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अपने गढ़ में भी पिछड़ गई भाजपा
08-Dec-2022 4:22 PM
 अपने गढ़ में भी पिछड़ गई भाजपा

  कांग्रेस ने सीट बचाई, सर्व आदिवासी समाज ने दिखाई ताकत 
'छत्तीसगढ़' संवाददाता
रायपुर, 8 दिसंबर ।
कांग्रेस अच्छी मार्जिन से भानुप्रतापपुर विधानसभा सीट बचाने में कामयाब रही। चुनाव के बीच में प्रत्याशी पर रेप के गंभीर आरोप के बाद भी भाजपा ने प्रचार में कोई कसर बाकी नहीं रखी। बावजूद इसके पार्टी अपने परंपरागत इलाकों से भी पिछड़ गई। इससे परे सर्व आदिवासी समाज ने चुनाव में अपनी ताकत का अहसास भी कराया।

भानुप्रतापपुर में दिवंगत विधानसभा उपाध्यक्ष मनोज मंडावी की पत्नी सावित्री मंडावी ने 21 हजार से अधिक वोटों से जीत हासिल कर कब्जा बरकरार रखा। विधानसभा आम चुनाव से पहले उपचुनाव के नतीजे को लेकर काफी हलचल रही।   नामांकन वापिसी के आखिरी दिन भाजपा प्रत्याशी ब्रम्हानंद नेताम पर तीन साल पुराना रेप केस उजागर होने के बाद पूरे चुनावभर आरोप-प्रत्यारोप का दौर चला। भाजपा ने प्रचार में कहीं कोई कसर बाकी नहीं रखी, लेकिन नतीजा सिफर रहा।

भाजपा के चुनाव संचालन की कमान पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल संभाल रहे थे, तो कांग्रेस के प्रचार-प्रसार की जिम्मेदारी आबकारी मंत्री कवासी लखमा, और प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम पर थी। इसके अलावा महिला बाल विकास मंत्री अनिला भेडिय़ा, और संसदीय सचिव शिशुपाल सोरी ने चुनाव संचालन में भरपूर योगदान दिया।

भानुप्रतापपुर विधानसभा क्षेत्र में भानुप्रतापपुर, दुर्ग-कोंदल, और चारामा ब्लॉक आते हैं। इनमें से चारामा सबसे बड़ा ब्लॉक है, और यहां कुल 256 में से 104 मतदान केंद्र आते हैं। भाजपा ने चारामा और भानुप्रतापपुर इलाके में अपनी ताकत झोंक दी थी। यह इलाका भाजपा का गढ़ रहा है। जबकि दुर्ग-कोंदल कांग्रेस का परंपरागत गढ़ माना जाता है। भाजपा ने पूरे प्रदेश से नेताओं को बुलाया गया था, और प्रचार खत्म होने तक नेता वहां डटे रहे। खुद क्षेत्रीय महामंत्री (संगठन)अजय जामवाल, और महामंत्री (संगठन) पवन साय पूरे समय वहां रहकर प्रचार प्रसार की मॉनिटरिंग कर रहे थे। और कार्यकर्ताओं का मार्गदर्शन करते रहे। नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल, धरमलाल कौशिक और पूर्व राज्यसभा सदस्य रामविचार नेताम को एक-एक ब्लॉक की जिम्मेदारी दी गई थी। मगर ये नाकाम रहे।

चुनाव में सर्व आदिवासी समाज के प्रत्याशी अकबर राम कोर्राम की प्रभावी उपस्थिति ने राष्ट्रीय दलों के नाक में दम कर दिया था। कोर्राम को दुर्ग-कोंदल जैसे  इलाकों में अच्छा समर्थन मिलता दिख रहा था, जहां कांग्रेस का अच्छा प्रभाव रहा है।   ऐसे में भाजपा को बड़ी उम्मीदें थी। मगर नतीजे भाजपा नेताओं के उम्मीद के विपरीत आए हैं।

भाजपा को उन इलाकों में भी हार का सामना करना पड़ा जहां पहले जीतती रही है। मसलन, चारामा जैसे इलाके से बढ़त बनाने में कामयाब नहीं हो पाई। यही नहीं,  दुर्ग-कोंदल इलाके में तो भाजपा तीसरे स्थान पर पहुंच गई। शुरूआत के 7 राउंड तक भाजपा प्रत्याशी ब्रम्हानंद नेताम तीसरे स्थान पर रहे। शुरू में कांग्रेस और सर्व आदिवासी समाज के प्रत्याशी के बीच ही टक्कर चलती रही। सर्व आदिवासी समाज प्रत्याशी अकबर राम कोर्राम ने 23 हजार से अधिक वोट पाकर अपनी ताकत दिखाई है।

आम चुनाव में मनोज मंडावी ने 27 हजार वोटों से जीत हासिल की थी, लेकिन इस बार जीत का अंतर घटकर 21 हजार 171 रह गया। इसके पीछे कम मतदान को भी एक वजह बताई जा रही है। आम आदमी पार्टी और जोगी पार्टी ने पिछले चुनाव में कुल मिलाकर 19 हजार वोट हासिल किए थे। कांग्रेस नेताओं का मानना है कि ये वोट सर्व आदिवासी समाज को ट्रांसफर हुए। कांग्रेस को तीनों ब्लॉकों से बढ़त मिली है। आदिवासी समाज ने भी अपनी ताकत दिखाई है। कुल मिलाकर आम चुनाव के लिए एक संकेत भी है।

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