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18+ को टीके, राज्य मंत्रिमंडल ने नई नीति पर चर्चा की, आज तय हो जाने की सम्भावना
09-May-2021 1:15 PM
18+ को टीके, राज्य मंत्रिमंडल ने नई नीति पर चर्चा की, आज तय हो जाने की सम्भावना

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 9 मई।
छत्तीसगढ़ में 18 वर्ष से 44 वर्ष के बीच के लोगों को कोरोना के टीके लगाने के लिए राज्य सरकार एक नई नीति बनाने जा रही है और आज राज्य मंत्रिमंडल ने उस पर चर्चा की है। ऐसी उम्मीद की जा रही है कि आज शाम के पहले यह नीति तय कर ली जाएगी और हाई कोर्ट के सामने रखी जाएगी जहां पर राज्य सरकार के पिछले टीकाकरण आदेश को लेकर कई याचिकाएं लगी हुई हैं। 

उल्लेखनीय है कि अभी हाईकोर्ट के एक अंतरिम आदेश के तहत प्रदेश में इस आयु वर्ग के लोगों को टीकाकरण शुरू किया गया है। इसके तहत एक तिहाई टीके अंत्योदय कार्ड रखने वाले सबसे गरीब तबके को लगाए जा रहे हैं, एक तिहाई टीके गरीबी की रेखा के नीचे के दूसरे लोगों को लगाए जा रहे हैं, और एक तिहाई टीके गरीबी रेखा के ऊपर के बाकी तमाम लोगों के लिए हैं जिनमें किसी आय वर्ग का कोई भेदभाव नहीं है। 

जब तक हाईकोर्ट में राज्य सरकार अपनी नई नीति पेश नहीं करती है और उस पर हाईकोर्ट का फैसला नहीं आता है तब तक के लिए टीके लगाने का यह फार्मूला अभी चल रहा है। लेकिन दूसरी तरफ इस महीने अभी तक दोनों वैक्सीन कंपनियों की तरफ से कुल मिलाकर 5 लाख वैक्सीन राज्य सरकार को मिली हैं और ढाई-तीन लाख वैक्सीन इस पूरे महीने में और मिलने की उम्मीद है इसलिए जितने लोग वैक्सीन पाने के हकदार हैं उनके मुकाबले वैक्सीन बहुत ही कम है और राज्य सरकार के जानकार सूत्र बताते हैं कि 1 बरस में भी शायद हर किसी को वैक्सीन नहीं लग पाएगी।

राज्य सरकार वैक्सीन खरीदने के लिए देश की दो कंपनियों से लगातार संपर्क में हैं लेकिन उनकी तरफ से किसी तरह का कोई ठोस आश्वासन नहीं है। ऐसे में राज्य सरकार उसे मिलने वाली वैक्सीन को किस अनुपात में अलग-अलग तबकों को देगी इस पर एक नीति बनाकर आज राज्य मंत्रिमंडल ने उस पर चर्चा की है। इसमें जो तबका अधिक खतरे में है, उसे अधिक प्राथमिकता दी गई है, और अलग-अलग आय वर्ग के लोगों का आबादी में जो अनुपात है उस अनुपात में भी उतनी वैक्सीन उनके लिए रखी जा रही है। यह नीति अभी अंतिम रूप से तय नहीं हुई है, लेकिन आज इसके फाइनल हो जाने का अंदाज है।

हाईकोर्ट के आदेश के बाद राज्य सरकार ने कल से ही वैक्सीन लगाना शुरू किया था और जिस अंत्योदय तबके को सरकार प्राथमिकता देना चाहती थी उस तबके के सबसे कम लोग इसके लिए पहुंचे। हाईकोर्ट ने तो इस तबके के लिए भी एक तिहाई वैक्सीन रखने का आदेश दिया था, लेकिन इतने लोग भी कल नहीं पहुंचे। जबकि दूसरी तबकों के लोगों की लम्बी कतारें लगी थीं. 

इस संवाददाता ने कुछ जिला कलेक्टरों से बात की है और राज्य शासन के कुछ अन्य उच्चाधिकारियों से बात की है जिनका यह कहना है कि टीके लगवाने को लेकर बहुत से लोगों के मन में अभी तरह-तरह की आशंकाएं हैं। टीके लगवाने के बाद कई लोगों को एक दिन बदन में दर्द होता है या बुखार आता है और इन दिनों ऐसे लक्षण होने पर कोरोना  की आशंका भी हो जाती है। इसलिए बहुत से लोग टीके लगवाने से हिचक रहे हैं।  और अंत्योदय तबके में सबसे कमजोर आय वर्ग के लोग हैं जो कि पढ़ाई लिखाई में भी सबसे कमजोर हैं, या पीछे हैं, और इसलिए टीके पर उनका भरोसा कायम होने में वक्त लग रहा है सरकार का कहना है कि उसका अमला लोगों को सहमत कराने में लगा हुआ है लेकिन प्रदेश में कई जगहों पर टीकों का खुला विरोध भी किया गया है और इसलिए भी सबसे गरीब तबका असमंजस और अविश्वास का सबसे अधिक शिकार भी हो रहा है।

प्रदेश की एक करोड़ 34 लाख आबादी को राज्य सरकार को अपने खर्चे से टीके लगवाने हैं और इतनी आबादी को 2-2 टीके लगवाने में शासन के करीब 13 सौ करोड़ रुपए खर्च हो सकते हैं। इस अखबार में कुछ दिन पहले इतनी आबादी के लिए टीके खरीदने की लागत करीब हजार करोड़ लिखी गई थी और अभी शासन के सूत्रों ने खरीदी की लागत इतनी ही बताते हुए कहा है कि करीब 300 करोड़ रुपए टीके लगाने में भी खर्च होंगे।

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