स्थायी स्तंभ
- 1784 - चीन के साथ व्यापार के लिए अमेरिका का पहला व्यापारिक पोत न्यूयॉर्क से रवाना।
- 1845 - ईस्ट इंडिया कम्पनी ने डच ईस्ट इंडिया कम्पनी से सेरामपोर और बालासोर को खऱीदा।
- 1848 - लुई फि़लिप के शासन की असफलताओं के कारण पेरिस में विद्रोह हुआ।
- 1907 - लंदन में टैक्सी मीटर वाली पहली कैब का संचालन।
- 1935 - व्हाइट हाउस पर हवाई जहाज़ों की उड़ान को प्रतिबंधित किया गया।
- 1942 - द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान फिलीपींस में जनजातियों ने बड़ी संख्या में जापानी सैनिकों का सफाया कर दिया।
- 1946-डॉ. सेलमन अब्राहम वाक्समैन ने प्रतिजैविक स्ट्रेप्टोमाइसिन की खोज की। इस कार्य के लिए उन्हें 1952 का नोबेल पुरस्कार मिला।
- 1964 - घाना में एकदलीय शासन व्यवस्था लागू हुई।
- 1966 - उगांडा के प्रधानमंत्री मिल्टन ओबेटे ने अपने मंत्रिमंडल के पांच सहयोगियों की गिरफ़्तारी के आदेश दिए।
- 1974 - पाकिस्तान ने बांग्लादेश को मान्यता प्रदान की।
- 1975 - इथोपिया में सैनिकों के साथ संघर्ष में दो हज़ार से अधिक छापामार मारे गये।
- 1980 - अफग़़ानिस्तान ने मार्शल लॉ की घोषणा की।
- 1989 - अमेरिका के राष्ट्रपति जार्ज बुश चीन, जापान और दक्षिण कोरिया की यात्रा के लिए रवाना हुए।
- 1990 - मंगोलिया की राजधानी उलनबटोरा से स्टालिन की अंतिम मूर्ति भी हटा दी गई।
- 1996 - जर्मनी के एक शोध संस्थान में वैज्ञानिकों ने 112वें तत्व की खोज की। स्पेस शटल डिस्कवरी 75 का कक्षा में प्रक्षेपण।
- 2006 - जापान ने भारत से मांस और अंडे सहित सभी कुक्कुट उत्पादों के आयात पर रोक लगायी।
- 2007 - ब्रिटिश संसद में थैचर की कांस्य प्रतिमा स्थापित की गई।
- 1732 - अमेरिका के प्रथम राष्ट्रपति वाशिंगटन का जन्म।
- 1556 - मुग़ल सम्राट नसीरुद्दीन हुमायूं का निधन हुआ।
- 1944 - महात्मा गांधी की पत्नी कस्तूरबा गांधी का निधन हुआ, जो भारत में बा के नाम से विख्यात हैं।
- 1958 - शिक्षा मंत्री अबुल कलाम आज़ाद का निधन हुआ।
- 1900 - जर्मन-अमेरिकी अभियंता पॉल कोल्समैन का जन्म हुआ, जिन्होंने 1928 में विश्व के पहले शुद्ध दाबमापी आल्टीमीटर का निर्माण किया। यह उड़ान में सुरक्षा के लिए उपयोगी होता है। (निधन-26 सितम्बर 1982)
- 1902- जर्मन भौतिक रसायनज्ञ फ्रिट्ज़ स्ट्रॉसमैन का जन्म हुआ, जिन्होंने ओटोहॉन, लाइज़ मिएनर के साथ 1938 में यूरेनियम में न्यूट्रॉन-प्रेरित विखण्डन की खोज की जिससे नाभिकीय ऊर्जा के परमाणु बम तथा बिजली उत्पादन दोनों में इस्तेमाल की राह खुली।(निधन- 22 अप्रैल 1980)
- 1512-स्पेन के खगोलविज्ञानी अमेरिगो वेस्पुकी का निधन हुआ, जिनके नाम पर नई दुनिया का नाम अमेरिका रखा गया क्योंकि इन्होंने ही बताया कि कोलम्बस ने एक नया महाद्वीप खोजा है। (जन्म 9 मार्च 1451)
- 1794 -जर्मन शरीर क्रिया वैज्ञानिक कैस्पर फ्रेड्रिक वोल्फ का निधन हुआ, जो आधुनिक भ्रूणविज्ञान के जनक माने जाते हैं। थ्योरिया जेनेरेशनिस (1759) में उन्होंने मानव अंगों के विकास के बारे में लिखा। (जन्म 18 जनवरी 1734)।
आदित्यों का उदय...
सरगुजा की राजनीति में विशेषकर कांग्रेस दूसरी पीढ़ी के नेताओं का दबदबा बढ़ रहा है। इन दिनों दो ‘आदित्य’ की जमकर चर्चा है। टीएस सिंहदेव के भतीजे आदित्येश्वर शरण सिंहदेव, जो कि जिला पंचायत के सदस्य भी हैं, वे काफी सक्रिय हैं। एक तरह से टीएस का राजनीतिक प्रबंधन आदित्येश्वर ही संभालते हैं। इससे परे सरगुजा के एक और प्रभावशाली नेता और सरकार के मंत्री अमरजीत भगत के बेटे आदित्य भगत की भी ग्रैंड लॉचिंग हो चुकी है।
आदित्य को एनएसयूआई में राष्ट्रीय स्तर पर जिम्मेदारी दी गई है, उन्हें सोशल मीडिया विभाग का चेयरमैन बनाया गया है। आदित्य की नजर अगले लोकसभा चुनाव पर है, जिसके लिए वे अभी से मेहनत कर रहे हैं। कुछ लोगों का अंदाजा है कि आदित्येश्वर भी विधानसभा का चुनाव लड़ सकते हैं। कुल मिलाकर दोनों ‘आदित्य’ की कार्यशैली पर लोगों की निगाहें टिकी हैं।
पेपर की बात छोडि़ए
डी पुरंदेश्वरी के प्रदेश भाजपा का प्रभार संभालने के बाद से पार्टी के नेता अचानक सक्रिय हो गए हैं। खुद पुरंदेश्वरी मोर्चा-प्रकोष्ठों की गतिविधियों की मॉनिटरिंग कर रही हैं। इस वजह से बेहतर कार्यक्रम करने के लिए पदाधिकारियों पर काफी दबाव भी है। कार्यक्रम हो रहे हैं, तो खर्च भी हो रहा है। ऐसे में पदाधिकारी फंड के इंतजाम के लिए बड़े नेताओं के आगे-पीछे हो रहे हैं।
पिछले दिनों अंबिकापुर में पार्टी की संभागीय बैठक में केन्द्रीय मंत्री रेणुका सिंह अपने विभाग के कामकाज का बखान कर रहीं थी कि उनके विभाग का पूरा काम पेपरलेस हो गया है, तो एक सीनियर पदाधिकारी ने उन्हें टोक दिया, और कहा कि पेपर की बात छोडि़ए, फंड के बारे में सोचिए। इस पर वहां जमकर ठहाका लगा।
बड़े दिल के लोग
आज जब चारों तरफ मकान मालिक आर किराएदार एक-दूसरे के खिलाफ अदालत में खड़ नजर आते हैं, तब भी इस कलयुग में ऐसे बड़े दिल के लोग रहते हंै जिन्होंने अपनी 50 साल की किराये की दुकान (3000 फीट) बिना किसी दबाव के, बिना किसी पैसे के खाली कर दी और चाबी जगह के मालिक ट्रस्ट को दे दी। ऐसे ही एक वाकया आज ही हुआ है। श्री ऋषभदेव मंदिर व दादाबाड़ी ट्रस्ट एमजी रोड रायपुर में बहुत से किरायेदार हैं, जिनमें से एक किरायेदार हैं श्री स्टील, जिनके मालिक हैं अनिल, अनुराग एवं आकाश श्रीवास्तव। करीब पचास बरस से ये श्री ऋषभदेव मंदिर ट्रस्ट के किरायेदार थे। दादाबाड़ी की इस विशाल भूमि पर एक भव्य मंदिर एवं दादाबाड़ी का निर्माण कार्य जोरशोर से चल रहा है, इसके लिए ट्रस्ट को अपनी जमीन किरायेदारों से वापस चाहिए। ट्रस्ट ने श्री स्टील के मालिकों से केवल एक बार बात की, श्री स्टील के मालिकों ने बिना कुछ बताए, बिना कुछ लिए अपना ऑफिस खाली कर ट्रस्ट को चाबी उस समय भेज दी जब ट्रस्ट के सभी ट्रस्टी मंदिर के लिए मार्बल खरीदने मकराना गए हुए थे। आज दादाबाड़ी के एक धार्मिक कार्यक्रम के आयोजन में ट्रस्ट बोर्ड ने अनिल श्रीवास्तव को बहुमान हेतु आमंत्रित किया, जिसमें उन्होंने बड़ी उदारता एवं सरलता से बड़े भाव से ये कहा कि ये तो मंदिर की जमीन थी और हम तो किरायेदार थे और भगवान की इस जमीन से हमने कमाया और ये तो हमारा फर्ज था कि आपकी जमीन आपको वापस दें। उन्होंने इतनी बड़ी बात इतनी सहजता से कह दी जो कि बहुत बड़े दिलवाले ही कर सकते हैं। ट्रस्ट मंडल ने कहा कि आज ऐसे व्यक्ति का सम्मान करने का मौका मिला। ट्रस्ट मंडल भगवान से प्रार्थना करता है कि वे और उनका परिवार उतरोत्तर तरक्की करे।
भाजपा को पेशोपेश में डाला डॉ. जोगी ने
छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस की विधायक डॉ. रेणु जोगी ने विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक को पत्र लिखकर सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिये समर्थन मांगा है। जकांछ ने मरवाही उप-चुनाव में कांग्रेस को शिकस्त देने के लिये भाजपा को समर्थन दे दिया था। हालांकि इसके बावजूद नतीजे को पलटा नहीं जा सका। कांग्रेस बार-बार जकांछ पर आरोप लगाती रही है कि यह भाजपा की ‘बी’ टीम है। अब यदि भाजपा और जकांछ साझा अविश्वास प्रस्ताव कांग्रेस सरकार के खिलाफ विधानसभा में लाती है तो कांग्रेस सरकार अपने बचाव में इसी बात को फिर दोहरायेगी।
भाजपा इस बार भले ही बहुत कम सीटों पर सिमट गई है लेकिन इतनी भी कमजोर नहीं है कि अकेले अविश्वास प्रस्ताव ला सके। सदन के 10 प्रतिशत विधायकों की ही मांग जरूरी है। इस लिहाज से उसके पास पर्याप्त विधायक तो हैं ही। अविश्वास प्रस्ताव गिरने की आशंका होने के बावजूद विपक्ष की ओर से प्राय: इसलिये लाया जा सकता है कि वह सरकार की विफलताओं पर सदन में बोलें और उसे पूरा प्रदेश सुने।
भाजपा और उनके मोर्चा संगठन इन दिनों प्रदेश भर में अलग-अलग मुद्दों को लेकर सरकार को सडक़ पर घेरने में लगी हुई है, पर इनकी पार्टी के रणनीतिकारों के ध्यान में यह बात नहीं आई कि सरकार के दो साल होने के बाद उन्हें अविश्वास प्रस्ताव लाने का अधिकार मिल गया है। यह मुद्दा उठाने का श्रेय जकांछ को मिल गया जिसके कुल जमा चार विधायक हैं। डॉ. रेणु जोगी की चि_ी का भाजपा की ओर से कोई जवाब नहीं आया है। शायद वे सोच रहे हैं कि वे कहें अविश्वास प्रस्ताव तो हम लायेंगे, समर्थन आप दीजिये।
दूसरी वैक्सीन के लिये भी मान-मनुहार
कोविड टीका कोविशील्ड लगाने का लक्ष्य पूरा हो इसके लिये पहले चरण में विभिन्न जिलों के स्वास्थ्य अधिकारी और प्रशासन ने बहुत कोशिश की तब यह लक्ष्य 70 प्रतिशत के आसपास पहुंचा। पहला टीका लगवाने वालों को यह बात अच्छी तरह बताई गई थी कि कोरोना से बचाव तभी होगा जब 28 दिन के भीतर दूसरा डोज भी ले लिया जाये। अब जब दूसरे चरण का वैक्सीनेशन शुरू हुआ है तो और भी मुश्किल खड़ी हो रही है। कहीं-कहीं तो 10 प्रतिशत लोग भी दुबारा टीका लगवाने नहीं आ रहे। कोई कह रहा है सर्दी, खांसी है, कोई तो बिना संकोच बता रहा है कि शराब पीना शुरू कर दिया था, पहला डोज बेकार हो गया, दूसरे से क्या फायदा? क्या इसका मतलब यह निकाला जाये कि पहले चरण में टीका जिन लोगों ने लगवाया वे कोरोना को लेकर चिंतित नहीं थे बल्कि हेल्थ वर्कर्स और अधिकारियों की बात रखने के लिये टीकाकरण सेंटर तक पहुंच पाये? वैक्सीनेशन पर भरोसा जगाने के लिये अब किसी नये उपाय की तलाश करनी पड़ेगी।
दो जिलों के बॉर्डर पर जुआ
सट्टा और जुए के खेल में किस तरह पुलिस से बचने के लिये नये-नये तरीके निकाले जाते हैं वह बलौदाबाजार और बिलासपुर सीमा पर शिवनाथ नदी के किनारे लगे जुआरियों के मेले में पुलिस के हाथ लगी नाकामी से पता चलता है। वैसे तो इस छापेमारी में पुलिस ने करीब 50 हजार रुपये जब्त किये और 15 जुआरियों को पकड़ा। पर जितना बड़ा फड़ था, यह कुछ नहीं है। पुलिस ने मौके से करीब 70 दुपहिया वाहन और तीन कारें जब्त की हैं। यानि खेलने वालों की संख्या डेढ़ सौ के आसपास थी। उनके पास की रकम कुछ हजार में तो होगी नहीं, कई लाख हो सकती है।
दरअसल, बलौदाबाजार जिले के जुआरियों ने जिस जगह को चुना वह शिवनाथ नदी के दूसरी तरफ है। यह बिलासपुर जिले का हिस्सा है। जैसे ही पुलिस की दबिश हुई जुआरियों ने नदी पार की और जिले की सीमा से बाहर निकलकर अपने जिले में आ गये। पुलिस हाथ मलती रह गई। दोनों जिलों की पुलिस यदि तालमेल से काम करती तो शायद दोनों तरफ से घेराबंदी होती और ज्यादा जुआरी धर लिये जाते।
- 1707- औरंगज़ेब की मौत अहमदनगर में हुई।
- 1795- डचों ने सीलोन, श्रीलंका अंग्रेज़ों को सौंप दिया।
- 1842- अमेरिका में सिलाई मशीन का पेटेंट कराया गया।
- 1959 - प्रेस क्लब आफ़ इंडिया की नई दिल्ली में स्थापना।
- 1974 - युगोस्लाविया ने संविधान स्वीकार किया।
- 1992 - चीन से शंघाई शेयर बाज़ार में विदेशियों को कामकाज की अनुमति दी।
- 1994 -वर्लपूल कारपोरेशन ने बिना फ्रियॉन आधारित रेफ्रिजरेटर का निर्माण शुरू किया। फ्रियॉन गैस वायुमंडलीय ओज़ोन के लिए हानिकारक होती है।
- 1996 - हब्बल अंतरिक्ष द्वारा भेजे गए चित्रों की सहायता से ब्लैक होल के अस्तित्व का पता चला।
- 2008 - अनिल अंबानी की रिलायंस कम्यूनिकेशन ने यूगांडा की कंपनी अनुपम ग्लोबल सॉफ्ट का अधिग्रहण किया। भारत की प्राइवेट एयरलाइंस जेट एयरवेज ने एयर कनाडा के साथ स्ट्रेटिजी गठजोड़ किया।
- 2010- सऊदी अरब की सरकार ने महिलाओं को वकालत करने की अनुमति देने संबंधी क़ानून लाने का फैसला किया। यह क़ानून महिलाओं को परिवार से जुड़े तलाक जैसे मुक़दमों की पैरवी का अधिकार देगा।
- 1896 - कवि, उपन्यासकार, निबंधकार और कहानीकार सूर्यकांत त्रिपाठी निराला का जन्म हुआ।
- 1991 - हिन्दी सिनेमा की सबसे प्रसिद्ध अभिनेत्री नूतन का निधन हुआ।
- 1998 - भारतीय सिनेमा के प्रसिद्ध चरित्र अभिनेता ओम प्रकाश का निधन हुआ।
- 1896-डेनमार्क के जैव रसायनज्ञ कार्ल पीटर हेनरिक डैम का जन्म हुआ, जिन्हें ऐडवर्ड ए. डॉइज़ी के साथ विटामिन के की खोज के लिए 1943 का चिकित्सा का नोबेल पुरस्कार मिला। (निधन-अप्रैल 1976)
- 1866-जर्मन जीवाणु विज्ञानी आगस्ट वॉन वाजऱमैन का जन्म हुआ, जिन्होंने हैजा, टायफॉइड तथा टेटनस के टीके विकसित किए। (निधन-16 मार्च 1925)
- 1941-कनाडा के चिकित्सक सर फ्रेड्रिक ग्रैन्ट बैन्टिंग का निधन हुआ जिन्होंने चाल्र्स एच. बेस्ट की सहायता से अग्न्याशय से इंसुलिन हार्मोन को अलग किया। उन्होंने पता लगाया कि इंसुलिन का इंजेक्शन मधुमेह का पहला आसान उपचार है। इसके लिए उन्हें शरीर क्रिया विज्ञान/चिकित्सा का नोबेल पुरस्कार मिला। (जन्म 14 नवम्बर 1891)
- 1926-डच वैज्ञानिक हेइक केमरलिंग ओनेस का निधन हुआ, जिन्हें कम तापमान भौतिकी पर कार्य करने के लिए तथा तरल हीलियम के उत्पादन के लिए 1913 का भौतिकी का नोबेल पुरस्कार मिला। उन्होंने अतिचालकता की खोज की। (जन्म-21 सितम्बर 1853)।
एक और छत्तीसगढ़ भवन
दिल्ली के द्वारका में करोड़ों की लागत से एक और छत्तीसगढ़ भवन का निर्माण हो रहा है। निर्माण एजेंसियां नए कार्यों में विशेष रूचि लेती हंै। तभी तो प्राइम लोकेशन में स्थित पुरानी प्रापर्टी को खरीदने के बजाए नए भवन के निर्माण का फैसला लिया गया।
दिल्ली में विशिष्ट लोगों के ठहरने के लिए छत्तीसगढ़ भवन और छत्तीसगढ़ सदन पहले से ही मौजूद है। इनमें से छत्तीसगढ़ भवन राज्य बंटवारे में मिला था। यह भवन सरदार पटेल मार्ग पर स्थित है, जहां कई और राज्यों के भवन हैं। सरकार ने लोगों की बढ़ती आवाजाही को देखते हुए उनके ठहरने के लिए एक और भवन बनाने का फैसला लिया।
कुछ लोगों का सुझाव था कि नए निर्माण के बजाए छत्तीसगढ़ भवन से कुछ कदम की दूरी पर स्थित विजय माल्या की प्रापर्टी को खरीद लिया जाए। शराब कारोबारी विजय माल्या की प्रापर्टी को बैंक नीलाम कर रही थी। विजय माल्या का यह बंगला आलीशान है, और छत्तीसगढ़ भवन के नजदीक होने के कारण सुविधाजनक भी था। बंगले की कीमत भी नव निर्मित बंगले के बराबर ही बैठ रही थी।
मगर सरकारी स्तर पर नीलामी में हिस्सा लेने का कोई फैसला हो पाता, इससे पहले ही यस बैंक के लोगों ने ही नई कंपनी बनाकर बंगले को खरीद लिया। कुल मिलाकर प्राइम लोकेशन की एक बेहतर प्रापर्टी हाथ से निकल गई। वैसे भी नए निर्माण का अलग ही मजा होता है।
नंदकुमार साय और जैविक खेती
किसान आंदोलन के बीच छत्तीसगढ़ के दिग्गज आदिवासी नेता नंदकुमार साय जैविक खेती को बढ़ावा देने पर जोर दे रहे हैं। वे इसके लिए मुहिम भी चला रहे हैं, और चाहते हैं कि केन्द्र सरकार इसके लिए ठोस कदम उठाए। वे खुद खेती में रासायनिक खाद का उपयोग नहीं करते, और जशपुर जिले के किसानों को ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित भी करते हैं।
पिछले दिनों साय इस सिलसिले में केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर से भी मिले। किसान आंदोलन की टेंशन के बावजूद तोमर ने साय से गर्मजोशी से मुलाकात की। नंदकुमार साय अविभाजित मध्यप्रदेश भाजपा के अध्यक्ष थे, तब तोमर संगठन में प्रदेश मंत्री के पद पर थे। तोमर ने साय के सुझाव को काफी महत्व दिया है। देखना है कि सरकारी स्तर पर इस पर कितना अमल किया जाता है।
शिकारियों की ढूंढ निकालने में माहिर सिम्बा, नैरो
इन दिनों वन विभाग के पास मौजूद दो प्रशिक्षित डॉग कमाल कर रहे हैं। ये मुंगेली जिले के अचानकमार टाइगर रिजर्व (एटीआर) में तैनात डॉग नैरो और सिंबा हैं। जब इन्हें लाया गया तो यही मंशा थी कि यहीं के जंगल में होने वाले शिकार और लकडिय़ों की कटाई करने वाले अपराधियों की खोज में मदद मिले, पर इनकी प्रदेशभर में मांग हो रही है। कवर्धा वनमंडल के सहसपुर लोहारा परिक्षेत्र में करंट लगाकर बीते 16 फरवरी को एक तेंदुए को शिकारियों ने मार डाला था। वन विभाग की टीम ने अपनी तरफ से अपराधियों का पता लगाने की कोशिश की लेकिन जब कोई सुराग नहीं मिला तो एटीआर से एक डॉग सिम्बा को वहां बुलाया गया। सिम्बा ने दो शिकारियों को पहचान लिया और वन विभाग ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। आरोपियों ने अपना जुर्म भी कबूल किया है।
वन विभाग के अधिकारी बताते हैं कि 6 साल की उम्र वाले इन कुत्तों के खाते में पिछले चार साल के दौरान दो दर्जन से ज्यादा कामयाबी हाथ लग चुकी है। चीतल, तेंदुआ, सांभर, बाघ, हाथी के शिकारियों की गर्दन इन्होंने नापी है। कई बार तो नाखून के हिस्से को भी सूंघकर शिकारियों तक पहुंच चुके हैं। ये बस्तर से लेकर सरगुजा तक छत्तीसगढ़ के हर कोने में जा चुके हैं।
वैसे प्रशिक्षित कुत्तों के जरिये अपराधियों तक पहुंचने का काम तो काफी पहले से लिया जा रहा है। पुलिस अपराधियों के ठिकाने तक पहुंचने के लिये तो आरपीएफ संदिग्ध सामानों की तलाशी में इसका इस्तेमाल करती ही है। बस्तर में तो विस्फोटक ढूंढने के लिये एक बार आवारा कुत्तों को भी प्रशिक्षित करने की योजना बनी। नेरो और सिम्बा के हाथ जो कामयाबी लग रही है उसे देखते हुए आने वाले दिनों में पुलिस भी इनकी सेवायें लेने पर विचार करे तो कोई आश्चर्य नहीं।
लाइट मेट्रो क्या है?
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लाइट मेट्रो परियोजना के लिये बजट में 11 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान कर रखा है। छत्तीसगढ़ के नगरीय प्रशासन मंत्री ने दिल्ली में केन्द्रीय आवास व शहरी विकास मंत्री हरदीप पुरी से मिलकर लाइट मेट्रो की मांग रख दी है। याद होगा कि भाजपा शासनकाल के दौरान रायपुर से प्रमुख शहरों के लिये मेट्रो रेल चलाने का प्रस्ताव दिया गया था। उस समय मेट्रो मैन ई. श्रीधरन ने तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह को बताया था कि यात्रियों की संख्या तथा निर्माण व संचालन में आने वाले खर्च की तुलना करें तो अभी इसकी आवश्यकता नहीं है।
लाइट मेट्रो नई यातायात सेवा है। दिल्ली में ड्राइवरलेस मेट्रो ट्रेन पिछले साल शुरू हो ही चुकी है। इस साल वहां से लाइट मेट्रो शुरू हो सकती है। उत्तरप्रदेश सरकार ने भी गोरखपुर, प्रयागराज और मेरठ में लाइट मेट्रो चलाने की योजना बनाई है। लाइट मेट्रो सडक़ के समानान्तर चलने वाली एक मिनी ट्रेन की तरह होगी, जिसकी सवारी क्षमता 300 होती है।। स्टेशन बस स्टैंड की तरह होंगे। कोलकाता में मेट्रो ट्रेन को चलते हुए हमने देखा ही है, पर लाइट मेट्रो सडक़ों से नहीं बल्कि उसके किनारे से गुजरेगी और आवश्यकतानुसार इसके लिये पुल पुलियों की चौड़ाई बढ़ाई जायेगी। परियोजना की निर्माण लागत भी कम होती है और संचालन का भी खर्च कम होता है।
छत्तीसगढ़ में मंजूरी मिली तो नया रायपुर, रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर, राजनांदगांव जैसे शहरों को इससे जोड़ा जा सकता है। रायपुर में अस्त-व्यस्त होती यातायात व्यवस्था को ठीक करने में मदद मिलेगी। छत्तीसगढ़ की राजधानी से प्रमुख शहरों के बीच आवागमन के साधन सीमित हैं। बसों और लोकल ट्रेनों की संख्या कम तो है ही रोज आना-जाना करने वालों के लिये यह खर्चीला भी है। ऐसे में लाइट मेट्रो मंजूर होती है तो छत्तीसगढ़ के लिये एक उपलब्धि ही होगी।
वैसे, नगरीय प्रशासन विभाग को सिटी बसों के भी पूर्ववत सुचारू संचालन के बारे में भी सोचना चाहिये। खासकर राजधानी रायपुर व बिलासपुर में कोरोना के बाद बंद बसों के चलते रोजाना हजारों लोग एक जगह से दूसरे जगह पहुंचने में दिक्कतों का सामना कर रहे हैं।
रंग-बिरंगी गोभी
कुछ वर्ष पहले जब छत्तीसगढ़ के मॉल में सब्जियों की बिक्री शुरू हुई तो फ्रीजर में रखी कुछ साफ-सुथरी रंगीन सब्जियां ध्यान खींचती थी और ग्राहक उसकी कोई भी कीमत देकर खरीदना चाहते थे। इनमें से एक थी ब्रोकली। यह गोभी का ही एक प्रकार है जिसका छत्तीसगढ़ में उत्पादन नहीं लिया जाता था, क्योंकि इसके बीज के बारे में पता नहीं था। अब ब्रोकली का उत्पादन छोटे रकबे के किसान भी करने लगे हैं। बाजार में यह मॉल के मुकाबले चौथाई कीमत पर उपलब्ध है। इसी तरह फूलगोभी की जानी पहचानी वैरायटी सफेद रंग की या फिर हल्का पीलापन लिये होता है। पर अब गांवों में चार पांच रंगों की गोभियां उगाई जाती हैं। इनमें लाल, चटक पीला, हरा और बैंगनी रंग शामिल है। मस्तूरी, मल्हार के एक किसान ने इसी तरह की अलग-अलग रंगों की गोभी अपने खेत में बोई है। वे बताते हैं कि इसकी कीमत आम गोभी से ज्यादा मिल जाती है और इसकी खेती काफी फायदेमंद है।
- 1868 - अमृत बाज़ार पत्रिका का बांग्ला में साप्ताहिक रूप में प्रकाशन शुरू हुआ।
- 1935 - कैरोलाइन मिकेल्सन अंटार्कटिक पहुंचने वाली पहली महिला बनीं।
- 1947 - ब्रिटिश प्रधानमंत्री क्लेमेंट एटली ने भारत को आज़ादी देने के बारे में घोषणा की।
- 1962 - जान एच ग्लेन अमेरिका के प्रथम अंतरिक्ष यात्री बने।
- 1968 - मुंबई के के.ई.एम. अस्पताल के डॉक्टर पी.के. सेन ने हृदय प्रत्यारोपण का पहला आपरेशन किया।
- 1976 - मुंबई हाई में कच्चे तेल का व्यावसायिक स्तर पर उत्पादन शुरू हुआ।
- 1986 - सोवियत संघ द्वारा सेल्युत-7 की अपेक्षा अधिक विकसित अंतरिक्ष स्टेशन मीर (शान्ति) का प्रक्षेपण।
- 1987 - हिमाचल प्रदेश भारतीय संघ का 24वां राज्य बनाया गया। मिजोरम और अरुणाचल प्रदेश का क्रमश: 23वां एवं 24वां राज्य के रूप में उद्घाटन।
- 1999 - भारत के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने पाकिस्तान की ऐतिहासिक बस यात्रा की। दूरदर्शन पर खेल चैनल शुरू हुआ।
- 2007 - यूरोपीय संघ कार्बन डाई आक्साइड के उत्सर्जन को 2010 तक 20 प्रतिशत कम करने को सहमत।
- 2008- रक्षा सौदे में ऑफ़सेट नीति को मंजूरी मिली।
- 2009- भ्रष्टाचार के आरोप में कोलकाता काईकोर्ट के न्यायाधीश सौमित्र सेन के खिलाफ महाभियोग चला।
- 1985 - हिन्दी के प्रसिद्ध कवि तथा गांधीवादी विचारक भवानी प्रसाद मिश्र का निधन हुआ।
- 1894 - अमेरिकी मनोजीवविज्ञानी कर्ट पॉल रिक्टर का जन्म हुआ, जिन्होंने दिमाग के उन हिस्सों का पता लगाया जो प्रतिदिन की सोने की दिनचर्या, चाल और गतिविधियों को नियंत्रित करता है। सन् 1927 में पहली बार उन्होंने एक पत्रक में जैविक घड़ी के बारे में लिखा। (निधन-21 दिसम्बर 1988)
- 1844 -भौतिकशास्त्री लेडविग एड्वर्ड बोल्ट्ज़मैन का जन्म हुआ, जिन्होंने सांख्यिकीय यांत्रिकी (स्टैटिस्टिकल मैकेनिक्स) की नींव रखी। इनका सिद्धान्त अणु और परमाणुओं की विशेषताओं और व्यवहार को उनसे बने पदार्थों की विशेषताओं और व्यवहार से संबद्ध करता है। (निधन- 5 सितम्बर 1906)
- 1956-जर्मन भौतिकशास्त्री हेनरिक जॉर्ज बर्खाजऩ का निधन हुआ, जिन्होंने 1919 में बर्खाजऩ प्रभाव की खोज की। यह सिद्धान्त धातुओं की चुम्बकीय विशेषताओं में परिवर्तन के बारे में था। ध्वनिशास्त्र तथा चुम्बकत्व पर उनके अनुसंधान ने यह साबित किया कि चुम्बकीयकरण से केवल एक अणु पर नहीं बल्कि पूरे पदार्थ पर प्रभाव पड़ता है। (जन्म 2 दिसम्बर 1881)
- 1955- जीवाणु विज्ञानी ओस्वाल्ड थियोडेर ओवेरी का निधन हुआ, जिनके न्यूमोकोकस जीवाणु पर किए कार्य ने उन्हें इम्यूनोकेमिस्ट्री के संस्थापकों में से एक बना दिया। उनके अनुसंधान ने आनुवांशिकी तथा आण्विक जीवविज्ञान की आधारशिला रखने का काम किया। (जन्म 21 अक्टूबर 1877)।
- महत्वपूर्ण दिवस - विश्व सामाजिक न्याय दिवस।
बोरा का इंतजार जारी
भाप्रसे के अफसर सोनमणि बोरा को राज्य सरकार ने केन्द्र में प्रतिनियुक्ति पर जाने की हरी झंडी दे दी है, लेकिन अब तक उनकी वहां पोस्टिंग नहीं हुई है। चूंकि उन्होंने खुद होकर केन्द्र सरकार में काम करने की इच्छा जताई थी, लिहाजा, यहां उन्हें कोई अहम दायित्व नहीं सौंपा गया है। उनके पास अपेक्षाकृत कम महत्वपूर्ण संसदीय कार्य विभाग का प्रभार दे दिया गया है, जहां रोज-रोज फाइल भी नहीं आती है। विधानसभा सत्र के दौरान थोड़ा बहुत काम रहता है।
98 बैच के अफसर बोरा केन्द्र में संयुक्त सचिव के पद पर इम्पैनल हुए हैं। मगर फिलहाल उनकी पोस्टिंग की संभावना कम दिखाई दे रही है। वजह यह है कि केन्द्र सरकार में पोस्टिंग के लिए समिति की बैठक काफी समय से नहीं हुई है। कोरोना की वजह से बैठक टल रही है, और अगले कुछ हफ्ते बैठक होने की संभावना भी नहीं दिख रही है। यानी बोरा को केन्द्र में प्रतिनियुक्ति के लिए अगले दो-तीन महीने और इंतजार करना होगा।
ऊंची छलांग
छत्तीसगढ़ के कई मीडिया संस्थानों में काम कर चुके डॉ. संजय द्विवेदी ने ऊंची छलांग लगाई है। डॉ. द्विवेदी आईआईएमसी के डीजी के पद पर हैं। यह पद केन्द्र सरकार में अतिरिक्त सचिव के समकक्ष है। आईआईएमसी में ऑल इंडिया इनफार्मेशन सर्विस के अफसर ट्रेनिंग लेते हैं, और यह देश के सबसे पुराने प्रतिष्ठित संस्थानों में से एक है।
आमतौर पर यहां अतिरिक्त सचिव स्तर के आईएएस अफसर ही डीजी के पद पर रहे, लेकिन पहली बार सीनियर जर्नलिस्ट को मौका मिला है। संघ परिवार के करीबी माने जाने वाले डॉ. संजय द्विवेदी, भोपाल के माखनलाल चतुर्वेदी विवि में कुलसचिव के पद पर थे।
डॉ. द्विवेदी से परे गत वर्ष आईआईएस में चयनित शालिनी अवस्थी ट्रेनिंग पूरा कर सूचना एवं प्रसारण विभाग के डीएवीपी में डिप्टी डायरेक्टर के पद पर पदस्थ हुई हैं। शालिनी मूलत: छत्तीसगढिय़ा हैं, और वे छत्तीसगढ़ की अकेली अफसर हैं, जो आईआईएस में चयनित हुई। शालिनी भी मीडिया संस्थान में काम कर चुकी हैं, और आईआईएस में आने से पहले वे दिल्ली म्युनिसिपल में अफसर थीं।
रहस्यमय तरीके...
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के एक सबसे व्यस्त चौक, शारदा चौक पर ट्रैफिक पुलिस जब झपटकर किसी दुपहिए-चौपहिए को रोकती है, तो शुरूआती बातचीत के बाद एक ट्रैफिक सिपाही ड्राइवर को लेकर बगल के मंदिर में जाता है। हो सकता है कि वहां ड्राइवर को ईश्वर के सामने यह कसम दिलाई जाती होगी कि वे दुबारा ट्रैफिक नियम नहीं तोड़ेंगे, लेकिन हर बात में बुराई देखने वाले कुछ लोगों का यह मानना है कि ट्रैफिक पुलिस जब ट्रैफिक की नजरों से परे किसी को ओट में ले जाती है, तो वह कोई धार्मिक कसम दिलाने के लिए नहीं ले जाती।
बात यहां तक रहती तो भी ठीक था। शंकर नगर और केनाल रोड के जंक्शन पर जब ट्रैफिक पुलिस इसी तरह किसी को झपट्टा मारकर पकड़ती है, तो ड्राइवर को लेकर पूर्व विधानसभा अध्यक्ष प्रेमप्रकाश पांडेय के बंगले के गेट पर बनी छोटी सी कोठरी में ले जाती है। पांडेयजी के बंगले में चहल-पहल कम रहती है, और गेट पर गार्ड का कमरा खाली रहता है। अब पुलिस ड्राइवरों को यहां लाकर पता नहीं कौन सी कसम दिलवाती है!
श्रीराम की एक भूमि कोरबा में भी...
प्रदेशभर से सरकारी और निजी जमीन की आ रही अफरा-तफरी की खबरों के बीच राजस्व मंत्री के जिले कोरबा से एक अनूठी खबर आई है। ऑनलाइन रिकॉर्ड में एक जमीन भगवान राम, पिता दशरथ, निवास अयोध्या चढ़ी हुई मिली। पटवारी, तहसीलदार से शिकायत हुई तो पहले यह कहा गया कि यह नामांतरण ऑनलाइन एंट्री के दौरान ट्रायल के लिये किया गया होगा, जिसे बाद में सुधारा नहीं गया। यहां तक तो ठीक है अब इसके बाद रिकॉर्ड सुधरा तो यह जमीन सीएसईबी के नाम पर चढ़ गई।
सीबीएसई के अधिकारियों ने साफ किया कि उनका इस जगह पर कोई भूखंड नहीं है। अब तहसीलदार कह रहे हैं आईडी किसी ने हैक कर ली और जान-बूझकर शरारत की गई है। बहरहाल, गड़बड़ी करने वालों का अब तक पता नहीं चला है। इधर, इस जमीन के दो दावेदार सामने आये हैं और दोनों ही दावा कर रहे हैं कि जमीन का रिकॉर्ड उनके पास है। असली भू-स्वामी कौन है यह तय होना अभी बाकी है। जमीन का मामला संवेदनशील है।
पटवारी बस्ते में बंद दस्तावेजों में भी छेड़छाड़ होती रही है पर रिकॉर्ड का ऑनलाइन किया जाना तो जीरो ईरर होना चाहिये। इस तरह से जमीन का मालिकाना हक बदलना आसान रहा तो गड़बडिय़ां इतने बड़े पैमाने पर शुरू हो सकती है, जिन्हें पकडऩा मुश्किल हो जायेगा। धान बिक्री के रकबे की एंट्री के दौरान भी ऐसी गड़बडिय़ां सामने आ चुकी हैं।
नेताओं को फुरसत नहीं नाम कटाने की
गवाही, चालान की प्रक्रिया को यदि पूरी गंभीरता और तेजी से निपटाया जाये तो राजनीतिक आंदोलन ही बंद हो जायेंगे। न धरना-प्रदर्शन होगा, न चक्काजाम। इन आंदोलनों में शामिल होने वालों की उम्मीद बनी रहती है कि यदि कोर्ट में केस भी चला तो गवाह नहीं टिकेंगे। सरकार बन गई तो केस खत्म करने की प्रक्रिया भी शुरू हो जायेगी। कांग्रेस ने विपक्ष में रहते हुए भाजपा सरकार के खिलाफ खूब धरना, प्रदर्शन किया, गिरफ्तारियां दी। अब इन राजनीतिक मुकदमों के खात्मे की प्रक्रिया शुरू हुई है। गृह मंत्री की अध्यक्षता में एक मंत्रियों की एक उप-समिति भी बनी है, जिसकी एक बैठक भी हो चुकी।
अब यह हो रहा है कि किस तरह के मामलों का खात्मा करने का प्रस्ताव बनाया जाये यह थानेदारों को समझ नहीं आ रहा है। बहुत से गंभीर आपराधिक प्रकरण हैं जिन पर ये नियम लागू नहीं हो सकता, हालांकि वे राजनैतिक लोगों से ही जुड़े हुए हैं। इसके अलावा जिन नेताओं के विरुद्ध मामले दर्ज हैं वे खुद आवेदन लेकर नहीं आ रहे हैं, जो एक अनिवार्य प्रक्रिया है। यह बात खुद गृह मंत्री ने बैठक में उठाई है। इधर, प्रदेश में ‘बिगड़ती कानून-व्यवस्था’ को लेकर 20 फरवरी को भाजपा महिला मोर्चा प्रदर्शन करने जा रही है। वे आंकड़े बता रही हैं कि किस-किस तरह के अपराध कितने बढ़े। अगर ये राजनीतिक मामले भी शून्य हो जायें तो फेहरिस्त थोड़ी छोटी ना हो जाती?
स्कूल में फैले संक्रमण से सबक लेंगे?
महाराष्ट्र सरकार ने सार्वजनिक स्थानों, खासकर ट्रेनों में यात्रा के दौरान कोरोना गाइडलाइन का पालन सुनिश्चित करने के लिये बड़ी संख्या में वालिंटियर्स तैनात करने का निर्णय लिया है। हाल ही में संक्रमण के मामलों ने वहां फिर रफ्तार पकड़ी, जिसके चलते यह निर्णय लिया गया। अपने यहां भी स्कूल, कॉलेज, मल्टीप्लेक्स, बस, ट्रेन में गतिविधियां सामान्य हो रही है। इधर राजनांदगांव के एक स्कूल में 9 शिक्षकों और दो छात्रों में कोरोना का संक्रमण पाया गया। संभवत: आगे इनकी संख्या और बढ़ सकती थी।
कोरोना गाइडलाइन का पालन करना जरूरी है यह अब सिर्फ रेडियो, टीवी के विज्ञापनों में सुनाई दे रहा है। सार्वजनिक स्थलों पर लोग जागरूक रहें, इसकी कोई कोशिश नहीं हो रही। कोरोना के दौरान जब लोगों की सहूलियत के लिये कुछ घंटे, दिन के लिये अनलॉक किये गये तो हाट-बाजार में वालेंटियर्स तैनात किये जाते थे। अब जिस तरह से इस ओर बेफिक्री दिखाई दे रही है, वह किसी भी दिन चिंता बढ़ा सकती है। महाराष्ट्र का प्रयोग छत्तीसगढ़ में भी किया जाये तो कुछ गलत नहीं।
- 1389 - दिल्ली के सुल्तान गयासुद्दीन तुग़लक़ द्वितीय की हत्या हुई।
- 1618 - वेनिस शांति संधि के तहत वेनिस और आस्ट्रेलिया का युद्ध समाप्त हुआ।
- 1831-कोयले के दहन से चलने वाले पहले लोकोमोटिव का परीक्षण पेन्सिल्वेनिया में किया गया।
- 1855 -पहला मौसम-मानचित्र फ्रेन्च एकेडमी आफ साइन्स में एम. एल. वेरियर ने प्रस्तुत किया।
- 1891 - अमृत बाज़ार पत्रिका का प्रकाशन दैनिक के रूप में हुआ।
- 1959 - साइप्रस की स्वतंत्रता के बारे में यूनान, तुर्की और ब्रिटेन के बीच एक समझौता हुआ।
- 1993 - हैतो के पास समुद्र में 1500 यात्रियों सहित एक जहाज़ डूबा।
- 2000 - तुवालू संयुक्त राष्ट्र का 189वां सदस्य बना।
- 2003 - इंडोनेशिया की संसद ने जून 2004 में होने वाले आम चुनाव में हर पार्टी को 30 फीसदी टिकट महिला उम्मीदवार को देने संबंधी व्यवस्था दी।
- 2004 - कीटनाशकों और औद्योगिक रसायनों पर प्रतिबंध लगाने वाली स्टॉकहोम संधि का विश्व के 50 से ज़्यादा देशों द्वारा अनुमोदन।
- 2008- फि़देल कास्त्रो ने क्यूबा के राष्ट्रपति का पद तथा सैन्य प्रमुख का पद छोड़ा।
- 2009- केन्द्र सरकार ने उस विधेयक को समाप्त करने का निर्णय किया जिसमें 47 उत्कृष्ट शैक्षिक संस्थानों को आरक्षण के दायरे से बाहर रखने की व्यवस्था की गई थी।
- 1630- महानतम मराठा शासक और गुरिल्ला युद्ध के जन्म दाता छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्म हुआ।
- 1915 - स्वतंत्रता सेनानी, समाजसेवी, विचारक एवं सुधारक गोपाल कृष्ण गोखले का निधन हुआ।
- 1956 -भारत के प्रसिद्ध विद्वान, समाजवादी, विचारक, शिक्षाशास्त्री और देशभक्त नरेन्द्र देव का निधन हुआ।
- 1978 - बांग्ला और हिन्दी फि़ल्मों के प्रसिद्ध गायक, संगीतकार और अभिनेता पंकज मलिक का निधन हुआ।
- 1473-पोलैण्ड के खगोलशास्त्री निकोलस कॉपरनिकस का जन्म हुआ, जिन्होंने बताया कि हमारा सूर्य केन्द्र में स्थित है तथा बाकी ग्रह उसके इर्द गिर्द चक्कर लगाते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि हमारी पृथ्वी भी एक ग्रह है जो सूर्य का चक्कर लगाने के साथ-साथ अपनी धुरी पर भी घूमती है। (निधन- 24 मई 1543)
- 1859- स्वीडन के रसायनज्ञ स्वान्ते आगस्ट आरेनियस का जन्म हुआ। उन्हें वर्ष 1903 में रसायन विज्ञान का नोबेल पुरस्कार मिला। उनके विद्युत वियोजन के सिद्धान्त ने रसायन विज्ञान को एक नई दिशा दी। (निधन- 2 अक्टूबर 1927)
- 2003-अमेरिकी चिकित्सक जेम्स हार्डी का निधन हुआ, जिन्होंने 1963 में पहले मानव फेफड़ों के प्रत्यारोपण करने वाले डॉक्टरों के दल का नेतृत्व किया। फिर 1964 में जानवर से मानव में फेफड़े का प्रत्यारोपण किया। (जन्म 14 मई 1918)
- 1897- जर्मन गणितज्ञ कार्ल थियोडर वियरस्ट्रॉस का निधन हुआ, जो आधुनिक विश्लेषण के जनक माने जाते हैं। वे गणित के महान शिक्षकों में शुमार किए जाते हैं।(जन्म 31 अक्टूबर 1815)।
खाली दौड़ रहीं पैसेंजर ट्रेनें
लम्बे समय से बंद लोकल ट्रेनों को रेलवे ने आखिरकार शुरू किया. पर इनमें भीड़ नहीं है। बोगियां खाली दौड़ रही हैं। 13 फरवरी को जब ट्रेनें शुरू की गई तो रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर के बीच केवल 25-30 सवारी मिलीं। रेलवे ने एक दर्जन पैसेंजर और मेमू ट्रेनों को फिर से शुरू कर दिया है। इन्हें स्पेशल ट्रेनों के नाम पर चलाया जा रहा है। रायपुर-बिलासपुर के बीच चलने वाली ट्रेनों में सीटें कुल 3000 है लेकिन यात्रियों की संख्या अधिकतम 250 तक ही पहुंच पाई है। यानि 10 फीसदी सीटें भी नहीं भर पा रही है।
लोग इसके कई कारण बता रहे हैं। एक वजह तो ये है कि कई छोटे स्टेशनों पर ट्रेनें नहीं रोकी जा रही हैं, दूसरे किराया, स्पेशल के नाम पर अधिक लिया जा रहा है। मासिक सीजन टिकट भी बंद है। रिश्तेदारी, शादी-ब्याह में लोगों ने ज्यादा आना-जाना बंद कर रखा है। इसके अलावा 11 महीने ट्रेन नहीं चलने के कारण लोगों ने वैकल्पिक साधनों का इस्तेमाल शुरू कर दिया है। इन सबके बीच बड़ी वजह यह भी बताई जा रही है कि लोकल ट्रेनों में छोटे काम धंधे वाले ज्यादा चलते थे। इनमें बहुत से श्रमिक वर्ग के भी होते हैं जिनके रोजगार पर कोरोना की मार पड़ी है।
पूजा स्पेशल ट्रेनों को जब शुरू किया गया तो रेलवे ने कोरबा से रायपुर, हसदेव एक्सप्रेस को स्पेशल ट्रेन बनाकर चलाया था लेकिन सवारियां नहीं मिलने के कारण उसे बंद करना पड़ा। अब यही आशंका लोकल ट्रेनों को लेकर भी देखी जा रही है।
भाजयुमो का उलझता विवाद
भारतीय जनता युवा मोर्चा की प्रदेश कार्यकारिणी में बने रहने के लिये अब पदाधिकारियों तथा कार्यकारिणी के सदस्यों को अपनी मार्कशीट दिखानी पड़ेगी। मोर्चा की नियुक्तियों को लेकर राजधानी रायपुर ही नहीं दूसरे जिलों के कई वरिष्ठ नेता नाराज हो गये हैं। उनकी सिफारिशों पर ध्यान नहीं दिया गया। शायद संतुलन बनाकर पदाधिकारी नियुक्त किये जाते तो यह विवाद खड़ा ही नहीं होता।
पहले भी तय उम्र सीमा को उपेक्षित करके नियुक्तियां होती आई हैं। बताया तो यह जा रहा है कि यदि कड़ाई से उम्र सीमा के नियम का पालन किया गया तो 50 फीसदी पदाधिकारियों को बाहर करना पड़ेगा। इसके बाद असंतोष बढ़ेगा या थमेगा, अभी कहा नहीं जा सकता लेकिन अनुशासन को लेकर पहचाने जाने वाली भाजपा में ऐसा देखने को कम ही मिला है।
बस्तर में ग्रामीणों की नाराजगी
बस्तर के सुदूर नारायणपुर इलाके के बडग़ांव में करीब दो दर्जन गांवों के सैकड़ों ग्रामीण पुलिस की कार्रवाई के खिलाफ धरने पर बैठ गये हैं। इनका आरोप है कि पुलिस ने जिन चार लोगों को गिरफ्तार किया गया वे माओवादी नहीं हैं। ग्रामीण पुलिस पर मारपीट का आरोप भी लगा रहे हैं। गिरफ्तारी 9 फरवरी को हुई थी।
बस्तर में तैनात सुरक्षा बलों पर अक्सर आरोप लगते रहे हैं वे निर्दोष ग्रामीणों को माओवादी बताकर पकड़ लेती है या फिर एनकाउन्टर कर दिया जाता है। पिछली सरकार के कार्यकाल में ऐसी घटनाएं हुई हैं और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने इनके खिलाफ आवाज भी उठाई । इस मामले में पक्के तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता। ग्रामीण भी सही हो सकते हैं और पुलिस भी।
ग्रामीणों के बीच नक्सलियों को पहचान पाना एक बारीक सा काम है। कई बार वे नक्सली गतिविधियों में अपनी मर्जी से नहीं बल्कि दबाव में जुड़ते हैं। इसका तोड़ यही है कि सुरक्षा बल और ग्रामीणों में एक दूसरे के प्रति ज्यादा से ज्यादा भरोसा जगे। हाल ही में वैलेन्टाइन डे के दिन नक्सली जोड़ों का विवाह कराया गया। उसके पहले भूमकाल दिवस पर ग्रामीणों के साथ पुलिस ने समारोह आयोजित किया। कुछ जगहों में पुलिस शिक्षा और स्वास्थ्य के लिये भी काम कर रही है। सुरक्षा बलों को शायद और प्रयास करते रहने की जरूरत है।
सरस्वती पूजा का पहला अक्षर...
हिन्दुस्तान में धर्म और संस्कृति इतने मिले-जुले हैं कि सरस्वती पूजा के दिन घरों में छोटे बच्चों से स्लेट-पट्टी पर पहली बार कुछ लिखवाकर उनकी पढ़ाई-लिखाई का सिलसिला शुरू किया जाता है। अभी एक सज्जन सरस्वती पूजा के पहले की शाम को बाजार में स्लेट-पट्टी ढूंढते रहे। कुछ देर हो गई थी इसलिए दुकानें बंद होने लगी थीं। अपने बचपन को याद करके वे लकड़ी की फ्रेम और काले पत्थर वाली स्लेट ढूंढते रहे, तो पता लगा कि अब उसका चलन बंद हो गया है, और अब प्लास्टिक की फ्रेम में टीन की चादर पर स्लेट-पट्टी आने लगी है। एक दुकानदार ने जब स्लेट-पट्टी और उसकी पेंसिल की मांग सुनी, तो पूछा- कल सरस्वती पूजा है क्या?
शहरों में जिन हिस्सों में बच्चों के कार्यक्रमों के लिए कपड़े किराए पर मिलते हैं वहां जन्माष्टमी जैसे त्यौहारों पर ट्रैफिक जाम हो जाता है क्योंकि मां-बाप बच्चों को राधा-कृष्ण बनाने के लिए इन दुकानों पर भीड़ लगा लेते हैं। सरस्वती पूजा पर वैसी भीड़ तो नहीं लगती, लेकिन स्कूल-कॉलेज में यह पूजा फिर भी हो ही जाती है, यह अलग बात है कि इस बरस स्कूल-कॉलेज ठंडे पड़े हुए हैं।
देवियों की भूमि पर देव!
अभी भाजपा का पूरे देश में राम मंदिर चंदा अभियान चल रहा है। मुहल्लों में लाउडस्पीकर लेकर रोज सुबह लोग निकलते थे और एक रूपये से लेकर एक करोड़ रूपये तक दान देने की अपील करते थे। इसी बीच बंगाल के चुनाव को लेकर वहां भाजपा अतिसक्रिय हुई तो राजनीति के कुछ विश्लेषकों ने लिखा कि बंगाल राम की पूजा करने वाला प्रदेश नहीं है, वह देवी की पूजा करने वाला है। और याद भी करें तो बंगाल में जन्माष्टमी, रामनवमीं, या गणेशोत्सव सुनाई नहीं पड़ता है। दूसरी तरफ सरस्वती पूजा, लक्ष्मी और काली पूजा, दुर्गा पूजा की खबरों से बंगाल का मीडिया भरे रहता है, और ये प्रतीक वहां के इश्तहारों में भी रहते हैं। अब बंगाल इतना देवीपूजक क्यों है इसे जानने-समझने के लिए वहां की संस्कृति पर कुछ गंभीर लेख पढऩे पड़ेंगे, लेकिन वहां महिलाओं का इतना सम्मान तो है कि बाग-बगीचे में किसी पुरूष साथी के साथ बैठने पर भी उसका कोई अपमान बंगाल में नहीं होता। सोचकर देखें कि वहां देवियों की ही पूजा क्यों है?