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नयी दिल्ली, 25 अप्रैल। दिल्ली की कथित आबकारी नीति घोटाले में आरोपी हैदराबाद के व्यापारी अरूण रामचंद्र पिल्लै ने बृहस्पतिवार को एक अधीनस्थ अदालत के उस आदेश को चुनौती दी जिसमें केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की जांच पूरी होने तक बहस शुरू नहीं करने की उनकी अर्जी खारिज कर दी गयी थी।
न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा ने इस याचिका पर सीबीआई से उसका रूख जानना चाहा और इसे अगली सुनवाई के वास्ते तीन मई के लिए सूचीबद्ध कर दिया।
पिल्लै ने अधीनस्थ अदालत के 22 मार्च के आदेश को आलोचना की और दलील दी कि जबतक जांच पूरी नहीं हो जाती है, तबतक सीबीआई के लिए इस मामले में और आरोपियों को शामिल करना संभव है, ऐसे में आरोप निर्धारण के पहलू पर विचार नहीं किया जाना चाहिए।
उन्होंने अपनी याचिका में कहा है कि अधीनस्थ अदालत द्वारा उनकी अर्जी खारिज किया जाना मनमानापूर्ण, गैरकानूनी तथा उनके मौलिक एवं कानूनी अधिकारों का उल्लंघन है।
अदालत में पिल्लै का पक्ष उनके वकील नीतेश राणा ने रखा।
यह मामला 2021-21 के लिए दिल्ली सरकार की आबकारी नीति के निर्माण एवं क्रियान्वयन में कथित भ्रष्टाचार से संबंधित है। यह नीति बाद में रद्द कर दी गयी थी।
पिल्लै इस मामले में फिलहाल जमानत पर हैं। उन्हें ईडी ने संबंधित धनशोधन मामले में छह मार्च को गिरफ्तार किया था। इससे पहले आरोप लगाया गया था कि 2021 की आबकारी नीति जब बनायी जा रही थी और लागू की जा रही थी तब संबंधित बैठकों में पिल्लै ने अन्य आरोपियों के साथ ‘साउथ ग्रुप’ का प्रतिनिधित्व किया था। (भाषा)