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धान आधारित खाद्य प्रसंस्करण पर मंडी और कृषक कल्याण शुल्क में राहत का चेम्बर ज्ञापन
15-Mar-2024 1:29 PM
धान आधारित खाद्य प्रसंस्करण पर मंडी और   कृषक कल्याण शुल्क में राहत का चेम्बर ज्ञापन

रायपुर, 15 मार्च। छग चेम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के प्रदेश अध्यक्ष अमर पारवानी, महामंत्री अजय भसीन, कोषाध्यक्ष उत्तमचंद गोलछा, कार्यकारी अध्यक्ष राजेन्द्र जग्गी,विक्रम सिंहदेव, राम मंधान, मनमोहन अग्रवाल ने बताया कि आज चेंबर अध्यक्ष अमर परवानी  के नेतृत्व में प्रदेश कृषि मंत्री राम विचार नेताम  से चेंबर प्रतिनिधि मंडल मिला जहां कृषि उपज धान आधारित खाद्य प्रसंस्करण पोहा उद्योगों को राहत देने तथा गेहूं और दलहन में लगने वाले मंडी एवं कृषक कल्याण शुल्क में छूट देने ज्ञापन सौंपा।

श्री परवानी ने बताया कि आज प्रदेश कृषि मंत्री श्री रामविचार नेताम जी से चेंबर प्रतिनिधि मंडल ने उनसे मुलाकात कर शासन द्वारा कृषकों से 3100 रुपए प्रति क्विंटल की दर से धान खरीदी करने पर उन्हें धन्यवाद ज्ञापित किया एवं कृषि उपज धान आधारित खाद्य प्रसंस्करण पोहा उद्योगों को राहत देने तथा गेहूं और दलहन में लगने वाले मंडी एवं कृषक कल्याण शुल्क में छूट देने ज्ञापन सौंपा।

श्री पारवानी ने आगे बताया कि धान आधारित पोहा प्रसंस्करण उद्योगों पर पहले ?100 पर ?1 की दर से मंडी शुल्क वसूला जाता था परंतु वर्तमान में जारी नवीन अधिसूचना के अंतर्गत विनिर्माण में उपयोग में ले जाने के पश्चात ?100 पर मंडी शुल्क 1.5: एवं 0.5: कृषक कल्याण शुल्क लागू किया गया है जिससे कृषि आधारित पोहा प्रसंस्करण उद्योगों पर अतिरिक्त भार पड़ रहा है।

श्री परवानी  ने आगे कहा कि प्रदेश में कृषि उपज धान पर आधारित लगभग 250 खाद्य प्रसंस्करण की पोहा उद्योग की लघु इकाइयाँ स्थापित हैं जिसमें लगभग 25000-30000 लोगों को प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार प्राप्त होता है और विशेष रूप से शत-प्रतिशत स्थानीय श्रमिकों को ही रोजगार प्रदान किया जाता है। इन उद्योगों के उत्पादन का लगभग 90: भाग अन्य राज्यों को निर्यात किया जाता है।

श्री परवानी ने बताया कि वर्तमान स्थिति में प्रतिस्पर्धी राज्यों मध्यप्रदेश, गुजरात, बिहार एवं महाराष्ट्र आदि राज्यों में शासन द्वारा समर्थन मूल्य पर धान खरीदी नहीं की जाती, अत: वहां के पोहा उद्योगों को काफी सस्ती दरों पर धान उपलब्ध हो जाता है और वर्तमान में तो दरों में काफी ज्यादा अंतर हो गया है। इसके चलते प्रदेश में पोहा एवं मुरमुरा उद्योग अन्य राज्यों के मुकाबले प्रतिस्पर्धा में पिछड़ गए हैं।

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