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असाधारण कैंसर का निःशुल्क इलाज करवा एनएच एमएमआई ने तीन वर्षीय बच्ची को दिया नया जीवन
04-Feb-2022 1:03 PM
रायपुर, 4 फरवरी। एनएचएमएमआई नारायणा सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, रायपुर के फैसिलिटी डायरेक्टर नवीन शर्मा ने बताया कि माता पिता के लिए अपने बच्चे का बालपन बहुत ही सुहाना और खुशनुमा होता है, जो उन्हें जीवन भर गुदगुदाया रहता है पर अगर उसी जिगर के टुकड़े को 3 साल की छोटी सी उम्र में कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी हो जाए तो उनका दर्द कोई और नहीं समझ सकता। जिस उम्र में बच्चे डॉक्टर और अस्पताल के खेल खेला करते हैं वहीं परी ने हिम्मत और ताकत का उदाहरण बन अपने कैंसर पर जीत हासिल की।
श्री शर्मा ने बताया कि साहस और जीत की कहानी जगदलपुर की 3 साल की बच्ची को एक्यूटल्यूकेमियानामक असाधारण कैंसर की बीमारी थी। उन्होंने एनएच कैंसर केयर टीम के सहयोग एवं समर्थन के साथ कैंसर से लड़ाई लड़ी और जीती। एक्यूट ल्यूकेमिया ब्लड और बोन मैरो का एक दुर्लभ प्रकार का कैंसर है।
श्री शर्मा ने बताया कि यह कैंसर बच्चों में अधिक देखा जाता है, भारत में प्रति दस लाख में 62.3 लड़कियां इससे प्रभावित होती हैं। यह तब होता है जब एक बोन मैरो कोशिका अपने डीएनए में बदलाव विकसित करती है। परी, एक 3 वर्षीय बच्ची को चिड़चिड़ापन, नियमित बुखार की शिकायत के साथ एनएच कैंसर केयर लाया गया था, वह ठीक से खा भी नहीं पा रही थी, जिससे अत्यधिक सुस्त और कमजोर हो गई थी, वह ठीक से चल भी नहीं पाती थी।
श्री शर्मा ने बताया कि शुरुआत में, उसे जगदलपुर के एक स्थानीय अस्पताल में ले जाया गया, जहाँ डॉक्टरों ने परी को आगे के जाँच व इलाज के लिए एक उच्च सुविधा अस्पताल में ले जाने का सुझाव दिया गया। उसके माता-पिता ने आगे के जाँच व इलाज के लिए एक बड़े शहर जाने का फैसला तो किया, लेकिन उनकी आर्थिक स्थिती एक बाधा बन गई। एक एनजीओ द्वारा पता लगने पर वे रायपुर आए और एनएचएमएमआई नारायणा सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, रायपुर में कैंसर केयर टीम से मिले।
श्री शर्मा ने बताया कि परी की मां सुषमा बघेल ने बताया हम जगदलपुर के एक स्थानीय अस्पताल में गए जब परी 2 महीने से लगातार बीमार चल रही थी। शुरुआत में परी को काफी उल्टियां हुई और हाथों और पैरों में सूजन आ गई और फिर मेरी छोटी बेटी चल भी नहीं पा रही थी। स्थानीय अस्पताल की जांच में पता चला कि परी में खून की कमी अधिक मात्रा मेथी, लेकिन व बीमारी के बारे में निश्चित नहीं थे । हमें डॉक्टरों ने आगे के जाँच और इलाज के लिए एक बड़े शहर में उच्च सुविधा अस्पताल जाने का सुझाव दिया।
श्री शर्मा ने बताया कि हम रायपुर आए और परी को एनएचएमएमआई नारायणा सुपरस्पेशलिटी अस्पताल, रायपुर में एक्यूट ल्यूकेमिया का पता चला। जब हमें इसके बारे में पता चला तो हमारे पैरों तले जमीन खिसक गई। क्योंकि हमें यह भी नहीं पता था कि इलाज शुरू करने के लिए पैसे का इंतजाम कैसे करेंगे। एनएच कैंसर केयर की टीम ने हमारा सहयोग किया।
श्री शर्मा ने बताया कि डॉ. सिद्धार्थ तुरकर और यहां विशेषज्ञ कैंसर केयर टीम के कारण ही परी फिर से चल और खेल पा रही है। पूरे कैंसर केयर डिपार्टमेंट ने परी के इलाज को आसान बना दिया, नर्सों और डॉक्टरों ने हमारा हौसला बढ़ाया और खुद भी बच्चे बन कर उसका इलाज आसान कर दिया। टीम ने हमे कभी यह महसूस नहीं कराया कि परी का कैंसर का इलाज चल रहा है ।हमे ऐसा लगा कि हंसते खेलते हो गया कैंसर का इलाज।
श्री शर्मा ने बताया कि जब हमे पता चला के ये बच्ची कैंसर से ग्रसित है और इसके माता-पिता इलाज का खर्च वहन नहीं कर सकते, तो हमने इस बच्ची की जान बचाने को अपनी प्राथमिकता बनाई। हमने परी के इलाज और उनके रहने की व्यवस्था के साथ उसकी दवाइयों का खर्च भी अस्पताल ने उठाया। आज परी को हस्ते खेलते देख हमारे प्रयास सार्थक हुए।