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रायपुर, 9 दिसंबर। देश के सबसे बड़े व्यापारिक संगठन कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष अमर पारवानी, चेयरमेन मगेलाल मालू, अमर गिदवानी, प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र दोशी, कार्यकारी अध्यक्ष विक्रम सिंहदेव, परमानन्द जैन, वाशु माखीजा, महामंत्री सुरिन्द्रर सिंह, कार्यकारी महामंत्री भरत जैन, एवं कोषाध्यक्ष अजय अग्रवाल ने बताया।
कैट ने बताया कि कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने आज देश में विभिन्न एयरलाइंस द्वारा वसूले जाने वाले अतार्किक, अत्यधिक और अनिर्देशित हवाई किराया टैरिफ पर कड़ी चिंता जताई है, जिससे उपभोक्ताओं को काफी परेशानी और आर्थिक नुकसान हो रहा है।
कैट ने कहा कि विभिन्न एयरलाइंस कार्टेल मोड में काम कर रही हैं, जो इस तथ्य से स्पष्ट है कि किसी भी क्षेत्र के लिए अलग-अलग एयरलाइंस लगभग समान शुल्क निर्धारित करती हैं, चाहे वह इकॉनमी एयरलाइन हो या पूर्ण सेवा एयरलाइन और इस प्रकार स्मार्ट तरीके से प्रतिस्पर्धा समाप्त की जाती है।
कैट के राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्री अमर पारवानी और प्रदेश अध्यक्ष श्री जितेन्द्र दोशी ने गतिशील मूल्य निर्धारण के नाम पर हवाई कंपनियों द्वारा की जा रही इस खुली लूट पर गंभीर चिंता व्यक्त की, जो एकाधिकार और पूंजीवाद बनाने के लिए एक रास्ते के अलावा और कुछ नहीं है।
श्री पारवानी और श्री दोशी दोनों ने कहा कि हवाई कंपनियों द्वारा हवाई टिकट की कीमतें वसूलने के मॉडल की जांच करना आवश्यक है। ये कंपनियां किसी भी हवाई यात्रा के लिए पहले एक कीमत तय करती हैं, लेकिन जैसे-जैसे हवाई यात्रा की मांग बढ़ती है, कीमतें बिना किसी तथ्य के कई गुना और मनमाने ढंग से बढ़ा दी जाती हैं। कई मौकों पर तो यह बढ़ोतरी पांच/छह गुना या उससे भी अधिक होती है और उपभोक्ताओं को खुलेआम लूटा जाता है।
कीमतें किसी भी समय बढ़ा दी जाती हैं जिसका कोई औचित्य नहीं है। सभी हवाई कंपनियां इस भयावह खेल में शामिल हैं और एक कार्टेल बनाकर प्रतिस्पर्धा अधिनियम और उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की भावना के विपरीत कीमतों में हेरफेर करती हैं। दोनों व्यापारी नेताओं ने विमान नियम, 1937 के नियम 135 का हवाला दिया, जिसमें प्रावधान है कि (1) नियम 134 के उप-नियम (1) और (2) के अनुसार परिचालन करने वाला प्रत्येक हवाई परिवहन उपक्रम, सभी प्रासंगिक कारकों को ध्यान में रखते हुए टैरिफ स्थापित करेगा।
जिसमें संचालन की लागत, सेवा की विशेषताएं, उचित लाभ और आम तौर पर प्रचलित टैरिफ शामिल हैं।