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सडक़ों पर पीएम का ट्वीट
केंद्र सरकार लोगों के रहन-सहन में सुधार लाने के लिए क्या कर रही है, इसका प्रचार ठीक से तब नहीं हो पाता, जब राज्य में विरोधी दल की सत्ता हो। चुनावी साल में इसे बताना और जरूरी हो जाता है। प्रधानमंत्री आवास योजना को लेकर भाजपा ने इसीलिए हल्ला बोला है। अन्य भी केंद्रीय योजनाओं से फायदा लोगों को मिला है। ऐसे ग्रामीणों के साथ भाजपा नेता तस्वीरें खींच रहे हैं। स्व. अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने समय में प्रधानमंत्री ग्रामीण सडक़ योजना शुरू की थी। इसी से जुड़े प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अरुण साव के एक ट्वीट को हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रिट्वीट किया है। इसमें एक वीडियो है जिसमें ग्रामीण बता रहा है कि उसके खेत तक सडक़ पहुंच गई। यह तो हुई तारीफ लेकिन सोशल मीडिया तो खुला मंच है। साव के ही इलाके के लोरमी, मुंगेली, पेंड्रारोड से ही लोगों ने जवाब में लिखा है कि हमारे यहां सडक़ की मंजूरी नहीं मिली और मिली तो काम शुरू नहीं हुआ। जीपीएम जिले का कुछ हिस्सा बिलासपुर संसदीय सीट में आता है। यहां से अखबारों की कतरन चिपकाकर बताया गया है कि किस तरह लोगों ने सरकार की अनदेखी के चलते श्रमदान करके सडक़ को चलने लायक बनाया है। बस्तर की केशकाल घाटी में सालों से अधूरी पड़ी सडक़ पर भी सवाल किया गया है। पर, ये सभी केंद्र की योजनाओं में शामिल नहीं हैं। कई जर्जर सडक़ों का प्रधानमंत्री योजना से संबंध नहीं है, राज्य की है या फिर एनएचएआई की। सांसद के ट्वीट और पीएम के रिट्वीट के चलते कम से कम लोगों को अपना दर्द बयान करने का मौका मिल गया, समस्या दूर हो चाहे न हो।
हो गया तुरंत तबादला...
खनिज और राजस्व अधिकारियों पर अक्सर आरोप लगता है कि वे रेत के अवैध परिवहन को संरक्षण देते हैं। कहीं-कहीं जनप्रतिनिधि कार्रवाई के लिए भिड़ जाते हैं तो कार्रवाई होने पर नाराज भी हो जाते हैं। पिछले साल खुज्जी विधायक छन्नी साहू ने रेत माफियाओं के खिलाफ आर-पार की लड़ाई शुरू कर दी थी। कुछ अवैध खनन, परिवहन करने वालों पर उनके दबाव में एफआईआर दर्ज हुई लेकिन इस धंधे से जुड़े लोग भी वहां कम ताकतवर नहीं थे। विधायक के पति पर एफआईआर दर्ज हो गई। वह भी एट्रोसिटी एक्ट में, रेत ढो रही एक गाड़ी के ड्राइवर की शिकायत पर। कुछ दिनों के लिए जेल भी उनको जाना पड़ा। अब इधर का मामला बिल्कुल उल्टा है। बलौदाबाजार जिले के पलारी के तहसीलदार नीलमणि दुबे का अचानक तबादला हो गया। कुछ घंटे पहले ही बिना रायल्टी पर्ची के रेत की ढुलाई कर रही एक गाड़ी पर उन्होंने चालान किया था। तहसीलदार की मानें तो विधायक शकुंतला साहू इस कार्रवाई से भडक़ गईं। उन्होंने एक घंटे के भीतर तबादला कराने की चेतावनी दी। चेतावनी फिजूल नहीं थी। तीन घंटे बाद तबादले का आदेश आ भी गया। दुबे को राज्य निर्वाचन कार्यालय रायपुर भेज दिया गया। हालांकि विधायक का कहना है कि क्या मैंने उसे हटवाया? वह तहसीलदार बदतमीज था।
कोयल एक अलग रंग में
यह कोयल की एक प्रजाति है। आम काली कोयल से अलग। ग्रे कलर के पंख हैं, लेटिन नाम हेपेटिक मार्फ। घूमने फिरने का शौक रखने वाले अनुराग शुक्ला ने डोंगरगढ़ के पास यह तस्वीर इस नवरात्रि के दौरान ली। ([email protected])