स्थायी स्तंभ
फिर नोटबंदी जैसी नौबत...
इंकम टैक्स के नियम और लॉकडाऊन की वजह से बंद बैंक मिलकर लोगों के लिए परेशानी खड़ी कर रहे हैं। निजी अस्पतालों में लाखों का बिल बन रहा है, और अस्पताल किसी मरीज के खाते में दो लाख रूपए से अधिक नगद जमा नहीं करते क्योंकि इंकम टैक्स ने यह सीमा बनाई हुई है। दूसरी तरफ बैंक के कार्ड कभी काम करते हैं, कभी नहीं भी करते। एटीएम में कभी कैश रहता है, कभी नहीं रहता है। ऐसे में जिनको अस्पताल में दो लाख के बाद भुगतान करना है उन्हें कार्ड लेकर जाना पड़ता है। अब जिन लोगों ने मुसीबत के वक्त के लिए बैंक से नगद निकालकर रखा हुआ है, वह दो लाख के ऊपर के भुगतान में किसी काम का नहीं है, लॉकडाऊन में बैंक बंद हैं, इसलिए रकम बैंक में वापिस भी नहीं डाली जा सकती। कुल मिलाकर बहुत सी नौबतों में इंसान की हालत मुगल-ए-आजम की अनारकली सरीखी हो गई है, सलीम तुझे मरने नहीं देगा, और हम तुझे जीने नहीं देंगे। जिनके पास अपना खुद का या लोगों से मांगा हुआ पैसा है, वे भी अस्पताल में उसे जमा नहीं कर सकते। फिर कुछ लोगों के खाते में पैसे हैं, तो कार्ड से भुगतान करने जाने पर अधिकतर कार्ड की सीमा एक दिन में अधिकतम 50 हजार रूपए है, उससे अधिक भुगतान कार्ड से भी नहीं हो सकता। नोटबंदी के समय लोगों की जो हालत थी, आज लॉकडाऊन, बैंकबंदी, और इंकम टैक्स के नियमों ने मिलकर कुछ वैसी ही नौबत फिर ला दी है। सेहत के लिए कोरोना और औकात के लिए सरकार एक सरीखे खतरनाक हो गए हैं।
अब अस्पताल से छुट्टी के वक्त लाखों का बिल अगर चुकाना है, तो लोग बैंकबंदी के बीच, शहरबंदी के बीच किस तरह बैंक से अस्पताल को भुगतान कर सकते हैं? और अस्पताल दो लाख से अधिक का कुल भुगतान एक मरीज के लिए नहीं ले सकता। अब लोगों को कई ऐसे दोस्तों-परिचितों के नाम की लिस्ट बनाकर रखनी चाहिए जिन्हें साथ ले जाकर उनके कार्ड से 50-50 हजार रूपए का भुगतान करवाया जा सके। यह डिजिटल अर्थव्यवस्था किस काम की जो कि अस्पताल की बड़ी बीमारी और बड़े दिल की नौबत में भी पैसा रखे हुए लोगों को बेसहारा कर दे।
देखो इंसान कहे जाने वालों को...!
रायपुर की एक सामाजिक कार्यकर्त्ता मंजीत कौर बल ने इंसानों की भयानक करतूत सामने रखी है-
हम लोग एक स्थान पर चिडिय़ा देखने आए थे तो बया के घोंसले को तोडक़र उसके बच्चों और चिडिय़ा को निकाल कर जला कर उसे भूँजा गया है। यह एक पीड़ादायक और दर्दनाक दृश्य है..देखना कठिन रहा. लेकिन उससे अधिक कठिन हो रहा है कि यह सोचना कि कैसे इसको रोका जाये और समझाया जाये..
हमने सोचा है कि सभी पंचायतों को एक छोटा सा पत्र या अपील जारी की जाए कि हमको आसपास के चिडिय़ों का सरंक्षण करना है।
‘अपील’
आप सभी को हम ये जानकारी देना चाहते हैं कि नया रायपुर के आसपास के क्षेत्र एवं सभी ग्राम पंचायत और पूरे राज्य व् देश में जून- जुलाई से लेकर सितंबर अक्टूबर तक बया के घोंसले बनाने का सबसे अच्छा एवं अनुकूल समय होता है. इस दौरान बया बहुत ही सुंदर घोंसले बनाती है जिसे देखकर पूरे देश में इसको बुनकर चिडिय़ा के नाम से जाना जाता है। इस बुनकर चिडिय़ा के घोंसले बहुत आकर्षक होते हैं और इसका चुनाव लंबा और कठिन होता है । इसमें जो नर चिडिय़ा होती है वो कई तरह के घोंसले बनाती है फिर मादा चिडिय़ा को देखने के लिए बुलाती है. मादा चिडिय़ा द्वारा घोंसले को देखकर पसंद करने के बाद ही उनका जोड़ा बनता है.
एक नर चिडिय़ा कम से कम 5 से 7 घोंसले बनाती है तब जाकर मादा द्वारा किसी एक घोंसले को पसंद कर अंतिम निर्णय दिया जाता है. घोंसले बनाने के लिए वह खजूर, छिंद के पत्तों को छीलती है और छीले हुए पत्तों से वह घोंसला बुनती है ।
यह बहुत सुंदर दृश्य होता है और बरसात में होता है इसलिए ये इस प्रकार बनाया जाता है कि उसके अंदर पानी ना घुसे। इस पूरी मेहनत के बाद उसके अंदर मादा चिडिय़ा अंडे देती है और इस अंडे से बच्चे बड़े होते हैं और सितंबर के अंत तक यह पूरी प्रक्रिया समाप्त होती है। जैसे-जैसे वातावरण में प्रदूषण बढ़ रहा है, पेड़-पौधे कम हो रहे हैं वैसे भी चिडिय़ों की संख्या भी कम होती जा रही है।
यह बहुत चिंता का विषय है कि ऐसे समय में हम चिडिय़ों का संरक्षण अधिक से अधिक कैसे करें? क्योंकि पर्यावरण में हर पशु-पक्षी, चिडिय़ों, छोटे-छोटे कीड़े -मकोड़े का भी विशेष महत्व है ।
आज कोरोना और कोविड के भय से हम जितना परेशान हैं इसका भी एक प्रमुख कारण है पर्यावरण का दबाव व्यक्ति पर अधिक हो गया है जिससे वायरस उन व्यक्तियों पर आ रहे हैं.
ऐसे में एक दृश्य देखने को मिला जिसकी फोटो में अपील के साथ लगा रही हूं और आप इस दृश्य को देखकर कांप जाएंगे । मैं आसपास के गांव के सभी सरपंचों ,नागरिकों, सभी से विनम्र अपील करती हूँ कि आप इस बया के घोंसले को बचाने के लिए छोटे बच्चों को जानकारी एवं शिक्षा दें और आप प्रयास करें कि हमारा छत्तीसगढ़ एक ऐसा क्षेत्र बने जो अधिक से अधिक घोंसलों को अधिक से अधिक पर्यावरण संरक्षण की ओर जा रहा है. हम ऐसी पंचायत बनाएं जहां कोई भी चिडिय़ा मारी नहीं जाती है, और कोई भी इस तरह के जानवर जिसकी संख्या कम होने से विश्व में पर्यावरण पर दबाव बनेगा।
बस्तर-रायपुर अब सिर्फ एक घंटे में...
बस्तर से कल एलायंस एयर की हवाई सेवा शुरू हुई तो वहां की पुलिस ने एक अनोखा काम किया। दस ऐसे ग्रामीणों को रायपुर की मुफ्त सैर कराई जो हवाई टिकट लेने और आसमान पर उडऩे की सोच नहीं सकते थे। इनके राजधानी घूमने, ठहरने और भोजन की व्यवस्था भी की। बस्तर पुलिस ने यह उदारता क्यों बरती इस पर कुछ साफ नहीं है। इन 10 ग्रामीणों का चुनाव भी किस पैमाने पर किया गया यह भी पता नहीं। इतना जरूर है कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के इस नारे को सार्थक किया कि स्लीपर चप्पल पहनने वाला भी हवाई जहाज पर चलेगा। राजधानी से बस्तर की हवाई सेवा सिर्फ एक घंटे का सफर है। व्यावसायिक रूप से जो लाभ होना है वह तो है ही कानून व्यवस्था और प्रशासन के लिये भी इसका फायदा मिल सकता है। बहुत से लोग बस्तर के अनूठे प्राकृतिक, पौराणिक और ऐतिहासिक धरोहरों को देखने की इच्छा रखते हैं पर लम्बी उबाऊ यात्रा उन्हें रोकती है। उम्मीद है अब हवाई यात्रा से न केवल प्रदेश के, बल्कि देश-विदेश के सैलानियों को वहां की यात्रा करना आसान होगा, उनकी तादाद बढ़ेगी।
- 1539 - सिख संप्रदाय के पहले गुरु गुरु नानक देव का करतारपुर में निधन। उन्होंने ही ‘लंगर’ की प्रथा शुरू की थी।
- 1789 - अमेरिकी कांग्रेस ने पोस्टमास्टर जनरल के कार्यालय को अधिकृत किया।
- 1792 - फ्रांस गणराज्य की स्थापना की घोषणा हुई।
- 1903 - अमेरिकी नागरिक इटालो मार्चिओनी को आइसक्रीम कोन के लिए एक पेटेंट दिया गया।
- 1914 - मद्रास बंदरगाह पर जर्मन युद्धपोत इम्देन ने बमबारी की।
- 1949 - तत्कालीन सोवियत रूस ने पहला परमाणु बम का सफलतापूर्वक परीक्षण किया।
- 1955 - ब्रिटेन में टेलीविजन का व्यावसायीकरण शुरू हुआ। इसमें प्रत्येक घंटे सिर्फ छह मिनट ही विज्ञापन के प्रसारण की अनुमति दी गयी और रविवार सुबह में इसे चलाने की इजाजत नहीं थी।
- 1961 - अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी ने शांति कोर की स्थापना के लिये कांग्रेस के अधिनियम पर हस्ताक्षर किए।
- 1966 - अमेरिकी यान ‘सर्वेयर 2’ चंद्रमा की सतह से टकराया।
- 1977 - अमेरिकी फुटबॉल टीम पेले के नेतृत्व में दो प्रदर्शनी मैच खेलने कलकत्ता (अब कोलकाता) पहुंची।
- 1979 - जमीयत-ए-इस्लाम के संस्थापक मौलाना अब्दुल अली मौदूदी का निधन।
- 1980 - ईरान और इराक के बीच जारी सीमा संघर्ष युद्ध के रूप में परिवर्तित हुआ।
- 1988 - कनाडा की सरकार ने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापान और कनाडा के नागरिकों की नजरबंदी के लिए माफी मांगी और मुआवजा देने का भी वादा किया।
- 1992 - संयुक्त राष्ट्र महासभा ने बोस्निया और हर्जेगोविना के बीच युद्ध में भूमिका के लिए यूगोस्लाविया को निष्कासित किया।
- 2002 - फ्रांस ने आइवरी कोस्ट में अपनी सेना भेजी।
- 2006 - अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के कंस्ट्रक्शन मिशन पर गये अटलांटिस स्पेश क्राफ्र्ट सकुशल अमेरिका के केनेडी स्पेस सेंटर पर उतरा।
- 2007 - ईरान ने 1800 किलोमीटर की मारक क्षमता वाली मिसाइल धद्र का प्रदर्शन किया।
- 2007 - नासा के एअर क्राफ्र्ट ने मंगल ग्रह पर गुफाओं जैसी सात आकृतियों का पता लगाया।
- 2011 - योजना आयोग (अब नीति आयोग) ने 2011 को सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में शहरों में 965 रुपये और गावों में 781 रुपये प्रति महीना खर्च करने वाले व्यक्ति को गरीब मानने से इंकार किया।
- 2011 - भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान और पटौदी के नवाब मंसूर अली खान पटौदी का निधन।
आम का खौफ और खास की बेफिक्री
आम लोग कोरोना के खौफ में जी रहे हैं। मगर विशेषकर सरकारी तंत्र से जुड़े कई प्रभावशाली लोग इससे बेपरवाह हैं, और वे अपने साथ-साथ दूसरों की जान भी जोखिम में डालने से पीछे नहीं हट रहे हैं। ऐसे ही एक कोरोना पॉजिटिव अफसर अपने दफ्तर जा धमके। अफसर दफ्तर के मुखिया भी हैं। उन्हें देखकर मातहत हैरान रह गए। वैसे अफसर के करीबी लोग यह तर्क देते रहे कि साहब की रिपोर्ट निगेटिव आ चुकी है। मगर कोरोना रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद भी कम से कम पांच दिन क्वॉरंटीन रहना होता है, इस दिशा निर्देश पर पालन करना अफसर ने उचित नहीं समझा। कुछ दिन पहले इसी दफ्तर में डेढ़ दर्जन से अधिक कर्मचारी कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे। कोरोना से एक की मृत्यु हो चुकी है। पर अफसर बेखौफ हैं, इससे मातहत कर्मचारी काफी बेचैन हंै।
अवैध शराब, खुली छूट
प्रदेश के कई जिलों में लॉकडाउन है। रायपुर में भी इस बार कड़ा लॉकडाउन हो जा रहा है। लॉकडाउन में स्वाभाविक तौर पर शराब दूकानें बंद रहेंगी। ऐसे में शराब के शौकीन कुछ चिंतित हैं। ऐसे लोगों की चिंता एक वाट्सअप ग्रुप में दूर करने की कोशिश की गई। ग्रुप के एक सदस्य ने लिखा कि शराब अवैध रूप से डंप किया जा रहा है। राशि थोड़ी ज्यादा लगेगी लेकिन सम्माननीय लोगों को घर पहुंच सेवा उपलब्ध होगी। समय आने पर संबंधित होटल और रेस्टोरेंट की जानकारी उपलब्ध करा दी जाएगी। पिछले लॉकडाउन में भी चुनिंदा होटलों को अवैध शराब बेचने के लिए खुली छूट थी।
शक्ति, भक्ति और सख्ती
धर्मपरायण देश में कोरोना ने हमारी उत्सवधर्मिता पर बड़ा प्रहार कर दिया है। बीती नवरात्रि फीकी बीती, आने वाली नवरात्रि पर अधिक जमावड़ा होता है। जगह जगह दुर्गा प्रतिमायें विराजित की जाती हैं और तमाम सांस्कृतिक समारोह होते हैं। बड़ी प्रतीक्षा के बाद राज्य शासन की गाइडलाइन आ ही गई। प्रतिमा 6 फीट से ऊंची नहीं होगी, मास्क पहनकर ही दर्शन करना होगा। पांडाल में एक समय में 20 से ज्यादा लोग इक_े नहीं हो पायेंगे। सैनेटाइजर रखना होगा, सोशल डिस्टेंस का नियम मानना होगा। कम से कम तीन हजार वर्गफीट खुली जगह रखनी होगी। गणपति उत्सव के दौरान भी ऐसी ही पाबंदियां थीं। लोगों ने प्रतिमायें ही नहीं रखीं। दुर्गा पूजा न केवल धार्मिक, सामाजिक मेल-मिलाप का माध्यम है बल्कि जनप्रतिनिधियों के लिये अपनी राजनीतिक पकड़ को मजबूत करने का भी जरिया हुआ करता है। एक चुने गये प्रतिनिधि को हर पंडाल के पीछे 50 हजार से लेकर 2 लाख रुपये तक का चंदा देना पड़ता है। इस बार कोरोना ने उनको बचा लिया।
किनके लिये अवसर बनकर आई आपदा
रोज-कमाने खाने वालों पर लॉकडाउन कहर बनकर टूट पड़ता है। मगर बहुत से लोग मजे में हैं। पूरे प्रदेश में हर जगह से ख़बर आ रही है कि सब्जियों के दाम में जबरदस्त उछाल आई। किराना सामान एमआरपी से नीचे मिल जाया करते थे पर लॉकडाउन के बाद विशेषकर खाद्यान्न के दाम बढ़ गये। इस कोरोना ने ऑनलाइन डिलिवरी वालों को बड़ा फायदा पहुंचाया है। लोग दिन रात मोबाइल, लैपटॉप पर चिपके हैं तो इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स का बिजनेस भी उछाल पर है। अफसर, कर्मचारी भी मजे में हैं। दफ्तरों में उनकी कुर्सियां पहले खाली रहती थी तो शिकायत होती थी, अब ऐसा है तो उसके पीछे कोरोना है। सडक़, पुल, पुलिया के काम जैसे भी हों चल रहे हैं, कोई निगरानी नहीं। इन सबसे ऊपर कोरोना के लिये जारी होने वाले बजट का मसला है। 750 करोड़ रुपये अब तक विभिन्न मदों में खर्च हो चुके हैं। कोई सवाल नहीं कि किस तरह खर्च किये गये। किन पर किये गये। जब कोरोना की आंधी गुजर जायेगी तब भी शायद ही कोई पूछताछ करे।
- 1921 -जर्मनी के ओप्पाउ में उर्वरक फैक्ट्री में विस्फोट हुआ जिसमें 500 लोगों की मृत्यु हो गयी।
- 1979 - मध्य अफ्रीकी गणराज्य के तथाकथित सम्राट बोकासा सैनिक क्रांति में अपदस्थ।
- 1998 - अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन और मोनिका लेविंस्की के प्रेम प्रकरण से संबंधित वीडियो टेप जारी।
- 2000 - भारत एवं ब्रिटेन के बीच बेहतर संबंध के लिए लिबरल डेमोक्रेटिक फ्रेड्स आफ़ इंडिया सोसायटी की स्थापना।
- 2001 - अफग़़ानिस्तान में सत्तारूढ़ तालिबान शासन और नार्दन एलाएंस में लड़ाई शुरू।
- 2003-अमेरिका के अंतरिक्ष यान गैलीलियो आठ साल के ज्यूपिटर मिशन के बाद वापस आया। संवैधानिक संशोधनों के नए मसौदे को भी पाकिस्तान के विपक्ष ने नामंजूर किया।
- 2004 - अमेरिका ने लीबिया से आर्थिक प्रतिबंध हटाया।
- 2005 - जूनिचिरो कोईजुमी को दुबारा जापान का प्रधानमंत्री चुना गया।
- 2007 - तंजानियाई वैज्ञानिकों ने दुर्लभ प्रजाति की मछली की खोज करने का दावा किया।
- 2008 - रिलायंस के कृष्ण गोदावरी बेसिन में तेल उत्पाद शुरू हुआ।
- 1853 - डच वैज्ञानिक हेइक केमरलिंग ओनेस का जन्म हुआ, जिन्हें अल्प तापमान भौतिकी पर कार्य करने के लिए तथा तरल हीलियम के उत्पादन के लिए सन् 1913 का भौतिकी का नोबेल पुरस्कार मिला। जिन्होंने अतिचालकता की खोज की। अतिचालकता कुछ पदार्थों की विशेषता होती है कि अगर उन्हें निरपेक्ष शून्य के तापमान में ठंडा किया जाए तो उनका विद्युत प्रतिरोध लगभग पूरी तरह खत्म हो जाता है। (निधन-21 फरवरी 1926)
- 1866 -ब्रिटेन के प्रख्यात लेखक व इतिहासकार हर्बर्ट जॉर्ज वेल्ज़ का जन्म हुआ।
- 1832 -फ्रांसीसी भौतिकशास्त्री लुइ पॉल कैल्लेटेट का जन्म हुआ, जिन्हें गैसों के लिक्वीफैक्शन के लिए जाना जाता है। इन्होंने अपने पिता के धातुकर्म में हाथ बंटाया और हाइड्रोजन तथा अन्य गैसों में लोहे की पारगम्यता का अध्ययन किया। (निधन- 5 जनवरी 1913)
- 1939-अंग्रेज़ चिकित्सक जॉर्ज रेडमैयने म्यूरे का निधन हुआ, जो एन्डोक्राइन बीमारियों के इलाज पर कार्य करने वाले अग्रणी लोगों में माने जाते हैं। वे पहले व्यक्ति थे जिन्होंने माइक्सेडेमा के उपचार के लिए जानवरों के थायरॉइड का इस्तेमाल किया। (जन्म 20 जून 1865)
- 1971-अर्जेन्टीना के शरीर क्रिया विज्ञानी बर्नार्डो अल्बर्टो हॉसे का निधन हुआ, जिन्हें कार्ल और गेर्टी कोरी के साथ सन् 1947 में शरीर क्रिया विज्ञान तथा चिकित्सा का नोबेल पुरस्कार मिला। जिन्होंने बताया कि पीयूष ग्रन्थि के हार्मोन किस तरह से जन्तुओं में रक्त की शर्करा को विनियमित करते हैं। (जन्म 10 अप्रैल 1887)
- महत्वपूर्ण दिवस
- अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस
कमलनाथ के सहयोगी की ट्वीट
कांग्रेस पार्टी से जुड़़े हुए लोग जब कांग्रेस के मामलों पर कुछ कहते हैं तो वह न तो अनायास होता, और न ही मासूम होता। कांग्रेस पार्टी के हिन्दी विभाग के सचिव रहे, या शायद अभी भी हैं, पंकज शर्मा को मध्यप्रदेश में कमलनाथ ने मुख्यमंत्री रहते हुए अपना मीडिया सलाहकार बनाया था। आज सुबह उन्होंने ट्विटर पर लिखा- ईश्वर करे कि त्रिभुवनेश्वर शरण सिंहदेव की ललक की लपटें इतनी न लपकें कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को ताताचट का अहसास हो। यही कामना मंै अशोक गहलोत के लिए करूंगा कि सचिन पायलट की सहनशीलता फिर जवाब न दे।
अब छत्तीसगढ़ और राजस्थान की राजनीति में मुख्यमंत्री पद को लेकर कमलनाथ के सहयोगी रहे पंकज शर्मा के इस बयान के पीछे की नीयत भी देखी जानी चाहिए क्योंकि वे आज भी कमलनाथ की तारीफ की ट्वीट कर ही रहे हैं। उन्होंने बीती आधी रात के बाद लिखा है- कमलनाथ ने अगर मध्यप्रदेश में कांग्रेस की वापिसी का कमाल दिखा दिया तो वे इतिहास में कमाने-गंवाने-कमाने की कला का अमर प्रतीक बन जाएंगे।
कल ही कमलनाथ के इस मीडिया सलाहकार रहे कांग्रेस से जुड़े व्यक्ति ने पंजाब के कांग्रेसी मुख्यमंत्री के बारे में लिखा है- कैप्टन अमरिंदर अपने आसपास की चहल-पहल पर जरा ठीक से निगाह नहीं रखेंगे तो उनका तो जो होगा सो होगा, कांग्रेस का बड़ा नुकसान हो जाएगा। अब इन तमाम ट्वीट का मतलब इन तीनों राज्यों के कांग्रेस के लोगों को निकालना चाहिए।
बीजापुर की अंजलि पंजाब पढऩे जायेगी?
फिल्मों में प्राय: खलनायक की भूमिका में नजर आने वाले सोनू सूद ने लॉकडाउन के दौरान मजदूरों को घर पहुंचाने का बीड़ा उठाया। सैकड़ों लोगों के लिये वे मसीहा के रूप में सामने आये। उनकी टीम ने इसके अलावा भी लोगों की मदद पहुंचाई। इनमें बीजापुर की अंजलि भी है जिसका घर बाढ़, बारिश में ढह गया और उसकी सारी किताबें भींगकर खराब हो गई। सोशल मीडिया के जरिये सोनू सूद तक यह बात पहुंची। उन्होंने ट्वीट कर जवाब दिया, रो मत बहना तुम्हें नया घर भी मिलेगा और तुम्हारी पढ़ाई भी पूरी होगी। इस ट्वीट के बाद घर को दुबारा खड़ा करने के लिये प्रशासन भी मदद के लिये आगे आया। अब सोनू सूद की टीम ने अंजलि को पंजाब या हरियाणा की किसी यूनिवर्सिटी में पढ़ाने का प्रस्ताव दिया है। जैसी ख़बरें आई है अंजलि को तो प्रस्ताव मंजूर है पर उसने फैसला अपने पिता पर छोड़ दिया है। हमें लगता है कि अवसर अच्छा है। अंजलि को बाहर पढऩे के लिये हामी भर देनी चाहिये। अब तो यहां से लड़कियां आईएएस भी बन रही हैं। झिझक टूटेगी तब वह भी आगे बढ़ेगी।
लोग मानें तब न टूटे कोरोना की चेन
एक बार फिर छत्तीसगढ़ के अधिकांश शहरों में लॉकडाउन की स्थिति है। बेमेतरा, मुंगेली, रायगढ़ में पहले से ही लॉकडाउन चल रहा है जबकि दुर्ग में कल से और रायपुर, बिलासपुर में 22 से एक सप्ताह के लिये लॉकडाउन लागू होने जा रहा है। रायपुर, बिलासपुर में वैसे तो लॉकडाउन की कई दिनों से मांग हो रही थी पर आधिकारिक आदेश शनिवार की शाम को जारी किया गया। जरूरी खरीदी के लिये ढाई दिन का पर्याप्त समय था, पर लॉकडाउन की घोषणा होते ही लोगों की ऐसी भीड़ उमड़ पड़ी मानो कुछ देर बाद ही सब कुछ बंद होने वाला है। सोशल डिस्टेंसिंग की जिस तरह से दुकानों में मजाक हुआ लोग खुद के साथ ही खिलवाड़ कर रहे थे। लॉकडाउन के मकसद को ही लोग भूल गये। ऐसी स्थिति से प्रशासन आखिर कैसे निपटे? इस बार लॉकडाउन के दौरान फल, सब्जी और किराना दुकानों को भी बंद रखा जा रहा है। सबसे ज्यादा नियम उल्लंघन इन्हीं जगहों पर हो रहा था। पिछले आंकड़े बताते हैं कि अब तक लॉकडाउन से कोरोना केस कम करने में खास मदद नहीं मिली। अब देखें कि ज्यादा सख्त लॉकडाउन लगने से कोई फर्क पड़ता है या नहीं।
चलती तो विधायक की भी है...
15 साल बाद कांग्रेस पर ऐसी कृपा बरसी कि संघर्ष करने वालों को समायोजित करना बड़ी समस्या बनकर सामने आई है। नगर-निगम चुनाव में जिन लोगों को टिकट नहीं मिली उनको भरोसा दिलाया गया कि आगे पद दिये जायेंगे। प्रदेशभर में निगम-मंडल में अनेक नियुक्तियां हुईं, जितने खुश हुए उससे ज्यादा लोग नाराज। बिलासपुर नगर-निगम में कल घोषित एल्डरमैन की सूची भी कुछ ऐसी ही है। जिन 11 लोगों को मौका मिला उनमें ज्यादातर वे थे जिनको कांग्रेस ने टिकट नहीं दी थी। कुछ एक नाम ऐसे भी थे जिनको बागी प्रत्याशी ने हरा दिया। यहां तक तो बात ठीक थी। पर संगठन का खेमा बड़ा नाराज़ चल रहा है। जिनके बारे में यह राय थी कि एक पत्ता भी उनके इशारे के बिना नहीं हिलता। एक बड़े पदाधिकारी ने यहां तक कह दिया कि जिन लोगों ने कांग्रेस की सरकार बनाने के लिये लाठियां खाईं उनको दरकिनार कर दिया गया। सबको पता ही है कि कांग्रेस भवन में पुलिस ने घुसकर लाठियां चलाई थी और कई कांग्रेस नेता, कार्यकर्ता घायल हो गये थे। यह घटना अब दो साल पुरानी हो चुकी है और किसी पर अब तक बस जांच ही चल रही है, किसी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई है। दिलचस्प यह है कि 11 नामों में से 7 नाम स्थानीय विधायक के हैं। अब तक हवा यह रही है कि उनकी बात ऊपर सुनी नहीं जाती। सूची घोषित होने के बाद उनके घर भीड़ बढऩे होने लगी है।
ऐसे किया गया मुंह बंद...
कोरबा सबसे मालामाल जिला है। जिला खनिज फाउन्डेशन के कोष में 100 करोड़ से भी ज्यादा हर साल मिल जाते हैं। भाजपा की सरकार जब थी यह रकम कलेक्टर की मर्जी से खर्च की जाती थी। अब इसके लिये समन्वय समिति बना दी गई है। इसके चलते बदलाव यह हुआ है कि सत्तारूढ़ दल की भी चल रही है। किसे किस काम का ठेका मिले यह तय करने के लिये विधायक, सांसद और मंत्री की सिफारिश होती है। हाल ही में एक कांग्रेस नेता को आसपास के इलाकों में किसी काम के लिये दो करोड़ का ठेका मिला। नियमों में ढील देते हुए। न्यास के फंड से पहले बहुत से काम कर चुके एक भाजपा नेता ने भी दावा किया था। उसने इधर उधर चि_ी लिखी, शिकायत की। मामला कैसे सुलझा? अब इस भाजपा नेता को भी एक दूसरा काम मिल गया है। खुद कांग्रेस पार्टी के ताकतवर नेताओं ने भाजपा के लोगों को काम दिलाया।
- 1952-अल्फ्रेड हर्शी तथा मार्था चेज़ ने स्पष्ट किया कि डी.एन.ए. में आनुवांशिक गुण निहित होते हैं।
- 1813- चमड़ा निर्माण में पहला पेटेन्ट सेद बॉयडन ने प्राप्त किया जिन्होंने एक टैनरी की स्थापना की।
- 1995 - संयुक्त राज्य महासभा का 50 वां अधिवेशन प्रारम्भ।
- 2000 - क्लिंटन दम्पत्ति व्हाइट वाटर कांड के आरोपों से मुक्त।
- 2001 - अमेरिका ने 150 लड़ाकू विमान खाड़ी में उतारे।
- 2003- संयुक्त राष्ट्र महासभा ने एक प्रस्ताव पारित कर इस्रायल से यासिर अराफ़ात की सुरक्षा सुनिश्चित करने को कहा।
- 2004 - इंडोनेशिया में राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए मतदान।
- 2006 - ब्रिटेन के रॉयल बॉटैनिक गार्डन्स के वैज्ञानिकों को 200 वर्ष पुराने बीज उगाने में कामयाबी मिली। बहरीन में विश्व कन्नड़ संस्कृति सम्मेलन का आयोजन। 15 वर्ष बाद ब्रूसेल्स में भारत महोत्सव का आयोजन पुन: प्रारम्भ।
- 2007 - फ्रांस की सबसे वृद्ध महिला सिमोन कैपोन की 113 की उम्र में मृत्यु ।
- 2009 - मराठी फि़ल्म हरिशचन्द्राची फैक्ट्री को आस्कर अवाड्र्स की विदेशी फि़ल्म कैटिगरी में भारत की एंट्री के तौर पर चुना गया।
- 1911 -भारतीय आध्यात्मिक नेता श्रीराम शर्मा आचार्य का जन्म हुआ।
- 1949 -हिन्दी कला फि़ल्में देने वाले निर्माता निर्देशक महेश भट्ट, का जन्म हुआ।
- 1933 -भारत में होमरुल लीग की संस्थापिका एनी बेसेंट का निधन हुआ
- 1942 - भारतीय महिला स्वतंत्रता सेनानी कनकलता बरुआ का निधन हुआ।
- 1888-अमेरिकी चिकित्सक डेविड मैरीन का जन्म हुआ, जिन्होंने घेंघा रोग के इलाज पर अनुसंधान किया और पता लगाया कि अगर भोजन के साथ आयोडीनयुक्त नमक दिया जाये तो यह घेंघा के रोकथाम में बहुत मददगार होता है। (निधन-6 नवम्बर 1976)
- 1842 -ब्रिटिश रसायनज्ञ और भौतिकशास्त्री सर जेम्स डेवर का निधन हुआ, जिन्होंने अल्प-तापमान का अध्ययन किया और दो कुचालक डिब्बे का आविष्कार किया जिसे आज थर्मस में इस्तेमाल किया जाता है। (निधन-27 मार्च 1923)
- 1965-अंग्रेज़ भूविज्ञानी और पाषाण विज्ञानी आर्थर होल्म्स का निधन हुआ, जो बीसवीं सदी के प्रमुख भूवैज्ञानिकों में एक माने जाते हैं। उन्होंने भौतिकभूशास्त्र का अध्ययन किया तथा आग्नेय चट्टानों के उद्गम के बारे में बताया। (जन्म 14 जनवरी 1890)
- 2000 -रूसी अंतरिक्ष यात्री घेरमन स्टैपैनोविक टिटोव का निधन हुआ, जो 6-7 अगस्त 1961 को वोस्टोक-2 अंतरिक्षयान के चालक थे। वे एक दिन से अधिक अंतरिक्ष में रहने वाले पहले अंतरिक्ष यात्री थे।(जन्म 11 सितम्बर 1935)
- महत्वपूर्ण दिवस
- रेलवे सुरक्षा बल की स्थापना दिवस
मुकाबला किताबों का...
छत्तीसगढ़ के कुछ आईएएस-आईपीएस अफसरों के बीच एक दिलचस्प बहस चल रही है जिसमें वे अपनी किताबों की आलमारियों की तस्वीरें डालकर अपना खजाना दिखा रहे हैं। अब जब एक ने आलमारियां दिखा दीं, तो देखा देखी में दूसरे अफसर ने भी किताबों को अपना खजाना पेश कर दिया। लेकिन साथ-साथ विनम्रता से यह भी लिख दिया कि वे किताबें रखने का मुकाबला तो कर सकते हैं, ज्ञान का मुकाबला नहीं कर सकते।
आज के वक्त में अफसरों के बीच ज्ञान दुर्लभ है, और उससे थोड़ा ही कम दुर्लभ है गंभीर और महत्वपूर्ण किताबें रखना। कई अफसर तो ऐसे हैं जिनसे मिलते हुए आपको दस-बीस बरस गुजर जाएं, लेकिन उनके मुंह से कभी किसी एक किताब का नाम न निकले, कभी उनकी मेज पर किताब नाम की धूल जमी हुई न दिखे। गिने-चुने ही ऐसे लोग रहते हैं जो पढऩे में भरोसा रखते हैं। पुलिस महकमे में पिछले बरसों में कम से कम दो ऐसे अफसर रहे जो कि देश भर के पुलिसवालों में सबसे अधिक पढऩे वाले थे। सुभाष अत्रे, और विश्वरंजन। दोनों ही खूब किताबें खरीदते थे, खूब पढ़ते थे, और किताबों के ज्ञान की खूब चर्चा भी करते थे। इनमें से विश्वरंजन काफी कुछ लिखते भी थे, लेकिन सुभाष अत्रे उस मेहनत से बचे रहते थे। अभी जिन दो अफसरों में ट्विटर पर किताबों का मुकाबला चल रहा है, वे अभी-अभी डीजी बने आर.के.विज, और रेवेन्यू बोर्ड के अध्यक्ष चित्तरंजन खेतान हैं। विज लगातार देश के अखबारों में लिखते भी रहते हैं, और खेतान कम से कम पढ़ते तो रहते ही हैं। सरकार में रहते हुए पढऩे वालों का नजरिया कुछ अलग रहता है, इस बात को उनसे मिलने-जुलने वाले लोग समझ सकते हैं, यह एक अलग बात है कि उससे सरकार में उनका सम्मान बढ़ता हो, या न बढ़ता हो।
सुभाष अत्रे जब तक छत्तीसगढ़ में रहे उनसे कोई पढऩे के शौकीन मिलें, तो वे तुरंत मेज के बगल से बक्सा उठाकर ताजा आई किताबें दिखाने लगते थे। उनका ज्ञान भी इनसाइक्लोपीडिया सरीखा था, और विश्वरंजन का भी। अब दोनों यहां नहीं रहे, और इसका बड़ा नुकसान उनके साथ चर्चा करने वाले लोगों का हुआ है।
पुनिया से जुड़ी खुशी
पीएल पुनिया के दोबारा प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी बनने से कई समीकरण बदल गए हैं। पहले उनके प्रभारी पद से हटने की चर्चा थी। यह भी हल्ला था कि पुनिया की मौजूदगी में निगम-मंडलों की जो सूची तैयार की गई थी, उसमें कुछ बदलाव होगा। दरअसल, पुनिया ने कुछ नाम जुड़वाए थे, जिस पर कई प्रमुख लोग सहमत नहीं थे। अब जब दोबारा प्रभारी बन गए हैं, तो निगम-मंडलों की सूची में बदलाव होना मुश्किल है। पुनिया के प्रभारी बनने एक युवा नेता काफी खुश हैं। पहले युवा नेता को निगम-मंडलों में पद देने पर सहमति बन गई थी। मगर पुनिया के हटने की चर्चा के साथ-साथ युवा नेता का नाम भी कटने के आसार जताए जा रहे थे। अब जब पुनिया प्रभारी बन गए हैं, तो नाम कटने का सवाल ही पैदा नहीं होता। ऐसे में युवा नेता का खुश होना लाजमी है।