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अशोका यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र के प्रोफ़ेसर सब्यसाची दास के एक रिसर्च पेपर को लेकर शुरू हुआ विवाद थमता नज़र नहीं आ रहा.
दास के इस्तीफ़े के बाद अब यूनिवर्सिटी का राजनीति विज्ञान विभाग उनके साथ खड़ा होता दिख रहा है.
इससे पहले एक अन्य प्रोफ़ेसर ने भी सब्यसाची दास के समर्थन में इस्तीफ़ा दिया था.
अशोका यूनिवर्सिटी में प्रोफ़ेसर इलियान येन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (ट्विटर) पर इंटरनल मेल का एक स्क्रीनशॉट शेयर करते हुए लिखा है - 'राजनीति विज्ञान विभाग का अशोका यूनिवर्सिर्टी में शैक्षणिक आज़ादी को लेकर बयान.'
इस ईमेल में लिखा है, “राजनीति विज्ञान विभाग एकजुटता के साथ प्रोफ़ेसर सब्यसाची दास के साथ खड़ा है. प्रोफ़ेसर दास ने अर्थशास्त्र विभाग से इसलिए इस्तीफ़ा दिया क्योंकि यूनिवर्सिटी ने खुद को उनके काम से अलग कर लिया. साथ ही उनके रिसर्च पेपर पर जांच कराने का फ़ैसला लिया गया. हम चाहते हैं कि दास के इस्तीफ़े और यूनिवर्सिटी की ओर उनका इस्तीफ़ा मंज़ूर करने में दिखाई गई जल्दबाज़ी के पीछे की वजहों को सामने लाया जाए."
हरियाणा के सोनीपत में अशोका यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र के पूर्व असिस्टेंट प्रोफ़ेसर सब्यसाची दास ने एक पेपर लिखा है जिसका शीर्षक 'डेमोक्रेटिक बैकस्लाइडिंग इन द वर्ल्ड्स लार्जेस्ट डेमोक्रेसी' है.
ये पेपर अब तक प्रकाशित नहीं किया गया है. इस शोध पत्र में साल 2019 के आम चुनावों से जुड़े आंकड़ों का अध्ययन किया गया है.
इस शोध पत्र में दिखाया गया है कि जहां बीजेपी की सरकार थी वहां उन सीटों पर बीजेपी जीत गई जहां मुकाबला काफ़ी क़रीब था. जबकि इससे पिछले आम चुनावों में या एक साथ और उसके बाद हुए राज्य चुनावों में ऐसा कोई पैटर्न नहीं दिखता. (bbc.com)