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चेन्नई, 12 सितंबर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने दो अक्टूबर को पूरे तमिलनाडु में घोष (बैंड) के साथ संगठन का गणवेश (वर्दी) पहनकर जुलूस निकालने और उसके बाद जनसभा आयोजित करने की अनुमति देने के लिए मद्रास उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है।
न्यायमूर्ति जी.के. इलांथिरैयान के समक्ष याचिकाएं सुनवाई के लिए आईं जिन्होंने ने राज्य के गृह सचिव और पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।
अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 22 सितंबर की तारीख तय की।
आरएसएस की शिवकाशी इकाई के प्रमुख शिवलिंगम के अनुसार, उन्होंने स्थानीय पुलिस प्राधिकार के पास जुलूस निकालने की अनुमति के लिए आवेदन किया था। लेकिन, कोई जवाब नहीं मिला।
याचिकाकर्ता के वकील राबू मनोहर ने कहा कि आरएसएस कोई प्रतिबंधित संगठन नहीं है। उन्होंने कहा कि यह एक देशभक्त, राष्ट्रवादी और सांस्कृतिक संगठन है और इसके जुलूसों को जम्मू कश्मीर सहित पूरे देश में संबंधित राज्य सरकारों द्वारा अनुमति दी जा रही है।
वकील ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि केवल तमिलनाडु में ही संबंधित अधिकारी जुलूस निकालने की अनुमति प्रदान नहीं कर रहे हैं जबकि ये शांतिपूर्ण होगा।
उन्होंने कहा कि जब अधिकारी विभिन्न राजनीतिक दलों और अन्य संगठनों को जुलूस निकालने और जनसभा करने की अनुमति देते हैं, तो आरएसएस को अनुमति से इनकार करना हास्यास्पद होगा। (भाषा)