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नयी संरचनाओं में वायुसेना के सैद्धांतिक पहलुओं से समझौता नहीं किया जाना चाहिए : वायुसेना प्रमुख
04-Oct-2022 7:03 PM
नयी संरचनाओं में वायुसेना के सैद्धांतिक पहलुओं से समझौता नहीं किया जाना चाहिए : वायुसेना प्रमुख

नयी दिल्ली, 4 अक्टूबर। वायुसेना प्रमुख एअर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने मंगलवार को स्पष्ट किया कि भारतीय वायुसेना तीनों शाखाओं की ‘थिएटर’ कमान योजना के विरोध में नहीं है, लेकिन प्रस्तावित संरचनाओं में बल के सैद्धांतिक पहलुओं से समझौता नहीं किया जाना चाहिए।

उन्होंने आठ अक्टूबर को वायुसेना दिवस से पहले एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि यह देखते हुए कि कोई भी एकल सेवा अपने दम पर युद्ध नहीं जीत सकती, वायुसेना ने हाल ही में अपने सिद्धांत को अद्यतन और संशोधित किया है जिससे कि यह प्रासंगिक बना रहे।

एअर चीफ मार्शल चौधरी ने कहा कि भारतीय वायुसेना को तीनों सेवाओं (थलसेना, वायुसेना और नौसेना) की एकीकरण प्रक्रिया के तहत प्रस्तावित संरचनाओं के कुछ पहलुओं के बारे में आपत्ति है, लेकिन वह समग्र योजना का समर्थन करती है जिसका उद्देश्य तीनों सेवाओं में तालमेल सुनिश्चित करना है।

जनरल अनिल चौहान के पिछले हफ्ते नए प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) के रूप में कार्यभार संभालने के साथ यह उम्मीद की जाती है कि तीनों सेवाओं की महत्वाकांक्षी थिएटर कमान प्रक्रिया आगे बढ़ेगी।

योजना पर एक सवाल का जवाब देते हुए चौधरी ने कहा, “हम एकीकरण की किसी भी प्रक्रिया और थिएटर कमान की किसी भी प्रक्रिया का विरोध नहीं कर रहे हैं। संरचनाओं के संबंध में हमारी कुछ आपत्तियां हैं।”

वर्तमान में थलसेना, नौसेना और वायुसेना के पास अलग-अलग कमान हैं। शुरू में एक वायु रक्षा कमान और समुद्री थिएटर कमान बनाने के लिए योजना तैयार की गई थी। एक आम धारणा रही है कि भारतीय वायुसेना थिएटर कमान योजना को लेकर बहुत उत्सुक नहीं है।

एअर चीफ मार्शल चौधरी ने कहा कि साइबर और अंतरिक्ष सहित भविष्य की चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए नए ढांचे का निर्माण किया जाना चाहिए और निर्णय लेने की प्रक्रिया पर स्पष्टता होनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि नए ढांचे के तहत निर्णय लेने के चरणों में कमी होनी चाहिए।

एअर चीफ मार्शल ने कहा, “हम एकीकरण प्रक्रिया का पूरी तरह से समर्थन कर रहे हैं, हम केवल कार्यप्रणाली और जिस तरह की संरचनाओं को भविष्य के लिए तैयार करने की आवश्यकता है, उस पर जोर दे रहे हैं।”

उन्होंने कहा, “प्रत्येक सेवा का एक सिद्धांत होता है। भारतीय वायुसेना के सैद्धांतिक पहलुओं से किसी भी तरह से समझौता नहीं किया जाना चाहिए।”

वायुसेना प्रमुख ने कहा कि उनके बल को वैश्विक ‘एयरोस्पेस’ शक्ति में बदला जा रहा है।

उन्होंने कहा, “वायुसेना में स्वतंत्र रणनीतिक संचालन के साथ-साथ सहयोगी सेवाओं और राष्ट्रीय सुरक्षा तंत्र की अन्य शाखाओं के साथ समन्वय में संचालन करने की अनूठी क्षमता है।"

एअर चीफ मार्शल चौधरी ने कहा कि भारतीय वायुसेना भविष्य के युद्धों में संयुक्त योजना और क्रियान्वयन की अनिवार्यता को समझती है और यह तीनों सेवाओं के प्रयासों को एकीकृत करने की इच्छुक है।

वायुसेना प्रमुख ने कहा, “हम मानते हैं कि एकीकरण का जो प्रारूप हम अपनाते हैं वह भविष्य के लिए तैयार होना चाहिए, इसमें निर्णय लेने के स्तरों को कम करना चाहिए, और तीनों सेवाओं की ताकत का अधिकतम उपयोग किया जाना चाहिए।”

उन्होंने कहा, “हमें एक ऐसे संगठनात्मक ढांचे की जरूरत है जो भारतीय परिस्थितियों और हमारी भू-राजनीतिक अनिवार्यताओं के लिए सबसे उपयुक्त हो।”

भारत के प्रथम सीडीएस जनरल बिपिन रावत थिएटर कमान मॉडल के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी देख रहे थे लेकिन पिछले साल आठ दिसंबर को तमिलनाडु में एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में उनकी मौत के बाद यह प्रक्रिया अटक गई थी।

वायुसेना प्रमुख ने कहा, “परंपरागत रूप से, युद्ध जमीन, समुद्र और हवा में लड़े जाते हैं। आज साइबर और अंतरिक्ष जैसे नए आयाम पारंपरिक क्षेत्रों में भी संचालन को प्रभावित कर रहे हैं।”

उन्होंने कहा, “इन बदलावों का आत्मसात करने के लिए वायुसेना परिवर्तन की राह पर है जिससे हम कल के युद्ध लड़ व जीत सकें।” (भाषा)

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