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नई दिल्ली, 2 जून। भारत के नए संसद भवन में भारतीय उपमहाद्वीप की लगाई गई एक तस्वीर से नेपाल में बड़ा विवाद खड़ा हो गया है.
अंग्रेज़ी अख़बार ‘द हिंदू’ ने इस मामले पर विस्तार से ख़बर प्रकाशित की है. ये एक भित्ति चित्र है, जिसे ‘अखंड भारत’ का नक़्शा कहकर भी प्रचारित किया जा रहा है, इसको लेकर नेपाल के लगभग सभी दलों के नेताओं में नाराज़गी है.
इस तस्वीर में गौतम बुद्ध की जन्म स्थली लुंबिनी को भी दिखाया गया है. वहीं नेपाल लुंबिनी को एक बड़े सांस्कृतिक केंद्र के रूप में नेपाली नक़्शे में दिखाता है.
नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री बाबूराम भट्टराई ने एक बयान जारी किया है. इस बयान में उन्होंने कहा है, “भारत के नए संसद भवन में ‘अखंड भारत’ का विवादित भित्ति चित्र नेपाल के साथ-साथ पड़ोसी देशों में अनावश्यक और हानिकारक कूटनीतिक विवाद भड़का सकता है.”
“विश्वास की कमी के कारण भारत के अधिकांश पड़ोसी देशों के बीच पहले से ही द्विपक्षीय संबंध ख़राब हो रहे हैं और इसकी (भित्ति चित्र) वजह से इसमें और बढ़ोतरी होने की संभावना है.”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 28 मई को जब नई संसद का उद्घाटन किया था, उसी दिन से ये तस्वीर चर्चा में आ गई थी.
संसदीय मामलों के केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने ट्वीट करते हुए इसे ‘अखंड भारत’ का नाम दिया था.
इस मुद्दे ने नेपाली मीडिया में उस समय तूल पकड़ा है, जब नेपाली प्रधानमंत्री प्रचंड भारत दौरे पर पहुंचे हैं और उन्होंने गुरुवार को प्रधानमंत्री मोदी से मुलाक़ात की थी.
इस मुद्दे ने एक बार फिर कालापानी विवाद की यादों को ताज़ा कर दिया है. नवंबर 2019 में भारत ने एक राजनीतिक नक़्शा प्रकाशित किया था जिसमें कालापानी क्षेत्र को उत्तराखंड का हिस्सा दिखाया गया था.
नेपाल ने इसके जवाब में एक नक़्शा प्रकाशित किया था जिसमें उसने कालापानी को अपना नियंत्रित क्षेत्र बताया था.
पीएम मोदी और प्रचंड कह चुके हैं कि इस विवाद को दोस्ती की भावना और राजनयिक तंत्र के ज़रिए हल किया जाएगा. (bbc.com/hindi)