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विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दी कोरोना की तीसरी लहर की चेतावनी
24-Nov-2020 9:14 AM
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दी कोरोना की तीसरी लहर की चेतावनी

डब्ल्यूएचओ ने यूरोप को फटकार लगाते हुए कहा है कि गर्मियों में हालात बेहतर होने के बावजूद कई देशों ने लापरवाही दिखाई और अब उन्हें और भी घातक तीसरी लहर का सामना करना पड़ सकता है.

    डॉयचे वैले पर बेन नाइट का लिखा 

विश्व स्वास्थ्य संगठन के विशेष दूत डेविड नाबारो ने स्विट्जरलैंड के अखबार सोलोथुर्नर साइटुंग से कहा कि जिस तरह के हालात चल रहे हैं, बहुत मुमकिन है कि 2021 की शुरुआत में यूरोप को महामारी की घातक तीसरी लहर का सामना करना पड़ सकता है. इस वक्त सबकी उम्मीदें वैक्सीन पर टिकी हैं लेकिन नाबारो के अनुसार वैक्सीन के बाजार में आने से पहले यूरोप को शायद काफी बुरे हालात देखने होंगे.  

अखबार से बातचीत में नबारो ने कहा, "गर्मियों में जब पहली लहर काबू में आ गई थी, तब वे आवश्यक बुनियादी ढांचे का निर्माण करने से चूक गए. अब हमारे सामने दूसरी लहर है. अगर अब भी वे जरूरी बुनियादी ढांचा खड़ा नहीं करते हैं, तो अगले साल की शुरुआत में हमारे पास तीसरी लहर होगी."

एशिया से सीखे यूरोप
नबारो ने यह भी कहा कि यूरोप को एशियाई देशों से बहुत कुछ सीखने की जरूरत है, "वायरस से निपटने के लिए जल्द और ठोस फैसले लेने होते हैं. खास कर शुरुआत में, जब वायरस लोगों के बीच धीरे-धीरे फैल रहा होता है. अगर आप आधे-अधूरे से फैसले लेंगे, तो समस्या बहुत जल्दी ही बिगड़ जाएगी."

गर्मियों में यूरोप में हालात बेहतर थे लेकिन सर्दियां आते ही संक्रमण तेजी से बढ़ने लगा है. 8.4 करोड़ की आबादी वाले जर्मनी में 22 नवंबर को 14 हजार नए मामले दर्ज किए गए. इसकी तुलना में 12 करोड़ की आबादी वाले जापान में 21 नवंबर को केवल 2,596 नए मामले देखे गए. इसी तरह पांच करोड़ की आबादी वाले दक्षिण कोरिया में मात्र 386 नए मामलों ही दर्ज किए गए. दक्षिण कोरिया में तो महामारी की शुरुआत से अब तक कुल मिलाकर लगभग 30,700 मामलों की ही पुष्टि हुई है.

नेताओं की समझ से परे

नबारो के अनुसार एक बड़ी समस्या यह रही कि बहुत से नेताओं को तो यह समझ में ही नहीं आया कि वायरस "एक्स्पोनेंशियली" फैलता है, "अरिथमैटिकली" नहीं, "एक्स्पोनेंशियल का मतलब होता है कि संख्या एक सप्ताह में आठ गुना बढ़ सकती है, दो हफ्तों में यह 40 गुना हो सकती है और तीन हफ्तों में 300 गुना, फिर चार हफ्तों में शायद 1000 गुना से भी ज्यादा और इसी तरह यह बढ़ती रहेगी."

उन्होंने कहा कि इस बीच एशिया के देशों में संख्या अपेक्षाकृत रूप से कम है क्योंकि "लोग पूरी तरह से वायरस के फैलाव को रोकने में लगे हुए हैं... वे दूरी बना कर रखते हैं, मास्क पहनते हैं, बीमार होने पर अलग-थलग रहते हैं, हाथ और सतह साफ करते रहते हैं, जिन लोगों को सबसे ज्यादा खतरा है उन पर विशेष ध्यान देते हैं."

लॉकडाउन हटाने को ले कर भी नबारो ने चिंता व्यक्त की. उन्होंने कहा कि एशिया ने समय से पहले प्रतिबंधों में ढील नहीं दी, उन्होंने संख्या कम होने का इंतजार किया, जबकि यूरोप ने जल्दबाजी दिखाई और अधूरे फैसले लिए. नबारो ने कहा कि यूरोपीय देशों को एशिया का यह संदेश समझना चाहिए कि "अगर हम चाहते हैं कि हमारी अर्थव्यवस्था मजबूत हो और हमारी स्वतंत्रता भी बनी रहे, तो हमें कुछ बुनियादी नियमों का पालन करना ही होगा." (dw.com)

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