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ईडी ने नेशनल हेराल्ड का दफ़्तर किया सील, कांग्रेस मुख्यालय के बाहर पुलिसकर्मी तैनात
03-Aug-2022 5:56 PM
ईडी ने नेशनल हेराल्ड का दफ़्तर किया सील, कांग्रेस मुख्यालय के बाहर पुलिसकर्मी तैनात

प्रवर्तन निदेशालय ने दिल्ली स्थित नेशनल हेराल्ड का दफ़्तर सील कर दिया है. समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक़ ईडी ने ये भी निर्देश दिया है कि उसकी बिना पूर्व अनुमति के परिसर को नहीं खोला जाएगा.

साथ ही दिल्ली स्थित कांग्रेस दफ़्तर के बाहर बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है. एक दिन पहले ही ईडी ने नेशनल हेराल्ड से जुड़े कथित मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में दिल्ली और अन्य जगहों पर छापे मारे थे. कुछ दिनों पहले ही ईडी ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से पूछताछ की थी

साथ ही कांग्रेस सांसद राहुल गांधी से भी ईडी कई दौर की पूछताछ कर चुका है. ईडी के मुताबिक़ प्रिवेंशन ऑफ़ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के संबंधित प्रावधानों के तहत सोनिया गांधी और राहुल गांधी से पूछताछ हुई है.

नेशनल हेराल्ड अख़बार का प्रकाशन एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) करती है जिस पर यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड की मिल्कियत है. माना जा रहा है कि ईडी ने एजेएल से संबंधित ठिकानों पर छापेमारी की है.

ईडी ने इसी मामले में मल्लिकार्जुन खड़गे और पवन बंसल से भी पूछताछ की थी.

नेशनल हेराल्ड केस क्या है?

ये मामला नेशनल हेराल्ड अख़बार से जुड़ा है, जिसकी स्थापना 1938 में भारत के पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने की थी. उस समय से यह अख़बार कांग्रेस का मुखपत्र माना जाता रहा था.

अख़बार का मालिकाना हक़ 'एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड' यानी 'एजेएल' के पास था, जो दो और अख़बार भी छापा करती थी. हिंदी में 'नवजीवन' और उर्दू में 'क़ौमी आवाज़'.

आज़ादी के बाद 1956 में एसोसिएटेड जर्नल को ग़ैर व्यावसायिक कंपनी के रूप में स्थापित किया गया और कंपनी एक्ट धारा 25 के अंतर्गत इसे कर मुक्त भी कर दिया गया. वर्ष 2008 में 'एजेएल' के सभी प्रकाशनों को निलंबित कर दिया गया और कंपनी पर 90 करोड़ रुपये का क़र्ज़ भी चढ़ गया.

फिर कांग्रेस नेतृत्व ने 'यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड' नाम की एक नई ग़ैर व्यावसायिक कंपनी बनाई, जिसमें सोनिया गांधी और राहुल गांधी सहित मोतीलाल वोरा, सुमन दुबे, ऑस्कर फर्नांडिस और सैम पित्रोदा को निदेशक बनाया गया.

इस नई कंपनी में सोनिया गांधी और राहुल गांधी के पास 76 प्रतिशत शेयर थे जबकि बाकी के 24 प्रतिशत शेयर अन्य निदेशकों के पास थे. कांग्रेस पार्टी ने इस कंपनी को 90 करोड़ रुपए बतौर ऋण भी दे दिया.

इस कंपनी ने 'एजेएल' का अधिग्रहण कर लिया. भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने वर्ष 2012 में एक याचिका दायर कर कांग्रेस के नेताओं पर 'धोखाधड़ी' का आरोप लगाया था. उन्होंने अपनी याचिका में कहा था कि 'यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड' ने सिर्फ़ 50 लाख रुपयों में 90.25 करोड़ रुपये वसूलने का उपाय निकाला जो 'नियमों के ख़िलाफ़' है.

याचिका में आरोप लगाया गया कि 50 लाख रुपये में नई कंपनी बनाकर 'एजेएल' की 2000 करोड़ रुपये की संपत्ति को 'अपना बनाने की चाल' चली गई. (bbc.com)

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