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बिहार में पप्पू यादव ने अपनी पार्टी जन अधिकार का कांग्रेस में विलय कर लिया है.
पप्पू यादव ने बुधवार दोपहर प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसकी जानकारी दी है.
पप्पू यादव ने मीडिया से कहा कि जन अधिकारी पार्टी कांग्रेस में जा रही है.
पप्पू यादव की पत्नी रंजीत रंजन कांग्रेस की नेता और राज्यसभा सांसद हैं.
प्रेस कॉन्फ़्रेंस में जब पप्पू यादव से कहा गया कि अपनी पत्नी का नाम लीजिए. तो वो बोले- ''वो कांग्रेस की नेता हैं. उनका नाम लेना सही नहीं है. कांग्रेस की मर्यादाओं का ख्याल है मुझे.''
पप्पू यादव ने कहा, ''कांग्रेस बैठ भी जाए तो इन ताकतवर लोगों से सर्वश्रेष्ठ है.''
उन्होंने कहा, ''किसी ने उम्मीद जगाई है तो वो राहुल गांधी हैं. राहुल जी का ओबीसी समुदाय को लेकर जो प्रतिबद्धता है, मैं उस लड़ाई का भागीदार बनना चाहता था.''(bbc.com/hindi)
बीएसपी से बाहर किए गए दानिश अली बुधवार को कांग्रेस में शामिल हो गए हैं.
कांग्रेस में शामिल होने के बाद दानिश अली ने कहा, "आज जो देश की परिस्थितियां हैं वो किसी से छुपी नहीं है. एक तरफ विभाजनकारी शक्तियां हैं और दूसरी तरफ़ देश के गरीब, वंचित और पीड़ित लोगों को न्याय दिलाने के लिए संघर्ष करने वाली शक्तियां हैं .अपनी भविष्य की राजनीतिक यात्रा के लिए मैंने आज कांग्रेस पार्टी की सदस्यता ग्रहण करने का यह अहम फैसला लिया है."
दानिश अली बीते लोकसभा चुनाव में बीएसपी की टिकट पर अमरोहा से सांसद बने थे.
हालांकि, बहुजन समाज पार्टी ने बीती दिसंबर में पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में दानिश अली को निलंबित कर दिया था.
उस समय से ही दानिश अली के कांग्रेस में शामिल होने की अटकलें जारी थीं.
दानिश अली वही सांसद हैं जिनके लिए बीजेपी सांसद रमेश बिधूड़ी ने लोकसभा में आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल किया था. (bbc.com/hindi)
-चंदन कुमार जजवाड़े
बिहार में शिक्षकों की भर्ती के लिए 15 मार्च को आयोजित परीक्षा रद्द कर दी गई है. शिक्षकों की भर्ती के लिए इस परीक्षा का संचालन बिहार लोक सेवा आयोग कर रहा है.
लेकिन इसके प्रश्न पत्र लीक हो जाने की वजह से परीक्षा को रद्द कर दिया गया है. शिक्षकों की भर्ती के लिए 15 मार्च को तीसरे चरण की परीक्षा दो पारियों में आयोजित की गई थी.
पटना की आर्थिक अपराध इकाई ने इस संबंध में एफ़आईआर भी दर्ज की थी. जांच में परीक्षा के पहले की प्रश्न पत्र लीक होने के सुबूत मिलने के बाद इस परीक्षा को रद्द करने का फ़ैसला बीपीएसी ने लिया है. इस परीक्षा की नई तारीखों की घोषणा बाद में की जाएगी.
इससे पहले पटना के आर्थिक और साइबर अपराध विभाग ने पाया था कि परीक्षा के दिन सुबह ही हज़ारीबाग में सैकड़ों की संख्या में परीक्षार्थी इकट्ठा होकर उत्तर को याद कर रहे हैं. इस छापेमारी में मोबाइल फ़ोन, प्रिंटर, लैपटॉप और पेन ड्राइव भी ज़ब्त किए गए थे.
बिहार पुलिस के आर्थिक अपराध इकाई के एडीजी हसनैन ख़ान ने बीबीसी को बताया है कि इस मामले में अब तक 266 लोगों को गिरफ़्तार किया गया है. इसके अलावा इस अपराध की जड़ें बिहार से बाहर भी होने की संभावना है.
हसनैन ख़ान के मुताबिक़, "बीपीएससी प्रश्न पत्र लीक होने के मामले में विशाल कुमार मुख्य अभियुक्त है जिसे हमने गिरफ़्तार किया है. वह पहले भी ओडिशा में एक प्रश्न पत्र लीक मामले में गिरफ़्तार हो चुका है. उसके साथ जो लोग गिरफ़्तार हुए हैं उनके संबंध दूसरे राज्यों से भी हो सकते हैं."
फिलहाल इस मामले की जांच जारी है और हसनैन ख़ान के मुताबिक़ प्रश्न पत्र कोलकाता के प्रिंटिंग प्रेस से लीक हुआ है यह अभी पक्के तौर पर नहीं कहा जा सकता है. इसकी जानकारी जाँच के बाद ही मिल पाएगी.
शुरू में बीपीएससी ने प्रश्न पत्र लीक होने की बात से इनकार किया था, लेकिन परीक्षार्थियों के लगातार दबाव के बाद बीपीएससी ने परीक्षा रद्द कर दी.
प्रश्न पत्र लीक होने की जानकारी मिलने के बाद छात्रों ने परीक्षा रद्द करने की मांग की थी. इसके लिए उन्होंने सोशल मीडिया पर भी कैंपेन चला रखा था और आंदोलन करने की धमकी तक दी थी.
बिहार विद्यालय अध्यापक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अमित विक्रम ने बीबीसी को बताया कि 15 मार्च को जो परीक्षा आयोजित की गई थी उसके तहत 80 हज़ार से ज़्यादा शिक्षकों की बहाली होनी थी. इसमें कक्षा एक से पाँच और छठी से आठवीं तक के शिक्षकों की बहाली होनी थी.
अमित विक्रम के मुताबिक़, "पहले तो बीपीएससी प्रश्न लीक होने की बात से ही इनकार कर रहा था. हमने 21 मार्च को पटना में बीपीएससी दफ़्तर के बाहर आंदोलन की धमकी दी थी तब जाकर परीक्षा रद्द की गई है. अब हम आंदोलन को रोक रहे हैं."
अमित विक्रम ने आरोप लगाया है कि अगर प्रश्न पत्र कोलकाता के प्रिंटिंग प्रेस से लीक हुआ है तो यह जानकारी किसी को कैसे मिली कि प्रश्न कहाँ छप रहे हैं, इसमें जो कोई भी शामिल है उसकी सही जाँच होनी चाहिए.
-रवि प्रकाश
झारखंड के चाईबासा में चल रहे मानहानि के एक पुराने मामले में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को तात्कालिक राहत मिली है.
झारखंड हाई कोर्ट ने राहुल की अपील मानते हुए उन्हें व्यक्तिगत तौर पर पेश होने से एक महीने की छूट दी है.
चाईबासा की एक विशेष अदालत (एमपी-एमएलए कोर्ट) के न्यायाधीश ऋषि कुमार ने राहुल गांधी को 27 मार्च को कोर्ट में मौजूद रहने का आदेश दिया था. झारखंड हाई कोर्ट ने इस आदेश पर एक महीने के लिए रोक लगा दी है.
राहुल गांधी के ख़िलाफ़ बीजेपी नेताओं पर अपमानजनक टिप्पणी करने का ये मामला साल 2018 से लंबित है. तब बीजेपी से जुड़े प्रताप कटियार ने चाईबासा सिविल कोर्ट में उनके ख़िलाफ़ मानहानि का मुक़दमा दर्ज कराया था.
प्रताप कटियार ने चाईबासा के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में यह केस किया गया था. वहां से यह मामला तब रांची के एमपी-एमएलए कोर्ट में ट्रांसफर किया गया. बाद के दिनों में इसे चाईबासा एमपी-एमएलए कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया गया था. तबसे इसकी सुनवाई इसी कोर्ट में चल रही है.
इस मामले से जुड़े अधिवक्ता केशव प्रसाद ने बताया कि अप्रैल, 2022 में कोर्ट ने राहुल गांधी के ख़िलाफ़ ज़मानती वारंट जारी किया लेकिन उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं आया. इसके बाद बीते 27 फरवरी को उनके ख़िलाफ़ गैर ज़मानती वारंट जारी किया गया.
इसके बाद राहुल गांधी ने अपने वकील के माध्यम से आवेदन देकर व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट मांगी थी. लेकिन, अदालत ने बीती 14 मार्च को उनका आवेदन खारिज कर दिया और उन्हें 27 मार्च को व्यक्तिगत तौर पर उपस्थित होने का आदेश दिया. वे इसके ख़िलाफ़ हाईकोर्ट गए, जहां से उन्हें फ़िलहाल राहत मिली है.
केंद्र सरकार ने सोशल मीडिया पर कंटेंट की निगरानी के लिए फ़ैक्ट चेक यूनिट के गठन की अधिसूचना जारी कर दी है.
हाल ही में संशोधित आईटी नियमों के तहत इस फ़ैक्ट चेकिंग यूनिट का गठन किया गया है.
अधिसूचना के अनुसार, "केंद्रीय सरकार, सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 के नियम-3 के उप-नियम(1) के खंड (ख) में दी शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए, केंद्रीय सरकार के किसी भी कारोबार के संबंध में सूचना और प्रसारण मंत्रालय के प्रेस सूचना ब्यूरो के अधीन तथ्य जांच इकाई को केंद्रीय सरकार की तथ्य जांच इकाई के रूप में अधिसूचित करती है."
बॉम्बे हाई कोर्ट ने 13 मार्च को इस फ़ैक्ट चेकिंग यूनिट बनाने पर रोक लगाने वाली याचिका को खारिज कर दिया था.
इस फ़ैक्ट चेकिंग यूनिट को 2023 में क़ानून में शामिल किया गया था. सरकार का कहना है कि इसका मकसद भ्रामक जानकारियों पर लगाम लगाना है, मगर इस यूनिट को क़ानून में शामिल करने की कोशिश विवादों के घेरे में रही है.
कई पत्रकारों और विशेषज्ञों ने आशंका जताई है कि यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और सरकार की आलोचना करने वाली मीडिया की स्वतंत्र रिपोर्टिंग को कुचलने की कोशिश है.
हालांकि, इस यूनिट की संवैधानिकता से जुड़ी याचिका अभी भी बॉम्बे हाई कोर्ट में लंबित है. (bbc.com/hindi)
पाकिस्तान के बलूचिस्तान में ग्वादर पोर्ट अथॉरिटी कॉम्पलेक्स में बुधवार को कुछ हथियारबंद लोगों ने हमला किया. ग्वादर प्रशासन के अनुसार इस दौरान सात हमलावर और एक सुरक्षा अधिकारी की मौत हुई है.
इस हमले की ज़िम्मेदारी चरमपंथी संगठन बलूच लिबरेशन आर्मी ने ली है और कहा है कि इस अभियान को संगठन की माजिद ब्रिगेड ने अंजाम दिया था.
ग्वादर प्रशासन का कहना है कि हमले के बाद परिसर को पूरी तरह खाली करा लिया गया है. ग्वादर के डिप्टी कमिश्नर मेजर (रिटायर्ड) औरंगज़ेब बदिनी ने बीबीसी उर्दू को बताया है कि इस अभियान में सात हमलावर मारे गए हैं. वहीं एक सुरक्षा अधिकारी की भी मौत हुई है.
बुधवार दोपहर करीब साढ़े तीन बजे ग्वादर पोर्ट अथॉरिटी परिसर से विस्फोट और गोलीबारी की आवाज़ें सुनी गईं, जिसके बाद सुरक्षा बलों ने इलाके को घेर लिया.
इस साल बलूचिस्तान में दूसरे बड़े हमले में माजिद ब्रिगेड का नाम सामने आया है.
इससे पहले 29 और 30 जनवरी 2024 की रात आत्मघाती हमलावरों सहित कई चरमपंथियों ने माच शहर में पुलिस स्टेशन पर हमला किया था. इस दौरान सुरक्षाबलों के अभियान में तीन आत्मघाती हमलावरों सहित कुल 11 चरमपंथी मारे गए थे.
ग्वादर पोर्ट अथॉरिटी कॉम्पलेक्स महत्वपूर्ण सरकारी कार्यालय है. इस परिसर में चुनाव आयोग और सुरक्षा से जुड़ी संस्थाओं के कार्यालय भी हैं. (bbc.com/hindi)
समाजवादी पार्टी ने लोकसभा चुनाव के लिए छह और उम्मीदवारों के नाम का एलान कर दिया है. ये पार्टी की पाँचवीं सूची है.
पार्टी ने संभल, बागपत, गौतम बुद्ध नगर, पीलीभीत, घोसी और मिर्ज़ापुर से अपने उम्मीदवार उतारे हैं.
पार्टी ने गौतमबुद्ध नगर से अपने उम्मीदवार को बदला है. अब राहुल अवाना यहां से सपा के प्रत्याशी होंगे.
सपा ने पीलीभीत सीट पर भगवत सरन गंगवार को अपना उम्मीदवार बनाया है.
इसके अलावा पार्टी ने संभाल से ज़ियाउर्ररहमान बर्क, बागपत से मनोज चौधरी, गौतमबुद्ध नगर राहुल अवाना, घोसी से राजीव राय और मिर्ज़ापुर से राजेंद्र एस. बिंद को टिकट दिया है.(bbc.com/hindi)
यह प्रचार का नही, विश्वास का रथ है-किरण देव
रायपुर, 20 मार्च। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष किरण देव एवं लोकसभा चुनाव प्रबंध समिति के संयोजक शिवरतन शर्मा ने बुधवार शाम ठाकरे परिसर में विकसित भारत संकल्प एलईडी रथ रवाना किया। एलईडी रथ के माध्यम से भारतीय जनता पार्टी सभी 11 लोकसभा क्षेत्रों में मोदी सरकार की योजनाओं का प्रचार प्रसार कर रही हैं। देव ने आज 22 एलईडी वाहनों को पूजा के उपरांत रवाना किया इससे पूर्व प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने फरवरी में ही इस अभियान के तहत 11 वाहनों को रवाना कर दिया था ।आज इस अभियान को भाजपा ने विस्तार करते हुए प्रचार अभियान और तेज कर दिया हैं।
देव ने कहा कि भाजपा का एलईडी प्रचार वाहन प्रदेश के कोने कोने तक मोदी और साय का संदेश लेकर जनता के बीच पहुंचेगा। इस अभियान के माध्यम से सभी लोकसभा के शक्ति केंद्र तक गांव गांव तक जन जन तक भाजपा का प्रचार वाहन पहुंचेगा और केंद्र सरकार और राज्य सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं की जानकारी जनता तक पहुंचेगी साथ ही सभी वाहनों में हमने सुझाव पेटी की व्यवस्था की हैं जिसके माध्यम से जनता सुझाव दे सकती हैं। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष किरण देव ने कहा की जनता का सुझाव आवश्यक हैं और हमारा नारा भी हैं सबका साथ सबका विकास सब का प्रयास और सब का विश्वास और हमने देश की जनता और प्रदेश की जनता का विश्वास जीता है। चुनाव प्रबंध समिति के संयोजक शिवरतन शर्मा ने कहा कि इन रथों के साथ ही प्रचार के हर एक मध्यम से भाजपा जनजन तक पहुंच रही हैं
इस दौरान प्रदेश महामंत्री रामू रोहरा ,प्रदेश कार्यालय मंत्री नरेशचंद्र गुप्ता,सह मीडिया प्रभारी अनुराग अग्रवाल, एलईडी वाहन प्रचार अभियान के संयोजक संजुनारायण सिंह ठाकुर, सहसंयोजक अमित मैशेरी, प्रदेश प्रवक्ता उमेश घोरमोड़े, अमरजीत सिंह छाबड़ा, सोशल मीडिया प्रभारी मितुल कोठारी, आईटी सेल प्रभारी सुनील पिल्लई सहित कार्यकर्ता मौजूद रहे।
रायपुर, 20 मार्च। निगम आयुक्त अबिनाश मिश्रा के आदेशानुसार जोन - 5 राजस्व विभाग की टीम ने डीडी नगर वार्ड के बड़े बकायादार अनिमेष मिश्रा के परिसर को सील किया। मिश्रा पर 399770 रूपए टैक्स बकाया है। जोन कमिश्नर विमल शर्मा के निर्देश पर जोन सहायक राजस्व अधिकारी गौरीशंकर साहू के नेतृत्व में सीलबंदी किया।
रायपुर, 20 मार्च। थाना आरंग के रानीसागर के पास एक हाई स्पीड हाइवा की ठोकर से मोटर साइकिल सवार का मौत हो गई। इस घटना में बाईक चालक का सिर फट गया। सिर के अंग दूर तक छिटक गए। हाईवा चालक को वाहन के साथ पकड़ लिया गया हैं ।
सचिव साहू ने कहा बच्चों का भविष्य जुड़ा है, पूर्ण निष्ठा, निष्पक्षता से पूरा करें
रायपुर, 20 मार्च। छत्तीसगढ़ माशिमं की 10-12 वीं परीक्षाओं की उत्तरपुस्तिकाओं का मूल्यांकन दो चरणों में 23 और 31 मार्च से शुरू हो रहा है। इसके लिए प्रदेश भर में 36 हायरसेकंडरी स्कूलों को केंद्र बनाते हुए 20 हजार से अधिक शिक्षक पांच लाख उत्तरपुस्तिकाओं को जांचेंगे। इसे एक माह में पूरा करने का लक्ष्य तय किया गया है ।
इसे लेकर सचिव श्रीमती पुष्पा साहू ने गुणवत्तापूर्ण एवं पारदर्शी मूल्यांकन के लिए बुधवार को समस्त मूल्यांकन केन्द्राधिकारियों की वर्चुअल बैठक ली। उन्होंने
निर्देशित किया कि परीक्षा परिणाम किसी विद्यार्थी की वर्षभर की मेहनत का आंकलन होता है । यह विद्यार्थी की दशा एवं दिशा दोनों को प्रभावित करता है, अतः मूल्यांकन जैसे अतिमहत्वपूर्ण कार्य को पूर्ण निष्ठा, पारदर्शिता एवं गंभीरता के साथ समय-सीमा में पूरा कराने कहा। श्रीमती साहू ने सही उत्तर का स्पष्ट अंकन बांयी तरफ, उत्तरपुस्तिका में अंको का स्पष्ट अंकन , पृष्ठवार अंकों का सही योग , जांचकर्ता अंकों का मिलान कर ही हस्ताक्षर करने तथा उत्तर अमूल्यांकित न छोड़े जाने जैसे अन्य महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर निर्देश दिया। ये सभी जानकारी मूल्यांकनकर्ताओं को अनिवार्यतः देने निर्देशित किया गया। सचिव साहू ने मूल्यांकन केन्द्राधिकारियों द्वारा मूल्यांकन संबंधी समस्याओं का त्वरित निराकरण किया।
मूल्यांकन केन्द्राधिकारियों को मूल्यांकन सफलतापूर्वक सम्पन्न कराने अग्रिम शुभकामनाएँ दी। उक्त वर्चुअल बैठक में मण्डल की ओर से जेके. अग्रवाल, उपसचिव (विद्योचित), बीके.राज, सहायक सचिव तथा श्रीमती प्रीति शुक्ला, सहायक प्राध्यापक उपस्थित रहे।
पंखाजूर में रैली निकली
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कांकेर, 20 मार्च। लोकसभा चुनाव को देखते हुऐ भारतीय जनता पार्टी परलकोट में 6 मंडल पंखाजूर, कापसी, बांदे, अंतागढ़, कोयलीबेडा़, आमाबेड़ा के विधानसभा स्तरीय सम्मेलन आयोजित किया गया।जिसमें मंतुराम पवार समर्थक 4000 चार हजार से भी अधिक कार्यकर्ता भाजपा में शामिल हुए।
पवार समर्थको के भाजपा के पक्ष मे मजबूती के साथ अन्तागढ़ विधानसभा में कांकेर लोकसभा के प्रत्याशी भोजराज नाग के पक्ष भारी दिखाई दे रही है। पूर्व विधायक मंतूराम पवार 2023 के विधानसभा में निर्दलीय चुनाव लड़कर 15 हजार से भी अधिक मत प्राप्त किया इसलिए भाजपा के प्रदेश नेतृत्व ने पवार के सम्पर्क था, जिसके चलते 3 मार्च को पवार अपने कुछ समर्थकों के साथ रायपुर में प्रदेश अध्यक्ष किरण देव, और मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के सामने कुशाभाऊ ठाकरे परिसर में भाजपा प्रवेश किया था।
19 तारीख को पंखाजूर के विधानसभा सम्मेलन में दल बल के साथ अपने बचे हुए विधानसभा के सभी साथियों के साथ पवार निवास से पैदल रैली निकालकर सभा स्थल में जिला संगठन एवं मंत्रीओं के सामने भाजपा प्रवेश दिलाईl जिसमें कृषि मंत्री रामविचार नेताम, वन मंत्री केदार कश्यप, पूर्व मंत्री प्रेमप्रकाश पांडे, प्रदेश संयोजक शिवरतन शर्मा, सांसद मोहन मंडावी, लोकसभा प्रत्याशी भोजराज नाग, विधायक विक्रम उसेंडी, जिलाध्यक्ष सतीश लाठिया, भरत मठियारा, महामंत्री बृजेश सिंह चौहान, गौतम गौलछा, मंडल अध्यक्ष श्यामल मंडल, दिखाकर दत्ता, रतन राय जितू मरकाम, मोनिका साह शंकर सरकार, गणेश साह, जगबंधु विश्वास मनोज मंडल, पोलटू कूडू, मनेश नाग, संजय धुरू, प्रभुल मंडावी, समस्त भारतीय जनता पार्टी के युवा मोर्चा, महिला मोर्चा, किसान मोर्चा के पदाधिकारी एवं भाजपा के कार्यकर्ता बड़ी संख्या में उपस्थित थे।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कोरबा, 20 मार्च। तेज आंधी-तूफान से बुधवार को प्राथमिक शाला का छज्जा उड़ गया, इसके कुछ हिस्से गिरने से आधा दर्जन से अधिक स्कूली बच्चे घायल हो गए। घायलों को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
हादसे में डिप्टी सीएम अरुण साव ने लापरवाही बरतने वाले के खिलाफ कठोर कार्रवाई की बात कही है। साथ ही पूरे मामले की जांच की जाएगी।
बताया गया कि घटना पसान क्षेत्र के दर्रीपारा प्राथमिक विद्यालय की है। दोपहर तेज आंधी-तूफान से स्कूल के एक बड़े हिस्से का छज्जा उड़ गया।
छज्जा उडऩे से स्कूल में भोजन कर रहे आधा दर्जन बच्चे चपेट में आ गए और घायल हो गए। बच्चों के सिर, हाथ, पैर में चोट आई है। घायल बच्चों को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया और फिर उन्हें मेडिकल कॉलेज कोरबा भेज दिया गया है। घटना के बाद ग्रामीणों की भीड़ लग गई।
फिलहाल मामले की जांच की जा रही है। डिप्टी सीएम अरुण साव ने भी बच्चों का बेहतर उपचार और मामले में जांच की बात कही है।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 20 मार्च । जिला विपणन अधिकारी रायपुर में कम्प्यूटर एवं कार्यालय कार्य करने हेतु पदस्थ किये गए कर्मचारियों को जिला विपणन अधिकारी मार्कफेड द्वारा पिछले 09 माह का वेतन भुगतान नहीं किया गया है। इन्हे खरीफ वर्ष में कम्प्यूटरीकृत धान खरीदी को सुचारू रूप से चलाने जॉब दर पर डाटा एण्ट्री आपरेटर एवं कार्यालय सहायक पद पर कार्यालय में नियुक्त किया गया था। इसके लिए जॉब दर एवं कुशल कर्मचारियों द्वारा कई बार आवेदन जिला विपणन अधिकारी को की गई है, जिसपर डी.एम.ओ. द्वारा आज तक कोई सकारात्मक कार्यवाही नहीं की गई है। जॉब दर एवं कुशल कर्मचारियों द्वारा पिछले 09 माह का वेतन दिलाने छत्तीसगढ़ अपाक्स संघ के प्रांताध्यक्ष सत्येन्द्र देवांगन के माध्यम से छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन के प्रांतीय संयोजक श्री कमल वर्मा एवं छत्तीसगढ़ मानव अधिकार आयोग तथा आयुक्त श्रम विभाग से अनुरोध किया गया है। इस पत्र पर सुनवाई सहायक श्रम आयुक्त कार्यालय में प्रचलन में है किन्तु जिला विपणन अधिकारी नजरअंदाज किए हुए हैं।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर/कोरबा, 20 मार्च । जिले के प्राथमिक शाला स्कूल में बड़ी घटना घटी।पसान दर्री पारा प्राथमिक स्कूल का एक बड़े हिस्से का छज्जा उड़ा । छज्जा उड़ने के बाद स्कूल में भोजन कर रहे आधा दर्जन बच्चे चपेट में आ गम्भीर रूप से घायल हुए।कई बच्चों के सिर और हाथ मे आई गम्भीर चोंटे आई है ।घायलों स्वास्थ्य केंद्र में हालत गंभीर होने पर जिला मेडिकल कॉलेज बच्चों को रेफर किया गया ।घटना के बाद मचा हड़कप बच्चे चीख पुकार मचाने लगे।तेज आंधी तूफान आने के बाद घटना घटी।ग्रामीणों की लगी भीड़।5 बच्चों को जीपीएम जिला अस्पताल लाया गया है। सभी बच्चे खतरे से बाहर हैं।कुल 20 बच्चों को चोट लगी है।
नई दिल्ली, 20 मार्च । राष्ट्रीय राजधानी की एक अदालत ने बुधवार को न्यूजक्लिक के संस्थापक प्रबीर पुरकायस्थ और एचआर हेड अमित चक्रवर्ती के खिलाफ चार्जशीट दायर करने के लिए दिल्ली पुलिस को 10 दिन का और समय दिया।
दोनों के खिलाफ यूएपीए के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया है, जिसमें आरोप है कि मीडिया आउटलेट को चीन समर्थक प्रचार फैलाने के लिए पैसे मिले थे।
अदालत ने पिछले साल पुलिस को 22 दिसंबर को 60 दिन और पिछले महीने फिर 20 दिन का समया दिया। इसके बावजूद दिल्ली पुलिस ने और वक्त मांगा।
पटियाला हाउस कोर्ट की अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश हरदीप कौर ने दिल्ली पुलिस को 10 दिन की और मोहलत दी। साथ ही प्रबीर पुरकायस्थ और अमित चक्रवर्ती की न्यायिक हिरासत भी बढ़ा दी।
गौरतलब है कि दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने मामले में 17 अगस्त 2023 को न्यूजक्लिक के खिलाफ यूएपीए और आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की थी।
न्यूयॉर्क टाइम्स की एक जांच में न्यूजक्लिक पर कथित तौर पर चीनी प्रचार को बढ़ावा देने के लिए अमेरिकी करोड़पति नेविल रॉय सिंघम से जुड़े नेटवर्क द्वारा वित्त पोषित संगठन होने का आरोप लगाया गया था।
(आईएएनएस)
चुनाव के कारण टला जमीन का हस्तांतरण
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 20 मार्च। बिलासा एयरपोर्ट के विकास एवं सुविधाओं के विस्तार को लेकर दायर की गई जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने पीडब्ल्यूडी के दावे की जांच के लिए कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किए हैं। वहीं केंद्र सरकार ने अतिरिक्त जमीन पर निर्माण की अनुमति नहीं मिलने की वजह चुनाव को बताया।
पत्रकार कमल दुबे और हाईकोर्ट बार एसोसिएशन की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई में पीडब्ल्यूडी की ओर से जब दिया गया कि एयरपोर्ट की बाउंड्री वॉल का निर्माण पूरा हो गया है लेकिन याचिकाकर्ताओं ने कहा कि यह अभी भी अधूरा है। तब चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने सीनियर एडवोकेट वाईसी शर्मा और राजीव श्रीवास्तव को कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किया और उन्हें याचिकाकर्ता के अधिवक्ता आशीष श्रीवास्तव के साथ स्थल निरीक्षण कर अगली सुनवाई में रिपोर्ट पेश करने कहा है।
दूसरी ओर एयरपोर्ट में 4सी सुविधाओं के विस्तार के लिए केंद्र के रक्षा मंत्रालय से राज्य सरकार ने एयरपोर्ट से लगी 1014 एकड़ जमीन वापस मांगी है। तत्काल निर्माण शुरू करने के लिए रक्षा मंत्रालय ने 270 एकड़ भूमि वापस करने की सहमति दे दी थी। डिप्टी सॉलिसिटर जनरल की ओर से बताया गया कि कुछ राज्यों में विधानसभा चुनाव होने के कारण केंद्र की कारवाई आगे नहीं बढ़ पाई थी। अब शीघ्र जमीन का हस्तांतरण हो जाएगा। मामले पर अगली सुनवाई एक अप्रैल को रखी गई है।
राज्य सरकार को नया आदेश जारी करने का निर्देश
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 20 मार्च। सरकारी अफसरों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों पर की जाने वाली कार्रवाई की जानकारी देने से रोकने वाले आदेश को गलत बताते हुए हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को संशोधित नया आदेश जारी करने का निर्देश दिया है।
विधानसभा में सन 2015 में तत्कालीन विधायक देव जी भाई पटेल के प्रश्न पर जानकारी दी गई थी कि ईओडब्ल्यू में 45 अधिकारियों के खिलाफ शिकायतों की जांच लंबित है। इस आधार पर चिरमिरी के आरटीआई कार्यकर्ता राजकुमार गुप्ता ने ईओडब्ल्यू से इन शिकायतों पर की गई कार्रवाइयों की जानकारी मांगी थी। उन्हें सूचना देने से मना कर दिया गया और बताया गया छत्तीसगढ़ सरकार ने 7 नवंबर 2006 को एक अधिसूचना जारी कर विभाग को आरटीआई की जानकारी देने से मुक्त कर दिया है। इस पर उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर आदेश को चुनौती दी थी।
पूर्व की इस याचिका में हाईकोर्ट ने पाया था कि अधिसूचना में खामियां हैं। कोर्ट ने संशोधित अधिसूचना जारी करने का आदेश दिया। इसके बाद राज्य सरकार ने नई अधिसूचना नवंबर 2023 में निकाली थी। मगर ईओडब्ल्यू को आरटीआई से मुक्त करने का आदेश यथावत रखा था। याचिकाकर्ता गुप्ता ने इसे हाई कोर्ट में फिर चुनौती दी और कहा कि सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 24 की उप धारा 4 के अंतर्गत भ्रष्टाचार और मानव अधिकारों के हनन के मामलों में सूचना देने से मना नहीं किया जा सकता। हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने इससे सहमति जताते हुए राज्य सरकार को संशोधित आदेश जारी करने का निर्देश दिया है, जिसमें ईओडब्ल्यू को आरटीआई के दायरे में वापस रखना होगा।
होली से पहले दिल्ली में लगा किसान मेला
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
नई दिल्ली, 20 मार्च। होली से पहले दिल्ली में किसानों का मेला लगा है, जहां छत्तीसगढ़ से शुद्ध और जैविक उत्पाद लेकर महिला किसान शामिल हुई हैं। जिसे खरीदने के लिए लोगों की काफी भीड़ उमड़ रही है।
राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम और लघु कृषक कृषि व्यापार संघ की तरफ से दिल्ली के हौज़ खास स्थित एनसीडीसी कैंपस में किसान उत्पादक संगठन (FPO) का मेला लगा है। तीन दिनों तक चलने वाले इस मेले में 18 राज्यों के 40 किसान उत्पादक संगठन शामिल हुए हैं। इस मेले में किसान संगठनों की शानदार प्रदर्शनी लगी है।
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से सत्य साईं महिला बहुद्देशीय सहकारी मर्यादित द्वारा अपने क्षेत्र में तैयार उत्पादों का स्टॉल लगाया गया है। इस स्टॉल में दिल्ली के अलावा दूर-दूर से आए लोग शुद्ध और जैविक उत्पाद खरीद रहे हैं। यहां लोग मिलेट्स यानी मोटे अनाज और उससे बने अलग-अलग उत्पादों को खरीद सकते हैं। इसके अलावा शुद्ध और बेहतर क्वालिटी के शहद, मसाला, आचार, साबुन आदि जैसे कई उत्पाद उपलब्ध हैं। स्टाल में मोटे अनाज व सोयाबीन से बना मल्टीग्रेन आटा उपलब्ध है, जो कि वेटलॉस, डाइजेशन, इम्युनिटी के लिए काफी कारगर है। इसके अलावा अलग-अलग फ्रेगरेंस के लीपबाम, सोप, फूट क्रीम लोगों को काफी पसंद आ रहे हैं। खासकर वनीला, ग्रैप्स व ऑलिव ऑइल से बने लीप बाम की खास डिमांड है। वहीं, बाजार के मुक़ाबले इनकी कीमत भी काफी कम हैं।
सत्य साईं महिला बहुद्देशीय सहकारी मर्यादित से जुड़ी गिरिजा बंजारी ने बताया कि उनके संगठन से 300 से ज्यादा महिला किसान जुड़े हैं। ये महिलाएं कई तरह के जैविक उत्पादों को तैयार करती हैं। जिसे देश के अलग-अलग हिस्सों में बेचा जाता है। उन्होंने बताया एनसीडीसी के अधिकारियों को भी स्टाल के उत्पाद काफी पसंद आए, उन्होंने भी ख़रीदारी की है।
नई दिल्ली, 20 मार्च । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार को भूटान के दौरे पर जाएंगे। पीएम मोदी यहां भूटान के राजा जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक और प्रधानमंत्री शेरिंग टोबगे के साथ बातचीत करेंगे। पीएम मोदी की यात्रा से द्विपक्षीय संबंधों को मजबूती मिलने की संभावना है।
रिपोर्ट के अनुसार, पीएम मोदी 21-22 मार्च 2024 के दौरान भूटान की यात्रा करेंगे। उनकी यह यात्रा भारत-भूटान के बीच नियमित रूप से होने वाली उच्चस्तरीय आदान-प्रदान की परंपरा और सरकार की 'नेबरहुड फर्स्ट नीति' पर जोर देने की कवायद के अनुरूप है।
विदेश मंत्रालय की विज्ञप्ति के अनुसार, भारत-भूटान स्थायी तौर पर साझेदार हैं, जो आपसी विश्वास, समझ और सद्भावना पर आधारित है। हमारी साझी आध्यात्मिक विरासत और दोनों देशों के लोगों के बीच मधुर संबंध हमारे असाधारण संबंधों में घनिष्ठता एवं जीवंतता का समावेश करते हैं।
विदेश मंत्रालय ने कहा, ''यह यात्रा दोनों पक्षों को पारस्परिक हित के द्विपक्षीय एवं क्षेत्रीय मामलों पर विचारों का आदान-प्रदान करने, दोनों देशों के लोगों के फायदे के लिए हमारी अनुकरणीय साझेदारी को विस्तारित एवं मजबूत करने के तौर-तरीकों पर विचार-विमर्श करने का अवसर प्रदान करेगी।''
भारत की 'नेबरहुड फर्स्ट नीति' पड़ोसी देशों के साथ संबंध मजबूत करने के सिद्धांत पर आधारित है। इन देशों में अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, मालदीव, म्यांमार, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका शामिल हैं।
विदेश मंत्रालय के अनुसार, इस नीति का उद्देश्य अन्य बातों के साथ-साथ पूरे क्षेत्र में भौतिक, डिजिटल और लोगों से लोगों की कनेक्टिविटी बढ़ाने के साथ-साथ व्यापार को बढ़ाना है।
बता दें कि शेरिंग टोबगे ने इस साल जनवरी में प्रधानमंत्री का पदभार ग्रहण किया था। इसके बाद उन्होंने अपनी पहली विदेश यात्रा के दौरान (14-18 मार्च) भारत का ही दौरा किया। टोबगे के निमंत्रण पर पीएम मोदी भूटना की यात्रा करने वाले हैं।
(आईएएनएस)
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 20 मार्च । संपत्ति और निगम के अन्य करों के बड़े बकायादार पार्थिवी ग्रुप के संचालक शैलेश वर्मा ने 24 घंटे की मोहलत के तहत आज 22.50 के बजाए 18.50 लाख रूपए एक मुश्त जमा कर दिया ।चार लाख रूपए को लेकर उन्होंने आपत्ति की है। उन पर यह टैक्स कई वर्षों से बकाया था। बीते पांच वर्ष तो निगम ने मानो प्रयास ही नहीं किया क्योकि वर्मा, पूर्व सीएम बघेल के करीबी रिश्तेदारों में आते हैं। आज जोन 8 कार्यालय जाकर पार्थिवी ग्रुप के संचालक के प्रतिनिधि उदय पुराणिक और कन्नोजे अकाउंटेंट मे जोन 8 जोन कमिश्नर अरूण ध्रुव को चैक सौपा।
बताया गया है कि पार्थिवी कंस्ट्रक्शन ने खुली भूमि पर लगाए गए टैक्स पर आपत्ति की है। यह रकम करीब चार लाख रूपए होती है । उनका कहना है कि ओपन लैंड का टैक्स पूरा पटाया जा चुका है। निगम अब पुनः जांच कर निर्णय लेगा।
मुम्बई पुलिस के एक चर्चित और विवादास्पद मुठभेड़ विशेषज्ञ प्रदीप शर्मा को बाम्बे हाईकोर्ट ने एक बेकसूर के कत्ल के आरोप में उम्रकैद की सजा सुनाई है। इस मामले में प्रदीप शर्मा के साथ-साथ अदालत ने 12 अन्य पुलिसवालों को भी उम्रकैद दी है। यह फैसला 2006 में हुए एक कत्ल का है जिसमें छोटा राजन गिरोह के एक गुंडे को प्रदीप शर्मा और उनकी टीम ने मुठभेड़ के नाम पर साजिशन मार गिराया था। उस वक्त मुम्बई में अंडरवल्र्ड के बीच ऐसी लड़ाईयां चलती रहती थीं, और यह चर्चा भी रहती थी कि किस तरह मुम्बई पुलिस के कुछ मुठभेड़ विशेषज्ञ अफसर एक गिरोह के लिए भाड़े पर काम करते हुए दूसरे गिरोह के लोगों को मार गिराते थे। बाद में जब ऐसे एनकाउंटर स्पेशलिस्ट कहे जाने वाले अफसर बहुत अधिक चर्चित हो गए, तो उनमें से कई लोग जमीन-जायदाद खाली करवाने का ठेका लेने लगे, और मुम्बई के करोड़पतियों-अरबपतियों से कई और तरह की वसूली-उगाही करने लगे। निचली अदालत ने प्रदीप शर्मा को पूरी तरह छोड़ दिया था, लेकिन हाईकोर्ट की दो महिला जजों की बेंच ने इस जुर्म को पूरी तरह सही पाया, और यह सजा सुनाई है। इस एक फैसले से यह साफ होता है कि किस तरह जब पुलिस को मनमानी करने की आजादी मिलती है तो उसके खतरनाक नतीजे होते हैं।
हमने बात शुरू तो मुम्बई पुलिस से की है लेकिन यह हिन्दुस्तान जैसे लोकतंत्र में बहुत सी जगहों पर दूसरे हालात में भी देखने मिलता है कि जब सरकारी वर्दी को मानवाधिकार खत्म करने की छूट मिलती है, तो वह किस खतरनाक नौबत तक पहुंच जाती है। हमने कश्मीर, उत्तर-पूर्व, पंजाब जैसे बहुत से आतंक और उग्रवाद प्रभावित इलाकों को देखा है कि वहां पर राज्य की पुलिस या वहां तैनात अर्धसुरक्षा बल किस तरह मनमानी करने लगते हैं, और आतंकग्रस्त इलाकों में हिंसा पर काबू पाने के लिए सरकारी ताकतें अपनी बंदूकों को इस तरह की छूट भी दे देती हैं जिससे किसी तरह हालात पर काबू पाया जा सके। इन सरहदी राज्यों से परे छत्तीसगढ़ जैसे राज्य में भी हमने देखा है कि जहां नक्सल प्रभावित बस्तर में पुलिस और दूसरे सुरक्षाबलों की लगातार, लंबी, और बहुत बड़ी मौजूदगी कई किस्म के मानवाधिकार खत्म करती है। दुनिया में जहां कहीं हिंसक और हथियारबंद टकराव लंबा चलता है, उन तमाम जगहों पर सरकारी बंदूकें भी लोगों के बुनियादी हकों को कुचलने की आदी होने लगती हैं। छत्तीसगढ़ के बस्तर में तो हुए एक बड़े सारकेगुड़ा हत्याकांड की 2012 में की न्यायिक जांच से यह भी साबित हुआ है कि वहां मौजूद पुलिस ने 17 बेकसूर और निहत्थे आदिवासियों को बैठकर एक त्यौहार की तैयारी करते हुए घेरा, और मार डाला। पिछली भूपेश सरकार के वक्त यह जांच रिपोर्ट आ गई थी, लेकिन अफसोस यह है कि उसके बाद भी इस रिपोर्ट पर सरकार ने आगे कोई कार्रवाई नहीं की है। न्यायिक जांच रिपोर्ट में यह लिखा गया कि इन 17 लोगों को नक्सली बताने का पुलिस का दवा बिल्कुल फर्जी था। बस्तर में आदिवासियों की मदद करने के लिए काम कर रही कुछ महिला वकीलों ने इस मामले में आदिवासियों की मदद की थी, और अदालत में उनका केस लड़ा था, बाद में न्यायिक जांच की रिपोर्ट आने पर भी सरकार ने आगे कोई कार्रवाई नहीं की।
इसलिए मुम्बई जैसे महानगर से लेकर बस्तर के जंगलों में बसे हुए गांवों तक, जहां कहीं सरकारी वर्दियों को मनमानी की छूट मिलती है, वे कातिल हो जाती हैं। यह बात समझने की जरूरत है कि लोकतंत्र में पुलिस और सुरक्षाबलों के ऊपर आने वाली जिम्मेदारी छोटी नहीं रहती है, इसी तरह अदालतों में किसी हथियारबंद आंदोलन के खिलाफ कुछ साबित करना भी आसान नहीं रहता है। लेकिन इतना जरूर रहता है कि अदालत के लंबे और थका देने वाले सिलसिले के बाद इंसाफ की कुछ उम्मीद बनती है। खासकर जिन मामलों में लोगों को सजा होती है, वे सचमुच ही गुनहगार रहने की संभावना रखते हैं। भारतीय न्याय व्यवस्था में कई गुनहगार छूट सकते हैं, लेकिन बेगुनाह के फंसने की गुंजाइश कम रहती है। ऐसे ही अदालती हाल को देखकर देश के बहुत से लोगों को लगता है कि पहली नजर में जो मुजरिम दिख रहे हैं उन लोगों को मुठभेड़ में मार दिया जाना चाहिए। उत्तरप्रदेश जैसे राज्य में हम इस बात को देख रहे हैं जहां भाजपा के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पुलिस बात-बात में मुठभेड़ कर रही है, और उसे मुठभेड़ में मारा जाना बता रही है। लोगों का अंदाज है कि पुलिस बेरहमी से और सोच-समझकर लोगों को मारती है जिसे मुठभेड़ में मौत की तरह दर्ज किया जाता है।
जब लोगों के सामने मुठभेड़-हत्या जैसे आसान और तुरत-फुरत दिए जाने वाले फैसले और सजा का एक विकल्प पेश किया जाता है, तो धीरे-धीरे लोगों को यही तरीका ठीक लगने लगता है। अदालतों में दस-बीस बरस फैसले का इंतजार करने के बजाय लोगों को लगने लगता है कि बुलडोजर लेकर किसी आरोपी के घर-दुकान को तुरंत गिरा देना चाहिए, और आरोपी को भी भागने की कोशिश में बताते हुए मार डालना चाहिए। लोगों के बीच ऐसी आदिम हिंसा दसियों हजार बरस पुरानी है, और लोकतंत्र का बोझ उनकी समझ पर पिछली पौन सदी का ही है। इसलिए पहला मौका मिलते ही लोग फिर पत्थरयुग की सोच पर पहुंचने को आसान समझते हैं। उन्हें लोकतंत्र की लचीली न्याय व्यवस्था पसंद आना तेजी से बंद हो जाता है, और जब तक वे उसके निशाने पर नहीं आ जाते, तब तक वे मुठभेड़-हत्याओं की तारीफ में डूबे रहते हैं।
मुठभेड़-हत्याओं और सुरक्षाबलों की हिंसा, मानवाधिकारों को कुचले जाने के खिलाफ लोगों की जागरूकता और समझ के लिए लोकतंत्र की एक बुनियादी समझ जरूरी है जो कि कुछ मुश्किल बात है। अदालत से दस-बीस बरस बाद सजा होने के बजाय लोगों को यह बेहतर लगता है कि जिस पर शक हो उसे चौराहे पर घेरकर पत्थरों से मार डाला जाए। इस किस्म का तालिबानी इंसाफ लोगों को तब तक सुहाता है जब तक कि वे पत्थरों के निशाने पर न रहें। जिस तरह तालिबानी राज में औरतों और मर्दों को चौराहों पर कोड़े लगाए जाते हैं, हिन्दुस्तान में भी अगर जनमत संग्रह कराया जाए, तो बहुत से लोग इसी किस्म का इंसाफ पसंद करेंगे, क्योंकि इन मामलों में सजा पाने वाली पीठ उनकी अपनी नहीं रहती है। जब पुलिस को हिंसक और गैरकानूनी काम करने की छूट दी जाती है, तो वे महाराष्ट्र के कई चर्चित एनकाउंटर स्पेशलिस्ट की तरह हो जाते हैं। यह सिलसिला लोकतंत्र में बहुत खतरनाक है, और फिल्मों की तरह जब असल जिंदगी में भी जनता मौके पर किए गए ऐसे इंस्टेंट नूडल्स सरीखे इंसाफ की प्रशंसक हो जाती है, तो लोकतंत्र बहुत कमजोर हो जाता है। ऐसी नौबत से बचने की जरूरत है।
डॉ. आर.के. पालीवाल
निर्वाचन आयोग द्वारा लोकसभा चुनावों की घोषणा अभी हाल ही में हुई है। कुछ दिन पहले तक निर्वाचन आयोग में चुनाव आयुक्तों की दो तिहाई पोस्ट रिक्त थी जो हाल ही में भरी गई हैं। लेकिन इस सबके बरक्स 2024 का लोकसभा चुनाव इस मायने में खास है कि चुनाव आयोग द्वारा चुनाव घोषित होने के पहले ही भाजपा और उसकी देखादेखी अन्य राजनीतिक दलों ने चुनावी बिगुल काफी पहले फूंक दिया था। केन्द्रीय सत्ता पर काबिज भारतीय जनता पार्टी ने विभिन्न राज्यों की काफी लोकसभा सीटों पर काफी पहले अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए थे। भाजपा की देखादेखी कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और तृणमूल कांग्रेस ने भी काफी सीटों पर उम्मीदवार घोषित कर दिए। विगत कुछ माह से केंद्र सरकार की तरफ से प्रधानमन्त्री और राज्यों में विभिन्न दलों के मुख्यमंत्री चौतरफा लोकार्पण, भूमि पूजन और विविध जन उपयोगी योजनाओं की घोषणाएं कर रहे थे। केंद्र सरकार और राज्य सरकारों की तरफ से आए दिन अखबारों में पूरे पेज के सरकारी विज्ञापन जारी हो रहे थे।
प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी वैसे तो अपने भाषणों से हर वक्त चुनावी मोड़ में ही दिखाई देते हैं लेकिन विगत कुछ माह से वे विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न तबकों के वोटरों को आकर्षित करने के लिए चुनावी रैलियों में व्यस्त हो गए थे। उनकी केंद्र सरकार ने पहले रसोई गैस सिलेंडर के दाम में सौ रुपए की कमी की और हाल में डीजल पेट्रोल के दाम दो रूपए लीटर कम करके मतदाताओं के ऊंट के मुंह में जीरा डाल कर मतदाताओं के ऊंट को अपनी पार्टी की तरफ करवट दिलाने का भी प्रयास किया है। यह दूसरी बात है कि मतदाता चुनाव पूर्व दी गई चुटकी भर राहत को मान का पान मानकर वोट देंगे या इतनी कम राहत देने से नाराज़ हो जाएंगे। भारतीय मतदाताओं का मिजाज भांपना खुद को तीसमारखा राजनीतिक विश्लेषक समझने वालों के भी वश में नहीं है। केंद्र सरकार की तरह राज्यों की सरकारों ने भी अपने राज्यों के मतदाताओं को लुभाने के लिए नई नई राहत दी हैं, जैसे,उत्तर प्रदेश सरकार ने अन्नदाताओं के लिए सिंचाई की बिजली मुफ्त करने की होली गिफ्ट का विज्ञापन जारी किया है।
पिचहत्तर साल से वोट डालते डालते मतदाता राजनीतिक दलों और नेताओं के सब जाल बट्टे समझने लगे हैं। कुछ दिन पहले जो उत्तर प्रदेश सरकार केन्द्र सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर अन्नदाताओं को दिल्ली में घुसने से रोकने के लिए बार्डर पर मोर्चा संभाले हुए थी वह चुनाव की पूर्व संध्या पर सिंचाई की मुफ़्त बिजली से किसानों की आहत आत्मा पर मरहम लगा रही है। इधर जितनी भी छूट की घोषणाएं की गई हैं वे चुनाव के पहले मतदाताओं को लुभाने के लिए हैं। अब जब चुनावों की विधिवत घोषणा हो गई है, अब विभिन्न राजनीतिक दल अपने घोषणापत्र जारी करेंगे। यह आम चुनाव इस अर्थ में भी खास है कि इस बार चुनावी घोषणापत्र भी काफी हद तक चुनाव पूर्व ही घोषित हो चुके हैं। भारतीय जनता पार्टी ने मोदी की गारंटी शीर्षक से अपनी घोषणाएं की हैं और कांग्रेस ने युवाओं, महिलाओं और किसानों के लिए अलग अलग पांच पांच गारंटी की घोषणा की है।
2024 के चुनाव से पहले केंद्रीय जांच एजेंसियों द्वारा विपक्ष के बड़े नेताओं की गिरफ्तारी और छापों ने भी विगत कुछ वर्षों में एक रिकॉर्ड बनाया है जिसमें कुछ प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों, मंत्रियों, उनके नजदीकी परिजनों, मित्रों और नौकरशाहों की गिरफ्तारियां हुई हैं या उन पर मुकदमे और एफ आई आर दर्ज हुई हैं। केंद्रीय जांच एजेंसियों की बढ़ती कार्यवाहियों के सामुहिक विरोध ने कई राजनीतिक दलों को आपसी मतभेद भुलाकर इंडिया गठबंधन की छतरी के नीचे आने के लिए बाध्य किया है । इसी की प्रतिक्रिया स्वरूप भाजपा भी छोटे छोटे क्षेत्रीय राजनीतिक दलों को एन डी ए में लाने के लिए मजबूर हुई है। नतीजा चाहे जो हो 2024 के लोकसभा चुनाव में सत्ता पक्ष और विपक्ष में कांटे का मुकाबला होगा।
-दयानिधिे
निम्न और मध्य आय वाले देशों में कई बच्चों को विभिन्न सामाजिक-आर्थिक और पर्यावरणीय कारणों से पर्याप्त पौष्टिक भोजन तक पहुंचने में भारी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। जिसके कारण अल्पपोषण और सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए भारी चिंता के रूप में उभर रही है।
जेएएमए नेटवर्क ओपन, पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन में कहा गया है कि नवजात शिशुओं को छह महीने की उम्र तक केवल स्तनपान पर निर्भर रहना चाहिए। छह महीने की उम्र के बाद, शिशुओं और छोटे बच्चों की बढ़ती पोषण संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अकेले स्तन का दूध पर्याप्त नहीं है।
अध्ययन के दौरान भारत में लगभग 67 लाख बच्चे ऐसे पाए गए, जिन्होंने 24 घंटों के दौरान कुछ नहीं खाया। इन बच्चों को जीरो फूड की श्रेणी में रखा गया। जीरो फूड चिल्ड्रन का आशय है कि 6 से 23 माह की उम्र के वे बच्चे जिन्होंने पिछले 24 घंटों में कोई दूध, या भोजन नहीं खाया हो।
अध्ययन के मुताबकि भारत में जीरो फूड चिल्ड्रन की संख्या अब तक की सबसे अधिक है। यह अध्ययन 92 देशों पर किया गया था और भारत में पाए गए जीरो फूड चिल्ड्रन की संख्या इन 92 देशों के बच्चों की संख्या के मुकाबले लगभग आधी है। भारत की यह दर गिनी, बेनिन, लाइबेरिया और माली जैसे पश्चिम अफ्रीकी देशों में प्रचलित दर के बराबर है।
जीरो-फूड चिल्ड्रन यानी बिना भोजन के बच्चों की संख्या के मामले में नाइजीरिया दूसरे स्थान पर है (962000), इसके बाद पाकिस्तान (849000), इथियोपिया (772000) और कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य (362000) हैं।
जनसंख्या स्वास्थ्य और भूगोल के प्रोफेसर सुब्रमण्यम और हार्वर्ड सेंटर फॉर पॉपुलेशन एंड डेवलपमेंट स्टडीज के वैज्ञानिक रॉकली किम ने 92 निम्न और मध्यम आय वाले देशों के छह से 23 महीने की उम्र के 276,379 बच्चों का विश्लेषण किया, जिनकी देखभाल करने वालों ने उनके भोजन के बारे में जानकारी दी थी।
शोधकर्ताओं ने 92 निम्न और मध्यम आय वाले देशों में 2010 और 2022 के बीच एकत्र किए गए राष्ट्रीय आंकड़ों का उपयोग किया।
अध्ययन में पाया गया कि बिना भोजन वाले बच्चे अध्ययन आबादी का 10.4 फीसदी थे।
शून्य-भोजन वाले बच्चों का प्रचलन देशों के बीच व्यापक रूप से फैला हुआ है। कोस्टा रिका में, प्रसार 0.1 फीसदी था, गिनी में, 21.8 फीसदी।
भारत में, जहां अध्ययन के लगभग आधे बिना भोजन वाले बच्चे थे, जिनका प्रसार 19.3 फीसदी था।
अध्ययनकर्ताओं के अनुसार, बिना भोजन वाले बच्चों की व्यापकता विकास की इस महत्वपूर्ण अवधि के दौरान शिशु और छोटे बच्चों के आहार प्रथाओं में सुधार और अधिकतम पोषण सुनिश्चित करने के लिए लक्षित हस्तक्षेप की आवश्यकता को उजागर करती है। यह मुद्दा पश्चिम और मध्य अफ्रीका और भारत में विशेष रूप से जरूरी है।
6 से 23 माह के उम्र के बच्चों के लिए निरंतर स्तनपान के अलावा पर्याप्त खाद्य पदार्थों की शुरुआत अधिकतम पोषण सबसे महत्वपूर्ण है।
शोध में पर्याप्त भोजन के कम अवधि और लंबे समय के फायदों को भी उजागर किया है, जैसे मृत्यु दर, कुपोषण, बौनापन, कम वजन और सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी के खतरों का कम होना शामिल है। साथ ही बच्चों का मानसिक विकास तेजी से होता है, जो बच्चों के भविष्य की नींव रखता है।
हार्वर्ड द्वारा किए गए अध्ययन में पाया गया कि कुछ देशों में बिना भोजन के बच्चों की प्रचलन दर 21 फीसदी तक है। (डाऊन टू अर्थ)
-दयानिधिे
निम्न और मध्य आय वाले देशों में कई बच्चों को विभिन्न सामाजिक-आर्थिक और पर्यावरणीय कारणों से पर्याप्त पौष्टिक भोजन तक पहुंचने में भारी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। जिसके कारण अल्पपोषण और सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए भारी चिंता के रूप में उभर रही है।
जेएएमए नेटवर्क ओपन, पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन में कहा गया है कि नवजात शिशुओं को छह महीने की उम्र तक केवल स्तनपान पर निर्भर रहना चाहिए। छह महीने की उम्र के बाद, शिशुओं और छोटे बच्चों की बढ़ती पोषण संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अकेले स्तन का दूध पर्याप्त नहीं है।
अध्ययन के दौरान भारत में लगभग 67 लाख बच्चे ऐसे पाए गए, जिन्होंने 24 घंटों के दौरान कुछ नहीं खाया। इन बच्चों को जीरो फूड की श्रेणी में रखा गया। जीरो फूड चिल्ड्रन का आशय है कि 6 से 23 माह की उम्र के वे बच्चे जिन्होंने पिछले 24 घंटों में कोई दूध, या भोजन नहीं खाया हो।
अध्ययन के मुताबकि भारत में जीरो फूड चिल्ड्रन की संख्या अब तक की सबसे अधिक है। यह अध्ययन 92 देशों पर किया गया था और भारत में पाए गए जीरो फूड चिल्ड्रन की संख्या इन 92 देशों के बच्चों की संख्या के मुकाबले लगभग आधी है। भारत की यह दर गिनी, बेनिन, लाइबेरिया और माली जैसे पश्चिम अफ्रीकी देशों में प्रचलित दर के बराबर है।
जीरो-फूड चिल्ड्रन यानी बिना भोजन के बच्चों की संख्या के मामले में नाइजीरिया दूसरे स्थान पर है (962000), इसके बाद पाकिस्तान (849000), इथियोपिया (772000) और कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य (362000) हैं।
जनसंख्या स्वास्थ्य और भूगोल के प्रोफेसर सुब्रमण्यम और हार्वर्ड सेंटर फॉर पॉपुलेशन एंड डेवलपमेंट स्टडीज के वैज्ञानिक रॉकली किम ने 92 निम्न और मध्यम आय वाले देशों के छह से 23 महीने की उम्र के 276,379 बच्चों का विश्लेषण किया, जिनकी देखभाल करने वालों ने उनके भोजन के बारे में जानकारी दी थी।
शोधकर्ताओं ने 92 निम्न और मध्यम आय वाले देशों में 2010 और 2022 के बीच एकत्र किए गए राष्ट्रीय आंकड़ों का उपयोग किया।
अध्ययन में पाया गया कि बिना भोजन वाले बच्चे अध्ययन आबादी का 10.4 फीसदी थे।
शून्य-भोजन वाले बच्चों का प्रचलन देशों के बीच व्यापक रूप से फैला हुआ है। कोस्टा रिका में, प्रसार 0.1 फीसदी था, गिनी में, 21.8 फीसदी।
भारत में, जहां अध्ययन के लगभग आधे बिना भोजन वाले बच्चे थे, जिनका प्रसार 19.3 फीसदी था।
अध्ययनकर्ताओं के अनुसार, बिना भोजन वाले बच्चों की व्यापकता विकास की इस महत्वपूर्ण अवधि के दौरान शिशु और छोटे बच्चों के आहार प्रथाओं में सुधार और अधिकतम पोषण सुनिश्चित करने के लिए लक्षित हस्तक्षेप की आवश्यकता को उजागर करती है। यह मुद्दा पश्चिम और मध्य अफ्रीका और भारत में विशेष रूप से जरूरी है।
6 से 23 माह के उम्र के बच्चों के लिए निरंतर स्तनपान के अलावा पर्याप्त खाद्य पदार्थों की शुरुआत अधिकतम पोषण सबसे महत्वपूर्ण है।
शोध में पर्याप्त भोजन के कम अवधि और लंबे समय के फायदों को भी उजागर किया है, जैसे मृत्यु दर, कुपोषण, बौनापन, कम वजन और सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी के खतरों का कम होना शामिल है। साथ ही बच्चों का मानसिक विकास तेजी से होता है, जो बच्चों के भविष्य की नींव रखता है।
हार्वर्ड द्वारा किए गए अध्ययन में पाया गया कि कुछ देशों में बिना भोजन के बच्चों की प्रचलन दर 21 फीसदी तक है। (डाऊन टू अर्थ)