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रायपुर, 23 फरवरी। बुजुगों में हृदय रोग का होना आम बात है। लेकिन उनपर की जाने वाली जटिल प्रक्रयाओं में कठिनाई हो जाता है। जब हालात हृदय की गति रुक जाने (हार्ट फेल्यूर) और बाईपास के बाद भी धडक़त की लय में सुधार न हो रहा हो, ऐसे में अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता होता है। हृदय की गति रुक जाना (हार्ट फेल्यूर) एक ऐसी स्थिति है जहां हृदय रक्त को पंप करने में असमर्थ हो जाता है। जिससे थकान, सांस की तकलीफ और दिल की अन्य बीमारियों लक्षण दिखते हैं।
ऐसा ही 65 वर्षीय व्यक्ति का मामला सामने आया है। जिसका पहले बाइपास सर्जरी किया गया था। जिसके बावजूद उसके हृदय मेे ठीक से पंपिग नही हो पा रहा था। जिसका जांच कर नारायणा के डॉक्टरों ने असंभव कार्य को संभव बनाया। हार्ट में अत्याधुनिक पपिंग डिवाइस लगाकर जान बचाई।
एनएच एमएमआई नारायणा के डॉ. सुनील गौनियाल, सीनियर कंसल्टेंट - इंटरवैशनल कार्डयोलोजी ने उस स्थिति का इलाज करने के लिए लॉट सौआरटी-डी (लेफ्ट यंडल ब्रांच ऑप्टिमाइज्ड का एक री संक्रनाइजेशन थेरेपी 5 फब्रिलेटर) नामक एक उपकरण चुना, जो सीआरटी और ही फेब्रिलेटर को लेफ्ट एलबीपी के साथ में जोड़ा। जो एक लंबे समय तक मरिज को राहत देता है। डॉ. राकेश चंद (सीनियर कंसल्टेंट का ईयक एनेस्थी सया और एचओडी एनेस्थी सया), डॉ. अरुण अंडप्पन डॉ. धर्मेश लाड, डॉ. रूपा और पूरी कैथ लैब और आईसीयू की टीम के सहयोग से डॉ. सुनील गॉनियाल द्वारा जटिल प्रक्रिया को सफलतापूर्वक अंजाम दिया गया।
लॉट सीआरटी डी हार्ट फेल्यूर के मरिजो के लिए एक उपकरण है,जो हृदयाघात से बचाव करता हेै। सामान्य पेसमेकर की तरह काम करते हुए भी बाएं और दाएं वेंट्रिकल्स को छोटे आवेगों को सक्रिय करने में अनुबंधित करने में मदद करता है। और हृदय को अधिक कुशलता से पंप करने में मदद करता है। सीआरटी डी डिवाइस खतरनाक रूप से तेज हृदय की लय का भी इलाज कर सकता है।
यदि हृदय की धडक़ने तेज हो जाए तो यह बिजली का झटका देकर हृदय को सुचारू रूप से चलाने में सक्षम है।
डॉ. गौनियान बताया कि यह मरीज पूरी तरह हार्ट ब्लॉक होने के कारण हार्ट फेलयर और लो हार्ट रेट के लक्षणों के साथ इमरजेंसी यूनिट के रूप में काम करता है। पहले डाक्टरों ने पाया कि दवाईयों का कोई प्रभाव नहीं हो रहा है। मरिज का पहले ही बाईपास सर्जरी हो चुका था। तो हमने लॉट सीआरटी तकनीक अपना का फैसला किया। रोगी अब ठीक है।