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पलक्कड (केरल), 26 सितंबर। कांग्रेस की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के तहत राहुल गांधी समेत पार्टी के सैंकड़ों कार्यकर्ताओं ने केरल में पलक्कड जिले के शोरनूर से सोमवार को पदयात्रा फिर शुरू की।
यात्रा का सोमवार को 19वां दिन है। सुबह के सत्र में 12.3 किलोमीटर की दूरी तय की जाएगी और फिर पट्टाम्बि में ठहराव होगा।
कांग्रेस ने ट्वीट किया कि यात्रा के तहत ‘‘उत्साह एवं उम्मीद’’ के साथ पलक्कड में प्रवेश किया गया।
पार्टी ने कहा, ‘‘... और हम आपके साथ यह यात्रा शुरू करने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।’’
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं केरल विधानसभा में विपक्ष के नेता वी डी सतीशन यात्रा के सुबह के सत्र में गांधी से साथ चले।
गांधी से मिलने के लिए यात्रा के मार्ग में सड़क के दोनों ओर सैकड़ों लोग खड़े रहे। युवतियों के एक समूह ने कांग्रेस नेता को फ्रेम की हुई उनकी एक तस्वीर भेंट की।
पार्टी ने एक तस्वीर पोस्ट की, जिसमें युवतियां गांधी का चित्र थामे दिख रही हैं।
कांग्रेस ने कहा, ‘‘पदयात्रा की इससे बेहतर शुरुआत नहीं हो सकती थी। राहुल गांधी जी और सभी पदयात्रियों को शुभकामनाएं देने के लिए बड़ी संख्या में युवा बाहर आ रहे हैं। उनका उज्ज्वल भविष्य हमारी जिम्मेदारी है। अपना लक्ष्य हासिल करने की ओर आगे बढ़ते हुए।’’
पार्टी ने बताया कि राहुल गांधी पट्टाम्बि जाते समय रास्ते में महात्मा गांधी की प्रतिमा पर माल्यार्पण करेंगे। उसने बताया कि सोमवार की यात्रा शाम पांच बजे फिर से शुरू होगी और कोप्पम में समाप्त होगी।
कांग्रेस की 3,570 किलोमीटर लंबी और 150 दिनों तक चलने वाली ‘भारत जोड़ो यात्रा’ सात सितंबर को तमिलनाडु के कन्याकुमारी से शुरू हुई थी। यह यात्रा जम्मू-कश्मीर में संपन्न होगी।
‘भारत जोड़ो यात्रा’ 10 सितंबर की शाम को केरल पहुंची थी। एक अक्टूबर को कर्नाटक पहुंचने से पहले यह 19 दिनों में केरल के सात जिलों से गुजरते हुए 450 किलोमीटर की दूरी तय करेगी। (भाषा)
(मौमिता बख्शी चटर्जी)
नयी दिल्ली, 26 सितंबर। ऐपल का सबसे नया फोन 'आईफोन-14' अब भारत में बनाया जाएगा। कंपनी चीन के बाद दुनिया के दूसरे सबसे बड़े स्मार्टफोन बाजार में विनिर्माण के लिए बड़ा दांव लगा रही है।
ऐपल ने भारत में 2017 में आईफोन एसई के साथ विनिर्माण शुरू किया था। आज कंपनी देश में अपने कुछ सबसे उन्नत आईफोन बनाती है, जिनमें आईफोन एसई, आईफोन 12, आईफोन 13 और अब आईफोन 14 शामिल हैं।
ऐपल ने इस महीने की शुरुआत में अपनी नयी आईफोन श्रृंखला - आईफोन 14 मॉडल का अनावरण किया था। इसकी विशेषताओं में एक बेहतर कैमरा, शक्तिशाली सेंसर और उपग्रह संदेश सुविधा शामिल हैं। इसके चार मॉडल हैं- आईफोन 14, प्लस, प्रो और प्रोमैक्स।
सूत्रों के मुताबिक अगले कुछ दिनों में भारत में बना आईफोन 14 स्थानीय ग्राहकों तक पहुंचना शुरू हो जाएगा। भारत में बने फोन भारतीय बाजार और निर्यात, दोनों के लिए होंगे।
आईफोन 14 को चेन्नई के बाहरी इलाके में स्थित फॉक्सकॉन के श्रीपेरंबदूर संयंत्र से निर्यात किया जाएगा।
इस बारे में संपर्क करने पर ऐपल ने पीटीआई-भाषा को दिए एक बयान में कहा, 'हम भारत में आईफोन 14 के निर्माण को लेकर उत्साहित हैं।' उन्होंने आगे कहा, 'नया आईफोन 14 नयी तकनीकों और महत्वपूर्ण सुरक्षा फीचर की पेशकश करता है।'
आईफोन 14 को सात सितंबर, 2022 को पेश किया गया था और 16 सितंबर 2022 से यह फोन अन्य बाजारों के साथ ही भारत में ग्राहकों के लिए उपलब्ध है। (भाषा)
इटावा (उप्र) 26 सितंबर। दिल्ली-हावड़ा रेल मार्ग पर कानपुर टूण्डला संभाग में इटावा जिले के इकदिल एवं भर्थना रेलवे स्टेशन के मध्य संगम एक्सप्रेस ट्रेन से गिरकर मेरठ के मोदी स्पोर्ट एकेडमी में प्रशिक्षक पद पर तैनात एक युवक की मौत हो गयी। पुलिस के एक अधिकारी ने सोमवार को यह जानकारी दी। पुलिस के अनुसार वह भारतीय बास्केट बॉल के चयनित रेफरी थे।
इटावा के पुलिस अधीक्षक (नगर) कपिल देव सिंह ने बताया कि दिल्ली-हावड़ा रेल रूट पर कानपुर टूण्डला संभाग मे इटावा जिले के इकदिल एवं भर्थना रेलवे स्टेशन के मध्य 24-25 सितंबर की दरमियानी रात संगम एक्सप्रेस ट्रेन से गिरकर एक युवक की मौत हो गयी थी। मरने वाले की शिनाख्त मेरठ के यशवर्धन राणा (25) रूप मे हुई है।
उन्होंने बताया कि यशवर्धन राणा मेरठ मे मोदी स्पोर्ट एकेडमी मे प्रशिक्षक पद पर तैनात थे तथा भारतीय बास्केट बॉल के चयनित रेफरी थे। वह कानपुर के चौधरी हरमोहन सिंह यादव पैरामेडिकल कॉलेज में 23 से 29 सितंबर तक आयोजित 61वीं उत्तर प्रदेश बास्केटबॉल प्रतियोगिता में रेफरी के तौर पर हिस्सा लेने संगम एक्सप्रेस ट्रेन से मेरठ टीम के साथ कानपुर जा रहे थे।
उन्होंने बताया कि राणा ट्रेन के एस-पांच कोच मे थे तथा एस-तीन एवं एस-सात कोच मे बास्केट बॉल टीम यात्रा कर रही थी। उन्होंने बताया कि रविवार सुबह ट्रेन के कानपुर स्टेशन पर पहुंचने पर कोच में यशवर्धन राणा के नहीं होने पर खोजबीन की गई। खोजबीन मे पता चला कि इटावा जिले की भर्थना स्टेशन के पास रात्रि में रेल लाइन किनारे एक शव पड़ा मिला है। इस सूचना पर बास्केटबॉल संघ के पदाधिकारियों ने मौके पर पहुंच कर शव की पहचान की। (भाषा)
नयी दिल्ली, 26 सितंबर (भाषा)। दिल्ली में भारी बारिश के बाद सोमवार को यमुना का जलस्तर 204.5 मीटर के चेतावनी के स्तर से ऊपर पहुंच गया और अगले दो दिन में इसके और बढ़ने की आशंका है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
दिल्ली बाढ़ नियंत्रण कक्ष ने कहा कि जलस्तर रविवार-सोमवार की दरमियानी रात एक बजे चेतावनी के स्तर को पार कर गया और सुबह आठ बजे तक यह बढ़कर 204.7 मीटर पर पहुंच गया है।
नियंत्रण कक्ष ने हरियाणा के हथिनीकुंड बैराज से सुबह 6 बजे 2,95,212 क्यूसेक पानी छोड़े जाने की सूचना दी है, जो इस मॉनसून सीजन में अब तक सबसे अधिक है। सुबह 7 बजे प्रवाह दर 2,57,970 थी।
एक क्यूसेक 28.32 लीटर प्रति सेकेंड के बराबर होता है।
आम तौर पर हथिनीकुंड बैराज में प्रवाह दर 352 क्यूसेक होती है, लेकिन भारी बारिश के बाद जलग्रहण क्षेत्रों में पानी का बहाव बढ़ जाता है। बैराज से छोड़े गए पानी को राष्ट्रीय राजधानी तक पहुंचने में आमतौर पर दो से तीन दिन लगते हैं।
प्रशासन ने अभी बाढ़ की चेतावनी जारी नहीं की है।
पूर्वी दिल्ली के जिला मजिस्ट्रेट अनिल बंका ने कहा कि नदी के आसपास के निचले इलाकों में रहने वाले लोगों को जल स्तर में और वृद्धि होने के बारे में सावधान किया जा रहा है।
उन्होंने कहा, “जलस्तर के बुधवार तक 206 मीटर तक पहुंचने का अनुमान है। 205.3 मीटर के खतरे के निशान को पार करने पर बाढ़ की चेतावनी जारी की जाएगी।”
उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और उत्तर प्रदेश के कुछ उत्तरी हिस्सों में पिछले कुछ दिन से लगातार बारिश हो रही है।
यमुना नदी प्रणाली के जलग्रहण क्षेत्र में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश और दिल्ली के कुछ हिस्से शामिल हैं।
दिल्ली में नदी के आसपास के निचले इलाकों के बाढ़ की चपेट में आने की आशंका रहती है। इन इलाकों में लगभग 37,000 लोग रहते हैं।
यमुना का जलस्तर 12 अगस्त को 205.33 मीटर के खतरे के निशान से ऊपर पहुंच गया था, जिसके बाद नदी के किनारे के निचले इलाकों से लगभग 7,000 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया था।
(ललित के झा)
वाशिंगटन, 26 सितंबर। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रविवार को कहा कि रूसी रक्षा उपकरणों पर भारत की निर्भरता और मॉस्को के साथ मजबूत संबंधों का कारण यह नहीं है कि नयी दिल्ली ने इन उपकरणों को हासिल करने के लिए अमेरिका से संपर्क नहीं किया।
जयशंकर ने ‘यूएस-इंडिया फ्रैंडशिप काउंसिल एंड फाउंडेशन फॉर इंडिया एंड इंडियन डायसपोरा स्टडीज’ द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान भारतीय-अमेरिकियों से कहा, ‘‘दरअसल, हमारे संबंधों में आया एक बदलाव रक्षा सहयोग के क्षेत्र में भी है, जो शायद पिछले करीब 15 साल में अपने मौजूदा रूप में आया है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘1965 से लेकर अगले लगभग 40 साल तक भारत में अमेरिका का कोई सैन्य उपकरण नहीं आया। इसी अवधि में भारत-सोवियत, भारत-रूस के संबंध बहुत मजबूत हुए।’’
जयशंकर ने कहा, ‘‘इसका कारण भारत की ओर से कोशिश का अभाव नहीं है। मैं इसकी पुष्टि स्वयं कर सकता हूं। मेरे संबंधियों, मेरे पिता, मेरे दादा ने रक्षा मंत्रालय में काम किया है। इसलिए मैं जानता हूं कि अमेरिका को यह समझाने के लिए इतने वर्षों में कितने प्रयास किए गए कि एक मजबूत, स्वतंत्र एवं समृद्ध भारत में अमेरिका का हित है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘उस समय वे सफल नहीं हुए, संभवत: वैश्विक परिदृश्य उस समय इसी प्रकार का था। जो वास्तविक बदलाव आया, वह परमाणु समझौते से शुरू हुआ, जिसने आगे बढ़ने की दिशा में एक बड़ी बाधा को दूर कर दिया और इसके बाद संबंधों को एक नए स्तर पर ले जाने के लिए भारत में नेतृत्व की आवश्यकता थी।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ताली दोनों हाथ से बजती है। ऐसा नहीं है कि सभी समस्याएं अमेरिकी की तरफ से थीं...।’’
मंत्री ने कहा कि इसलिए भारत की ओर से भी सुधार की आवश्यकता थी। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि आज संबंध अलग स्तर पर हैं। हमारे सुरक्षा समेत कई अन्य क्षेत्रों में मिलकर काम करने की संभावना है। आज हम जो सबसे बड़े सैन्य अभ्यास करते हैं, उनमें अमेरिका के साथ सैन्य अभ्यास शामिल है।’’ (भाषा)
गोधरा (गुजरात), 26 सितंबर। बिल्कीस बानो के साथ एकजुटता व्यक्त करने के वास्ते सोमवार को प्रस्तावित पैदल मार्च से पहले पुलिस ने सामाजिक कार्यकर्ता संदीप पांडे तथा तीन अन्य को हिरासत में ले लिया है।
गुजरात में 2002 के दंगों के दौरान बिल्कीस बानो के साथ हुए सामूहिक बलात्कार और उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या के दोषियों को रिहा किए जाने के खिलाफ और बानो के साथ एकजुटता दिखाने के वास्ते इस पदयात्रा का आह्वान किया गया था।
रैमन मैगसायसाय पुरस्कार विजेता संदीप पांडे और अन्य कार्यकर्ता ‘हिंदू-मुस्लिम एकता समिति’ के बैनर तले पड़ोसी दाहोद जिले के उनके पैतृक गांव रंधीकपुर से सोमवार को ‘बिल्कीस बानो से माफी मांगो’ पैदल मार्च शुरू करने वाले थे। मार्च चार अक्टूबर को खत्म होना था।
‘बी-संभाग’ थाने के एक अधिकारी ने कहा, ‘‘ संदीप पांडे और तीन अन्य लोगों को रविवार देर रात करीब साढ़े 10 बजे गोधारा (पंचमहल जिले में) से हिरासत में लिया गया।’’
‘हिंदू-मुस्लिम एकता समिति’ ने एक बयान में पुलिस की इस कार्रवाई की निंदा की। समिति ने बयान में कहा कि गुजरात सरकार के इस साल 15 अगस्त को अपनी ‘‘क्षमा नीति’’ के तहत मामले के 11 दोषियों को रिहा करने के बाद, पदयात्रा बिल्कीस बानो से माफी मांगने के लिए आयोजित की जा रही थी।
समिति ने बयान में कहा, ‘‘ हम जो कुछ भी हुआ उसके लिए बिल्कीस से माफी मांगना चाहते थे और हमारी कामना है कि इस तरह के जघन्य कृत्य गुजरात में दोबारा न हों।’’
गोधरा कांड के बाद भड़के गुजरात दंगों के समय बिल्कीस बानो 21 साल की थीं और पांच माह की गर्भवती थीं। दंगों के दौरान तीन मार्च 2002 को उनके साथ सामूहिक बलात्कार किया गया था और उनकी तीन वर्ष की बेटी सहित उनके परिवार के सात लोग मारे गए थे।
मामले की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपी गई थी और उच्चतम न्यायालय ने मुकदमे को महाराष्ट्र की एक अदालत में स्थानांतरित कर दिया था।
मुंबई की विशेष सीबीआई अदालत ने 21 जनवरी, 2008 को बिल्कीस बानो से सामूहिक बलात्कार और उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या के मामले में 11 लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। इस सजा को बाद में बंबई उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय ने भी बरकरार रखा था।
गुजरात सरकार की ‘क्षमा नीति’ के तहत इस साल 15 अगस्त को गोधरा उप-जेल से 11 दोषियों की रिहाई ने जघन्य मामलों में इस तरह की राहत के मुद्दे पर बहस छेड़ दी है। रिहाई के समय दोषी जेल में 15 साल से अधिक समय काट चुके थे। (भाषा)
देहरादून, 26 सितंबर। हत्या के आरोपियों को फांसी की सजा देने की मांग कर रहे अंकिता भंडारी के परिजनों ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से इंसाफ का आश्वासन मिलने के बाद रविवार शाम पौडी जिले के श्रीनगर में अलकनंदा नदी के तट पर उसका अंतिम संस्कार कर दिया।
पौडी जिले के यमकेश्वर में गंगा भोगपुर में वनतारा रिजॉर्ट में रिसेप्शिनिस्ट के रूप में काम करने वाली 19 वर्षीय अंकिता का शव शनिवार को ऋषिकेश के समीप चीला नहर से बरामद किया गया था।
इससे पहले, पिछले पांच दिनों से अंकिता की गुमशुदगी के मामले में शुक्रवार को गिरफ्तार तीनों आरोपियों - रिजॉर्ट संचालक पुलकित आर्य, प्रबंधक सौरभ भास्कर और सहायक प्रबंधक अंकित गुप्ता ने उसे नहर में धकेलकर उसकी हत्या की बात स्वीकार की थी ।
मुख्य आरोपी पुलकित हरिद्वार के पूर्व भाजपा नेता विनोद आर्य का पुत्र है। घटना के सामने आने के बाद भाजपा ने आर्य को तत्काल पार्टी से निष्कासित कर दिया।
ऐसा दावा किया जा रहा है कि पुलकित तथा रिजॉर्ट के दो आरोपी कर्मचारियों ने पूछताछ में बताया कि अंकिता से विवाद होने के कारण उन्होंने उसकी हत्या की। आरोपी पहले अंकिता को ऋषिकेश लेकर गए और वहां उसे चीला नहर में फेंक दिया।
श्रीनगर में एनआइटी घाट पर अंकिता के भाई अजय सिंह भंडारी ने उसके शव को मुखाग्नि दी। इस दौरान गढ़वाल के आयुक्त सुशील कुमार और पौडी के जिलाधिकारी विजय कुमार जोगदंडे भी मौजूद थे।
इससे पहले, अंकिता के परिवार वालों ने अंतिम पोस्टमार्टम रिपोर्ट न आने और उसे सार्वजनिक न किए जाने तक उसकी अंत्येष्टि से इनकार किया था। हालांकि, प्रशासन के समझाने और घटना की जांच कर आरोपियों को फांसी की सजा दिलाने का पूरा प्रयास करने का मुख्यमंत्री का संदेश मिलने पर वे अंतिम संस्कार के लिए राजी हुए।
अंकिता की प्रारंभिक पोस्टमार्टम रिपोर्ट में उसकी हत्या से पहले उसे चोट पहुंचाए जाने की बात कही गयी है। हालांकि, रिपोर्ट में उसकी मौत का कारण पानी में डूबना बताया गया है।
अंकिता हत्याकांड के विरोध में श्रीनगर में दुकानें और बाजार बंद रहे। अंकिता के गांव श्रीकोट से करीब 23 किलोमीटर की दूरी पर स्थित श्रीनगर में दिन में लोगों ने ऋषिकेश-बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग कई घंटे के लिए अवरुद्ध कर दिया।
लोगों ने सरकार से अंकिता के परिवार को एक करोड़ रुपये का मुआवजा तथा परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने की मांग की ।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने फिर दोहराया कि राज्य सरकार जघन्य हत्याकांड के दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दिलवाएगी।
यहां संवाददाताओं से बातचीत में उन्होंने कहा कि सभी कार्रवाइयां तय समय से हो रही हैं और कहीं कोई कोताही नहीं बरती जाएगी। हत्याकांड को लेकर लोगों में गुस्से को स्वाभाविक बताते हुए उन्होंने कहा, ‘‘अपराधी चाहे जो भी हो, कोई छूटने वाला नहीं है। दोषियों को कड़ी सजा दिलाने का हमने संकल्प लिया है।’’
धामी ने यह भी कहा कि पीड़ित परिवार की हरसंभव सहायता की जाएगी ।
इस बीच, उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने अंकिता के पिता को आश्वासन दिया कि उनकी पुत्री के कथित हत्यारों को फांसी की सजा दिलाई जाएगी ।
कुमार ने वीरेंद्र सिंह भंडारी से फोन पर बातचीत कर उन्हें यह आश्वासन दिया। सोशल मीडिया पर इसकी जानकारी साझा करते हुए कुमार ने कहा, ‘‘पीड़िता अंकिता भंडारी के पिताजी से मैंने फोन पर बात कर उन्हें निष्पक्ष जांच और अभियुक्तों को कड़ी सजा दिलाने के लिए आश्वस्त किया है। दोषियों को किसी हाल में बख्शा नहीं जाएगा।’’
उन्होंने अंकिता के पिता को बताया कि पुलिस उपमहानिरीक्षक पी रेणुका देवी की अध्यक्षता में विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित किया गया है जो सारे सबूत ढूंढ लेगा।
घटना पर दुख प्रकट करते हुए कुमार ने कहा, ‘‘मैं आश्वस्त करता हूं कि विवेचना इतनी मजबूत होगी कि हम अदालत के सामने सबूत पेश करके आरोपियों को हर हालत में फांसी की सजा दिलवाएंगे।’’
रेणुका देवी ने भी रविवार को फोरेंसिक जांच के लिए घटनास्थल का दौरा किया। (भाषा)
दुमका (झारखंड), 26 सितंबर। झारखंड में दुमका के अस्वारी गांव में ‘जादू-टोने’ का आरोप लगाकर तीन महिलाओं सहित एक ही परिवार के चार लोगों को गर्म लोहे की छड़ों से प्रताड़ित करने के बाद उन्हें मल-मूत्र पीने के लिए विवश किया गया। पुलिस ने रविवार को यह जानकारी दी।
पुलिस ने घटना की जानकारी मिलने के बाद पीड़ितों को बचाया और अस्पताल में भर्ती कराया।
पुलिस के अनुसार, दुमका जिला के सरैयाहाट थाना क्षेत्र स्थित अस्वारी गांव में ‘डायन’ बताकर एक ही परिवार की तीन महिलाओं और एक पुरुष को भयावह रूप से प्रताड़ित करने का शर्मनाक मामला सामने आया है। पुलिस ने बताया कि उन्हें जबरन मल-मूत्र पिलाया गया और गर्म लोहे की छड़ों से शरीर को दागा भी गया।
सरैयाहाट के थाना प्रभारी विनय कुमार ने इस घटना की पुष्टि करते हुए बताया कि अमानवीय प्रताड़ना का यह दौर शनिवार की रात आठ बजे से रविवार तक चला।
थाना प्रभारी ने बताया कि अस्वारी गांव के ही लोगों ने ‘जादू-टोना’ करने के शक में तीन ग्रामीण महिलाओं- रसी मुर्मू (55), सोनमुनी टुड्डू (60) और कोलो टुड्डू (45) तथा श्रीलाल मुर्मू नामक 40-वर्षीय पुरुष की जमकर पिटाई की तथा उसके बाद उन्हें जबरन मल-मूत्र पिलाया।
उन्होंने बताया कि घटना के बाद पीड़ित परिवार इस कदर सहमा हुआ था कि किसी ने पुलिस से मदद मांगने की हिम्मत तक नहीं की। उन्होंने बताया कि रविवार को जब घटना की जानकारी मिली तो पुलिस बल ने गांव में जाकर चारों पीड़ितों को छुड़ाकर इलाज के लिए सरैयाहाट के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया, जहां से चिकित्सक ने सोनामुनी टुड्डू और श्रीलाल मुर्मू की गंभीर स्थिति को देखते हुए बेहतर इलाज के लिए उन्हें देवघर के एक अस्पताल भेज दिया।
थाना प्रभारी के अनुसार मामले में प्राथमिकी दर्ज कर ली गयी है और उन्हें गिरफ्तार करने के लिए धरपकड़ जारी है। (भाषा)
अफ़ग़ानिस्तान से एक विशेष विमान 55 सिखों को लेकर रविवार रात दिल्ली पहुंचा. भारत आने वालों में 38 वयस्क, 14 बच्चे और 3 नवजात हैं.
तालिबान शासन वाले अफ़ग़ानिस्तान में अल्पसंख्यकों पर बढ़ते हमलों के कारण उन्हें वहां से निकाला जा रहा है.
समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत में भारत आए अफ़ग़ान सिख बलजीत सिंह ने कहा कि अफ़ग़ानिस्तान में हालात ठीक नहीं हैं.
उन्होंने कहा, ‘‘अफ़ग़ानिस्तान में स्थिति बहुत अच्छी नहीं है. मुझे चार महीनों तक जेल में रखा गया. तालिबान ने हमारे साथ धोखा किया है. उन्होंने जेल में हमारे बाल काट दिए. मैं भारत और अपने धर्म में आकर खुश और शुक्रगुज़ार हूं.’’
एक अन्य अफ़ग़ान शरणार्थी सिख सुखबीर सिंह खालसा ने कहा, ‘‘हम भारत सरकार के शुक्रगुज़ार हैं कि हमें तत्काल वीज़ा दे दिया और हमें भारत पहुंचने में मदद की. अब भी हम में से कई लोगों के परिजन अफ़ग़ानिस्तान में हैं. करीब 30-35 लोग अब भी वहां फंसे हैं.’’
SGPC उठा रही है खर्च
काबुल में एक गुरुद्वारा में हुए हमले के बाद से अब तक 68 अफ़ग़ान हिंदू और सिख भारत आ चुके हैं.
अफ़ग़ानिस्तान से सिखों को भारत लाने का खर्च सिख गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी (एसजीपीसी) वहन कर रही है.
आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद विक्रमजीत सिंह साहनी ने एयरपोर्ट पहुंचकर अफ़ग़ान सिखों का स्वागत किया.
उन्होंने कहा, ‘‘जो परिवार काबुल में, जलालाबाद में रह गए थे उनमें से 55 आज भारत आ गए हैं. इन लोगों को महावीर नगर और अर्जुन नगर में बसाने की तैयारी है. उनके लिए घर लेकर दिए जाएंगे और सुविधाएं देने की कोशिश की जा रही है. इन लोगों को ‘मेरा परिवार, हमारी ज़िम्मेदारी’ योजना के तहत लाया गया है.’’ (bbc.com/hindi)
राजस्थान में चल रहे हाईप्रोफ़ाइल सियासी घमासान के बीच विपक्षी पार्टी बीजेपी ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग की है.
बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष ने एक ट्वीट किया और कहा कि भगवान राजस्थान की रक्षा करें.
वहीं, राजस्थान बीजेपी के नेता राजेंद्र राठौड़ ने ट्वीट किया और कहा कि राजस्थान के हालात राष्ट्रपति शासन की ओर इशारा कर रहे हैं.
उन्होंने लिखा, ‘‘राजस्थान में मौजूदा राजनीतिक हालात राष्ट्रपति शासन की ओर इशारा कर रहे हैं. मुख्यमंत्री अशोक गहलोतजी, आप नाटक क्यों कर रहे हो. मंत्रिमंडल के इस्तीफे के बाद अब देरी कैसी. आप भी इस्तीफा दे दीजिए.’’
प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा कि राजस्थान के मौजूदा हालात 2023 में होने वाले चुनावों का रुझान हैं और दावा किया कि अगले चुनाव में बीजेपी की सरकार बनेगी.
उन्होंने ट्वीट करके कहा कि राजस्थान कांग्रेस में इस्तीफ़े का सियासी पाखंड चल रहा है.
कांग्रेस जारी है घमासान
रविवार को राजस्थान में सियासी पारा गरम रहा. अशोक गहलोत के समर्थक विधायक नए मुख्यमंत्री के चुनाव से पहले अपना इस्तीफ़ा देने विधानसभा अध्यक्ष के आवास पहुंच गए.
दरअसल, अब राज्य में सत्ता के लिए अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच टकराव साफ़ दिख रहा है.
अटकलें लगाई जा रही थीं कि गहलोत के कांग्रेस अध्यक्ष पद की उम्मीदवारी पर सचिन पायलट को राज्य का मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है. लेकिन फिलहाल कांग्रेस में जारी घमासान ने हालात बदल दिए हैं.
सचिन पायलट समर्थक विधायक उन्हें मुख्यमंत्री बनाने की मांग कर रहे हैं, जबकि अशोक गहलोत के समर्थक विधायकों का कहना है कि मुख्यमंत्री उस समूह से होना चाहिए जिन्होंने सरकार बचाई थी.
समाचार एजेंसी एएनआई ने कांग्रेस विधायक प्रताप सिंह खाचरियावास के हवाले से बताया है कि केवल 10-15 विधायकों को सुना गया और बाक़ी की उपेक्षा कर दी गई.
उन्होंने कहा कि पार्टी हमलोगों की नहीं सुनना चाहती और इसके बिना ही निर्णय लिए जा रहे हैं. (bbc.com/hindi)
हिमाचल प्रदेश के कुल्लू ज़िले में रविवार शाम हुई एक दुर्घटना में सात पर्यटकों की मौत हो गई है और दस घायल हो गए हैं. ये सभी लोग टेम्पो ट्रैवलर में सवार थे.
ये वाहन बेकाबू होकर एक गहरी खाई में गिर गया था. बीजेपी के स्थानीय विधायक सुरेंद्र शौरी ने आज तड़के घटनास्थल से एक वीडियो डाला है जिसमें वो कह रहे हैं कि दुर्घटना कुल्लू की बंजार तहसील में हुई है.
घायलों को बंजार के अस्पताल में ले जाया गया है जहां प्राथमिक उपचार के बाद कुछ को कुल्लू ज़िला अस्पताल भेजा गया है.
बंजार के विधायक ने बताया है कि पर्यटक राजस्थान, मध्य प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली से थे और उनकी शिनाख़्त की जा रही है.
राहत और बचाव कार्यों में स्थानीय लोगों ने पुलिस प्रशासन की मदद की है.
कुल्लू ज़िले के एसपी गुरदेव सिंह ने कहा कि दुर्घटना रविवार शाम साढ़े आठ बजे की है.
उन्होंने कहा, "हादसा बंजार घाटी के घियागी इलाक़े में हुआ है. पांच घायलों को अब कुल्लू ज़ोनल अस्पताल में भर्ती करवाया गया है. पांच का इलाज बंजार में ही चल रहा है."
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस दुर्घटना पर खेद व्यक्त करते हुए ट्वीट किया है. (bbc.com/hindi)
-चंदन कुमार जजवाड़े
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राजद नेता लालू प्रसाद यादव ने रविवार (25 सितंबर) शाम को दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाक़ात की.
मुलाक़ात के बाद लालू यादव ने कहा कि तीनों नेता फिर मिलेंगे. नीतीश कुमार ने कहा, 'हम सबको साथ लेकर चलना चाहते हैं. मिलकर देश की प्रगति के लिए काम करना है.'
नीतीश कुमार ने कहा कि उनके यहां (कांग्रेस में) अध्यक्ष पद का चुनाव है. उसके बाद ही वो कुछ कहेंगी.
लालू यादव ने कहा, " भाजपा को हटाना है, देश को बचाना है. हमने सोनिया जी कहा कि आपकी सबसे बड़ी पार्टी है. आप सबको बुलाइए."
इससे पहले 2015 में नीतीश और सोनिया के बीच मुलाक़ात हुई थी. उसी समय बिहार में महागठबंधन का पहला प्रयोग शुरू हुआ था.
तीन नेताओं की मुलाक़ात के पहले जेडीयू ने सोनिया गांधी से भेंट को 2024 के लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए को एक शिष्टाचार मुलाक़ात बताया. वहीं लालू प्रसाद यादव ने कहा था कि तीनों नेता विपक्षी एकता को बढ़ाने के लिए मिल रहे हैं.
नीतीश कुमार और सोनिया गांधी के बीच ये मुलाक़ात ऐसे वक़्त पर हुई जब कांग्रेस की राजनीति में एक बड़ा बदलाव दिख रहा है. संभावना यह भी है कि जल्दी ही कांग्रेस को गांधी परिवार के बाहर से कोई अध्यक्ष मिल सकता है.
रविवार को हुई तीनों नेताओं की मुलाक़ात कई मायनों में बहुत ही ख़ास है. नीतीश कुमार पहले भी इसी महीने की शुरुआत में दिल्ली आये थे.
उस दौरान नीतीश ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, एनसीपी नेता शरद पवार, सपा के अखिलेश यादव के अलावा लेफ़्ट पार्टी के नेताओं से मुलाक़ात की थी.
नीतीश कुमार उस दौरान कांग्रेस नेता राहुल गांधी से भी मिले थे लेकिन सोनिया गांधी देश में मौजूद नहीं थीं. इसलिए नीतीश कुमार ने इस बार की दिल्ली यात्रा में सोनिया गांधी से समय मांगा था.
कांग्रेस, आरजेडी और जेडीयू के सबसे बड़े नेताओं की इस मुलाक़ात से क्या हासिल होगा, ये आगे साफ होगा.
सीएसडीएस के संजय कुमार कहते हैं, "इस मुलाक़ात का बस एक ही मक़सद है कि अगर 2024 में नरेंद्र मोदी को सत्ता से बाहर करना है तो विपक्ष को एक साथ आना होगा. नीतीश एक महीने से इसी कोशिश में लगे हैं."
इस मुलाक़ात में 2020 के विधानसभा चुनावों के बाद आरजेडी और कांग्रेस के बीच बनी दरार को पाटने की भी कोशिश हो सकती है. दरअसल आरजेडी के कुछ नेताओं ने बिहार में 2020 के विधानसभा चुनावों में गठबंधन की हार के लिए कांग्रेस पर भी आरोप लगाए थे.
उस वक़्त गठबंधन में कांग्रेस को 70 सीटें दी गई थीं जबकि वो महज़ 19 सीटों पर ही जीत पाई.
जेडीयू लगातार नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री के पद के लिए प्रोजेक्ट करने में लगी हुई है, हालांकि नीतीश लगातार इससे इनकार कर रहे हैं. लेकिन कांग्रेस ऐसी किसी भी कोशिश में अब तक नीतीश के साथ पूरी तरह खड़ी नज़र नहीं आती है.
दूसरी तरफ़ नीतीश कुमार बिहार में बीजेपी से नाता तोड़ने के बाद 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए लगातार विपक्षी दलों को एकजुट करने की कोशिश में हैं.
सीएसडीएस के संजय कुमार बताते हैं, "फ़िलहाल इस तरह की मुलाक़ात में आपको सबकुछ अच्छा ही दिखेगा. क्योंकि इसमें केवल एक साथ आने की बात होगी. इस तरह की एकता में नेता कौन होगा, कौन-सी पार्टी कितने सीटों पर चुनाव लड़ेगी और कौन किस सीट से चुनाव लड़ेगा, ऐसे मुद्दों पर फ़िलहाल कोई चर्चा नहीं होगी."
संजय कुमार का मानना है कि विपक्ष की एकता को लेकर अभी तो सबकुछ सही होता दिखेगा लेकिन चुनाव आते ही इसमें दरार दिखनी शुरू हो सकती है.
क्षेत्रीय दलों की राजनीति
मौजूदा समय की भी बात करें तो पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव कांग्रेस को भाव न देने के मूड में दिखते हैं.
वहीं रविवार (25 सितंबर) को हरियाणा के फ़तेहाबाद में पूर्व उप-प्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल की जयंती मनाई जा रही है. इस रैली को इंडियन नेशलन लोकदल के ओम प्रकाश चौटाला की तरफ़ से विपक्ष को एक मंच पर लाने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है.
उनके पिता चौधरी देवीलाल भी 1977 में आपातकाल के बाद एक दशक से ज़्यादा समय तक विपक्ष को एकजुट करने में लगे रहे थे.
ओम प्रकाश चौटाला के साथ प्रकाश सिंह बादल
ओम प्रकाश चौटाला ने इसमें अखिलेश यादव, एच डी देवगौड़ा, प्रकाश सिंह बादल, फ़ारूक़ अब्दुल्लाह, तेजस्वी यादव, ममता बनर्जी, के चंद्रशेखर राव और शरद पवार जैसे विपक्षी नेताओं को आमंत्रित किया. लेकिन कांग्रेस की तरफ़ से इसमें किसी को नहीं बुलाया गया.
पटना के एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट के प्रोफ़ेसर डीएम दिवाकर का कहना है कि क्षेत्रीय दलों का जन्म ही कांग्रेस के ख़िलाफ़ हुआ है. ऐसे में ममता, केसीआर या बाक़ी कोई दल कांग्रेस का विरोध करे तो कोई हैरानी की बात नहीं है.
डीएम दिवाकर कहते हैं, "नीतीश कुमार की राजनीति पर ध्यान दें तो वो संवाद बनाए रखते हैं. उन्होंने पहले भी कांग्रेस पर कोई तीखा हमला नहीं किया है. उनको पता है कि फ़िलहाल केंद्र की राजनीति में विपक्ष की तरफ़ जो सन्नाटा है उसमें नीतीश अपनी जगह बना सकते हैं."
डीएम दिवाकर का मानना है कि इसमें आरजेडी भी नीतीश का समर्थन कर सकती है क्योंकि अभी उसका एक ही मक़सद है कि नीतीश को केंद्र की राजनीति में भेज दें और नीतीश बिहार की राजनीति को आरजेडी के लिए छोड़ दें.
नीतीश-सोनिया मुलाक़ात जेडीयू के लिए कितनी अहम
जेडीयू नेता केसी त्यागी का कहना है कि हरियाणा में कांग्रेस और लोकदल के बीच टकराव की वजह से कांग्रेस को इससे बाहर रखा गया है लेकिन 'इससे हमें ज़्यादा मतलब नहीं है, हम वहां देवीलाल जी की जयंती मनाने जा रहे हैं.'
जेडीयू फ़िलहाल सोनिया और नीतीश कुमार के बीच मुलाक़ात को महज़ एक शिष्टाचार भेंट बता रही है.
जेडीयू नेता केसी त्यागी ने बीबीसी के साथ बातचीत में कहा, "नीतीश कुमार जी ने पहले ही कह दिया है कि वो प्रधानमंत्री पद के दावेदार नहीं बनना चाहते, बल्कि वो केवल विपक्षी एकता के झंडाबरदार बनना चाहते हैं."
"इसलिए बिहार में सरकार बनवाने में मदद करने वाली सभी सात पार्टियों के नेताओं से सबसे पहले मिलने निकले थे. उस वक़्त सोनिया गांधी देश में नहीं थीं, इसलिए नीतीश जी अभी मिलने जा रहे हैं."
हालांकि केसी त्यागी का कहना है कि ज़ाहिर तौर पर इसमें राजनीतिक चर्चा भी होगी, 2024 के लोकसभा चुनावों में अब ज़्यादा वक़्त नहीं है और 2024 हमारे एजेंडे में है.
वहीं डीएम दिवाकर का मानना है कि बीजेपी ने अरुणाचल और मणिपुर में जेडीयू को जिस तरह से ख़त्म कर दिया है, उससे नीतीश की नाराज़गी और बढ़ी है. हाल ही में अरुणाचल और मणिपुर के जेडीयू के विधायक बीजेपी में शामिल हो गए थे. इसलिए नीतीश बिहार में अपनी पार्टी को बचाने के लिए आरजेडी और कांग्रेस को नहीं छोड़ सकते.
बीजेपी का नीतीश पर हमला
इस बीच शुक्रवार को सीमांचल में एक जनसभा में बीजेपी नेता और गृह मंत्री अमित शाह ने नीतीश कुमार पर जमकर हमला बोला. अमित शाह ने आरोप लगाया है कि नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री बनने के लिए बीजेपी को धोखा दिया है.
सीएसडीएस के संजय कुमार कहते हैं, "हम इसके अलावा कोई और अपेक्षा नहीं कर सकते. ज़ाहिर है अमित शाह नीतीश कुमार की आलोचना ही करेंगे."
पूर्णिया की जनसभा में अमित शाह ने आक्रमक अंदाज़ में नीतीश कुमार को घेरने की कोशिश की थी.
संजय कुमार के मुताबिक़ बिहार में बीजेपी के पास अब और कोई रास्ता नहीं बचा है, वो अब आक्रमक तरीक़े से ही आगे बढ़ने की कोशिश करेगी, भले ही उसे वहां छोटा-मोटा साझेदार मिल जाए. लेकिन बिहार में अब बीजेपी को अकेले आगे बढ़ना होगा.
दूसरी तरफ़ अमित शाह की रैली पर जेडीयू ने कई सवाल खड़े किये हैं.
जेडीयू नेता केसी त्यागी का कहते हैं "नीतीश कुमार ने सांप्रदायिकता के लिए सीमांचल में रैली की है. सीमांचल उनके एजेंडे के लिए फ़र्टाइल लैंड है."
केसी त्यागी ने सवाल उठाया, "अमित शाह लोकनायक जयप्रकाश नारायण की भूमि क्यों नहीं गए, उन्हें जननायक कर्पुरी ठाकुर की जन्मभूमि समस्तीपुर जाना था. वो भगवान बुद्ध की धरती 'गया' जाते या सहरसा और मधेपुरा जाते जहां बाढ़ आई हुई है. लेकिन उन्होंने सीमांचल को चुना, जो उनके एजेंडे में फ़िट बैठता है."
बीजेपी की बात करें तो सीमांचल कई मायनों में उनके लिए ख़ास है. सीमांचल की कटिहार, अररिया, पूर्णिया और किशनगंज की चार लोकसभा सीटों में से केवल अररिया की सीट बीजेपी के पास है.
जबकि इसी इलाक़े की सीट किशनजंग पर 2019 में कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी. बिहार की यही एकमात्र सीट कांग्रेस के पास है. जबकि इलाक़े की बाक़ी दो सीटों पर जेडीयू की क़ब्ज़ा है.
ख़ास बात यह है कि सीमांचल की सीटों पर मुस्लिम वोटर काफ़ी असर रखते हैं. ऐसे में अगर बीजेपी हिन्दू वोट बैंक को अपनी तरफ़ खींचकर अपना जनाधार इस इलाक़े में बढ़ाने में सफल होती है तो इसका असर बिहार की कई सीटों पर हो सकता है.
दूसरी तरफ़ नीतीश कुमार को अपने ज़िद के लिए जाना जाता है. इस ज़िद के दम पर अगर वो अपने मक़सद में थोड़े-बहुत भी कामयाब होते हैं तो बिहार से लेकर दिल्ली तक वो बीजेपी की राह मुश्किल करने की कोशिश करेंगे.
बिहार में अमित शाह की रैली के बाद जेडीयू अध्यक्ष ललन सिंह ने मीडिया से बात करते हुए दावा किया है, ''बिहार बीजेपी मुक्त भारत का केंद्र बनेगा.'' (bbc.com/hindi)
शिमला, 26 सितंबर। हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में एक टेम्पो-ट्रैवलर के खाड़ी में गिरने से सात पर्यटकों की मौत हो गई, जबकि 10 अन्य लोग घायल हो गए।
बंजार से विधायक एवं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता सुरेंद्र शौरी ने सोमवार देर रात करीब पौने एक बजे फेसबुक पर एक वीडियो साझा किया और लोगों को बंजार अनुमंडल के घियाघी में हुए हादसे की जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि घायलों को पहले बंजार के एक अस्पताल ले जाया गया, जहां से उन्हें प्राथमिक उपचार देने के बाद कुल्लू के एक अस्पताल भेज दिया गया।
शौरी ने बताया कि पीड़ितों में राजस्थान, मध्य प्रदेश, हरियाणा एवं दिल्ली समेत विभिन्न राज्यों के निवासी शामिल हैं। पीड़ितों की पहचान की जा रही है।
उन्होंने अंधेरे के बावजूद बचाव अभियान चलाने के लिए जिला प्रशासन एवं स्थानीय लोगों को धन्यवाद दिया। (भाषा)
जयपुर, 26 सितंबर। राजस्थान में नाटकीय घटनाक्रम के बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के वफादार माने जाने वाले विधायकों ने अपने इस्तीफे रविवार रात विधानसभा अध्यक्ष सी पी जोशी को सौंप दिए।
राज्य विधानसभा में मुख्य सचेतक महेश जोशी ने रविवार देर रात ‘भाषा’ को बताया, ‘‘हमने इस्तीफे दे दिए हैं और आगे क्या करना है इसका फैसला अब विधानसभा अध्यक्ष करेंगे।
इससे पहले राज्य के आपदा प्रबंधन एवं राहत मंत्री गोविंद राम मेघवाल ने मीडियाकर्मियों से कहा, ‘‘हम अभी अपना इस्तीफा देकर आए हैं।’’
यह पूछे जाने पर कि कितने विधायकों ने इस्तीफा दिया, उन्होंने कहा, ‘‘लगभग 100 विधायकों ने इस्तीफा दिया है।’’
इसके साथ ही मेघवाल ने कहा कि कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष पद का चुनाव होने तक (राज्य में मुख्यमंत्री गहलोत के उत्तराधिकारी को लेकर) कोई बात नहीं होगी।
जोशी के निवास से निकलते हुए कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा, ‘‘सब कुछ ठीक है।’’
कांग्रेस के मुख्य सचेतक जोशी ने कहा, ‘‘हमने अपनी बात आलाकमान तक पहुंचा दी है... उम्मीद करते हैं कि आने वाले जो फैसले होंगे उनमें उन बातों का ध्यान रखा जाएगा। विधायक चाहते हैं कि जो कांग्रेस अध्यक्ष और आलाकमान के प्रति निष्ठावान रहे हैं उनका पार्टी पूरा ध्यान रखे।’’ राजधानी जयपुर में यह सारा घटनाक्रम कांग्रेस के विधायक दल की बैठक में गहलोत का उत्तराधिकारी चुनने की संभावनाओं के बीच हुआ। इस स्थिति से मुख्यमंत्री और सचिन पायलट के बीच सत्ता को लेकर संघर्ष गहराने का संकेत मिल रहा है। गहलोत कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ेंगे, इसलिए उनका उत्तराधिकारी चुने जाने की चर्चा है।
दरअसल, विधायक दल की बैठक शाम सात बजे मुख्यमंत्री निवास में होनी थी लेकिन बैठक से पहले ही गहलोत के वफादार माने जाने वाले विधायक संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल के बंगले पर इकट्ठा होने लगे। यहां से वे रात लगभग साढ़े आठ बजे विधानसभा अध्यक्ष डॉ. जोशी के आवास पहुंचे और आधी रात तक वहीं रहे। बीच में संसदीय मंत्री धारीवाल, मुख्य सचेतक जोशी, मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास मुख्यमंत्री निवास भी गए।
इससे पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत उस होटल में गए थे जहां दिल्ली से आए पर्यवेक्षक मल्लिकार्जुन खड़गे तथा अजय माकन रुके थे। वहां इन नेताओं के बीच लंबी बैठक हुई। पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट भी मुख्यमंत्री निवास पहुंचे। कुछ और विधायक भी विधायक दल की प्रस्तावित बैठक में भाग लेने पहुंचे लेकिन यह बैठक अंतत: नहीं हुई।
राज्य की 200 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के 108 विधायक हैं। पार्टी को 13 निर्दलीय उम्मीदवारों का भी समर्थन प्राप्त है।
गहलोत के वफादार माने जाने वाले कुछ विधायकों ने परोक्ष रूप से पायलट का हवाला देते हुए कहा कि मुख्यमंत्री का उत्तराधिकारी कोई ऐसा होना चाहिए, जिन्होंने 2020 में राजनीतिक संकट के दौरान सरकार को बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, न कि कोई ऐसा जो इसे गिराने के प्रयास में शामिल था। (भाषा)
ग्रेटर नोएडा (उप्र), 26 सितंबर। यहां इकोटेक-3 पुलिस ने झूठी शान की खातिर बेटी के प्रेमी की हत्या करने के आरोपी व्यक्ति को रविवार को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस युवती के चाचा को पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है।
ईकोटेक-3 के थाना प्रभारी निरीक्षक विनोद कुमार सिंह ने बताया कि मूल रूप से मेरठ के रहने वाले 21 वर्षीय अतुल कुलेसरा का पड़ोस में रहने वाले संजय की बेटी से प्रेम प्रसंग चल रहा था। दोनों शादी करना चाहते थे लेकिन युवती के परिजन अलग-अलग जाति के होने की वजह से उनकी शादी का विरोध करते थे।
पुलिस के मुताबिक, पांच दिन पहले युवती के पिता संजय और चाचा अनिल ने युवक अतुल को फोन किया था। दोनों ने कहा था कि वह शादी के लिए तैयार हैं और इसी झांसे में आकर अतुल उनसे मिलने आया था।
पुलिस ने बताया कि आरोपी अतुल को शराब के ठेके पर ले गए थे। वहां तीनों ने शराब पी और कुछ देर बाद युवती के पिता और चाचा ने अतुल की चाकू से हमला कर हत्या कर दी थी और शव हिंडन नदी में फेंक दिया था।
सिंह ने बताया कि संजय को रविवार को गिरफ्तार कर लिया गया। पुलिस मामले में आरोपी चाचा को पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है। (भाषा)
-इक़बाल अहमद
ईरान में महसा अमीनी की मौत के बाद पिछले नौ दिनों से विरोध प्रदर्शन जारी है. ये कहा जाए कि पूरा ईरान सड़कों पर है तो ग़लत नहीं होगा. 80 से ज़्यादा शहरों से विरोध प्रदर्शन की ख़बरें आ रहीं हैं. इस दौरान प्रदर्शनकारियों और सुरक्षाकर्मियों के बीच झड़पों में कम से कम 35 लोगों की मौत हो चुकी है और सैकड़ों सामाजिक कार्यकर्ता और राजनीतिक विरोधी गिरफ़्तार कर लिए गए हैं.
एक अमेरिकी संस्था के मुताबिक़ सोमवार से अब तक क़रीब 11 पत्रकारों को भी हिरासत में लिया गया है.
देश के कई इलाक़ों में इंटरनेट सेवाएं या तो धीमी कर दी गईं हैं या पूरी तरह बंद हैं.
22 साल की महसा अमीनी की शुक्रवार (16 सितंबर) को मौत हो गई. उससे पहले वो तीन दिनों तक तेहरान के एक अस्पताल में कोमा में थीं.
13 सितंबर को उन्हें पुलिस ने इसलिए हिरासत में ले लिया था क्योंकि पुलिस के अनुसार उन्होंने अपने सिर पर हिजाब को 'सही' तरीक़े से नहीं पहना था.
ईरानी क़ानून के अनुसार सार्वजनिक जगहों पर महिलाओं का हिजाब पहनना अनिवार्य है. वो भी इस तरह से कि महिलाओं के सिर का एक बाल भी नहीं दिखना चाहिए.
महसा अमीनी ने हिजाब तो पहना था लेकिन उनके कुछ बाल दिख रहे थे. इसलिए पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया था.
ईरान की अपनी इस्लामी व्याख्या के पालन के लिए एक विशेष तरह का पुलिसबल मौजूद है जिसे 'गश्त-ए-इरशाद' कहा जाता है.
इस विशेष पुलिस बल का काम इन्हीं इस्लामी मूल्यों को सुनिश्चित कराना और उनकी परिभाषा के अनुसार 'अनुचित क़िस्म' के कपड़े पहने हुए लोगों को हिरासत में लेना है.
पुलिस का कहना है कि हिरासत में लेने के बाद उनको दिल का दौरा पड़ा जिससे तीन दिन बाद उनकी मौत हो गई लेकिन महसा अमीनी के परिजन का कहना है कि उन्हें पुलिस हिरासत में प्रताड़ित किया गया था जिनके कारण उनकी मौत हुई है.
ईरान में महसा अमीनी की मौत: महिलाओं को लेकर कैसा है सऊदी अरब और यूएई जैसे मध्य पूर्व के देशों का रुख़
ईरान में युवती की मौत पर बरपा हंगामा, महिलाओं ने विरोध में उतारे हिजाब
महसा अमीनी की मौत के बाद 19 सितंबर 2022 को हुए विरोध प्रदर्शन के दौरान सेंट्रल तेहरान में एक महिला ने कार के बोनट पर चढ़ कर अपने हिजाब को जलाया
हिजाब नहीं पहनने पर राष्ट्रपति का इंटरव्यू देने से इनकार
ईरान में महिलाएं जबरन हिजाब पहनने के क़ानून का विरोध करने के लिए अपने हिजाब को सार्वजनिक जगहों पर जला रहीं हैं.
विरोध प्रदर्शनों में दो नारे ऐसे हैं जो लगभग हर जगह सुना जा रहा है वो है 'ज़न (महिला), ज़िंदगी (जीवन) और आज़ादी' और अदालत (इंसाफ़), आज़ादी और हिज्ब-ए- इख़्तियारी (अपनी मर्ज़ी से हिजाब पहनने का अधिकार).
महसा अमीनी की मौत का असल कारण चाहे जो भी रहा हो लेकिन उनकी मौत पर पूरी दुनिया से प्रतिक्रियाएं आ रहीं हैं. सड़कों से लेकर सोशल मीडिया तक और संयुक्त राष्ट्र महासभा सेशन तक में उनका ज़िक्र हो रहा है.
जानी मानी पत्रकार क्रिश्चियन अमनपौर ईरान के राष्ट्रपति रईसी का न्यूयॉर्क में इंटरव्यू करने वाली थीं लेकिन उसे अंतिम समय में रद्द कर दिया गया क्योंकि राष्ट्रपति रईसी चाहते थे कि अमनपौर हिजाब पहनकर उनका इंटरव्यू करें. अमनपौर ने ऐसा करने से इनकार कर दिया और आख़िरकार इंटरव्यू नहीं हो सका.
जब दुनिया भर में इसे लेकर प्रतिक्रियाएं हो रहीं हैं तो ज़ाहिर है कि भारत अछूता कैसे रह सकता है.
भारत में भी इसे लेकर मीडिया और ख़ासकर सोशल मीडिया में ख़ूब बहस हो रही है.
भारत में यह बहस और भी महत्वपूर्ण हो गई है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट में कर्नाटक हिजाब मामले की सुनवाई अभी हाल ही में ख़त्म हुई है और सभी फ़ैसले का इंतज़ार कर रहे हैं.
कर्नाटक में पिछले साल एक कॉलेज में मैनेजमेंट ने मुसलमान लड़कियों को हिजाब पहन कर क्लासरूम में दाख़िल होने से मना कर दिया था. छह लड़कियों ने इस फ़ैसले का विरोध किया और बिना हिजाब के कक्षा में जाने से मना कर दिया. उन्होंने अदालत का दरवाज़ा खटखटाया लेकिन उन्हें कर्नाटक हाईकोर्ट से कोई राहत नहीं मिली.
मामला आख़िरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और अब सुनवाई के बाद सभी पक्ष फ़ैसले का इंतज़ार कर रहे हैं.
ईरान में महिलाओं के जबरन हिजाब के ख़िलाफ़ प्रदर्शन को भारत में ज़ोरदार समर्थन मिल रहा है. सोशल मीडिया पर लोग इस बारे में ख़ूब चर्चा कर रहे हैं.
और सबसे ख़ास बात यह है कि भारत में दक्षिणपंथी से लेकर वामपंथी तक, सभी ईरान में महिलाओं के इस विरोध प्रदर्शन का समर्थन कर रहे हैं.
हिजाब ज़बरदस्ती थोपने का विरोध
भारत में सोशल मीडिया पर सक्रिय मुसलमान भी खुलकर ईरान में महिलाओं का समर्थन कर रहे हैं.
दुनिया भर के शिया मुसलमानों का ईरान से ख़ास तरह का धार्मिक और वैचारिक लगाव है लेकिन भारत समेत दुनिया भर के शिया मुसलमान इस समय ईरान की सरकार के बजाए वहां के लोगों के इस जनआंदोलन का समर्थन कर रहे हैं.
भारत में किसी शिया धार्मिक गुरु या किसी शिया संगठन का इस मामले में कोई आधिकारिक बयान तो अब तक नहीं आया है लेकिन सोशल मीडिया पर सक्रिय शिया समुदाय के लोग ईरान में इस समय महिलाओं के साथ खड़े दिख रहे हैं.
यहां तक तो सब साथ हैं लेकिन जैसे ही ईरान के इस मौजूदा आंदोलन को कर्नाटक के हिजाब मामले से जोड़ा जाता है भारत में लोगों की राय अलग हो जाती है.
दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में पढ़ाने वाली प्रोफ़ेसर ग़ज़ाला जमील कहती हैं कि ईरान और कर्नाटक दोनों जगहों पर सबसे बड़ा सवाल यही है कि महिलाओं की अपनी पसंद क्या है और स्टेट (सरकार) को इसे नियंत्रित करने का कोई अधिकार नहीं है कि कोई अपने फ़्रीज में क्या रखकर खा रहा है या कोई महिला क्या पहन रही है.
मैंने प्रोफ़ेसर जमील से पूछा कि भारत में पर्दा के ख़िलाफ़ आंदोलन का एक लंबा इतिहास रहा है और अक्सर उसे पिछड़ेपन और महिलाओं पर ज़ुल्म की तरह देखा जाता रहा है, इस पर वो कहती हैं, "ऐतिहासिक तौर पर देखा गया है कि हिजाब उपनिवेशवाद के ख़िलाफ़ एक महत्वपूर्ण सिंबल रहा है. इसलिए भारत के कर्नाटक में कुछ मुसलमान लड़कियों का हिजाब को पहनने की माँग करना या फिर ईरान में एक ख़ास क़िस्म के हिजाब को ज़बरदस्ती थोपने का विरोध करना दोनों सही है."
"कर्नाटक हिजाब मामले से सोच में आया बदलाव"
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की प्रोफ़ेसर ग़ज़ाला जमील कहती हैं कि कल्चर पॉलिटिक्स में किसी भी कपड़े का सांकेतिक महत्व कभी भी निश्चित नहीं होता और वो समय के हिसाब से बदलता रहता है.
वे कहती हैं, "पश्चिमी महिला आंदोलन में इस बात को लेकर बहुत चर्चा होती है कि महिलाओं पर मोडेस्टस (शालीन) होने का बोझ क्यों डाला जाता है. पश्चिम में महिला आंदोलन का यह एक अहम हिस्सा होता है कि महिला को उनके हिसाब से अच्छी महिला होने के दबाव से मुक्त किया जाए. लेकिन भारत में एक तरफ़ तो आईपीसी की धारा 354 के तहत यह क़ानून है कि महिलाओं की लज्जा भंग दण्डनीय अपराध है, दूसरी तरफ़ दलित महिला के साथ रेप के मामले में ऐसे फ़ैसले भी हैं जिनमें जज यह कहते हुए पाए गए हैं कि यह हो ही नहीं सकता क्योंकि अभियुक्त उच्च जाति के ब्राह्मण हैं वो दलित महिला को छूएंगे ही नहीं."
प्रोफ़ेसर ग़ज़ाला जमील के अनुसार कर्नाटक हिजाब मामले ने भारत में महिला आंदोलन से जुड़े लोगों की सोच में भी बदलाव लाने का काम किया है.
वो कहती हैं, "भारत में महिला अधिकारों को लेकर जो सोच है वो रुकी हुई नहीं है. हमारे पास जैसी-जैसी नई चुनौतियां सामने आती हैं महिला आंदोलन से जुड़े लोग उसी हिसाब से ख़ुद को बदलते हैं. अगर किसी क़िस्म का कपड़ा महिलाओं की मोबिलिटी को रोकता है तो महिलाओं ने उसका विरोध किया लेकिन कर्नाटक में देखा गया है कि हिजाब लड़कियों को शिक्षा से रोक नहीं रहा बल्कि वो शिक्षा हासिल करने का ज़रिया बन रहा है. महिला आंदोलन से जुड़े लोगों ने अपनी सोच बदली और कहा कि अगर वो लड़कियां हिजाब पहनकर पढ़ना चाहती हैं तो ख़ाली कपड़े के पीछे नहीं पड़ना चाहिए."
"महिलाओं को एक होकर लड़ने की ज़रूरत है"
जानी मानी महिला अधिकार कार्यकर्ता और बरसों तक सीपीआई (एमएल) की पोलित ब्यूरो तथा केंद्रीय समिति की सदस्य रह चुकी (अब उन्हें पार्टी से निकाल दिया गया है) कविता कृष्णन भी इसे ईरान का एक जन आंदोलन और जनक्रांति मानती हैं जिनका नेतृत्व महिलाएं कर रही हैं.
बीबीसी हिंदी से वो कहती हैं, "ईरान में इस्लाम के नाम पर जबरन हिजाब पहनाना और भारत में स्कूल यूनिफ़ॉर्म के नाम पर हिंदुत्ववादी शक्तियों के ज़रिए मुसलमान लड़कियों का जबरन हिजाब उतारने की कोशिश करना, सत्ता द्वारा महिलाओं को क़ाबू करने की कोशिश है. इसके ख़िलाफ़ महिलाओं को एक होकर लड़ने की ज़रूरत है."
कर्नाटक हिजाब मामले के बाद भारत में महिला आंदोलन का ज़िक्र करते हुए कविता कहती हैं, "महिला आंदोलन संदर्भ को समझता है. समुदायों में संस्कृति के नाम पर महिलाओं पर दबाव बनाया जाता है और इस दबाव का विरोध महिलाओं ने हमेशा किया है और इन सभी लड़ाइयों का हम दिल से समर्थन करते हैं. लेकिन हमें यह भी देखना होगा कि एक हिंदू वर्चस्ववादी राजनीति अभी सत्ता में है और वो मुसलमान लड़कियों को हिजाब और स्कूल में से किसी एक को चुनने के लिए मजबूर कर रही है."
"दुनिया को पता चलना चाहिए कि महसा अमीनी की मौत कैसे हुई"
कविता कृष्णन के अनुसार वो बहुत सी मुसलमान महिलाओं को जानती हैं जो हिजाब पहनती हैं और नारीवादी कार्यकर्ता हैं और वो अपने अधिकारों और दूसरी महिलाओं के अधिकार के लिए लड़ती हैं.
कविता के अनुसार, "कुछ मुसलमान महिलाओं को लगता है कि इस समय बताना ज़रूरी है कि वो मुसलमान हैं क्योंकि इस समय यह राजनीति हो रही है कि पूरा मुसलमान समाज सार्वजनिक रूप से दिखे नहीं, कहीं वो छिपे रहे क्योंकि वो भारत में रहने के लायक़ नहीं हैं."
ईरान के इस आंदोलन को कुछ लोग अमेरिकी साज़िश भी क़रार दे रहे हैं. इस पर कविता कृष्णन कहती हैं, "अमेरिका जब कोई दमन करता है तो हम उसका विरोध करते हैं लेकिन जब ईरान का तानाशाह महिलाओं की हत्या करेगा उसके ख़िलाफ़ आंदोलन का हम क्या इस कारण साथ नहीं देंगे कि इससे अमेरिका भी ख़ुश हो सकता है. महिलाओं के अधिकारों के लिए लोगों की लड़ाई का साथ देना हमारा कर्तव्य होना चाहिए चाहे वो किसी भी देश में हो."
लेकिन कविता कृष्णन की इस बात पर प्रतिक्रिया देते हुए भारत में एक जाने माने अख़बार से जुड़े पत्रकार सैय्यद हसन (शिया मुसलमान) कहते हैं कि महसा अमीनी की मौत और उसके बाद विरोध प्रदर्शन में मारे गए लोगों की वो भरपूर निंदा करते हैं और यह भी माँग करते हैं कि ईरानी राष्ट्रपति के बयान (मौत की जाँच) पर अमल होना चाहिए ताकि दुनिया को पता चले कि आख़िर महसा अमीनी की मौत कैसे हुई.
बीबीसी से बातचीत में वो कहते हैं, "अमेरिका और इसराइल समेत विश्व की दूसरी बड़ी ताक़तों के रोल पर भी सवाल उठाया जाना चाहिए जो पिछले 40 सालों से ईरान को निशाना बना रहे हैं और कई बार ईरान में सत्ता परिवर्तन की कोशिश कर चुके हैं. ईरान में इंटरनेट की पाबंदी में ढील देने का अमेरिकी फ़ैसला बहुत कुछ बताता है. अगर अमेरिका को ईरान के लोगों की इतनी ही चिंता है तो उसे सबसे पहले दवाओं पर लगी पाबंदी हटानी चाहिए थी जब ईरान कोरोना महामारी से जूझ रहा था. ईरान को अस्थिर करने के लिए विश्व शक्तियों की मंशा पर सवाल उठाया जाना चाहिए क्योंकि ईरान फ़लस्तीन और सीरिया जैसे कई वैश्विक मुद्दों पर उनसे अलग राय रखता है."
कर्नाटक हिजाब मामले में जिन लड़कियों ने कोर्ट का रुख़ किया है, बीबीसी ने उनसे संपर्क करने की कोशिश की लेकिन उनमें से कुछ ने कमेंट करने से मना कर दिया और कुछ से संपर्क नहीं हो पाया.
कर्नाटक हिजाब मामले में एक एनजीओ की तरफ़ से सुप्रीम कोर्ट में पेश होने वाली वकील शाहरुख़ आलम कहती हैं कि ईरान में जो हो रहा है उसमें हिजाब तो सिर्फ़ एक सांकेतिक मुद्दा है, अब यह पूरा मामला महिलाओं के अपने चुनने के अधिकार की लड़ाई हो गई है.
उनके अनुसार ईरान में जो महिलाएं हिजाब का विरोध कर रही हैं और भारत के कर्नाटक में जो लड़कियां हिजाब पहनना चाहती हैं, वो दोनों ही माँगें दरअसल एक ही है.
रोज़ का संघर्ष
सुप्रीम कोर्ट में बहस के दौरान सरकार की तरफ़ से जो दलील दी गई उसका ज़िक्र करते हुए एडवोकेट शाहरुख़ आलम कहती हैं, "भारत सरकार कह रही है कि हिजाब पहनना पिछड़ेपन, रूढ़िवादी परंपरा या कट्टरवादी सोच की निशानी है. भारत सरकार यह मानने को तैयार ही नहीं कि यह किसी की अपनी निजी राय हो सकती है. ईरान की सरकार की भी यही सोच है कि आपको जो सरकार कहेगी वो करना ही होगा."
शाहरुख़ आलम के अनुसार भारत और ईरान दोनों जगहों पर निशाना महिलाएं हीं हैं क्योंकि बात सिर्फ़ हिजाब की हो रही है, इसमें दाढ़ी या टोपी की कोई बात नहीं हो रही है.
यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैलिफ़ोर्निया की प्रोफ़ेसर सबा महमूद की मशहूर किताब 'पॉलिटिक्स ऑफ़ पाइटी: द इस्लामिक रिवाइवल एंड द फ़ेमिनिस्ट सब्जेक्ट' का हवाला देते हुए शाहरुख़ आलम कहती हैं कि मुसलमान महिलाएं सार्वजनिक जीवन में अपनी जगह बनाने के लिए हर रोज़ संघर्ष करती हैं और महिलाएं अब धर्म की व्याख्या भी अपने हिसाब से करने की कोशिश कर रही हैं. उनके अनुसार हिजाब का मुद्दा भी इसी का एक हिस्सा है. (bbc.com/hindi)
सीएम ट्रॉफ़ी इंडिया इंटरनेशनल चैलेंज बैडमिंटन टूर्नामेंट का समापन, पी गोपीचंद शामिल हुए
रायपुर, 25 सितम्बर। सीएम ट्रॉफी इंडिया इंटरनेशनल चैलेंज बैडमिंटन प्रतियोगिता का आज समापन हुआ। इस मौके पर मुख्य अतिथि के रूप में मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल शामिल हुए। उन्होंने इस सफल आयोजन के लिए भारतीय बैडमिंटन संघ को बधाई दी। वहीं टूर्नामेंट में हिस्सा लेने पहुंचे खिलाड़ियों को अपने उत्कृष्ट खेल का प्रदर्शन करने पर बधाई दी साथ ही विशिष्ट अतिथि बैडमिंटन के राष्ट्रीय कोच पुल्लेला गोपीचंद का अभिनंदन किया।
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ में बीते 20 सितम्बर से मुख्यमंत्री ट्रॉफ़ी इंडिया इंटरनेशनल चैलेंज बैडमिंटन टूर्नामेंट की शुरुआत राजधानी रायपुर के मोवा स्थित आई स्पोर्ट्स बैडमिंटन एरिना में हुई थी। इसमें भारत समेत 12 देशों के बैडमिंटन खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया।
श्री बघेल ने कहा कि, बैडमिंटन एक ऐसा खेल है जिसमें चुस्ती, फूर्ती और एकाग्रता की जरूरत होती है। इसमें थोड़ा भी चूके तो प्वॉइंट गंवा बैठते हैं। सीएम ट्रॉफी इंडिया इंटरनेशनल चैलेंज में भारतीय खिलाड़ियों के साथ-साथ 11 अन्य देशों के खिलाड़ियों ने भी शिरकत की है। आप सभी की यहां उपस्थिति छत्तीसगढ़ के लिए गौरव की बात है। आपके खेल से स्थानीय खिलाड़ियों ने भी सीखा है और अनुभव प्राप्त किए हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि, छत्तीसगढ़ एक नवोदित राज्य है। हमारे यहां की प्रतिभाएं राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बहुत अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं। यहां खेल अधोसंरचनाओं के विकास का काम लगातार जारी है। इससे छत्तीसगढ़ के खिलाड़ियों के लिए भी बेहतर प्रशिक्षण की व्यवस्था हो सकेगी। उन्होंने कहा कि, छत्तीसगढ़ में खेल-कूद का बढ़िया वातावरण तैयार हो चुका है। इस वक्त राजधानी रायपुर में बैडमिंटन के इंटरनेशनल टूर्नामेंट के साथ ही चेस का भी इंटरनेशनल टूर्नामेंट चल रहा है। आगामी कुछ दिनों में रोड सेफ्टी वर्ल्ड सीरीज का आयोजन होना है। हम राष्ट्रीय खेलों के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों को भी लगातार प्रोत्साहित कर रहे हैं। इसी दिशा में छत्तीसगढ़िया ओलंपिक के आयोजन का भी निर्णय लिया गया है।
छत्तीसगढ़ में है बढ़िया अंधोसंरचना :
पूर्व राष्ट्रीय खिलाड़ी पुल्लेला गोपीचंद ने कहा कि छत्तीसगढ़ में वे पहले भी चार-पांच बार आ चुके हैं। यहां की हरियाली उन्हें खूब भाती है। वहीं छत्तीसगढ़ में बीते कुछ वर्षों में खेलों को लेकर बेहतर काम हो रहा है। यहां बढ़िया अधोसंरचना है, जहां भविष्य में बड़े स्तर का आयोजन हो सकता है। टूर्नामेंट को लेकर उन्होंने कहा कि ऐसे टूर्नामेंट खिलाड़ियों को इंटरनेशनल प्वॉइंट प्राप्त करने के लिए बेहतर अवसर होते हैं।
इस तरह रहे फाइनल मैचों के नतीजे :
मुख्यमंत्री ट्राफी इंडिया इंटरनेशनल चैलेंज बैडमिंटन टूर्नामेंट में आज विभिन्न श्रेणियों के फाइनल्स मैच खेले गए। इसमें महिला एकल में तसनीम मीर (भारत) ने सामिया इमाद फारूकी (भारत) को 14-21, 21-17, 21-11 से पराजित कर खिताब पर कब्जा किया। इसी तरह पुरूष एकल में प्रियांशु राजावत (भारत) ने शुभंकर डे (भारत) को 21-13, 21-11 से शिकस्त दी और खिताब जीता। वहीं महिला युगल में चिसातो होशी और मियू ताकाहाशी (जापान) की जोड़ी ने अपेक्षा नायक और वेंकटेश राम्या (भारत) को 12-21, 21-12, 21-7 से हराकर खिताब जीता तो पुरुष युगल में ईशान भटनागर और साई प्रतीक. के. (भारत) की जोड़ी ने कृष्ण प्रसाद गरगा और विष्णुवर्धन गौड़ पंजाला (भारत) को 17-21, 21-15, 23-21 से मात देकर खिताब अपने नाम किया। जबकि मिश्रित युगल फाइनल में रोहन कपूर और रेड्डी एन. सिक्की (भारत) की जोड़ी ने रत्चापोल मक्कासासिथॉर्न और चासीनी कोरेपापी (थाइलैंड) को 22-20, 23-21 के प्वॉइंट से हराया और खिताब अपने नाम करने में कामयाब रहे।
नयी दिल्ली, 25 सितंबर। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने रविवार को कहा कि आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (एबीपीएम-जेएवाई) के तहत रोजाना 10 लाख आयुष्मान कार्ड वितरित करना सरकार का लक्ष्य है।
उन्होंने बताया कि अबतक योजना के तहत 3.95 करोड़ मरीजों के इलाज पर करीब 45,294 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं।
आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना लागू करने के चार साल पूरे होने और आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन शुरू होने के एक साल पूरे होने के अवसर पर आयोजित ‘आरोग्य मंथन-2022’’ का उद्घाटन करते हुए मंत्री ने बताया कि अबतक 33 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 19 करोड़ आयुष्मान लाभार्थियों को कार्ड आवंटित किया गया है।
मांडविया ने कहा, ‘‘पहले रोजाना एक से डेढ़ लाख आयुष्मान कार्ड बनते थे, अब चार से पांच लाख कार्ड रोजाना बनते हैं। मेरा लक्ष्य रोजाना 10 लाख कार्ड बनाने का है।’’
उन्होंने कहा कि आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन के तहत प्रत्येक जिले में 100 करोड़ रुपये का निवेश देश के स्वास्थ्य अवसंरचना को मजबूत करने के लिए किया जाएगा।
मंत्री ने ट्वीट किया, ‘‘ मंच से संबोधित करते हुए स्वास्थ्य को अधिक किफायती और सुलभ बनाने पर जोर दिया और एबीपीएम-जन आरोग्य योजना एवं आयुष्मान भारत डिजिटल योजना को राज्यों और निजी साझेदारों के साथ मिलकर नयी ऊंचाई पर ले जाने का आह्वान किया।’’
मांडविया ने कहा कि आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (एबीडीएम) के तहत 24 करोड़ से अधिक आयुष्मान भारत स्वास्थ्य खाता (एबीएचए) नंबर बनाए गए हैं। उन्होंने कहा, ‘‘यह देश में स्वास्थ्य रिकॉर्ड के डिजिटलीकरण के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर दर्शाता है।’’
उन्होंने कहा कि आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन के तहत देश में स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए हर जिले में करीब 100 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।
उन्होंने कहा कि सरकार का ध्यान स्वास्थ्य सेवाओं को प्रौद्योगिकी के जरिये अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने पर है।
मांडविया ने कहा कि पीएम-जेएवाई देश में स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच के मामले में अमीर और गरीब के बीच की खाई को पाटने में सफल रहा है।
मंत्री ने ट्वीट करके कहा, ‘‘(मैंने) सभा को संबोधित करते हुए स्वास्थ्य सेवा को और अधिक किफायती और सुगम बनाने पर जोर दिया। साथ ही, एबी पीएम जन आरोग्य योजना और आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन योजनाओं को राज्यों और निजी क्षेत्र के साथ मिलकर काम करके अधिक ऊंचाइयों तक ले जाने पर जोर दिया।’’
इस योजना के तहत अब तक 28,300 से अधिक अस्पताल को सूचीबद्ध किया गया है, जिनमें से 46 प्रतिशत निजी अस्पताल हैं। इस योजना के तहत कुल 3.8 करोड़ लोग अस्पताल में भर्ती हुए, जिनमें से 46 प्रतिशत सरकारी अस्पतालों में थे।
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, अस्पतालों में भर्ती होने वाले कुल मरीजों में से 27 फीसदी की उम्र 45 से 59 साल के बीच थी, जबकि 24 फीसदी की उम्र तीन से 44 साल थी।
सभा को संबोधित करते हुए रेल, संचार, इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी और स्वास्थ्य सेवा के बीच परस्पर तालमेल देश में सभी के लिए स्वास्थ्य सेवाओं को सुलभ बनाने के प्रधानमंत्री के सपने को पूरा कर सकता है।
उन्होंने कहा कि अगले कुछ वर्षों में देश के हर गांव को हाई-स्पीड ऑप्टिकल फाइबर से जोड़ा जाएगा, जिससे सभी तक कनेक्टिविटी और निरंतर स्वास्थ्य पहुंच सुनिश्चित होगी।
वैष्णव ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि सरकार स्वास्थ्य लाभार्थियों के डेटा की सुरक्षा के लिए पर्याप्त कानूनी ढांचा बना रही है। (भाषा)
कोलकाता, 25 सितंबर। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने रविवार को कहा कि वह बदले की राजनीति में विश्वास नहीं करतीं, अन्यथा राज्य की सत्ता संभालने के बाद मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के कुछ नेताओं को जेल भेजने के लिए उनके पास पर्याप्त आधार थे।
तृणमूल कांग्रेस के मुखपत्र 'जागो बांग्ला' के त्योहारी संस्करण का विमोचन करते हुए बनर्जी ने सोशल मीडिया के जरिये ट्रोलिंग किये जाने का भी जिक्र किया और आरोप लगाया कि प्रदेश के बारे में दुष्प्रचार फैलाने के लिए बाहरी लोगों को इस्तेमाल किया गया है।
उन्होंने कहा, ‘‘जब मैं दिल्ली जाती हूं तो कई बार मुझे शर्मिंदगी महसूस होती है जब यह पता चलता है कि कैसे कुछ लोग बंगाल को बदनाम करने के लिए झूठ फैला रहे हैं और कैसे वे राज्य को बदनाम करते हैं।’’
मुख्यमंत्री ने कहा कि ये लोग उनकी सरकार को मिली मान्यता और उसकी उपलब्धियों को पचा नहीं पा रहे हैं।
विपक्षी माकपा पर निशाना साधते हुए बनर्जी ने कहा कि वह बदले की राजनीति में विश्वास नहीं करती हैं। उन्होंने कहा, ‘ तृणमूल में सभी बुरे हैं और आपकी पार्टी (माकपा) के सभी लोग अच्छे हैं? आंखों पर इतनी भी पट्टी बांध कर मत रखिए।’’ (भाषा)
जयपुर, 25 सितंबर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के वफादार विधायकों ने अपने इस्तीफे सौंपने के लिए रविवार रात विधानसभा अध्यक्ष डॉ सीपी जोशी के आवास जाने का फैसला किया।
खाद्य मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल के निवास पर गहलोत समर्थक विधायकों की बैठक में 92 विधायक शामिल हुए। उन्होंने कहा कि यह विधायक अपना इस्तीफा डॉ जोशी को सौंपेगे। ये विधायक धारीवाल के घर से एक बस में सवार होकर जोशी के घर पहुंचे।
उन्होंने कहा कि विधायक चाहते हैं कि पार्टी आलाकमान उनकी बात सुनकर ही राज्य में नेतृत्व परिवर्तन के बारे में कोई फैसला करे।
वहीं कांग्रेस विधायक दल की बैठक के लिए दिल्ली से आए पर्यवेक्षक मल्लिकार्जुन खड़गे व अजय माकन रविवार रात लगभग मुख्यमंत्री निवास पर पहुंचे।
इससे पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत उस होटल गए जहां ये दोनों पर्यवेक्षक रुके थे। वहां इन नेताओं में लंबी बैठक हुई। इसके बाद ये नेता व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा मुख्यमंत्री निवास लौटे। पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट भी मुख्यमंत्री निवास पहुंचे।
विधायक दल की बैठक शाम सात बजे होनी थी लेकिन यह रात साढ़े नौ बजे तक शुरू नहीं हो पाई।(भाषा)
रायपुर, 25 सितंबर। प्रदेश भाजपा प्रवक्ता केदार गुप्ता ने कांग्रेस को चुनौती देते हुए कहा है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और कांग्रेस का जनघोषणापत्र तैयार करने वाले उनके मंत्री टीएस सिंहदेव चौक पर आकर कहें कि उन्होंने जो वादे किये हैं, उन्हें पूरे नहीं करने वाले हैं। कांग्रेस कह रही है कि हमने यह वादा गंगाजल हाथ में ले कर के किया, वह वादा गंगा जल हाथ में लेकर नहीं किया! मतलब उन्हें बाकी वादे पूरे नहीं करने थे। यह उन्होंने पहले से ही तय कर रखा था। इसलिए गंगा जल हाथ में नहीं उठाया। इस प्रकार का धोखा दिया गया है। कांग्रेस को जितना नोटिस देना है, दे। जो करना है, करें। भाजपा जनता के हित के लिए संघर्ष करती है और इससे पीछे नहीं हटेगी। भाजपा कभी भी कांग्रेस की गीदड़ भभकियों से डरने वाली नहीं है। कांग्रेस को हमारी खुली चुनौती है कि भूपेश बघेल की वादाखिलाफी के समर्थन में जितने नोटिस भेजने हैं, भेजे। ऐसे नोटिसों का जवाब जनमंच पर भी दिया जायेगा। फैसला छत्तीसगढ़ की जनता करेगी।
प्रदेश भाजपा प्रवक्ता केदार गुप्ता ने कहा कि भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कांग्रेस की लबरा सरकार के बारे में जो कहा है, उसके एक एक शब्द की सत्यता से छत्तीसगढ़ की जनता भलीभांति परिचित हैं। कांग्रेस ने किस वादे के लिए कसम खाई, किसके लिए नहीं खाई, यह भूपेश बघेल को चुनाव प्रचार के दौरान ही स्पष्ट कर देना चाहिए था।
टूर्नामेंट के दौरान भारी मालवाहक वाहनों का आवागमन होगा पूर्णत: प्रतिबंधित
रायपुर, 25 सितंबर। 27 सितंबर से 1अक्टूबर तक परसदा स्टेडियम में होने वाले क्रिकेट टूर्नामेंट के लिए यातायात पुलिस ने रूट प्लान तैयार किया है। खिलाड़ियों एवं वीआईपी के लिए अलग रूट एवं पार्किंग की व्यवस्था की गई है इसी प्रकार पास धारी वाहन चालक एवं बिना पास धारी वाहन चालकों के लिए भी अलग-अलग रूट एवं पार्किंग की व्यवस्था निर्धारित की गई है :-
क्रिकेट मैच देखने वाले निम्नानुसार मार्ग से होते हुए निर्धारित पार्किंग स्थल में अपना वाहन पार्क कर पैदल स्टेडियम में प्रवेश करेंगे:-
1. बिलासपुर बलौदा बाजार की ओर से आने वाले वाहन चालकों के लिए मार्ग एवं पार्किंग बिलासपुर मार्ग एवं बलौदा बाजार मार्ग की ओर से आने वाले दर्शक रिंग रोड 3 होकर मंदिर हसौद से राष्ट्रीय राजमार्ग 53 होकर नवागांव टर्निंग से परसदा मैदान पार्किंग P7. P8 .P9में अपना वाहन पार्क कर पैदल स्टेडियम में प्रवेश करेंगे।
दुर्ग भिलाई की ओर से आने वाले वाहनों के लिए मार्ग एवं पार्किंग :- दुर्ग भिलाई की ओर से आने वाले दर्शक गण अपना वाहन राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 53 से ग्राम सेरीखेड़ी नया रायपुर टर्निंग से होकर नया रायपुर में प्रवेश कर स्टेडियम टर्निंग से साईं हॉस्पिटल टर्निंग होकर साईं हॉस्पिटल पार्किंग P5 एवं सेंध तालाब पार्किंग P6 में अपना वाहन पार्क कर पैदल स्टेडियम में प्रवेश करेंगे।
आरंग महासमुंद मार्ग से होकर आने वाले वाहनों के लिए मार्ग एवं पार्किंग व्यवस्था:- आरंग-महासमुंद की ओर से आने वाले दर्शक राष्ट्रीय राजमार्ग 53 से नवागांव स्टेडियम टर्निंग होकर परसदा पार्किंग P7.P8.P9 में अपना वाहन पार्क कर पैदल स्टेडियम में प्रवेश करेंगे।
धमतरी रोड से आने वाले वाहन चालकों के लिए मार्ग एवं पार्किंग :- राष्ट्रीय राजमार्ग 30 से होकर आने वाले दर्शक गण ग्राम तूता टर्निंग से नया रायपुर प्रवेश कर स्टेडियम टर्निंग से साईं हॉस्पिटल पार्किंग P5 एवं सेंध तालाब पार्किंग P6 में अपना वाहन पार्क कर पैदल स्टेडियम प्रवेश करेंगे।
पास भारी वाहनों के लिए मार्ग एवं पार्किंग:- गोल्डन, सिल्वर प्लेटिनम,कार्पोरेट बॉक्स टिकट धारी जिनके पास ABC अथवा D कार पास हो वह स्टेडियम टर्निंग से छोटा गोल चौक होकर कया बांधा ट्रेनिंग से कोटरा भांठा चौक होकर सेक्टर 4 से सेंध तालाब टर्निंग होकर स्टेडियम के चारों ओर ABCD पार्किंग स्थल में अपना वाहन पार्क कर स्टेडियम प्रवेश करेंगे! नवागांव की ओर से आने वाले A B C D पास धारी वाहन चालक परसदा स्टेडियम टर्निंग से आकर वाहन पार्क कर सकेंगे। बिना कार पास एवं भारी वाहनों के लिए उपरोक्त मार्ग पूर्णतः प्रतिबंधित रहेगा।
रोड सेफ्टी वर्ल्ड सीरीज क्रिकेट टूर्नामेंट के दौरान स्टेडियम में प्रतिबंधित वस्तुएं जिन्हें ले जाना पूर्णतः वर्जित होगा
* रोड सेफ्टी वर्ल्ड सीरीज क्रिकेट टूर्नामेंट के दौरान शराब, बीड़ी सिगरेट, गुटका,तंबाकू, माचिस, लाइटर्स एवं अन्य ज्वलनशील पदार्थ।
* वाटर डिब्बे, टिफिन, वाद्ययंत्र कुर्सी स्टूल, बोर्ड, हॉकी स्टिक, झंडा अग्नियास्त्र, पटाखा, चाकू ,कटार तलवार ,कैची ,काटने वाले तेज धारदार हथियार अन्य खतरनाक वस्तु ।
*खाद्य पदार्थ (बच्चों के खाद्य छोड़कर), कांच का कंटेनर, हैंड बैग, सूटकेस, लेडीस बैग, कागज का पैकेट।
*लैपटॉप, हैंडीकैम कैमरा, लेजर लाइट, लाइट पेन, पेंसिल खेलने वाले गेम, रॉड, रेडियो, जानवर ,प्रचार उत्पादन सामग्री, आदि ।
मैच के दौरान नया रायपुर स्टेडियम की ओर भारी वाहन प्रतिबंधित रहेगा
अपील ----क्रिकेट मैच देखने आने वाले दो पहिया वाहन चालक हेलमेट एवं चार पहिया वाहन चालक सीट बेल्ट अवश्य लगाएं शराब पीकर एवं मोबाइल से बात करते हुए वाहन ना चलाएं एवं समस्त यातायात नियमों का पालन करें।
चंडीगढ़, 25 सितंबर। चंडीगढ़ हवाई अड्डे का नाम ‘शहीद-ए-आजम’ भगत सिंह के नाम पर रखने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा का स्वागत करते हुए पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने रविवार को कहा कि पंजाब के लोगों की लंबे समय से लंबित मांग पूरी हो गई है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रेडियो पर प्रसारित अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में कहा कि महान स्वतंत्रता सेनानी शहीद भगत सिंह को श्रद्धांजलि के तौर पर अब चंडीगढ़ हवाई अड्डे का नाम उनके नाम पर रखा जायेगा ।
मान ने ट्वीट कर कहा, ‘‘अंतत: हमारी मांग पूरी हुयी। शहीद भगत सिंह के नाम पर चंडीगढ़ हवाई अड्डे का नाम रखने के निर्णय का पूरे पंजाब की तरफ से हम स्वागत करते हैं।’’
प्रधानमंत्री को धन्यवाद देते हुये उन्होंने कहा, ‘‘पंजाब के लोगों की लंबे समय से लंबित मांग अब पूरी हुयी है।’’
प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं भारतीय जनता पार्टी के नेता कैप्टन अमरिंदर सिंह ने ‘‘हमारी मांग को स्वीकार करने’’ के लिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति आभार जताया ।
कैप्टन ने ट्वीट कर कहा, ‘‘मोहाली हवाई अड्डे का नाम शहीद भागत सिंह के नाम पर रखने की हमारी मांग मानने के लिये मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी का आभारी हूं ।
हाल ही में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुये पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘महान स्वतंत्रता सेनानी को यह उपयुक्त श्रद्धांजलि है जिन्होंने देश के लिये अपने प्राण न्यौछावर कर दिये और वे देश के लाखों लोगों के लिये प्रेरणास्रोत हैं ।’’
हरियाणा के उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने भी इस घोषणा का स्वागत किया है।
चौटाला ने कहा कि पंजाब और हरियाणा की सरकारें इससे पहले चंडीगढ़ अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का नाम भगत सिंह के नाम पर रखने के लिये सहमत हुयी थीं। पिछले महीने इस मुद्दे पर भगवंत मान और दुष्यंत चौटाला की हुयी बैठक के बाद यह फैसला आया है ।
मान ने कहा, ‘‘मैं खुश हूं कि हमारे प्रयास रंग लाए हैं और प्रधानमंत्री ने मन की बात कार्यक्रम में इस आशय की घोषणा की है।’’
प्रधानमंत्री मोदी को धन्यवाद देते हुये चौटाला ने कहा, ‘‘यह भी प्रसन्नता का विषय है कि यह घोषणा चौधरी देवीलाल की जयंती (25 सितंबर) के मौके पर हुयी है।’’
सुनील जाखड़, प्रदेश अध्यक्ष अश्विनी शर्मा और पार्टी महासचिव सुभाष शर्मा समेत पंजाब भाजपा के नेताओं ने भी प्रधानमंत्री की इस घोषणा का स्वागत किया है ।
जाखड़ ने कहा कि हवाई अड्डे का नाम शहीद भगत सिंह के नाम पर रखने की घोषणा कर प्रधानमंत्री ने शहीद ए आजम को कृतज्ञ राष्ट्र की ओर से उचित श्रद्धांजलि दी है।
गौरतलब है कि चंडीगढ़ अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का नाम इससे पहले विवादों में पड़ गया था ।
पंजाब सरकार ने 2017 में हवाई अड्डे का नाम ‘‘शहीद-ए-आजम सरदार भगत सिंह अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा, मोहाली’’ रखने की मांग की थी ।
हरियाणा सरकार ने यह कहते हुये आपत्ति जतायी कि उसे भगत सिंह के नाम पर कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन हवाई अड्डे के नाम में ‘मोहाली’ जोड़े जाने पर चिंता जाहिर की थी ।
हवाई अड्डे का रनवे चंडीगढ़ में स्थित है, जबकि अंतरराष्ट्रीय टर्मिनल रनवे के दक्षिण की तरफ स्थित है, जो मोहाली जिले के झिउरहेड़ी गांव में पड़ता है ।
मोहाली पंजाब का हिस्सा है। (भाषा)