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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद पर दिया बयान चर्चा में आ गया है.
योगी आदित्यनाथ ने समाचार एजेंसी एएनआई को दिए इंटरव्यू में कहा, ''अगर उसको मस्जिद कहेंगे तो फिर विवाद होगा. मुझे लगता है कि भगवान ने जिसको दृष्टि दी है, वो देखे न. त्रिशूल मस्जिद के अंदर क्या कर रहा है? त्रिशूल हमने तो नहीं रखा न. ज्योतिर्लिंग है. देव प्रतिमाएं हैं. पूरी दीवारें चिल्ला चिल्लाकर क्या कह रही हैं.''
योगी के इस बयान पर राजनीतिक गलियारों से भी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं.
पहले सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य और अब एआईएमआईएम प्रमुख असदउद्दीन ओवैसी ने योगी सरकार को घेरा है.
ओवैसी ने कहा, ''आप मुख्यमंत्री हैं, क़ानून को फॉलो कीजिए. आप क़ानून को मान नहीं रहे. आप मुसलमानों पर दबाव डालना चाह रहे. जिस जगह पर 400 साल से मस्जिद है आप वहां दबाना चाहते हैं.''
मथुरा का ज़िक्र करते हुए ओवैसी कहते हैं,''आज से 50-55 साल पहले मथुरा में हिंदू समाज के साथ समझौता किया था. कोर्ट में समझौता दिया गया, फिर भी इस केस को खोल दिया गया. ये सब इनकी साम्प्रदायिक राजनीति का हिस्सा है. 400 साल से नमाज़ हो रही है. जब क़ानून बना दिया गया है तो उसका पालन करना चाहिए.''
योगी पर तंज कसते हुए ओवैसी कहते हैं- उनका बस चले तो सब पर बुलडोज़र चला दें.
ओवैसी बोले, ''मुख्यमंत्री इस बात को जानते हैं कि एएसआई के सर्वे के ख़िलाफ़ मुस्लिम पक्ष ने अपील की है. आज कल में फैसला आने वाला है. ऐसे में वो विवादित बयान दे रहे हैं, ये न्यायपालिका का अपमान है.''
एआईएमआईएम सांसद ओवैसी ने कहा, ''उपासना स्थल अधिनियम 1991 है. इसके मुताबिक 15 अगस्त 1947 को जिस समुदाय की मस्जिद थी या मंदिर था, वो वैसी ही रहेगी. अगर वो ये कह रहे हैं तो बौद्ध समाज की कई जगहों को 1947 से पहले बदल दिया गया?''
ज्ञानवापी मस्जिद सर्वे: कुछ अहम बातें
कुछ दिन पहले वाराणसी की एक अदालत ने ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वेकिए जाने का आदेश दिया था.
इस आदेश के बाद बीते सोमवार को एएसआई ने सर्वे शुरू किया था. इस सर्वे में मुस्लिम पक्ष के लोग शामिल नहीं हुए थे.
इसी दिन सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान सर्वे पर रोक लगाई और मुस्लिम पक्ष से इलाहाबाद हाईकोर्ट जाने के लिए कहा था.
हाईकोर्ट ने मामले में सुनवाई की और फ़ैसला तीन अगस्त को सुनाने के लिए कहा था. (.bbc.com/hindi)