राष्ट्रीय
नई दिल्ली, 29 सितम्बर (आईएएनएस)| हर माह एक भारतीय जवान दुश्मनों के हाथों नहीं, बल्कि खुद के खराब गोला-बारूद से घायल हो जाते हैं या शहीद भी हो जाते हैं।
गोला-बारूद की आपूर्ति सरकारी आयुध फैक्ट्रियों से की जाती है। सरकारी अधिकारियों के अनुसार, सुरक्षाबलों में एक गोला-बारूद से जुड़ा हादसा औसतन प्रति सप्ताह रिपोर्ट किया जाता है। इससे जवान घायल या हताहत हो जाते हैं या उपकरणों को हानि पहुंचती है।
मुख्य आपूर्तिकर्ता आयुध फैक्ट्री बोर्ड द्वारा संचालित प्रतिष्ठान हैं। इनके खराब गोला-बारूद की वजह से दुर्घटनाएं होती हैं। इससे सशस्त्र बलों में आत्मविश्वास की कमी हो जाती है, जोकि वायुसेना या नौसेना से ज्यादा गोला-बारूद का प्रयोग करते हैं।
2020 में, त्रुटिपूर्ण गोला-बारूद से 13 जवान घायल हो गए, जबकि 2019 में 16 दुर्घटनाएं हुईं, जिसमें 28 जवान घायल हो गए और तीन का निधन हो गया। 2018 में, 78 घटनाओं में कम से कम 43 जवान घायल हो गए और तीन ने अपनी जान गंवा दी। 2017 में इस बाबत 53 घटनाएं हुईं, जिसमें एक जवान की मौत हो गई और 18 अन्य घायल हो गए।
इस मामले में साल 2016 सबसे खराब रहा, जहां इस तरह की 60 घटनाओं में 19 जवान की मौत हो गई और 28 अन्य घायल हो गए।
इससे राजकोष को काफी क्षति पहुंचती है। अनुमान के मुताबिक, अप्रैल 2014 से अप्रैल 2019 के बीच इस वजह से 658.58 करोड़ रुपये के गोला-बारूद का शेल्फ लाइफ के बावजूद निस्तारण किया गया।
सूत्रों ने यह भी कहा कि 303.23 करोड़ रुपये के माइंस का भी उसके शेल्फ लाइफ के दौरान निस्तारण करना पड़ा। इससे पहले महाराष्ट्र के पलगांव में मई 2016 में माइंस दुर्घटना में 18 जवान शहीद हो गए थे।
सूत्रों ने कहा कि इससे 960 करोड़ रुपये की हानि हुई थी, जिससे 100, 155 एमएम मीडियम आर्टिलरी बंदूक खरीदा जा सकता था।
यह निश्चित है कि खराब गुणवत्ता वाले गोला-बारूद का जवानों पर बड़ा प्रभाव पड़ता है। दुर्घटना से जानमाल की हानि होती है और साथ ही उपकरणों को प्रयोग से बाहर कर दिया जाता है।
नई दिल्ली, 29 सितंबर (आईएएनएस)| सुप्रीम कोर्ट की तरफ से मंगलवार को राज्य सरकारों को यह निर्देश दिया गया कि वे उन सभी यौन कर्मियों को बिना राशन कार्ड या किसी अन्य पहचान प्रमाण के सूखा राशन उपलब्ध कराएं, जिनकी पहचान राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (नाको) और जिला कानून अधिकारियों द्वारा की गई है। जस्टिस एल. नागेश्वर राव और अजय रस्तोगी की खंडपीठ ने कोरोनावायरस महामारी के दौरान बेसहारा हो गए यौन कर्मियों के सामने आने वाली कठिनाइयों को ध्यान में रखकर यह निर्णय लिया।
पीठ ने कहा कि राज्य सरकारों में से किसी ने भी इनके लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। शीर्ष अदालत ने संबंधित अधिकारियों से कहा कि वे चार हफ्ते के भीतर आदेश के कार्यान्वयन और इस फैसले से लाभान्वित हुए यौन कर्मियों की संख्या के बारे में कोर्ट को सूचित करें।
पीठ की तरफ से यह फैसला एनजीओ दरबार महिला समिति की एक आवेदन पर सुनवाई के दौरान किया गया, जिसमें देशभर में नौ लाख से अधिक महिला और ट्रांसजेंडर यौन कर्मियों के लिए राहत की मांग की गई थी।
नई दिल्ली, 29 सितंबर (आईएएनएस)| कृषि बिल के विरोध में यहां भारतीय युवा कांग्रेस के कार्यकर्ताओं द्वारा एक ट्रैक्टर में आग लगा दी गई, जिसके एक दिन बाद मंगलवार को दिल्ली पुलिस ने पंजाब यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष ब्रिंदर ढिल्लों को अपने हिरासत में ले लिया। पुलिस ने कहा कि मामले पर जांच जारी है। सोमवार को इंडिया गेट के पास हुई इस घटना से संबंधित अन्य लोगों की पहचान करने की कोशिश की जा रही है।
पुलिस ने आईपीसी की संबंधित धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज करने के बाद आपदा प्रबंधन अधिनियम, महामारी रोग अधिनियम व लोक संपत्ति नुकसान निवारण अधिनियम की गैर-जमानती धारा के तहत छह लोगों को गिरफ्तार कर लिया है।
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, "अब तक छह आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है और दो वाहन जब्त किए गए हैं।"
सोमवार को यहां इंडिया गेट के पास पंजाब यूथ कांग्रेस के लगभग 15-20 अज्ञात समर्थकों द्वारा कृषि विधेयक पर जमकर विरोध प्रदर्शन किया गया।
भोपाल 29 सितंबर (आईएएनएस)| मध्य प्रदेश में आगामी समय में होने विधानसभा के उप-चुनावों की जमीनी तैयारी भाजपा ने तेज कर दी है। इसके लिए कार्यकर्ताओं से सीधे संवाद बनाने के लिए मंडल स्तर पर सम्मेलनों के आयोजन की रुपरेखा तैयार की गई है। इन सम्मेलनों की गांधी जयंती यानी 2 अक्टूबर से शुरुआत होगी और लाल बहादुर शास्त्री की जयंती 15 अक्टूबर तक सम्मेलनों का आयोजन किया जाएगा। राज्य में 28 विधानसभा क्षेत्रों में उप-चुनाव होने वाले हैं। इन चुनावों के जरिए भाजपा अपनी ताकत को और बढ़ाना चाहती है, लिहाजा उसने रणनीति को अंतिम रुप दे दिया है। जिन 28 विधानसभा क्षेत्रों में उप-चुनाव होने वाले हैं, उन क्षेत्रों में भाजपा संगठन के 127 मंडल हैं। यहां मंडल सम्मेलन आयोजित किए जाएंगे।
चुनाव प्रबंध समिति के संयोजक और शिवराज सरकार के मंत्री भूपेंद्र सिंह ने बताया है कि, इन सभी मंडलों में 2 अक्टूबर से 15 अक्टूबर के बीच सम्मेलन होंगे। इन सम्मेलनों में मंडल में निवासरत पार्टी के जिला एवं प्रदेश पदाधिकारी, बूथ कमेटी सदस्य, पेज प्रमुख शामिल होंगे। इस अभियान के दौरान पार्टी के वरिष्ठ नेता एक दिन में दो मंडलों तक पहुंचकर सम्मेलनों को संबोधित करेंगे।
मंत्री भूपेंद्र सिंह के अनुसार, कोरोना का संक्रमण है, इसको ध्यान में रखकर मंडल सम्मेलनों में सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखा जाएगा एवं कोरोना संक्रमण के प्रति सामाजिक जिम्मेदारी निभाते हुए पार्टी कार्यकर्ताओं को मास्क उपलब्ध कराए जाएंगे।
बताया गया है कि भाजपा ने चुनाव के मद्देनजर इन 28 विधानसभा क्षेत्रों में 25 सितंबर से 27 सितम्बर तक महाजनसंपर्क अभियान चलाया। इस दौरान पार्टी के नेता और कार्यकर्ताओं ने हर एक बूथ पर घर-घर दस्तक दी। पार्टी कार्यकर्ताओं ने जहां राज्य सरकार की योजनाएं बताईं। 28 विधानसभाओं के 7800 मतदान केंद्रों में से 6000 मतदान केंद्रों में चले इस अभियान में लगभग 11 लाख परिवारों से जनसंपर्क किया गया।
लखनऊ, 29 सितंबर (आईएएनएस)| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दो दिन पहले अपने 'मन की बात' कार्यक्रम में कहानी कहने के महत्व को रेखांकित करने के बाद, लखनऊ के रहने वाले एक 'दास्तानगो' (कहानीकार) 8 अक्टूबर को हार्वर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। 33 साल के हिमांशु बाजपेयी, 'खुसरोज रीवर ऑफ लव : कॉस्मोपौलिटैनिज्म एंड इन्क्लूशन इन साउथ एशियन ट्रेडिशंस' विषयक डेढ़ घंटे लंबे सत्र में भाग लेंगे।
कार्यक्रम में हिमांशु बाजपेयी की दास्तानगोई और पाकिस्तानी मूल के एक अंतर्राष्ट्रीय कलाकार अली सेठी द्वारा खुसरो की काव्य रचनाओं की प्रस्तुति के साथ शब्द और संगीत की धुन की जुगलबंदी देखने को मिलेगी।
प्रदर्शनों को मध्य-पूर्व अध्ययन के प्रोफेसर मरे ए. अल्बर्टसन और हार्वर्ड में इंडो-मुस्लिम और इस्लामिक धर्म और संस्कृति के प्रोफेसर अली असानी द्वारा विश्लेषण और टिप्पणी की जाएगी।
हिमांशु ने कहा, "प्रोफेसर असानी हमारे साथ एक लाइव इंटरेक्टिव सेशन को भी मॉडरेट करेंगे जहां हम दुनियाभर के दर्शकों के सवाल लेंगे। इस अनोखे कार्यक्रम का हिस्सा बनना सम्मान की बात है जिसे दुनियाभर में देखा जाएगा।"
'दास्तानगोई' मौखिक कहानी कहने का मध्ययुगीन काल की कला का एक रूप है।
हिमांशु ने 2014 में मध्ययुगीन मौखिक कहानी कला के दास्तानगो के रूप में अपनी पहली सार्वजनिक प्रस्तुति दी थी। उन्होंने कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रम में भाग लिया है, जिनमें दुबई और तुर्की में हुए कार्यक्रम भी शामिल हैं।
उन्हें फरवरी, 2020 में राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त हुआ, जहां उन्होंने परफॉर्म भी किया था।
नई दिल्ली, 29 सितम्बर | राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (आरएलएसपी) के प्रमुख उपेन्द्र कुशवाहा ने मंगलवार को घोषणा की है कि उनकी पार्टी आगामी बिहार विधान सभा चुनाव बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) के साथ मिलकर लड़ेगी.
दोनों पार्टियों में गठबंधन हुआ है, जिसका नेतृत्व उपेन्द्र कुशवाहा करेंगे.
इस ख़बर को हैरानी से देखा जा रहा है क्योंकि इस बीच ख़बरें थीं कि आरएलएसपी और बीजेपी के बीच सीट शेयरिंग को लेकर बातचीत चल रही है. हाल में आरएलएसपी ने आरजेडी के साथ सीट शेयरिंग की बातचीत में हो रही देरी की वजह से महागठबंधन छोड़ दिया था.
आरएलएसपी के महागठबंधन छोड़ने की सही वजह का अभी ठीक-ठीक पता नहीं लग पाया है, लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़, आरएलएसपी 36 सीटों की मांग कर रही थी, जबकि आरजेडी 12 के लिए तैयार थी.
ख़बरे ऐसी भी आईं कि बीजेपी की ओर से उसके पूर्व सहयोगी को बहुत अच्छा रिस्पोंस नहीं मिला और वो आरएलएसपी को 10 से ज़्यादा सीटें देने को तैयार नहीं थी.
2015 के विधान सभा चुनाव में कुशवाहा की पार्टी ने एनडीए के सहयोगी के तौर पर 22 सीटों पर चुनाव लड़ा था. आरएलएसपी ने दिसंबर 2018 में एनडीए छोड़ दिया था, क्योंकि बीजेपी ने 2019 के लोक सभा चुनाव में उसे दो से ज़्यादा सीटें देने से इनकार कर दिया था.(bbc)
नई दिल्ली, 29 सितंबर। बीते कुछ महीनों से वेतन न मिलने से गुस्साए उत्तरी दिल्ली नगर निगम (नॉर्थ एमसीडी) के तहत आने वाले हिंदू राव अस्पताल के डॉक्टरों ने एक ऑनलाइन कैंपेन शुरू किया है, जिसके तहत वे लंबित वेतन जारी करने की मांग कर रहे हैं।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, इस ऑनलाइन कैंपेन के जरिये सोमवार से डॉक्टर इस टेक्सट के साथ तस्वीरें पोस्ट कर रहे हैं कि ‘दिल्ली के हिंदू राव अस्पताल में कोविड-19 ड्यूटी कर रहे डॉक्टरों को 105 दिनों से वेतन नहीं मिला है।’ इसके साथ ही डॉक्टर वेतन न मिलने से आ रही समस्याओं को लेकर भी तस्वीरें पोस्ट कर रहे हैं।
अस्पताल के रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (आरडीए) के महासचिव डॉ। सागर दीप कहते हैं, ‘डॉक्टर हर दिन इस तरह की तस्वीरें शेयर करेंगे, क्योंकि अपनी जान जोखिम में डालकर काम कर रहे डॉक्टरों को नियमित विरोध के बावजूद भी वेतन नहीं दिया जा रहा है।’
उन्होंने कहा, ‘तीन महीनों से वेतन नहीं मिला है। हमें आखिरी बार जून महीने में वेतन दिया गया था। इससे पहले भी वेतन मिलने में दो से तीन महीने की देरी हो चुकी है। डॉक्टर अब इससे परेशान हो चुके हैं।’
अन्य अस्पतालों और उत्तरी एमसीडी द्वारा संचालित स्वास्थ्य केंद्रों के डॉक्टर और नर्स भी वेतन मिलने में देरी की वजह से विरोध कर रहे हैं।
उत्तरी एमसीडी के तहत आने वाले हिंदू राव, महर्षि वाल्मीकि संक्रामक रोग, कस्तूरबा अस्पताल, गिरधारी लाल मातृत्व अस्पताल और राजन बाबू इंस्टीट्यूट ऑफ पल्मोनरी मेडिसिन एंड ट्यूबरकुलोसिस के अलावा 21 डिस्पेंसरी, 63 प्रसूति एवं बाल कल्याण केंद्र, 17 पॉलीक्लीनिक्स और सात प्रसूति गृह के डॉक्टर और नर्स भी वेतन देरी की वजह से विरोध कर रहे हैं।
उत्तरी एमसीडी की मेडिकल इकाइयों में 1,000 वरिष्ठ डॉक्टर, 500 रेजिडेंट डॉक्टर और 1।500 नर्सिंग अधिकारी हैं।
उत्तरी एमसीडी के मेयर जयप्रकाश का कहना है, ‘वह इस मुद्दे को सुलझाने के लिए डॉक्टरों और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की एक बैठक बुलाएंगे।’ उन्होंने कहा कि कोरोना की वजह से नगरपालिका का वित्त प्रभावित हुआ है। उन्होंने दिल्ली सरकार पर 1,200 करोड़ रुपये के बकाए का भुगतान नहीं करने का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा, ‘हमें मदद का वादा किया गया है चूंकि मैं खुद कोरोना से प्रभावित था तो मैं इसका अनुसरण नहीं कर सका लेकिन अब दोबारा नए प्रयास करूंगा और जल्द ही किसी न किसी रूप में हमें कुछ वित्तीय मदद मिल जाएगी।’
आरडीए अध्यक्ष अभिमन्यु सरदाना ने कहा कि उन्होंने हिंदू राव प्रशासन को पत्र लिखा है कि हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद लंबे समय से वेतन अटका हुआ है। उन्होंने पत्र में लिखा, ‘रेजिडेंट डॉक्टरों ने अपनी समस्याओं से अवगत कराने के लिए प्रतिदिन सुबह नौ से दोपहर 12 बजे तक हड़ताल करने का फैसला किया है। हम आपसे त्वरित समाधान उपलब्ध कराने का आग्रह करते हैं।
सरदाना ने आगे कहा, ‘स्वास्थ्यकर्मी फ्रंटलाइन कोविड वॉरियर्स हैं, जो अपनी जान जोखिम में डालकर सेवाएं दे रहे हैं। हर तरीके से इन्हें समय पर वेतन देना उच्च प्राथमिकता होनी चाहिए और इस समस्या का समाधान निकाला जाना चाहिए।’
जून में हुई सुनवाई में कोरोना मरीजों का इलाज कर रहे डॉक्टरों के वेतन का भुगतान नहीं किए जाने के मामलों को ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा था कि देश महामारी के खिलाफ युद्ध में अंसतुष्ट सैनिकों को बर्दाश्त नहीं कर सकता।
अदालत ने सरकार से इन कोरोना वॉरियर्स के लिए धनराशि जुटाने के लिए अतिरिक्त प्रयास करने को कहा था।
बीते जुलाई महीने में भी हिंदू राव अस्पताल के डॉक्टरों ने अदालत के दखल के बावजूद पिछले तीन महीने से वेतन न मिलने को लेकर उपराज्यपाल अनिल बैजल को पत्र लिखा था।
द वायर द्वारा अपनी एक रिपोर्ट में बताया था कि नॉर्थ एमसीडी के तहत आने वाले दो अस्पतालों- कस्तूरबा और हिंदू राव के 350 से अधिक रेजिडेंट डॉक्टरों ने तीन से चार महीने तक का वेतन न मिलने की बात कहते हुए सामूहिक इस्तीफा देने की धमकी दी थी।
इसके बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने नॉर्थ एमसीडी को उसके तहत आने वाले कस्तूरबा गांधी और हिंदू राव समेत छह अस्पतालों में रेजिडेंट डॉक्टरों को मार्च का वेतन 19 जून तक देने का निर्देश दिया था। इसके बाद उन्हें दो महीने का वेतन मिला था। (thewirehindi)
नई दिल्ली, 29 सितम्बर (आईएएनएस)| आपात सेवा को छोड़कर, दिल्ली के सरकारी महर्षि वाल्मिकी अस्पताल के रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (आरडीए) ने मंगलवार को एक डॉक्टर के साथ दुर्व्यवहार किए जाने की घटना के विरोध में सभी जरूरी और गैर-जरूरी सेवाओं को रोकने का फैसला किया है।
आरडीए ने कहा कि उसने अस्पताल प्रशासन के खिलाफ एक रोगी और उसके सहयोगी की ओर से एक ऑन-ड्यूटी डॉक्टर के साथ दुर्व्यवहार किए जाने की घटना के संबंध में एफआईआर दर्ज नहीं करवाने को लेकर विरोध जताया है।
आरडीए ने औपचारिक रूप से एक नोटिस के जरिए हॉस्पिटल मेडिकल सुपरइंटेंडेंट को अपना विरोध जताया।
नोटिस के अनुसार, "अभी तक क्योंकि कोई पुष्टि नहीं मिली है, हमारे पास 10 बजे से जरूरी सेवाओं से रेजिडेंट डॉक्टरों को हटाने के सिवाय कोई विकल्प नहीं है। इसके लिए आपको 26 सितंबर और फिर 28 सितंबर को सूचित किया गया था।"
नोटिस के अनुसार, "जिस तरह से इस मामले को हैंडल किया गया, हम इससे दुखी हैं। संबंधित डॉक्टर काफी मानसिक तनाव में हैं और अगर उसे प्राथमिकता के साथ संस्थानिक सहयोग नहीं मिला, तो चीजें और बदतर हो जाएंगी।"
आरडीए ने कहा, "अगर रेजिडेंट डॉक्टर के साथ कुछ गलत होता है तो इसके लिए कौन जिम्मेदार होगा? हम नहीं चाहते कि रोगियों को परेशानी का सामना करना पड़े और जल्द से जल्द ड्यूटी ज्वाइन करना चाहते हैं, लेकिन इसे हम अपनी जिंदगी और हमारे प्रोफेशन के सम्मान पर खतरे की कीमत पर नहीं करना चाहते।"
इसबीच, विभिन्न सरकारी अस्पतालों के आरडीए ने पीड़ित डॉक्टरों के प्रति सहानुभूति जताई है।
आरडीए ने कहा, "हम दुर्व्यवहार की निंदा करते हैं और महर्षि वाल्मिकी अस्पताल के प्रदर्शन कर रहे रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन के साथ एकजुटता प्रदर्शित करते हैं। साथ ही अधिकारियों से तत्काल आरोपियों के खिलाफ कदम उठाने की मांग करते हैं।"
दरअसल शनिवार को एक रोगी प्रियंका और उसके अटेंडेंट नरेश डॉ. राहुल पर उस वक्त ऑपरेशन थियेटर में हमला कर दिया, जब उन्होंने दोनों को मास्क पहनने और उनकी बारी की प्रतिक्षा करने को कहा।
बाद में, डॉ. जैन ने दोनों के खिलाफ आईपीसी की धारा 186,188, 353, 332, 506 और 34 के तहत और अन्य संबंधित कानून के तहत मामला दर्ज करवाया।
लखनऊ, 29 सितंबर (वार्ता)। अयोध्या में बाबरी विध्वंस के करीब 28 साल पुराने मामले में सीबीआई की विशेष अदालत बुधवार को ऐतिहासिक फैसला सुनायेगी।
वर्ष 1992 में विवादित ढांचे के विध्वंस के मामले में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, डॉ. मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, उमा भारती, साध्वी ऋतंबरा,विनय कटियार,राम विलास वेंदाती के अलावा श्रीरामजन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष नृत्य गोपाल दास समेत सभी 32 आरोपियों के बयान 31 अगस्त तक दर्ज किये जा चुके हैं। सभी आरोपियों ने खुद को निर्दोष बताते हुये साजिश के तहत फंसाने की दलील दी है।
विशेष अदालत के न्यायाधीश एस के यादव इस मामले में फैसला सुनायेंगे। फैसले से पहले मध्यप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ नेता उमाभारती और पूर्व सांसद डा रामविलास दास वेदांती ने कहा है कि अदालत अगर उम्रकैद या फांसी की सजा देती है तो उन्हें सहर्ष मंजूर होगी।
अदालत ने फैसले के समय सभी आरोपियों को उपस्थित रहने को कहा है हालांकि कोरोना संक्रमण से जूझ रही सुश्री उमा भारती इस मामले में सीबीआई अदालत के फैसले के समय मौजूद नहीं होंगी। उन्होंने पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा को चिट्ठी लिख कर कहा है ‘30 सितंबर को सीबीआई की विशेष अदालत मे मुझे फैसला सुनने के लिए पेश होना है। मैं कानून को वेद, अदालत को मंदिर और जज को भगवान मानती हूं, इसलिए अदालत का हर फैसला मेरे लिए भगवान का आशीर्वाद होगा।’
उन्होंने लिखा ‘मैं नहीं जानती फैसला क्या होगा मगर मैं जमानत नहीं लूंगी। जमानत लेने से आंदोलन मे भागीदारी की गरिमा कलंकित होगी। ऐसे हालातों में आप नई टीम में रख पाते हैं कि नहीं इस पर विचार कर लीजिए। यह मैं आपके विवेक पर छोड़ती हूं। मैं हमेशा कहती आयी हूं कि अयोध्या के लिए मुझे फांसी भी मंजूर है।’
उधर डा वेंदाती ने कहा कि वर्ष 1968 में अयोध्या आने के बाद उन्होने विवादित परिसर में किसी को नमाज पढ़ते नहीं देखा। अदालत उन्हें उम्रकैद या फांसी की सजा देता है तो इससे बड़ा बड़ा सौभाग्य नहीं होगा।
गौरतलब है कि छह दिसंबर 1992 में राम जन्मभूमि परिसर में स्थित विवादित ढांचे को लाखों कारसेवकों ने ढहा दिया था। मंदिर निर्माण के लिए लाखों कारसेवक अयोध्या पहुंचे थे। बाबरी विध्वंस मामले को लेकर मुस्लिम पक्षकारों ने ढांचा गिराए जाने को लेकर याचिका दाखिल की। इस आंदोलन में प्रमुख भूमिका निभाने वाले लोगों को आरोपी बनाया गया। लंबे समय तब चली सुनवाई के बाद यह मामला को सीबीआई की अदालत में पहुंचा। मामले में 13 लोगों को मुख्य आरोपी मानते हुए अंतिम सुनवाई के बाद 30 सितंबर को सीबीआई कोर्ट फैसला सुनाने जा रही है।
मेरठ, 29 सितंबर (आईएएनएस)| उत्तर प्रदेश में एक महिला अधिकारी का 17वीं बार तबादला होने जा रहा है, जिस पर विवाद छिड़ी हुई है। मेरठ में तैनात एक महिला पीसीएस (निचले) अधिकारी को एक साल लंबे कार्यकाल के बाद 'जनहित' में स्थानांतरित किया जा रहा है। सरधना से भाजपा विधायक संगीत सोम और उनके बीच हुई कुछ अनबन को इसकी वजह बताई जा रही है।
अधिकारी अमिता वरुण को उनके 13 साल के करियर में 17वीं बार स्थानांतरित किया जा रहा है। वरुण साल 2007 के बैच की अधिकारी हैं और पिछले साल सितंबर से मेरठ के सरधना नगर निगम के कार्यकारी अधिकारी (ईओ) के रूप में सेवारत हैं।
पिछले तीन सालों में, अमिता को उनकी कार्यशैली के मद्देनजर कम से कम 10 बार स्थानांतरित किया जा चुका है, जिसमें स्थानीय राजनेताओं संग उनके वाद-विवाद शामिल रहे हैं। रविवार की रात को उन्हें बुलंदशहर के जहांगीराबाद में स्थानांतरित कर दिया गया।
बार-बार तबादलों से परेशान प्रांतीय सिविल सेवा (पीसीएस) अधिकारी ने साल 2018 में इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। यहां दो न्यायाधीशों की एक पीठ ने उनके तबादलों के सिलसिले पर गौर फरमाते हुए इसे "सत्ता का खेल करार दिया था।"
इसके बाद कोर्ट ने कहा था, "हमें पिछले रिकॉर्डो से ऐसा कुछ भी नहीं मिला है कि याचिकाकर्ता (वरुण) किसी भी तरह के भ्रष्टाचार में शामिल रही हैं।"
सरधना में वरुण के कार्यकाल के दौरान 22 सितंबर को दिल का दौरा पड़ने की वजह से एक संविदा कर्मचारी अजय छाबड़ा की मौत हो गई थी, जिसके बाद वह विवादों से घिर गई थीं।
विधायक संगीत सोम के समर्थकों में शामिल छाबड़ा के परिवारवालों ने आरोप लगाया कि वरुण द्वारा परेशान किए जाने के चलते उसकी मौत हुई है। हालांकि वरुण ने इस मसले को 'राजनीति से प्रेरित' करार दिया था।
बाद में विधायक संगीत सोम ने कहा कि अमिता वरुण का रवैया उनके कर्मचारियों संग सही नहीं था और वह एक बार घूस लेती हुई भी पकड़ी जा चुकी हैं। उन्होंने बताया कि अतीत में भी उनके ऐसे कई कारनामे रहे हैं, जिसके चलते उन्हें 17 से 18 बार स्थानांतरित किया जा चुका है।
नयी दिल्ली 29 सितम्बर(वार्ता)। उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की रिहाई की मांग को लेकर उनकी पुत्री इल्तिजा मुफ्ती की अपील के संदर्भ में केंद्र शासित प्रशासन को अपना रूख स्पष्ट करने के लिए कहा है।
न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली पीठ ने सुश्री इल्तिजा की ओर से उनके अधिवक्ता नित्या रामकृष्णन की ओर से प्रस्तुत याचिका पर सुनवाई के दौरान उनसे अपना अनुरोध संबंधित प्रशासन के समक्ष रखने को कहा। न्यायालय ने केंद्र से यह भी जानना चाहा कि किसी व्यक्ति को हिरासत में रखे जाने की अधिकतम अवधि क्या है तथा सुश्री महबूबा को लगातार हिरासत में रखे जाने का क्या औचित्य है।
शीर्ष अदालत ने महाधिवक्ता तुषार मेहता से कहा, ‘आपको इन दो आधारों पर भी अपना पक्ष रखना चाहिए।’ अगली सुनवाई की तिथि 15 अक्टूबर मुकर्रर की गयी है।
विवेक त्रिपाठी
लखनऊ, 29 सितम्बर (आईएएनएस)| अयोध्या में रामजन्मभूमि विवाद जीतने के बाद अब मथुरा में कृष्णजन्मभूमि का मामला अदालत पहुंच गया है। सियासत के साथ यह मुद्दा गरमाने के आसार दिख रहे हैं। हालांकि अभी सबकी नजरें अदालत पर टिकी हैं।
संतो की सबसे बड़ी संस्था अखाड़ा परिषद ने पहले ही इस मुद्दे को लेकर मोर्चा खोल रखा है। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने आईएएनएस से बातचीत में कहा कि कृष्ण जन्मभूमि के मुद्दे पर अखाड़ा परिषद की 15 अक्तूबर को वृंदावन में होने वाली बैठक में मथुरा के लिए रणनीति तय की जाएगी। इसमें सभी 13 अखाड़ों के प्रतिनिधि शामिल होंगे। इस बैठक में कृष्ण जन्मभूमि के मुद्दे पर आंदोलन की रूपरेखा तय करने के साथ ही श्रीकृष्ण जन्मस्थान मामले में दायर याचिका में पक्षकार बनने पर भी विचार किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि इसमें हमारे महामंत्री हरिगिरी वकीलों से बात करेंगे। यह सभी याचिकाकतार्ओं से बातचीत करेंगे। परिषद को इस याचिका में पक्षकार के तौर पर शामिल करने पर सहमति बन जाएगी तो ठीक, वरना अलग से कोर्ट में याचिका दाखिल की जाएगी।
नरेन्द्र गिरी ने बताया कि विहिप व अन्य हिंदू संगठनों के साथ मिलकर कृष्ण जन्मभूमि के लिए शांतिपूर्ण ढंग से जन जागरण शुरू किया जाएगा। इस मसले को निपटाने के लिए मुस्लिम धर्मगुरूओं से भी बातचीत की जाएगी।
विश्व हिन्दू परिषद के क्षेत्रीय संगठन मंत्री अम्बरीश सिंह ने कहा कि पहली प्राथमिकता रामलला का मंदिर निर्माण है। इसके अलावा हिन्दू समाज के जो भी मुद्दे है उसकी संगठन चिंता करता है। अखाड़ा परिषद अगर कोई बात करेगा तो उस पर शीर्ष नेतृत्व निर्णय लेगा। आम जनमानस की सहभगिता बनेगी। इस पर ट्रस्ट कोई निर्णय लेगा तो देखा जाएगा। कब क्या करेंगे यह तय नहीं है। अभी तो एक लड़ाई में कई वर्षों बाद विजय मिली है। अभी पूरा फोकस वहीं है। जब धर्मस्थान मुक्ति यज्ञ समिति 1984 बनी थी तो तीनों मंदिरों का उल्लेख किया गया था। अभी रामलला मंदिर जब तक बन न जाए तब तक अधूरा नहीं छोड़ा जा सकता।
भाजपा के राज्यसभा सदस्य हरनाथ सिंह यादव ने कहा है कि श्री कृष्ण जन्मभूमि पर अवैध ढंग से कब्जा किया गया था। अब मुस्लिम भाइयों को अपना दिल बड़ा करना चाहिए और वहां से अपना कब्जा हटा लेना चाहिए। उन्होंने इस बयान को अपना निजी बयान बताया।
उधर, शाही मस्जिद ईदगाह कमेटी के अध्यक्ष जाहिर (जेड) हसन ने कहा कि अभी कोई मुकदमे की जरूरत नहीं है। दो इबादतगाहें बुलंदी पर हैं। एक तरफ मस्जिद है दूसरी तरफ मंदिर। दोंनों में प्र्थनाएं होती है जिसकी अवाज एक साथ ईश्वर तक पहुंचती है। हमारे यहां लड़ाई झगड़े की कोई गुंजाईश नहीं है। सन 1968 में समझौता हुआ था। तब आपस में जमीन का बंटवारा हो गया था। तब से मंदिर में पूजा-पाठ और मस्जिद में पांच वक्त की नमाज होती है। मथुरा में गंगा-जमुनी तहजीब है। यहां पर राधाजी की चुनरी मुस्लिम महिलाएं बनाती है। जो पूरे विश्व में विख्यात है। मुद्दे पर पूरी जानकारी लेंगे। लोगों से मशविरा लेंगे। हमें न्यायपालिका पर भी पूरा भरोसा है।
ज्ञात हो कि रामनगरी अयोध्या में भगवान श्रीराम मंदिर निर्माण शुरू होने के साथ ही भगवान श्रीकृष्ण की नगरी मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मस्थान का मामला कोर्ट पहुंच गया है। श्रीकृष्ण विराजमान व सात अन्य की ओर से सिविल जज सीनियर डिवीजन छाया शर्मा की कोर्ट में दायर दावे में यहां श्रीकृष्ण जन्मस्थान की 13.37 एकड़ जमीन का मालिकाना हक देने और शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने की मांग की है। इसके साथ ही मस्जिद समिति और श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान के बीच हुए समझौते को अवैध बताया गया है।
प्रमोद कुमार झा
नई दिल्ली, 29 सितम्बर (आईएएनएस)| केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कांग्रेस पर किसानों को बरगलाने और उनके नाम पर राजनीति करने का आरोप लगाया है। वह कहते हैं कि जो लोग नये कृषि कानून का विरोध कर रहे हैं, वे किसानों के नाम पर अपने निहित स्वार्थ साध रहे हैं और इसे मुद्दा बनाकर राजनीति कर रहे हैं।
केंद्रीय कृषि मंत्री तोमर ने आईएएनएस के साथ खास बातचीत में कहा कि कृषि से जुड़े जो दो अहम विधेयक लाए गए, उन पर किसानों का कोई विरोध नहीं है, बल्कि निहित स्वार्थ के लिए कांग्रेस इसे राजनीतिक रंग दे रही है।
सुधार के लिए लाए गए कानून के विवाद की वजह बनने के सवाल पर केंद्रीय मंत्री ने कहा, विवाद की वजह राजनीतिक व निजी स्वार्थ है। ये दोनों विधेयक किसानों के लिए फायदेमंद हैं। उनके जीवन स्तर में बदलाव लाने वाले हैं। जिन लोगों को रास नहीं आ रहा है, वे विधेयक को विरोध करके राजनीतिक रंग देने की कोशिश कर रहे हैं।
संसद के मानसून सत्र में दोनों सदनों से पारित हुए कृषि से जुड़े तीन अहम विधेयकों, कृषक उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक 2020, कृषक (सशक्तीकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक-2020, को राष्ट्रपति की स्वीकृति मिलने के बाद अब ये कानून बन गए हैं, लेकिन किसानों का विरोध थमा नहीं है।
हमेशा गांव, गरीब और किसानों के हितों की बात करने वाली मोदी सरकार के कद्दावर मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का कहना है कि नए कानून से किसानों के जीवन में खुशहाली आएगी। ऐसे में खुशहाली वाले कानून के विरोध में किसान क्यों सड़कों पर उतरे हैं? इस पर उन्होंने किसानों के सड़कों पर उतरने की बात को सिरे से खारिज किया। उन्होंने कहा कि विरोध कांग्रेस प्रायोजित है और इसमें कांग्रेस के लोग ही शामिल हैं। तोमर ने कहा, किसान कहीं सड़कों पर नहीं हैं। कांग्रेस सड़कों पर है।
भाजपा के पुराने सहयोगी शिरोमणि अकाली दल कोटे से मंत्री हरसिमरत कौर बादल के विधेयक के विरोध में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद उस मंत्रालय का भी अतिरिक्त प्रभार तोमर को ही सौंपा गया है। इसके अलावा, ग्रामीण विकास मंत्रालय और पंचायती राज मंत्रालय की जिम्मेदारी वह पहले से ही संभाल रहे हैं।
नये कृषि कानून का सबसे ज्यादा विरोध पंजाब और हरियाणा में हो रहा है। इसकी वजह पूछने पर उन्होंने कहा, जहां मंडियों से ज्यादा स्वार्थ है, वहां ज्यादा विरोध हो रहा है।
तो किसानों से ज्यादा यह मंडियों को लेकर विरोध है? इस सवाल पर तोमर ने स्पष्ट किया कि नये कानून से न तो किसानों को नुकसान है और न ही कारोबारियों को। उन्होंने कहा कि यह मंडी का विरोध नहीं है, बल्कि मंडी से जुड़े स्वार्थ को लेकर विरोध हो रहा है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस का इसमें निहित स्वार्थ है, इसलिए वह विरोध कर रही है।
नये कानून में कृषि उपज विपणन समिति (एपीएमसी) द्वारा संचालित मंडियों की परिधि के बाहर ट्रेड एरिया में कृषि उत्पादों की खरीद पर कोई शुल्क नहीं है। लिहाजा, इस कानून से एपीएमसी द्वारा संचालित मंडियों के अस्तित्व को लेकर आशंका जताई जा रही है, क्योंकि मंडियों में मंडी-शुल्क लगता है। पंजाब में गेहूं और धान की खरीद पर तीन फीसदी मंडी-शुल्क, तीन फीसदी आरडीएफ शुल्क के अलावा 2.5 फीसदी आढ़तियों का कमीशन होता है। कृषि मंत्री का तर्क है कि ट्रेड एरिया में जब किसान से प्रॉसेसर सीधे खरीद करेंगे, जहां कोई बिचैलिया नहीं होगा और कोई शुल्क नहीं होगा तो किसानों को इसका फायदा होगा।
पंजाब और हरियाणा के किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एपीएमसी) पर फसलों की खरीद को लेकर भी आशंका बनी हुई है। इसका जवाब देते हुए तोमर ने कहा, एमएसपी को लेकर किसानों के मन में कोई दुविधा नहीं रहनी चाहिए। एमएसपी जारी रहेगी। हमने खरीफ और रबी दोनों सीजन की फसलों की एमएसपी घोषित कर दी है और खरीफ सीजन में खरीद की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।
सरकार हर साल खरीफ और रबी की 22 फसलों के लिए एमएसपी की घोषणा करती है। विपक्षी दलों और किसान संगठनों के नेता विधेयक में एमएसपी का जिक्र नहीं होने पर सवाल उठा रहे हैं। इस पर केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि इन दोनों विधेयकों को एमएसपी से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने कहा ये दोनों विधेयक एमएसपी से संबंधित नहीं हैं।
एमएसपी को अनिवार्य करने की मांग पर तोमर ने कांग्रेस से सवाल करते हुए कहा कि एमएसपी को अनिवार्य करने के लिए बीते 50 साल के दौरान कानून क्यों नहीं बनाया गया।
देश में सबसे पहले गेहूं और धान के लिए 1966-67 में न्यूतम समर्थन मूल्य तय किया गया था। केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि देश में एमएसपी के लिए व्यवस्था बनाई गई है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार की यह उपलब्धि है कि स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करके विभिन्न फसलों की लागत पर 50 फीसदी लाभ के साथ हर साल न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पिछली सरकारों से तुलना करें तो मोदी सरकार के कार्यकाल में एमएसपी पर किसानों से फसलों की खरीद दोगुनी से ज्यादा हो रही है।
आरएसएस से जुड़े किसान संगठन का आरोप है कि विधेयकों में किसानों से जुड़े प्रस्तावों व सुझावों को नजरअंदाज किया गया। इससे संबंधित सवाल पर तोमर ने कहा, सुझाव देने का अधिकार सबको है, मगर कानून में जो समाविष्ट करने वाला सुझाव होता है, उसी को शामिल किया जाता है।
एक देश एक कृषि बाजार व्यवस्था लागू करने वाले कानून से किसानों को होने वाले लाभ का जिक्र करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि किसान अब देश में कहीं भी अपने उत्पाद बेच सकते हैं, जिस पर कोई टैक्स नहीं होगा और दाम का भुगतान भी अधिकतक तीन दिन के भीतर मिलेगा, ऐसा कानून में प्रावधान है।
अनुबंध पर खेती से संबंधित कानून से कॉरपोरेट दखल बढ़ने को लेकर जताई जा रही आशंका पर पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा, यह कानून बुवाई के समय ही किसानों को फसल के मूल्य की गारंटी देता है। ऐसा पहले कभी नहीं था। उन्होंने कहा कि इस कानून में सिर्फ फसल का अनुबंध करने का प्रावधान है और इसमें जमीन को लेकर कोई अनुबंध नहीं होगा।
भुवनेश्वर, 29 सितम्बर (आईएएनएस)। ओडिशा विधानसभा में मानसून सत्र मंगलवार से शुरू हो गया है। इस दौरान सभी सदस्य कोविड-19 प्रोटोकॉल के अनुसार बैठे थे। यह सत्र 7 अक्टूबर को समाप्त होगा। मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने यहां अपने निवास स्थान 'नवीन निवास' से वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से सत्र के पहले दिन भाग लिया, जबकि कई मंत्रियों और विधायकों ने राज्य सचिवालय और जिला मुख्यालय के कॉन्फ्रेंस हॉल में बैठकर भाग लिया।
एहतियात के तौर पर सीटों के सामने कांच की सील्ड लगाई गई हैं। विधायक फेस शील्ड और मास्क पहने नजर आए। उन्हें अपनी सीटों पर से बैठकर बोलने की अनुमति दी गई।
मॉनसून सत्र की शुरुआत से पहले तीन दिनों के दौरान चलाए गए कोविड-19 टेस्ट ड्राइव में तीन मंत्रियों सहित 19 विधायकों का रिपोर्ट पॉजीटिव आया है। इसके अलावा, कई अन्य विधायकों का कोरोनावायरस टेस्ट पहले ही पॉजीटिव आया था।
दिन के लिए सदन के इकट्ठे होने के बाद, मुख्यमंत्री ने ओडिशा के विधायकों और सांसदों, कोविद वारियर्स और अन्य लोगों के लिए मोटापे के संदर्भों को स्थानांतरित कर दिया, जो पिछले सत्र से चले आ रहे थे।
बीते सत्र के बाद कोविड के कारण जान गवां चुके ओडिशा के विधायकों और सांसदों, कोविद वारियर्स और अन्य लोगों के लिए मुख्यमंत्री ने शोक संदर्भ भी पढ़ा।
सदन ने पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को भी श्रद्धांजलि दी।
आनंद सिंह
नई दिल्ली, 29 सितंबर (आईएएनएस)| भारतीय रेलवे द्वारा कोरोनावायरस महामारी के दौरान वातानुकूलित डिब्बों में यात्रा करने वाले यात्रियों को बेडशीट और पिलो कवर आदि उपलब्ध नहीं कराने के निर्णय से बुनकर और कारीगर के साथ-साथ केवीआईसी असमंजस में दिन काट रहे हैं। ये कारीगर और बुनकर खादी उत्पाद बनाते हैं।
इसका कारण यह है कि खादी इंडिया को रेलवे से चादरें, तकिए के कवर, तौलिये और अन्य सामानों की आपूर्ति करने के लिए 39.25 करोड़ रुपये के ऑर्डर मिले थे, जिस पर अब अनिश्चितता बढ़ गई है। ये 57 ऑर्डर्स विभिन्न रेलवे जोन के माध्यम से किए गए थे।
रेल मंत्रालय के एक सूत्र ने बताया कि खादी इंडिया के चेयरमैन विनय कुमार सक्सेना ने रेलवे बोर्ड के चेयरमैन और सीईओ वीके यादव को लिखा था कि यदि रेलवे ने आदेश रद्द कर दिया या डिलीवरी लेने से इनकार कर दिया तो हमारे खादी कारीगरों और संस्थानों को अपूर्णीय क्षति होगी।
खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) ने कहा कि वह सामाजिक कार्य का समर्थन करने और महामारी के दौरान भी इस क्षेत्र से जुड़े हाशिए में रहने वाले खादी कारीगरों और बुनकरों को सशक्त बनाने में मंत्रालय का आभार व्यक्त किया।
केवीआईसी प्रमुख ने कहा कि, ये 57 खरीद ऑर्डर्स रेलवे जोन द्वारा स्वीकृति के लिए 'लंबित' है।
सक्सेना ने बताया कि राष्ट्रीय ट्रांसपोर्टर के रेलवे स्पोर्ट लोगो के साथ केवीआईसी के तत्वावधान में निर्मित बेड रोल और तकिया कवर खुले बाजार में नहीं बेचे जा सकते हैं।
इस मुद्दे पर टिप्पणी के लिए रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष को आईएएनएस द्वारा भेजे गए संदेशों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली।
रेलवे ने अपने यात्री, मेल और एक्सप्रेस ट्रेन सेवाओं को 25 मार्च से निलंबित कर दिया था। उसने 1 मई से लॉकडाउन में फंसे हुए प्रवासी कामगारों, छात्रों, तीर्थयात्रियोंऔर पर्यटकों को निकालने के लिए श्रमिक स्पेशल की शुरुआत की।
फिर 12 मई से 15 जोड़ी वातानुकूलित ट्रेनों को फिर से शुरू किया गया, हालांकि उसमें शर्त रखा गया कि एसी कोच के यात्रियों को चादर, तकिया कवर और तौलिया नहीं दिया जाएगा।
साल 2014 में सत्ता में आने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई पहलों के माध्यम से खादी उत्पादों के उपयोग पर जोर दिया है।
नई दिल्ली, 29 सितंबर (आईएएनएस)| दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को पीएनबी घोटाले में आरोपी हीरा व्यापारी मेहुल चोकसी द्वारा नेटफ्लिक्स की डॉक्युमेंट्री 'बैड बॉय बिलियनेयर्स : इंडिया' के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई 13 अक्टूबर तक के लिए टाल दी। चीफ जस्टिस डीएन पटेल और जस्टिस प्रतीक जालान की पीठ ने चोकसी की सिंगल-जज बेंच के आदेश के खिलाफ याचिका पर सुनवाई की, जिसने डॉक्यूमेंट्री की प्री-स्क्रीनिंग की मांग वाली उनकी याचिका खारिज कर दी थी, और मामले को 13 अक्टूबर तक के लिए टाल दिया।
सुनवाई की पिछली तारीख को पीठ को सूचित किया गया था कि चोकसी ने मामला दर्ज करने से पहले भारत छोड़ दिया था, वहीं अदालत ने कहा कि "हम इस बात को नहीं मानेंगे और उसके खिलाफ सुनवाई चलती रहेगी।"
मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और जस्टिस प्रतीक जालान वाली जिविजन बेंच के समक्ष वकील विजय अग्रवाल ने कहा कि मेहुल चोकसी ने सीबीआई द्वारा एफआईआर के रजिस्ट्रेशन से पहले भारत छोड़ दिया था।
दलीलें तब दी गईं, जब अदालत चोकसी द्वारा एकल बेंच के आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई चल रही थी, जिसमें एकल पीठ के आदेश को चुनौती देते हुए नेटफ्लिक्स के 'बैड बॉय बिलियनेयर्स : इंडिया' की रिलीज को स्थगित करने की मांग की गई थी।
अग्रवाल ने यह वरिष्ठ अधिवक्ता संजय के. कौल और दयान कृष्णन की दलीलों के जवाब में दी, जो नेटफ्लिक्स की ओर से पेश हुए थे और कहा कि चोकसी किसी भी राहत का हकदार नहीं है, क्योंकि वह भारत का नागरिक नहीं है और इसलिए, किसी भी मौलिक अधिकार की सुरक्षा के हकदार नहीं हैं।
कौल ने तर्क दिया कि चोकसी द्वारा दायर की गई पूरी रिट याचिका एक ट्रेलर पर आधारित थी, जिसमें उसका उल्लेख भी नहीं था।
कौल ने आगे कहा कि उन्होंने उस सीरीज को देखा है और यह आश्वासन दे सकते हैं कि यह उन विभिन्न साक्षात्कारों के संयोजन से अधिक कुछ नहीं है, जो पहले से ही पब्लिक डोमेन में हैं।
नई दिल्ली, 29 सितंबर (आईएएनएस)| हरियाणा के रोहतक में अपने ससुर की हत्या करने और फिर दिल्ली में अपनी महिला मित्र को गोली मारने के दो दिन बाद दिल्ली पुलिस के 35 वर्षीय सब-इंस्पेक्टर संदीप दहिया ने मंगलवार को पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। दिल्ली के उत्तरी जिले में आत्मसमर्पण करने से पहले उसने एक व्हाट्सएप नोट भी लिखा था। इसमें सब-इंस्पेक्टर ने वे कारण बताए जिसके कारण उसने अपने ससुर की हत्या की और दिल्ली में अपनी प्रेमिका पर गोलियां चलाईं। अब वह हिरासत में है और उससे पूछताछ चल रही है।
दिल्ली पुलिस के सब-इंस्पेक्टर संदीप दहिया ने दिल्ली में झगड़े के बाद अपनी सर्विस रिवॉल्वर से प्रेमिका को गोली मारकर उसे जख्मी हालत में छोड़कर फरार हो गए थे। बाद में उन्होंने रोहतक पहुंचकर ससुर की गोली मारकर हत्या कर दी।
पुलिसकर्मी और उसकी पत्नी कई साल से अलग रह रहे हैं। दहिया एक साल से अन्य महिला के साथ संबंध में था, जिसे उसने रविवार को झगड़े के दौरान कथित तौर पर गोली मारी और उत्तरी दिल्ली के अलीपुर इलाके में जीटी करनाल रोड पर सड़क किनारे छोड़ दिया था।
पुलिस के मुताबिक, दहिया ने महिला को तब गोली मारी जब वे दोनों उसकी कार के अंदर लड़ रहे थे। इस महिला को एक अन्य सब-इंस्पेक्टर जयवीर ने बचाया, जो उस वक्त वहां से गुजर रहा था।
पुलिस के अनुसार संदीप दहिया 2006 में कांस्टेबल के रूप में दिल्ली पुलिस में शामिल हुए और परीक्षा पास करने के बाद 2010 में सब-इंस्पेक्टर बन गए। वे हरियाणा के जिला सोनीपत के ग्राम सिसाना के रहने वाले हैं। दाहिया के खिलाफ रोहतक में भी एक मामला दर्ज किया गया है।
विशाल गुलाटी
मनाली, 29 सितम्बर (आईएएनएस)| हिमाचल प्रदेश के लाहौल घाटी में रोहतांग दर्रे के नीचे बनाई गई 9.2 किलोमीटर लंबी घोड़े के नाल के आकार की सिंगल-ट्यूब, टू-लेन अटल टनल (सुरंग) का निर्माण पूरा होने के साथ क्षेत्र में समृद्धि आने की एक उम्मीद जगी है। यहां हर सर्दियों में 20,000 लोग देश के बाकी हिस्सों से कट जाते हैं।
यह भारत की रणनीतिक रूप से सबसे महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में से एक है।
चूंकि यह घाटी को दुनिया के बाकी हिस्सों के करीब लाती है, यहां तक कड़कड़ाती सर्दियों के महीनों के दौरान भी जब यह क्षेत्र बर्फबारी से ढक जाता है, तो यहां के लोग सुरंग के उद्घाटन के साथ निरंतर आपूर्ति, व्यापार और पर्यटन को लेकर उत्सुक हैं, जिसका नाम रोहतांग दर्रे के नाम पर पहले रोहतांग टनल था।
रक्षा मंत्रालय की एक शाखा, बॉर्डर रोड्स ऑर्गनाइजेशन (बीआरओ) द्वारा एफकॉन्स के सहयोग से इसका निर्माण किया गया है। 3 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसका उद्घाटन करेंगे।
सुरंग का उत्तर पोर्टल लाहौल और स्पीति जिले की ओर है, जबकि दक्षिण पोर्टल मनाली से लगभग 30 किलोमीटर दूर धुंदी की ओर है।
केलांग के 80 साल के किसान बिधि चंद ने फोन पर आईएएनएस को बताया, "हम उस सुरंग के पूरा होने का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे, जिसे शुरू में 2015 तक पूरा करने का प्रस्ताव था।"
उन्होंने कहा, "यह हमारी परेशानियों को हमेशा के लिए खत्म कर देगा।"
सिसु गांव के हीरा सिंह ने कहा, "हम खुश हैं कि कम से कम अपने जीवनकाल में, हम उस सुरंग को देख पाएंगे जो लाहौल के लोगों के लिए राज्य के बाकी हिस्सों के साथ हर मौसम में कनेक्टिविटी सुनिश्चित करने वाली है।"
सिसु वह स्थल है जहां स्थानीय लोग पारंपरिक कपड़े पहनकर गर्मजोशी से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वागत करेंगे। वह दक्षिण पोर्टल पर सुरंग का उद्घाटन करने के बाद एक छोटी जनसभा को संबोधित करने के लिए वहां पहुंचेंगे।
दक्षिण पोर्टल की ओर 10 मिनट से भी कम समय में 9.2 किलोमीटर लंबी सुरंग को पार करने के बाद मोदी सिसु की ओर बढ़ेंगे।
वह सुरंग की दक्षिण पोर्टल की ओर सोलंग घाटी में अपनी दूसरी और आखिरी छोटी जनसभा में भाग लेंगे।
सुबह मोदी सुबह 9.30 बजे मनाली के पास हिमपात और हिमस्खलन अध्ययन प्रतिष्ठान (एसएएसई) के हेलीपैड बेस पर उतरेंगे।
संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) की चेयरपर्सन सोनिया गांधी द्वारा 28 जून, 2010 को मनाली के पास सुरम्य सोलंग घाटी में 1,495 करोड़ रुपये की लागत वाले सुरंग का शिलान्यास किया गया था।
सुरंग जोकि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का एक सपना था और जिसका नामकरण मरणोपरांत उनके नाम पर किया गया, इसका निर्माण फरवरी 2015 तक पूरा होना था, लेकिन ऐसा नहीं हो सका था।
बीआरओ के अनुसार, देरी के बावजूद सुरंग का निर्माण 4,083 करोड़ रुपये की स्वीकृत राशि में से 3,200 करोड़ रुपये के भीतर पूरा हो गया।
मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर, जो मोदी की यात्रा को ऐतिहासिक बनाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं, लेकिन कोविड के समय को देखते हुए, उन्होंने कहा कि लाहौल घाटी के ठंडे स्थानों के लिए यह सुरंग एक वरदान साबित होगी, जहां 20,000 लोग कड़ाके की सर्दी में देश के बाकी हिस्सों से कटे हुए रहते हैं।
उन्होंने कहा कि सख्त 'फिजीकल डिस्टेंसिंग' मानदंडों को सुनिश्चित करने के लिए समारोह को बड़े पैमाने पर नहीं मनाया जा रहा है।
सुरंग के कारण मनाली और केलांग के बीच यात्रा के समय को कम करने और लगभग 46 किलोमीटर दूरी को कम करने के अलावा सुरंग से होकर किसी भी मौसम में प्रतिदिन 3,000 वाहन गुजर सकते हैं।
होटल व्यवसाय से जुड़े नकुल बोध ने कहा कि सुरंग के निर्माण से लाहौल घाटी में सालभर पर्यटकों की आवाजाही सुनिश्चित होगी, जिससे स्थानीय समृद्धि को बढ़ावा मिलेगा।
लखनऊ, 29 सितम्बर (आईएएनएस)| उत्तर प्रदेश के हाथरस में दुष्कर्म का शिकार युवती का दिल्ली अस्पताल में उपचार के दौरान निधन हो गया है। इसको लेकर कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने योगी सरकार पर हमला बोला और कहा कि यूपी में महिलाओं की सुरक्षा का नाम-ओ-निशान नहीं है। उन्होंने इस बच्ची के कातिलों को कड़ी से कड़ी सजा देने की मांग उठाई है। प्रियंका ने मंगलवार को ट्विटर के माध्यम से लिखा कि, यूपी में कानून व्यवस्था हद से ज्यादा बिगड़ चुकी है। महिलाओं की सुरक्षा का नाम-ओ-निशान नहीं है। अपराधी खुले आम अपराध कर रहे हैं। इस बच्ची के कातिलों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए। मुख्यमंत्री योगी, उप्र की महिलाओं की सुरक्षा के प्रति आप जवाबदेह हैं।
उन्होंने आगे लिखा कि हाथरस में हैवानियत झेलने वाली दलित बच्ची ने सफदरजंग अस्पताल में दम तोड़ दिया। दो हफ्ते तक वह अस्पतालों में जिंदगी और मौत से जूझती रही। हाथरस, शाहजहांपुर और गोरखपुर में एक के बाद एक रेप की घटनाओं ने राज्य को हिला दिया है।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के हाथरस स्थित चंदपा थाना क्षेत्र के एक गांव में एक युवती दुष्कर्म का शिकार हो गयी थी। वहशियों की दरिंदगी की शिकार पीड़िता की रीढ़ की हड्डी तोड़ दी गई। पीड़िता पिछले दो हफ्ते से अलीगढ़ के जेएन मेडिकल कॉलेज में भर्ती थी। वहां हालत में कोई सुधार नहीं होने पर उसे दिल्ली के सफदरजंग हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। इस मामले में चार आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है।
पीड़िता ने मजिस्ट्रेट को दिए अपने बयान में कहा था कि चार युवकों ने उनके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया और विरोध करने पर उसका गला घोंटने की कोशिश की, जिसमें पीड़िता की जीभ कट गई थी।
पीड़िता ने चारों आरोपियों की पहचान संदीप, रामू, लवकुश और रवि के रूप में की थी। पुलिस अधीक्षक ने बताया था कि संदीप को घटना के दिन ही गिरफ्तार कर लिया गया था। बाद में रामू और लवकुश को भी गिरफ्तार किया गया और शनिवार को चौथे आरोपी रवि को भी गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। चारों आरोपियों के खिलाफ सामूहिक दुष्कर्म और हत्या के प्रयास का मामला दर्ज किया गया है। अधिकारियों ने कहा कि मुकदमा त्वरित अदालत में चलाया जाएगा। पीड़िता को घटना के दूसरे दिन अलीगढ़ के जेएन मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था। वहां वह वेंटिलेटर पर थी और शुरूआत से ही उसकी हालत चिंताजनक थी। इस पर दो दिनों के मंथन के बाद सोमवार को ही उसे दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल रेफर किया गया था, जहां मंगलवार को उसकी मौत हो गई।
नई दिल्ली, 29 सितम्बर (आईएएनएस)| देश में पिछले 24 घंटों में कोरोनावायरस के 70,589 नए मामले और इससे 776 नई मौतें हुई। स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों ने मंगलवार को ये जानकारी दी। इसके साथ ही देश में अब संक्रमितों की संख्या 61,45,291 हो गई है। इसमें से 9,47,576 लोग सक्रिय हैं और 51,01,397 लोग ठीक होकर घर जा चुके हैं।
भारत में कोविड-19 से मरने वालों की कुल संख्या अब 96,318 पहुंच गई है।
17 जुलाई को भारत में कोरोनावायरस के कुल 10 लाख मामले थे जो 7 अगस्त को बढ़ कर 20 लाख हो गए। 23 अगस्त तक इसमें 10 लाख और जुड़ गए और 5 सितंबर तक कुल संक्रमितों की संख्या 40 लाख हो गई।
सिर्फ 11 दिन में 10 लाख और लोग संक्रमित हो गए और कुल संख्या बढ़ कर 50 लाख हो गई। 13 दिन बाद संख्या 61 लाख हो गई।
देश में रिकवरी रेट 82.58 प्रतिशत है जो कि पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा है। स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, मृत्य दर भी घट कर 1.57 फीसदी हो गई है।
महाराष्ट्र अभी भी कोरोनावायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य बना हुआ है। यहां कुल 13,39,232 मामले दर्ज हो चुके हैं और 35,571 मौतें हुई हैं। इसके बाद नंबर आता है आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और कर्नाटक का।
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के मुताबिक, सोमवार को 11,42,811 नमूनों की जांच की गई। इसके साथ ही देश में कुल नमूनों की जांच की संख्या 7,31,10,041 हो गई है।
लखनऊ, 29 सितम्बर (आईएएनएस)| उत्तर प्रदेश के हाथरस में दुष्कर्म का शिकार युवती का दिल्ली अस्पताल में उपचार के दौरान निधन हो गया है। इसको लेकर कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने योगी सरकार पर हमला बोला और कहा कि यूपी में महिलाओं की सुरक्षा का नाम-ओ-निशान नहीं है। उन्होंने इस बच्ची के कातिलों को कड़ी से कड़ी सजा देने की मांग उठाई है। प्रियंका ने मंगलवार को ट्विटर के माध्यम से लिखा कि, यूपी में कानून व्यवस्था हद से ज्यादा बिगड़ चुकी है। महिलाओं की सुरक्षा का नाम-ओ-निशान नहीं है। अपराधी खुले आम अपराध कर रहे हैं। इस बच्ची के कातिलों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए। मुख्यमंत्री योगी, उप्र की महिलाओं की सुरक्षा के प्रति आप जवाबदेह हैं।
उन्होंने आगे लिखा कि हाथरस में हैवानियत झेलने वाली दलित बच्ची ने सफदरजंग अस्पताल में दम तोड़ दिया। दो हफ्ते तक वह अस्पतालों में जिंदगी और मौत से जूझती रही। हाथरस, शाहजहांपुर और गोरखपुर में एक के बाद एक रेप की घटनाओं ने राज्य को हिला दिया है।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के हाथरस स्थित चंदपा थाना क्षेत्र के एक गांव में एक युवती दुष्कर्म का शिकार हो गयी थी। वहशियों की दरिंदगी की शिकार पीड़िता की रीढ़ की हड्डी तोड़ दी गई। पीड़िता पिछले दो हफ्ते से अलीगढ़ के जेएन मेडिकल कॉलेज में भर्ती थी। वहां हालत में कोई सुधार नहीं होने पर उसे दिल्ली के सफदरजंग हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। इस मामले में चार आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है।
पीड़िता ने मजिस्ट्रेट को दिए अपने बयान में कहा था कि चार युवकों ने उनके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया और विरोध करने पर उसका गला घोंटने की कोशिश की, जिसमें पीड़िता की जीभ कट गई थी।
पीड़िता ने चारों आरोपियों की पहचान संदीप, रामू, लवकुश और रवि के रूप में की थी। पुलिस अधीक्षक ने बताया था कि संदीप को घटना के दिन ही गिरफ्तार कर लिया गया था। बाद में रामू और लवकुश को भी गिरफ्तार किया गया और शनिवार को चौथे आरोपी रवि को भी गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। चारों आरोपियों के खिलाफ सामूहिक दुष्कर्म और हत्या के प्रयास का मामला दर्ज किया गया है। अधिकारियों ने कहा कि मुकदमा त्वरित अदालत में चलाया जाएगा। पीड़िता को घटना के दूसरे दिन अलीगढ़ के जेएन मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था। वहां वह वेंटिलेटर पर थी और शुरूआत से ही उसकी हालत चिंताजनक थी। इस पर दो दिनों के मंथन के बाद सोमवार को ही उसे दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल रेफर किया गया था, जहां मंगलवार को उसकी मौत हो गई।
लखनऊ , 29 सितंबर (आईएएनएस)| उत्तर प्रदेश शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर प्लेसेज ऑफ वरशिप एक्ट 1991 को खत्म कर पुराने तमाम तोड़े गए मंदिरों को हिंदुओं को वापस देने और मुगल काल के पहले की स्थिति बहाल करने की मांग की है। उन्होंने लिखा कि वर्ष 1991 में कांग्रेस पार्टी की सरकार ने यह कानून इसलिए बनाया ताकि मुगलों द्वारा भारत के प्राचीन पवित्र मंदिरों को तोड़कर बनाई गई अवैध मस्जिदों को हिन्दुस्तान की जमीन पर एक विवाद के रूप में जिंदा रखा जाए। पत्र में उन्होंने लिखा है कि यह अधिनियम बनाए जाने के लिए कांग्रेस की सरकार पर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और हिन्दुस्तान के कट्टरपंथी मौलवियों का पूरा दबाव था।
रिजवी ने अपने इस पत्र में कुल 9 ऐसी मस्जिदों का उल्लेख किया है जो उनके अनुसार मंदिर तोड़कर बनायी गयी थीं। इनमें अयोध्या के राम मंदिर के अलावा, मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि का केशव देव मंदिर, जौनपुर का अटाला देव मंदिर, वाराणसी का काशी विश्वनाथ मंदिर, गुजरात के जिला बटना का रूद्रा महालया मंदिर, अहमदाबाद गुजरात का भद्रकाली मंदिर, पश्चिम बंगाल की अदीना मस्जिद पंडुवा, विजया मंदिर विदिशा म़प्ऱ, कुतुब मीनार दिल्ली की मस्जिद कुवतुल इस्लाम।
रिजवी ने प्रधानमंत्री से अपील की है कि उक्त अधिनियम को समाप्त कर मुगलों द्वारा जो मंदिर तोड़कर मस्जिदें बनायी गयीं उनके स्थान पर वही प्राचीन मंदिर फि र से स्थापित करवाए जाएं।
फतेहपुर (उप्र) 29 सितम्बर (आईएएनएस)| उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले में 18 फुट लंबे भारतीय अजगर ने नवजात 'नीलगाय' को निगल लिया। कटघन के ग्रामीणों ने रविवार की शाम को यह नजारा अपनी आंखों से देखा जब अजगर नवजात बछड़े को निगलने की कोशिश कर रहा था।
मामले की सूचना वन विभाग को दे दी गई थी लेकिन टीम के घटनास्थल पर पहुंचने से पहले ही अजगर पास के जंगल में घुस गया।
वन अधिकारी सच्चिदानंद के अनुसार, यह एक रॉक पायथन था और बछड़े को निगलने के बाद उसके शरीर के बीच का हिस्सा फूला हुआ है, ऐसे में उसे रेंगने में खासी मुश्किल हुई होगी।
अधिकारी ने कहा, "हमने कई वीडियो में सांपों को खरगोश या चूहे को निगलते हुए देखा लेकिन अजगर द्वारा नील गाय के बछड़े को निगलने का मामला दुर्लभ है।"
भारतीय अजगर को खतरे की प्रजातियों वाली रेड लिस्ट में कम जोखिम वाली प्रजाति के तौर पर वर्गीकृ त किया गया है। यह सूची यह भी बताती है कि इसके विलुप्त होने का खतरा हो सकता है। इस प्रजाति का अजगर लगभग 20 फीट की लंबाई तक बढ़ सकता है।
बागपत, 29 सितम्बर (आईएएनएस)| उत्तर प्रदेश के बागपत में एक अजीबोगरीब वाकया सामने आया है, जहां एक युवक ने अपने पड़ोसी के 11 कबूतरों को मार डाला। पड़ोसी ने उसे अपने घर के सामने थूकने से मना किया था जिसका बदला लेने के लिए उसने इन बेजुबानों की जान ले ली। खबरों के मुताबिक, राहुल सिंह अपने पड़ोसी धर्मपाल सिंह के घर की छत पर चढ़ गया, जहां उसने एक पिंजरे में रखे 11 कबूतरों को एक पत्थर से मार डाला।
बाद में धर्मपाल सिंह ने मृत कबूतरों का वीडियो बनाया और राहुल सिंह के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई, जो घटना के बाद से फरार है।
पत्रकारों से बात करते हुए, धर्मपाल सिंह ने कहा कि राहुल उनके घर के सामने थूका करता था और उन्होंने उससे ऐसा नहीं करने के लिए कहा था, क्योंकि महामारी में इस तरह से थूकना मना है।
'अपमान' का बदला लेने के लिए, राहुल ने सोमवार को धर्मपाल के कबूतरों को मार डाला।
बागपत के सर्कल अधिकारी ओमपाल सिंह ने कहा, "हमने वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत प्राथमिकी दर्ज की है। हम जल्द ही युवक को गिरफ्तार करेंगे।"
संदीप पौराणिक
भोपाल, 29 सितंबर (आईएएनएस)| मध्य प्रदेश में होने वाले विधानसभा के उप-चुनाव से पहले राजनीतिक दलों में तकरार तेज हो गई है। अब तो राष्ट्रवाद की भी एंट्री हो गई है और राजनीतिक दलों को राष्ट्रद्रोही और देशभक्त बताया जाने लगा है।
राज्य में 28 विधानसभा सीटों पर उप-चुनाव होना है और यह कांग्रेस और भाजपा के लिए जीने और मरने जैसी लड़ाई है। यही कारण है कि दोनों दल एड़ी चोटी का जोर लगाए हुए हैं। एक तरफ जहां दल-बदल का दौर जारी है, वहीं दूसरी ओर एक दूसरे को घेरने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी जा रही है।
एक तरफ जहां आम जनता से जुड़े किसान कर्ज माफी, बिजली बिल, मुआवजा जैसे मुद्दे राजनीतिक दल उठाने में लगे हैं, तो दूसरी ओर व्यक्तिगत हमले भी बोले जा रहे हैं। इन हमलों में अब तो बात गद्दार, बिकाऊ से आगे चलकर राष्ट्रवाद तक पहुंचने लगी है।
राज्य सरकार की मंत्री ऊषा ठाकुर ने तो भाजपा को राष्ट्रवादी और कांग्रेस को राष्ट्र विरोधी विचारधारा करार देते हुए कहा, भाजपा और कांग्रेस के बीच वैचारिक युद्घ है। ये देशभक्त और देशद्रोही के बीच का चुनाव है जिनको राष्टवादिता से प्रेम था, वे भाजपा के साथ हैं, जो राष्ट्रवाद से विमुख हुए वे कांग्रेस में चले गए।
कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता दुर्गेश शर्मा ने कहा है कि यह तो देश जानता है कि देशभक्त और देशद्रोही कौन है, वास्तविकता यह है कि भाजपा जनता का वास्तविक मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए इस तरह की बयानबाजी करती है। आगामी समय में होने वाले विधानसभा के उप-चुनाव में उसे हार नजर आ रही है, लिहाजा वे जनता का ध्यान बांटने के लिए स्तरहीन बयान दे रही है, जनता सब जानती है और उप-चुनाव में सबक मिलेगा भाजपा को।
राजनीतिक विश्लेषक मानते है कि उप-चुनाव में तल्खी रहेगी, इस बात के संकेत तो अभी से बयानबाजी में ही नजर आ रहे है। कांग्रेस छोड़कर गए पूर्व विधायकों को जहां कांग्रेस बिकाऊ, गद्दार कह रही है, वहीं भाजपा भी नए नारों और मुद्दों को गढ़ेगी ही। कुल मिलाकर आने वाले दिनों में बहुत कुछ नया सुनने को मिलेगा, क्योंकि मतदाताओं को अपने जाल में फंसाना तो राजनीतिक दलों का लक्ष्य है।
ज्ञात हो कि राज्य में 28 विधानसभा क्षेत्रों में उप-चुनाव होने वाले हैं। इन चुनाव में भाजपा को जहां पूर्ण बहुमत पाने के लिए नौ स्थानों पर जीत हासिल करनी है, वहीं कांग्रेस को सभी 28 स्थानों पर जीत जरुरी है। विधानसभा में कुल सदस्य संख्या 230 की है, पूर्ण बहुमत के लिए 116 सदस्य होना जरुरी है। वर्तमान में भाजपा के पास 107 और कांग्रेस के पास 89 सदस्य ही हैं। वहीं चार निर्दलीय, दो बसपा और एक सपा का विधायक है।