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रायपुर, 4 फरवरी। 2 फरवरी 2024 को कलिंगा विश्वविद्यालय ने वन विभाग के साथ मिलकर वन चेतना केंद्र, कोडर डैम, महासमुंद, छत्तीसगढ़ में आर्द्र भूमि दिवस के विषय में जागरूकता फैलाने के लिए विश्व आर्द्र भूमि दिवस के कार्यक्रम का आयोजन किया । इस कार्यक्रम में महासमुंद के विभिन्न संस्थानों के लगभग 250 छात्रों ने भाग लिया। इसमें प्रख्यात वैज्ञानिकों, शिक्षाविदों और सिविल सेवकों ने भाग लिया।
कलिंगा विवि ने बताया कि इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि महासमुंद जिला पंचायत के सीईओ श्री एस. आलोक (आई.ए.एस), थे। अन्य प्रतिष्ठित अतिथियों में छत्तीसगढ़ जैव विविधता बोर्ड के वरिष्ठ सदस्य प्रोफेसर एमएल नाइक, श्री पंकज राजपूत (आई.एफ.एस), डीएफओ, महासमुंद एवं कलिंगा विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. आर. श्रीधर उपस्थित थे।
कलिंगा विवि ने बताया किमहासमुंद के डीएफओ श्री पंकज राजपूत (आई.एफ.एस), द्वारा युवा शिक्षार्थियों को आर्द्रभूमि और उनके महत्व से परिचित कराया गया। उन्होंने प्रतिभागियों का ध्यान घटते जल भंडार के मुद्दे की ओर आकर्षित किया और बताया कि इसका प्रभाव हमारे ग्रामीण क्षेत्रों पर कितना बुरा पड़ रहा है। उन्होंने आर्द्रभूमियों को न केवल एक संसाधन के रूप में बल्कि एक जीवन-सहायक इकाई के रूप में देखने की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला।
कलिंगा विवि ने बताया किकार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री एस. आलोक ने पानी के महत्व और इस मूल्यवान संसाधन के संरक्षण की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने हमारे दैनिक जीवन में आर्द्रभूमियों के महत्व और उनके द्वारा प्रदान की जाने वाली पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं पर भी जोर दिया।
कलिंगा विवि ने बताया किप्रसिद्ध वैज्ञानिक और शिक्षाविद् प्रोफेसर एमएल नाइक ने जल संसाधनों के कुशल प्रबंधन और टिकाऊ उपयोग के महत्व पर प्रकाश डाला और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने में आर्द्रभूमि द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में जानकारी दी।