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बिलासपुर, 22 जुलाई। एसईसीएल की कोयला खदान में प्राकृतिक गैस, मेथनॉल, अमोनिया और अन्य संबंधित उत्पाद बनाने की संभावना तलाशी जा रही है। इसे अमल में लाया जा सका तो छत्तीसगढ़ में इस प्रकार की पहली परियोजना होगी।
कोयले को जलाने के बजाय इसके अवयवों को विद्युत, हाइड्रोजन, स्वच्छ ईंधन एवं मूल्यपरक रसायनों में बदलने का सबसे स्वच्छ एवं पर्यावरण-हितैषी तरीका है। भारत में गैस प्रौद्योगिकी को अपनाने से कोयला क्षेत्र में क्रांति आ जाएगी। इससे प्राकृतिक गैस, मेथनॉल, अमोनिया और अन्य आवश्यक उत्पाद के आयात पर निर्भरता कम हो जाएगी।
छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले में स्थित एसईसीएल के भटगांव संचालन क्षेत्र की महामाया खुली खदान में कोयला से गैस बनाने परियोजना की संभावना तलाशी जा रही है। परियोजना के माध्यम से यहां उपयुक्त डाउन स्ट्रीम प्रोडक्ट के रूप में ‘अमोनिया’ बनाने की योजना पर विचार हो रहा है।
कोल इंडिया अपनी विभिन्न अनुषंगी कंपनियों में कोयले से गैस तैयार की संभावनाओं को तलाश रही है। परियोजनाओं के कार्यान्वयन को आगे बढ़ाने में सहयोग और विशेषज्ञता को बढ़ावा देने के लिए कंपनी ने बीएचईएल (भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड), आईओसीएल (इंडियन ऑइल कार्पोरेशन लिमिटेड), जीएआईएल (गैस अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड), के साथ समझौते किए हैं।
सतत धारणीय विकास को बढ़ावा देने एवं कोयला उद्योग के कार्बन फुटप्रिंट कम करने के उद्देश्य से कोयला मंत्रालय ने वित्त वर्ष 2030 तक 100 मिलियन टन (एमटी) कोयले से गैस हासिल करने का लक्ष्य रखा है।