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पहलवानों के मेडल गंगा में बहाने के मामले पर क्या बोले खिलाड़ी
31-May-2023 9:26 AM
पहलवानों के मेडल गंगा में बहाने के मामले पर क्या बोले खिलाड़ी

photo : twitter

ओलंपिक से लेकर तमाम दूसरी अंतरराष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं में भारत के लिए मेडल जीत चुके पहलवानों ने अपने पदकों को गंगा में बहाने का कार्यक्रम पांच दिनों के लिए टाल दिया है.

ये खिलाड़ी पिछले एक महीने से दिल्ली के जंतर मंतर पर यौन शोषण के आरोप झेल रहे भारतीय कुश्ती महासंघ के प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह की गिरफ़्तारी की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन कर रहे थे.

पिछले दिनों दिल्ली पुलिस की ओर से आक्रामक रुख़ दिखाए जाने के बाद इन खिलाड़ियों ने मंगलवार शाम गंगा में अपने मेडल प्रवाहित करने का एलान किया था.

इनमें साक्षी मलिक, विनेश फोगाट और बजरंग पुनिया जैसे कई बड़े खिलाड़ी शामिल थे.

मंगलवार की शाम छह बजते-बजते ये खिलाड़ी अलग-अलग खेल प्रतियोगिताओं में जीते अपने मेडल लेकर हरिद्वार स्थित हर की पौड़ी पहुंच गए जहां उन्हें अपने मेडल गंगा में बहाने थे.

पहलवानों के साथ-साथ उनके कई प्रशंसकों और आम नागरिकों का एक बड़ा हुजूम हर की पौड़ी की ओर बढ़ता देखा गया.

मौके पर पहुंचे इन तमाम लोगों में से कुछ लोगों को ये अपील करते हुए सुना गया कि पहलवान अपने मेडल गंगा में न बहाएं. शाम ढलते-ढलते पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान नेता नरेश टिकैत भी अपने समर्थकों के साथ पहलवानों को मनाने के लिए हर की पौड़ी पर पहुंच गए.

इससे पहले उनके छोटे भाई राकेश टिकैत ने भी पहलवानों से अपील की थी कि वे गंगा में मेडल न बहाएं. और इसके बाद पहलवानों ने अपने मेडल नरेश टिकैत को सौंप दिए.

मेडल लेकर क्या बोले नरेश टिकैत
नरेश टिकैत ने न्यूज एजेंसी एएनआई से इस पूरे मसले पर बात की.

पहलवानों के विरोध प्रदर्शन का समर्थन करते हुए उन्होंने कहा, ''जिस तरह से जंतर-मंतर में हमारी बेटियों के साथ व्यवहार हुआ है, इसे पूरा देश बर्दाश्त नहीं करेगा. उन्हें जिस तरह से खींच-खींचकर वहां (जंतर-मंतर) से उठाया गया, उसे लेकर पूरे भारत में रोष है.''

उन्होंने केंद्र सरकार पर भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह को बचाने का आरोप लगाया.

उन्होंने कहा, ''एक आदमी को बचाने के लिए पूरी भारत सरकार लगी हुई है.''

टिकैत ने कहा कि 'खिलाड़ियों ने पांच दिन का वक्त दिया. हम चुप नहीं बैठेंगे.'

उन्होंने खिलाड़ियों से हुई बातचीत के बारे में कहा, ''उन्हें हमने पूरा आश्वासन दिया है. हम उनका सिर झुकने नहीं देंगे, उनके लिए जहां तक लड़ाई लड़नी पड़ेगी, हम लड़ेंगे.''

मेडल बहाने की बात पर क्या बोले खिलाड़ी?
बीबीसी की टीम ने मंगलवार शाम मौके पर पहुंचकर हर की पौड़ी पर मौजूद लोगों से उनका पक्ष जानने की कोशिश की.

बीबीसी संवाददाता राघवेंद्र राव बताते हैं कि "मंगलवार शाम नरेश टिकैत के हर की पौड़ी पहुंचने के कुछ समय बाद किसान नेता नरेश टिकैत वहां पहुंचे. हमें जानकारी मिली है कि उन्होंने खिलाड़ियों को ये समझाने की कोशिश की कि मेडल एक तरह से राष्ट्रीय संपत्ति होती है और इन्हें गंगा जी में नहीं बहाया जाना चाहिए. और अगर आपको विरोध जताना है तो ये मेडल वापस राष्ट्रपति को सौंप देने चाहिए."

हर की पौड़ी पर मौजूद एक पहलवान कहते हैं, "ये एलान बिलकुल ग़लत था उनका. ये मेडल उनकी माँ, दादी, पिताजी की मेहनत से आ रहे हैं. बचपन से उनके खान-पान का ठीक से ध्यान रखे जाने के बाद मेडल आए हैं. सरकार ने उनको मेडल थोड़े ही दिलाए हैं. ये मेडल परिवार की अथक मेहनत से आए हैं. मेडल रखने हैं तो घरवालों के पैरों में रखो. मेडल बहाने की बात ठीक नहीं थी. लेकिन उनके साथ जो सलूक किया गया वो भी ठीक नहीं. सरकार उनके साथ ग़लत कर रही है."

बीबीसी से बात करते हुए हरिद्वार में मौजूद अर्जुन अवॉर्ड जीत चुके खिलाड़ी सुरेश पहलवान कहते हैं, "मुझे लगता है कि मेडल बहाने का कोई मतलब ही नहीं है. ये ताक़त पूरे परिवार और गांव की मेहनत से आती है. कितने बरस लग जाते हैं, मेडल पाने के लिए तैयार होने में…और खिलाड़ियों की सुनवाई ज़रूर होनी चाहिए फिर चाहे वो खिलाड़ी किसी भी खेल से जुड़ा हो."

वहीं, मौजूद एक शख़्स ने दिल्ली पुलिस की आलोचना करते हुए पहलवानों के ख़िलाफ़ कार्रवाई पर विरोध दर्ज किया.

नरेश टिकैत के आनन-फानन में हरिद्वार पहुंचने की बात करते हुए एक शख़्स ने कहा, "जब खिलाड़ियों ने कहा कि वे अपने मेडल गंगा में प्रवाहित करने जा रहे हैं तो न तो किसी के पास शब्द थे, न कोई सुखी था. सब लोग दुखी थे. सब आहत थे. रास्ते में ऐसा माहौल था कि डेढ़ सौ की स्पीड में गाड़ी भाग रही थी. एक-दूसरे से टक्कर भी हो सकती थी. ''

''क्योंकि हमें टाइम रहते पता नहीं चला. हमने देखा कि यहां हर आदमी की आंख में आंसू थे. माहौल बेहद भावुक किस्म का था. रास्ते में बस दिमाग़ में ये बात चल रही थी कि हमारे पहुंचने से पहले मेडल बहा न दिए जाएं."

अनिल कुंबले ने किया ट्वीट
भारतीय क्रिकेट टीम के स्टार गेंदबाज़ रहे अनिल कुंबले ने ओलंपिक विजेता पहलवानों के साथ दिल्ली पुलिस के व्यवहार को लेकर दुख जताया है.

अनिल कुंबले ने कहा कि इस विवाद का संवाद के ज़रिए समाधान होना चाहिए.
कुंबले ने अपने ट्वीट में लिखा है, ''28 मई को हमारे पहलवानों के साथ हाथापाई देखकर बहुत दुख हुआ. किसी भी समस्या का समाधान अच्छे संवाद से हो सकता है. हम जल्द से जल्द इसके समाधान की उम्मीद करते हैं.''

इससे पहले ओलंपिक मेडल विजेता अभिनव बिंद्रा ने रविवार को दिल्ली में प्रदर्शन कर रहे पहलवानों के ख़िलाफ़ कार्रवाई को लेकर नाराज़गी जताई थी.

बिंद्रा ने कहा, ''बीती रात मैं सो नहीं पाया. मुझे प्रदर्शन कर रहे रेसलर्स की तस्वीरें परेशान करती रहीं. अब समय आ गया है कि सभी खेल संगठनों में स्वतंत्र रूप से सुरक्षा के एहतियाती क़दम उठाए जाएं.''

बिंद्रा ने खिलाड़ियों के हितों पर बात करते हुए लिखा है, ''हमें ये सुनिश्चित करना होगा कि अगर इस तरह की परिस्थितियां आएं तो उनसे बेहद संवेदनशीलता के साथ निपटा जाए. हर एथलीट का ये हक़ है कि उसे सुरक्षित और सशक्त माहौल मिले.''

बीते रविवार ओलंपिक मेडल विजेता नीरज चोपड़ा ने भी धरना दे रहे खिलाड़ियों का समर्थन करते हुए पुलिस कार्रवाई पर नाराज़गी जताई थी.

चोपड़ा ने साक्षी मलिक के ट्वीट को रीट्वीट करते हुए लिखा था- "मुझे ये देखकर दुख हो रहा है. इस हालात से डील करने का कोई दूसरा संवेदनशील तरीक़ा हो सकता है.''

फिल्म अभिनेता नसीरुद्दीन शाह ने भी समाचार एजेंसी पीटीआई को दिए एक इंटरव्यू में कहा,''हिंदी फ़िल्म इंडस्ट्री कभी भी चुनौतियों का सामना करने और समस्याओं निपटने में आगे नहीं रही है.''

उन्होंने पूछा, '' क्या कोई राजधानी में विरोध प्रदर्शन कर रहे पहलवानों पर फ़िल्म बनाएगा. ''

उन्होंने कहा,'' नफ़रत माहौल को और ख़राब करता है. सभी डरे हुए हैं.'' (bbc.com/hindi)

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