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अदालत ने समझौते के बाद प्राथमिकी रद्द की, आरोपी को 30 दिन तक यातायात पुलिस की मदद करने को कहा
25-Apr-2024 10:32 AM
अदालत ने समझौते के बाद प्राथमिकी रद्द की, आरोपी को 30 दिन तक यातायात पुलिस की मदद करने को कहा

नयी दिल्ली, 24 अप्रैल। दिल्ली उच्च न्यायालय ने पीड़ित महिला के साथ समझौते के बाद एक व्यक्ति के खिलाफ आपराधिक मामला रद्द कर दिया है और उसे 30 दिन तक सिग्नल पर यातायात पुलिस की मदद करने को कहा है।

अदालत ने आरोपी की उस याचिका को मंजूर कर लिया, जिसमें भारतीय दंड संहिता की धाराओं 354 (महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने के इरादे से उस पर हमला करना), 506 (आपराधिक धमकी) और 509 (शब्द, इशारा या कृत्य के द्वारा किसी महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाना) के तहत उसके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने का अनुरोध किया गया था। याचिका में कहा गया था कि पीड़िता अब अपनी शिकायत को आगे बढ़ाना नहीं चाहती हैं और मामले को आगे जारी रखने का कोई औचित्य नहीं है।

न्यायमूर्ति नवीन चावला ने आदेश दिया, ‘‘पूर्वी दिल्ली के प्रीत विहार पुलिस थाने में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धाराओं 354/506/509 के तहत दर्ज की गई प्राथमिकी और इसके परिणामस्वरूप याचिकाकर्ता के खिलाफ होने वाली कार्यवाही को इस शर्त के अधीन रद्द किया जाता है कि याचिकाकर्ता यातायात सिग्नल पर यातायात पुलिस की सहायता करेंगे। वह यातायात सिग्नल पर सहायता प्रदान करने के लिए डीसीपी यातायात को रिपोर्ट करेंगे।’’

अदालत ने 16 अप्रैल को पारित अपने आदेश में कहा कि कार्यवाही जारी रखने से पक्षकारों के बीच और कड़वाहट पैदा होगी और राज्य के खजाने पर अनावश्यक बोझ पड़ेगा।

अदालत ने कहा कि 30 दिन के बाद डीसीपी (यातायात) याचिकाकर्ता को एक प्रमाण पत्र जारी करेंगे, जिसे उन्हें दो महीने के भीतर अदालत में दाखिल करना होगा।

याचिकाकर्ता ने इस आधार पर प्राथमिकी को रद्द करने का अनुरोध किया कि पक्षकारों ने सौहार्दपूर्ण ढंग से अपने आपसी विवादों को सुलझा लिया है और समझौता कर लिया है।

पीड़िता ने अदालत को यह भी बताया कि उन्होंने याचिकाकर्ता के साथ सभी विवादों को अपनी मर्जी से और बिना किसी दबाव के सुलझा लिया है और यदि वर्तमान प्राथमिकी रद्द कर दी जाती है तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं है। (भाषा)

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