से नीचे है। रोचक, मिनटों में फुर्ती लाने वाला रग्बी यहां राष्ट्रीय खेल है। जिस देश की दो तिहाई आबादी पहले से ही अंतर्राष्ट्रीय मानक में गरीब हो, वहां सूखे का क्या असर हुआ होगा, अंदाजा लगाया जा सकता है। आर्थिक स्थिति के अलावा शिक्षा व पोषण की स्थिति भी वहां चिंताजनक है।
छत्तीसगढ़ से इसकी क्या तुलना हो सकती है? बस एक-‘अमीर धरती के गरीब लोग।’ इस देश का भी इसी नाम से जिक्र किया जाता है। मेडागास्कर में विपुल वन, वन्य जीव व खनिज सम्पदा है।
छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री स्व. अजीत जोगी ने छत्तीसगढ़ को भी ‘अमीर धरती के गरीब लोग’ परिभाषित किया था। फिर इस पर, एक पर्यावरण पर काम करने वाले संगठन, सीएसई ने इसी शीर्षक के साथ एक मोटी किताब छापी।
छत्तीसगढ़ अलग राज्य कुछ महीनों के बाद 21 साल हो जायेगा। प्रति व्यक्ति आमदनी बढऩे, कई-कई गुना बढ़े बजट के आकार के बावजूद यहां कुपोषण-सुपोषण, शिक्षा, आर्थिक उन्नति के आंकड़े बताते हैं कि लम्बी लड़ाई जारी रखनी होगी। देश के अनेक छोटे राज्यों से भी मुकाबला करने की जरूरत है, जहां स्थिति हमारे प्रदेश से अच्छी है।
कुछ समय पहले उपभोग की क्षमता के आधार पर रिजर्व बैंक ने एक हैंडबुक तैयार किया था। इसमें बताया गया कि छत्तीसगढ़ में 39.93 प्रतिशत, यानि करीब 40 प्रतिशत लोग गरीब हैं। गोवा, सिक्किम, मणिपुर, दिल्ली जैसे अनेक छोटे राज्यों के मुकाबले यह बहुत खराब स्थिति है। राज्य में 56 लाख परिवार हैं, जिनमें से 33 लाख परिवारों को बीपीएल कार्ड मिले हैं। यह अलग बात है कि इनमें जांच हो तो कई सरकारी सेवक, आयकर दाता भी निकल आयें। पूर्ववर्ती सरकार ने तो करीब 8 लाख ऐसे बीपीएल कार्ड बना दिये, जिन्हें चुनाव के बाद रद्द करना पड़ा।
बहरहाल, कुछ साल पहले केन्द्र व राज्य सरकार की टीम ने एक सर्वे किया था, जिसमें पाया गया कि 73 प्रतिशत से ज्यादा सरकारी प्रायमरी स्कूलों के बच्चे अपनी किताब में लिखी जानकारी तो देना दूर, उसे पढ़ भी नहीं पाते। बड़ी संख्या में- करीब 52 फीसदी पद शिक्षकों के खाली हैं। पहली से पांचवी तक पढ़ाने का बोझ भी एक साथ है। कई स्कूलों में एक ही शिक्षक है। इन्हें ही प्रभारी प्रधान-पाठक भी बनाया गया है।
मेडागास्कर की गरीबी की वजह रिपोर्ट्स में बताई गई है- वनों में रहवास का व्यापक विनाश, पेड़ों की गैर कानूनी कटाई, झूम खेती के चलते जंगल की कटाई, खनन, जानवरों का शिकार।
बतायें, 43 प्रतिशत से ज्यादा वनों से घिरे छत्तीसगढ़ में कौन-कौन से कारण समान हैं?
अदालती फैसले किस भाषा में हों?
खासकर सेशन कोर्ट से बड़ी अदालत, जिनमें ट्रिब्यून्लस, लेबर कोर्ट्स भी शामिल हैं आदेश प्राय: अंग्रेजी में होते हैं। छत्तीसगढ़ जैसे अनेक राज्य हैं जहां अदालती अंग्रेजी आम लोगों के सिर के ऊपर से गुजर जाती है। चलन में ही नहीं। न केवल अशिक्षित बल्कि पढ़े लिखे लोगों में भी। वे सब वकीलों के ही भरोसे होते हैं। ऐसे में शासन व्यवस्था की तीनों पालिकाओं के प्रमुख, राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द का कल आया यह सुझाव महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि ज्यादा से ज्यादा फैसले स्थानीय भाषा में हों। फैसले अंग्रेजी में भी हों तो उसे साथ-साथ हिंदी और जरूरत के मुताबिक दूसरे स्थानीय भाषाओं में उपलब्ध हों। सुप्रीम कोर्ट में मांग पर स्थानीय, जिनमें हिंदी सहित 8 और भाषायें शामिल हैं, उपलब्ध कराई जाती है। पर मूल आदेश अग्रेजी के होते हैं। निर्णय हिन्दी या भारत की अधिसूचित भाषाओं में कम ही दिये जाते हैं।
छत्तीसगढ़ में हमें मई 2001 से सितम्बर 2006 तक पदस्थ जस्टिस स्वर्गीय फखरुद्दीन याद आते हैं, जिन्होंने एक महिला की अर्जी पर छत्तीसगढ़ी में फैसला दिया। यह किसी दूसरे जज ने शायद अब तक नहीं दोहराया। छत्तीसगढ़ी पृष्ठभूमि के अनेक जज हाईकोर्ट में हैं पर ऐसा नहीं करना उनका अपना विवेक है।
जस्टिस यतीन्द्र सिंह हुए। छत्तीसगढ़ में वे सन् 2012 में चीफ जस्टिस बने। करीब दो साल वे इस पद पर रहे। उन्होंने अधिकांश फैसले हिंदी में दिये और उसके बाद अनुवादक उसे अंग्रेजी में तैयार करते थे। उनका मूल फैसला हिंदी में होता था।
सन् 2016 में तब के चीफ जस्टिस दीपक गुप्ता ने एक सख्त फैसला दिया था। पीएससी 2003 के घोटाले को उन्होंने पकड़ा और सारी सूची निरस्त कर फिर से बनाने का आदेश दिया। अनेक एसडीएम, एडीएम की नौकरी जा रही थी। अभी सुप्रीम कोर्ट से स्थगन मिला हुआ है। हाल ही में इन अधिकारियों का प्रमोशन भी हो गया। इस मामले में याचिकाकर्ता थीं डिप्टी जेलर वर्षा डोंगरे, जिनको दलीलों के मुताबिक डिप्टी कलेक्टर पद मिलना था। जस्टिस गुप्ता ने वर्षा डोंगरे को अनुमति दी। वह खुद ही अपना वकील बनीं, हिंदी में पूरी दलील दीं। न केवल डोंगरे बल्कि जज और प्रतिवादी वकीलों ने हिंदी में ही बहस की। हर सुनवाई के दौरान कोर्ट की दर्शक दीर्घा भरी होती थी, क्योंकि सुनवाई सब समझ पा रहे थे।
अदालती फैसले अंग्रेजी में देने के पीछे तर्क यह रहा है कि इनमें उल्लेख किये गये वाक्य, शब्द डिक्शनरी में मान्य हैं। स्थानीय भाषा में उन्हीं वाक्यों, शब्दों के कई अर्थ निकल सकते हैं, जिससे अलग बहस खड़ी हो सकती है। हिंदी के साथ तो समस्या है कि वह केवल राजभाषा है, राष्ट्रभाषा नहीं।
भारतेन्दु कह गये थे- निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति के मूल।
देखें छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में राष्ट्रपति की अपील का क्या असर होगा। क्या जस्टिस फखरुद्दीन और यतीन्द्र सिंह जी दोहराये जायेंगे?
खून-खून होते रिश्ते
दुर्ग जिले के पाटन में पांच लोगों की मौत। घटना ह्दय विदारक है। सुसाइडल नोट मिला है, जांच जारी है। शुरुआती जानकारी है कि मृतक घर का मालिक लगातार अपनी जायजाद बेच रहा था। बेचते-बेचते कुछ रह नहीं गया। उसे जुए, सट्टे की लत थी। उस पर 20 लाख रुपये का कर्ज था।
इधर रायपुर के उरला में एक ने अपनी बहू और उसकी मां की हत्या कर दी। बिलासपुर के नजदीक कोनी की ख़बर है। पत्नी मायके से ससुराल जाने के लिये राजी नहीं हुई तो बाप ने 13 दिन की नवजात बिटिया को जहर पिला दिया। नवजात का इलाज चल रहा है।
ये सब दहलाने वाली एक ही दिन की ख़बरें हैं। सारी घटनायें रिश्तेदारों के बीच की है। अपनों के बीच इतना तनाव, ऐसा प्रतिशोध संघर्ष क्यों हो रहा है? क्या पंचायत, पारिवारिक बैठक, समाज में संवाद और सुलह कर विवाद, तनाव घटाने की प्रक्रिया खत्म हो रही है? क्या इन घटनाओं को उनका व्यक्तिगत मामला या अपवाद मान लें? या फिर इसमें शासन-प्रशासन के विभागों जैसे समाज कल्याण विभाग, महिला बाल विकास विभाग की भी कोई भूमिका हो?
- 1854-चाल्र्स मिलर ने अमेरिका में पहली सिलाई मशीन का पेटेन्ट कराया।
- 1979 -वैज्ञानिकों ने बृहस्पति ग्रह के छल्ले की खोज की।
- 2001 - फिजी में अंतरिम सरकार का इस्तीफ़ा।
- 2003 - राष्ट्रपति फिदेल कास्त्रो को क्यूबा की संसद ने छठे कार्यकाल के लिए राष्ट्रपति निर्वाचित किया, वे दुनिया के सबसे लम्बे समय तक शासन करने वाले शासनाध्यक्ष हैं।
- 2006 - ईरान के राष्ट्रपति ने देश की परमाणु गतिविधियों पर रोक के लिए संयुक्त राष्ट्र परमाणु एजेंसी से क्षतिपूर्ति की मांग की।
- 2007 - भारत और पाकिस्तान आतंकवाद पर जांच में मदद के लिए तैयार।
- 2008 - अंतरिक्ष यात्रियों ने मंगल ग्रह पर झील की खोज की।
- 2009- प्रमुख धातु कम्पनी स्टरलाइट इंडस्ट्रीज ने अमेरिका की तीसरी सबसे बड़ी कॉपर उत्पादक कम्पनी एसार्को के अधिग्रहण की घोषणा की।
- 1911 -हिन्दी के सुप्रसिद्ध साहित्यकार सच्चिदानंद हीरानन्द वात्स्यायन अज्ञेय का जन्म हुआ।
- 1949 -भारतीय राजनीतिज्ञ ग़ुलाम नबी आज़ाद का जन्म हुआ।
- 1955 - भारतीय अभिनेता अनुपम खेर का जन्म हुआ।
- 1961 - उत्तर प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री एवं स्वतंत्रता सेनानी गोविंद बल्लभ पंत का निधन हुआ।
- 1938-अमेरिकी विषाणु-विज्ञानी डेविड बैल्टिमर का जन्म हुआ, जिन्हें 1975 में हॉवर्ड एम. टेमिन और रेनेटो डल्बेक्को के साथ शरीर क्रिया विज्ञान/चिकित्सा का नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुआ। हालाँकि डॉ. टेमिन और बैल्टिमर ने अलग-अलग तरीकों तथा अलग प्रयोगों से रेट्रोवायरस की खोज की। आर.एन.ए. जीनोम के विषाणुओं को रेट्रोवायरस कहते हैं।
- 1930-अमेरिकी रसायनज्ञ, स्टैनली लॉयड मिलर का जन्म हुआ, जिन्होंने सन् 1953 में प्रयोगशाला में आदिम पृथ्वी की परिस्थितियों का निर्माण किया तथा निर्जीव तत्वों से जीवन की शुरुआत करने वाले घटकों का संश्लेषण किया। उन्होंने हाइड्रोजन, अमोनिया, मीथेन और जलवाष्प में इलेक्ट्रिक डिस्चार्ज प्रवाहित किया जिससे सरल अमीनो अम्ल, प्रोटीन, यूरिया सहित अन्य यौगिकों का निर्माण हुआ।
- 1954- अमेरिकी भौतिकशास्त्री और हृदय विज्ञानी जेम्स ब्रायन हेरिक का निधन हुआ, जिन्होंने सर्वप्रथम सिकलसेल एनीमिया का विवरण प्रस्तुत किया। सन् 1910 में उन्हें एक अजीबोगरीब मामला देखने को मिला जिसमें रोगी की पीठ, मांसपेशियों तथा जोड़ों में दर्द था, उसे हल्का बुखार था तथा उल्टियां आ रही थीं। उसके रक्त की जांच में हेरिक ने देखा कि उसके खून की कोशिकाएं हंसिए (सिकल) के आकार की थीं। (जन्म 11 अगस्त 1861)
- 1954 - जर्मन रसायनज्ञ ओटो पॉल हरमैन डिएल्स का निधन हुआ, जिन्हें साइक्लिक कार्बनिक यौगिक बनाने का तरीका विकसित करने के लिए वर्ष 1950 का नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया। (23 जनवरी 1876)
- महत्वपूर्ण दिवस- विश्व सतत ऊर्जा दिवस ।
बहिष्कार पर बंटा विधायक दल
विभागवार बजट पर चर्चा के लिए अतिरिक्त समय न मिलने पर भाजपा विधायक सदन की कार्रवाई का बहिष्कार कर रहे हैं। वे पिछले दो दिनों से अनुदान मांगों पर चर्चा में भाग नहीं ले रहे हैं। मगर बजट चर्चा में हिस्सा न लेकर भाजपा सदस्यों ने सरकार को घेरने का बड़ा मौका खो दिया है। गृह जैसे दर्जनभर विभागों के बजट बिना किसी असुविधा के पारित हो गए। चर्चा है कि नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक खुद बहिष्कार करने के पक्ष में नहीं थे, लेकिन बृजमोहन खेमे के दबाव के चलते बाहर जाना पड़ा।
सुनते हैं कि पूर्व सीएम रमन सिंह भी बजट चर्चा के बहिष्कार के फैसले से इतने नाखुश थे कि वे अगले दिन दिल्ली चले गए, और सदन की कार्रवाई में हिस्सा नहीं लिया। हाल यह है कि भाजपा विधायक दल इस फैसले पर दो धड़ों में बंट गया है। भाजपा के कुछ लोग भी मानते हैं कि आसंदी का अतिरिक्त समय नहीं देने का फैसला गलत नहीं है। कौशिक खुद विधानसभा अध्यक्ष रह चुके हैं। कौशिक और कम से कम अन्य सीनियर विधायक भली भांति जानते हैं कि सदन में दल संख्या के आधार पर चर्चा के लिए समय तय किए जाते हैं। भले आसंदी चाहे तो इसमें छूट दे दे। ऐसे में अतिरिक्त समय के लिए दबाव बनाना कतई उचित नहीं था।
चर्चा है कि संसदीय कार्य मंत्री रविन्द्र चौबे, भाजपा विधायकों को मनाने के लिए गए थे, लेकिन विधायकों के एक खेमे का तर्क था कि विधानसभा अध्यक्ष खुद इसके लिए पहल करे। जबकि कौशिक और उनसे जुड़े विधायक मामले को ज्यादा तूल देने के पक्ष में नहीं थे। विधानसभा अध्यक्ष, इन विधायकों के तौर तरीकों से इतने खफा हैं कि वे चर्चा के लिए तैयार नहीं हैं।
अंदर की खबर यह भी है कि पार्टी हाईकमान ने भी अनुदान मांगों पर चर्चा में हिस्सा नहीं लेने के फैसले को संज्ञान में लिया है। प्रदेश प्रभारी डी पुरंदेश्वरी ने संगठन के प्रमुख नेताओं से बात की है। ऐसे में बहिष्कार के फैसले से हड़बड़ाए विधायक अब सदन की कार्रवाई में हिस्सा लेना चाहते हैं। उनकी कोशिश है कि सत्ता पक्ष की तरफ से कोई पहल हो जाए। देखना है कि सोमवार को कोई रास्ता निकल पाता है, अथवा नहीं।
समय से पहले विधानसभा खत्म ?
विधानसभा का बजट सत्र निर्धारित समय से पहले खत्म हो सकता है। वैसे तो सत्र 26 तारीख तक चलना है, लेकिन मौजूदा हाल यह है कि 15 तारीख के आसपास खत्म हो सकता है। इसकी प्रमुख वजह दो विधायक अरूण वोरा और देवव्रत सिंह का कोरोना संक्रमित पाया जाना भी है।
दोनों विधायक सदन की कार्रवाई में हिस्सा ले रहे हैं, और अन्य विधायकों के संपर्क में भी थे। ऐसे में कुछ विधायकों ने अपना कोरोना टेस्ट भी कराया है। अब कोरोना संक्रमण के और मामले आए, तो विधानसभा का तय समय तक चल पाना मुश्किल है। अरूण और देवव्रत के संपर्क में रहने वाले विधायक डरे हुए हैं। ऐसे में समय से पहले विधानसभा खत्म हो जाए, तो कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए।
अभी यह कोशिश भी हो रही है कि विधानसभा में ही तमाम विधायकों और विधानसभा स्टाफ का कोरोना टीकाकरण हो जाये।
मुजरिम को भी इंसाफ चाहिये
जांजगीर जिले का एक मामला पिछले एक पखवाड़े से चर्चा में है। एक युवक ने फरवरी माह में पुलिस महानिरीक्षक के दफ्तर के बाहर आत्महत्या की कोशिश की। उसकी अब जाकर हालत सुधरी है और पुलिस में वह बयान दर्ज कराने के लिये राजी है। घटना के तुरंत बाद पुलिस ने जो सफाई दी उसमें यह बात उसने प्रमुखता के साथ बताई कि वह आदतन अपराधी है, उसके खिलाफ आठ मामले दर्ज हैं। जब वह हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया तो हालत इतनी खराब थी कि कई दिन तक होश में भी नहीं आया। उसे उसी हाल में हथकड़ी पहना दी गई। जब पुलिस से पूछा गया कि जो होश में ही नहीं उसके साथ ऐसा क्यों? पुलिस का कहना था कि उसके भागने का खतरा था। मामले ने तूल पकड़ा तो हथकड़ी निकाली गई। अब होश में आने के बाद वह जहर पीने की वजह बता रहा है कि उसकी पत्नी के साथ गांव के एक रसूखदार ने घर के भीतर घुसकर छेड़छाड़ की। जब वह थानेदार के पास शिकायत के लिये पहुंचा तो उसे भगा दिया गया, उल्टे उसी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की धमकी दी। आईजी साहब तो थे नहीं, जो मौजूद थे उन्होंने न्याय का कोई आश्वासन नहीं दिया।
पुलिस अपनी छबि सुधारने के लिये बहुत से कार्यक्रम करती है। चौपाल लगाती है। आम लोगों से मित्रता के लिये अभियान चलाती है, पर जब ऐसे मामले सामने आते हैं तो समझ में आता है कि जनता और पुलिस के बीच आखिर दूरी क्यों है? जिन पहले के अपराधों में खुदकुशी की कोशिश करने वाला जिम्मेदार है, उस पर तो कानून, अदालत काम करेगी, पर उसके साथ कोई नाइंसाफी हो रही हो तो क्या उसे आवाज़ उठाने का हक नहीं?
क्या शराबबंदी इसलिये नहीं?
शराब पर लगाये गये अतिरिक्त कर, सेस का इस्तेमाल स्वास्थ्य विभाग की अधोसंरचना में विकास के लिये लगाया गया कर उस काम के लिये खर्च किया ही नहीं गया। पहले देसी पर 10 रुपये, अंग्रेजी पर 10 प्रतिशत फिर बाद में 5 रुपये और सेस लगाया गया। खर्च कहां किया गया, विधानसभा में विपक्ष को संतोषजनक जवाब मिला ही नहीं। वे महालेखाकार से शिकायत करने पहुंचे थे। यह अलग बात है कि उनकी सरकार के दौरान इससे कई गुना गड़बड़ी होती रही। सन् 2017 में महालेखाकार ने 3000 करोड़ की गड़बड़ी अपनी रिपोर्ट में सार्वजनिक की थी। समाज विज्ञान के विद्यार्थियों और शोधकर्ताओं ने कई बार बताया है कि शराब के चलते न केवल स्वास्थ्य पर किया जाने वाला खर्च कई गुना बढ़ जाता है बल्कि सडक़ दुर्घटनाओं और अपराधों में वृद्धि होती है। छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार ने अब ढाई साल निकाल दिये हैं। शराबबंदी उन वादों में शामिल है जिन्हें पूरा करने को लेकर वह हिचकिचा रही है। शराब पर मिलने वाला टैक्स तो अपनी जगह है ही, कहीं कल को उनकी समिति यह रिपोर्ट नहीं दे दे, कि जरूरी कामों के लिये सेस सिर्फ शराब पर लगाया जा सकता है इसलिये फिलहाल शराबबंदी नामुमकिन है।
लिविंग इन्डेक्स पर खुश हो जायें
रायपुर और बिलासपुर दोनों को लिविंग इन्डेक्स में केन्द्र सरकार की सर्वे एजेंसियों ने टॉप टेन में जगह दी है। ये आंकड़े किस तरह इक_े किये जाते हैं, इस बारे में ज्यादा जानकारी नहीं मिल पाती है पर जब रिपोर्ट आती है तो वह पहले पन्ने की ख़बर बनती है। रायपुर और बिलासपुर दोनों ही बड़े शहर हैं। कोरबा भी एक बड़ा शहर है। शायद वह औद्योगिक प्रदूषण के कारण पीछे रह गया होगा। लेकिन इन तीनों शहरों में एक समान बात है कि सिटी बस सेवायें चरमरा चुकी हैं। कोरोना के बाद हालत और बुरी हुई है। जहां नागरिकों को आसान, सस्ती, सुलभ परिवहन सेवा न हो उन्हें रहने के लिये बेहतर शहर के रूप में गिना कैसे जा सकता है। शायद सर्वे में उन आम लोगों को शामिल होने का मौका नहीं मिला, जो इस तकलीफ को भोग रहे हैं।
- 1899- फेलिक्स हॉफमैन ने ऐस्पिरिन का पेटेन्ट हासिल किया। वर्ष 1897 में उन्होंने ऐसिटाइल सैलिसिलिक एसिड (एस्पिरिन) का निर्माण किया।
- 1953 -वॉटसन और क्रिक ने डी.एन.ए. की संरचना पर आधारित अपना पहला लेख नेचर पत्रिका को दिया।
- 1967 - जोसेफ़ स्तालिन की बेटी स्वेतलाना भारत स्थित रूसी दूतावास से होते हुए अमेरिका पहुंची।
- 1996 - ईराक ने संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव के तहत खाद्य के लिये तेल योजना को स्वीकार किया, आयरिश रिपब्लिक आर्मी ने त्वरित युद्ध विराम को नकारते हुए ब्रिटेन के साथ 25 वर्षीय युद्ध की घोषणा की।
- 2001 - फिजी में महेन्द्र चौधरी के खिलाफ़ पार्टी में ही विद्रोह की स्थिति।
- 2003 - अल्जीरिया का एक विमान तामारासेट में दुर्घटनाग्रस्त, 102 से भी अधिक यात्री मरे।
- 2004 - उत्तर कोरिया का यूरेनियम आधारित कार्यक्रम होने से फिर इंकार।
- 2008 - राजस्थान से राज्यसभा संसद प्रभा ठाकुर को अखिल भारतीय महिला कांग्रेस का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। जॉन मैक्केन अमेरिकी राष्ट्रपति पद के चुनाव में सत्तारुढ़ रिपब्लिकन पार्टी के प्रत्याशी घोषित किए गए। पाकिस्तान के राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ़ ने सबरजीत की दया याचिका खारिज की।
- 2009- भारतीय वायुसेना को तीन दशक तक अपनी सेवाएं देने के बाद स्किंग-विंग लड़ाकू विमान मिग-23 ने अंतिम उड़ान भरी।
- 1714-फ्रांस, स्पेन, ब्रिटेन और जर्मनी के मध्य एक समझौता हुआ जिसके पश्चात 13 वर्षीय युद्ध समाप्त हो गया। इस समझौते पर जर्मनी, आस्ट्रिया और फ्रांस के राजाओं ने हस्ताक्षर किए थे।
- 1945- रोमानिया में कम्युनिस्ट सरकार का गठन हुआ।
- 1508 - मुगल सम्राट नासिरुद्दीन मुहम्मद हुमायूं का जन्म हुआ।
- 1937-सोवियत अंतरिक्ष यात्री वेलेन्टीना तेरेश्कोवा का जन्म हुआ, जो अंतरिक्ष में जाने वाली प्रथम महिला थीं। वर्ष 1961 में उनकी पैराशूटिंग की क्षमता को देखते हुए उन्हे अंतरिक्ष अभियान के लिए चुना गया। वे 16 जून 1963 में वोस्टोक 6 यान से अंतरिक्ष में गई थीं।
- 1812 - अमेरिकी घड़ी निर्माता आरन लफकिन डैलिसन का जन्म हुआ, जो पहले व्यक्ति थे जिन्होंने विनिमेयक प्रणाली द्वारा घडिय़ों का निर्माण किया। उन्हें अमेरिका में घड़ी निर्माण का जनक माना जाता है। (निधन-9 जनवरी 1895)
पुलिस महकमे में ट्रांसजेंडर
इस समुदाय के लिये यह भर्ती इतिहास में दर्ज हो गई। रायपुर जिले से आठ, राजनांदगांव से दो तथा बिलासपुर, कोरबा और सरगुजा से एक-एक ट्रांसजेंडर को पुलिस में नौकरी मिली है। समाज में ज्यादातर लोग इन्हें गंभीरता से नहीं लेते। वे कटे से अलग रहते हैं। पर इस भर्ती ने उन्हें सहज, सम्मानजनक जीवन बिताने का रास्ता दिखाया है।
रायपुर में विद्या राजपूत जैसी अनेक ट्रांसजेंडर अपने वर्ग को आगे बढ़ाने के लिये काम कर रही हैं और बिना किसी संकोच अधिकारियों, संस्थाओं से मिलकर न केवल अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ रहीं, बल्कि आम लोगों की सोच बदलने की कोशिश कर रही हैं।
समय-समय पर किन्नरों ने अपनी काबिलियत मौका मिलने पर साबित भी किया। रायगढ़ में मधु किन्नर महापौर बनीं तो अनेक लोगों ने राजनीति में किस्मत आजमाई। इन्हें शहडोल की विधायक रहीं शबनम मौसी से भी प्रेरणा मिली ही होगी। आज से छह सात साल पहले खबर आ ही चुकी है कि कोयम्बटूर में लोटस टीवी ने पहली बार एक ट्रांसजेंडर पद्मिनी प्रकाश को न्यूज एंकर बनाया था। पश्चिम बंगाल के नादिया जिले की महिला कॉलेज में मानबी बेनर्जी प्राचार्य नियुक्त हुईं। टीवी कार्यक्रमों में अपने सुलझे हुए विचारों के चलते लोकप्रिय हुईं लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने तो बाद में किन्नर अखाड़ा बनाया। इन्हें संत समाज ने महामंडलेश्वर का दर्जा भी दे दिया है। उन्होंने परम्परा से हटकर किन्नर अखाड़ा महिला, पुरुष सबके लिये खोल रखा है।
छत्तीसगढ़ पुलिस में शामिल ट्रांसजेंडर्स ने बताया कि किस तरह तरह अपमान सहते हुए वे आगे बढऩे का साहस बनाकर रखा, खुद को मजबूत रखा, हौसला टूटने नहीं दिया। स्कूल के शौचालय में बाहर से दरवाजा बंद कर दिया जाता था। ट्रकों में क्लीनर, हेल्पर और बर्तन मांजने, झाड़ू-पोछा लगाने तक का काम किया।
केन्द्र की सामाजिक अधिकारिता न्याय मंत्रालय ने इन्हें समान अधिकार दिलाने के लिये सन् 2019 में एक अधिनियम बनाया था, जिसे बीते 10 जनवरी से लागू किया जा चुका है। उम्मीद करनी चाहिये कि समाज के साथ-साथ प्रशासन की सोच भी उनके लिये बदलेगी।
टीसी नहीं मिलने पर खुदकुशी ?
पुलिस ने सिमगा जिले के एक प्राइवेट स्कूल संचालक को बीते 3 मार्च को गिरफ्तार किया है। बेमेतरा के किरीतपुर गांव के एक 52 साल के व्यक्ति ने दिसम्बर महीने में जहर खा लिया। अस्पताल में उसकी मौत हो गई। पुलिस की जांच चलती रही। पुलिस ने परिवार वालों, स्कूल स्टाफ और बच्चों से पूछताछ की तो मालूम हुआ कि स्कूल संचालक बच्चों की टीसी देने से मना कर रहा था। वह पैसे मांग रहा था। हो सकता है यह बकाया फीस के नाम पर मांगा जा रहा हो।
कोरोना लॉकडाउन के दौरान लोगों की आर्थिक स्थिति खराब हुई तो इसका असर सबसे ज्यादा बच्चों पर पड़ा। वे स्कूल तो नहीं जा पाये, पर ज्यादातर निजी स्कूलों में स्कूल फीस के लिये कोई नरमी नहीं दिखाई। फीस वसूली के लिये ऑनलाइन पढ़ाई में उन्हें आईडी पासवर्ड नहीं दिये जाते थे। इसका विवाद अब तक चल रहा है। स्कूलों को समितियां बनाने का निर्देश दिया गया है, जिनमें पालक भी शामिल होंगे। फीस बढ़ाने की वजह बतानी होगी और अनुमोदन के बाद ही वृद्धि की जा सकेगी। लेकिन अधिकांश स्कूलों में समितियां नहीं बनी है और पहले की तरह फीस वसूली जा रही है। फीस को लेकर हाईकोर्ट में भी याचिकायें लगाई गई हैं।
प्राय: देखा गया है कि नियमों को लागू कराने प्रशासन और स्कूल शिक्षा विभाग कड़ाई नहीं बरतता। निजी स्कूलों के साथ उनकी साठगांठ होने की बात भी आती है। जिस अभिभावक ने खुदकुशी कर ली वह शिक्षा अधिकारियों से शिकायत भी कर सकता था, पर शायद उसे अधिकारियों पर भरोसा नहीं था। या फिर इस रास्ते के बारे में पता नहीं रहा होगा। पर, टीसी पाने के में विफल होने के बाद उठाये गये उसके आत्मघाती कदम ने बच्चों के भविष्य को और चुनौतीपूर्ण बना दिया है, जिनकी उसे फिक्र थी।
वैक्सीन लगवाने के बाद मौत
कोरोना वैक्सीन लगवाने के लिये बुजुर्गों में बड़ा उत्साह दिखाई है। इतना तो स्वास्थ्य विभाग के कार्यकर्ताओं की बारी चल रही थी तब नहीं देखा गया। पर इसी बीच एक अप्रिय सूचना यह आई कि जांजगीर की एक वृद्धा की कोरोना टीका लगवाने के 18 घंटे बाद मौत हो गई। यह महिला एक दिन पहले ही अस्पताल से लौटी थी और बताया गया कि उसे शुगर व सांस की तकलीफ थी। परिजनों ने पोस्टमार्टम कराने से मना कर दिया। स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि परिजनों ने इसे स्वाभाविक मौत माना और इसकी जरूरत नहीं समझी।
वैक्सीनेशन की मुहिम शुरू की गई तो यह बात कही गई थी कि जिन्हें बीमारी के लक्षण हों, सर्दी, खांसी, बुखार हो उन्हें इंजेक्शन नहीं लगाया जायेगा।
स्वास्थ्य विभाग की ओर से फील्ड में काम करने वालों को साफ बताना चाहिये कि किन बीमारियों में टीका नहीं लगेगा और किनमें लगेगा। यदि कोई मरीज सिर्फ यह बता देता है कि वह स्वस्थ है तो क्या उसका कहना काफी है, या फिर उसके दावे को क्रॉस चेक करने के लिये स्वास्थ्य विभाग ने कोई सिस्टम बनाया है?
पूर्व विधायक का फेसबुक पेज हैक?
जैसे-जैसे सोशल मीडिया का इस्तेमाल बढ़ रहा है, और लोग घर-दफ्तर के कम्प्यूटर से परे भी दूसरों के कम्प्यूटरों से अपने सोशल मीडिया पेज खोलने लगे हैं, उनके पेज में घुसपैठ बढऩे लगी है। आज दोपहर राजिम के पूर्व विधायक संतोष उपाध्याय ने पुलिस में शिकायत की है कि उनके फेसबुक के वेरीफाईड पेज पर वे खुद भी आज नहीं पहुंच पा रहे हैं, उनका लॉगइन बंद हो गया है। उन्होंने शक जाहिर किया है कि उनके पेज को हैक कर लिया गया है।
फेसबुक पर हर दिन ही कुछ लोगों का लिखा हुआ पढऩे मिलता है कि उनके नाम से कोई नकली पेज तैयार कर लिया गया है जिसमें उनकी असली फोटो लगाई गई है, और उस अकाऊंट से उनके दोस्तों को संदेश भेजकर कोई जालसाज कर्ज मांग रहा है। लोग ऐसी सावधानी के साथ यह अपील भी जारी करते हैं कि कोई ऐसे धोखेबाजों को पैसा न दे।
ऐसी दर्जनों किस्म की जालसाजी और धोखाधड़ी के खतरे से बचने का एक तरीका यह भी है कि लोग हर महीने-दो महीने में अपना पासवर्ड बदल दें। यही काम एटीएम के पिन नंबर के साथ भी होना चाहिए, ईमेल का पासवर्ड भी हर कुछ महीनों में बदल लेना चाहिए। इंटरनेट पर सर्च करें तो यह दिख जाता है कि सबसे अधिक इस्तेमाल होने वाले पासवर्ड कौन से रहते हैं, वैसे पासवर्ड बनाने से बचना चाहिए।