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युद्ध से थरथराते शेयर बाजार, पिछले 12 कारोबारी सत्रों में सेंसेक्स 4000 अंक से ज्यादा लुढ़का, जानिए आगे का हाल
05-Mar-2022 11:00 AM
युद्ध से थरथराते शेयर बाजार, पिछले 12 कारोबारी सत्रों में सेंसेक्स 4000 अंक से ज्यादा लुढ़का, जानिए आगे का हाल

मुंबई, युद्ध से दुनिया भर के शेयर बाजारों की हालत खराब है. भारतीय शेयर बाजार भी लगातार नीचे की तरफ गोते लगा रहे हैं. कल सप्ताह के आखिरी कारोबारी दिन शुक्रवार को भी सेंसेक्स निफ्टी भारी गिरावट के साथ बंद हुए. कल शुक्रवार को सेंसेक्स 768.87 अंक यानी 1.40 फीसदी की गिरावट के साथ 54,333.81 के स्तर पर बंद हुआ. वहीं नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 252.60 अंक यानी 1.53 फीसदी टूटकर 16,245.40 के स्तर पर बंद हुआ. सिर्फ एक दिन में ही भारतीय निवेशकों के 5 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा डूब गए.

शुक्रवार को सेंसेक्स 54,333 अंक पर बंद हुआ. 23 फरवरी को यह 57232 अंक पर बंद हुआ था. 24 फरवरी को हमले की खबर से इंडियन स्टॉक मार्केट में 2700 अंक की गिरावट आई थी. लेकिन, उसके बाद के सत्रों में यह काफी हद तक संभलने में कामयाब रहा था. 15 फरवरी के बाद से इंडियन इनवेस्टर्स के 15 लाख करोड़ रुपये डूब चुके हैं. 15 फरवरी से रूस ने यूक्रेन पर बड़े हमले की तैयारी शुरू कर दी थी. उसने बाद में बड़े हमले के लिए सीमा से अपनी थोड़ी सेना हटाने का ऐलान किया था.

हमले के 10 दिन
रूस ने 24 फरवरी की सुबह (भारतीय समय के अनुसार) यूक्रेन पर हमला कर दिया था. आज हमले का 9वां दिन है. 24 फरवरी से अब तक सेंसेक्स करीब 3000 अंक गिर चुका है. इस दौरान निफ्टी 818 अंक लुढ़का है. 15 फरवरी के बाद से सेंसेक्स करीब 4,000 अंक गिर चुका है. इससे इनवेस्टर्स के 197 अरब डॉलर डूब गए हैं.

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पहले यूक्रेन के दो इलाकों-लुहांस्क और डोनेट्स्क को आजाद प्रांत घोषित किया. फिर, 23 फरवरी को उन्होंने इमर्जेंसी का ऐलान किया. 24 फरवरी को यूक्रेन पर हमला कर दिया. इसके बाद इंटरनेशनल मार्केट में क्रूड ऑयल की कीमतों में तेज उछाल आया है. उधर, शुक्रवार सुबह यूक्रेन में सबसे बड़े न्यूक्लियर रिएक्टर में आग लगने की खबर आई. हालांकि, यह आग बुझा ली गई.

संकट जल्दी खत्म होने के आसार कम 
एक्सपर्ट्स का कहना है कि बाजार पर दबाव जारी रहने के आसार हैं. इसकी वजह यह है कि अभी यूक्रेन संकट खत्म होने की उम्मीद नहीं दिख रही है. तीन दौर की बातचीत के बाद भी कोई नतीजा निकला है. कड़े प्रतिबंधों के बाद भी रूस के राष्ट्रपति व्लदिमीर पुतिन के तेवर में बदलाव नहीं आया है. ऐसे में इनवेस्टर्स को सावधानी बरतने की जरूरत है. उन्हें एक बार में ज्यादा निवेश से बचना चाहिए.

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